नेटाल इंडियन कॉन्ग्रेस की 130वीं वर्षगाँठ | 22 Aug 2024
स्रोत: डरबन लोकल
हाल ही में 22 अगस्त 2024 को नेटाल इंडियन कॉन्ग्रेस (NIC) की 130वीं वर्ष गाँठ मनाई गई, जिसकी स्थापना 22 मई, 1894 को महात्मा गांधी के प्रस्ताव के आधार पर अगस्त 1894 में की गई थी।
- इसका गठन दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के विरुद्ध भेदभाव से निपटने के लिये किया गया था।
नेटाल इंडियन कॉन्ग्रेस क्या थी?
- नेटाल इंडियन कॉन्ग्रेस (NIC) पहली भारतीय कॉन्ग्रेस थी, जिसकी स्थापना महात्मा गांधी ने वर्ष 1894 में नेटाल (दक्षिण अफ्रीका का एक प्रांत) में भारतीयों के साथ होने वाले भेदभाव के खिलाफ लड़ने के लिये की थी।
- 1920 के दशक से NIC दक्षिण अफ्रीकी भारतीय कॉन्ग्रेस (SAIC) के अधीन कार्य करती रही।
- 1930-1940 के दशक में डॉ. जी.एम. नायकर की लोकप्रियता के साथ संगठन के विचारों में परिवर्तन आया तथा यह उग्रवादी विचारों की ओर अग्रसर हुआ। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1945 में डॉ. जी.एम. नायकर इसके नेतृत्वकर्त्ता बने।
- NIC की बढ़ती उग्रता के कारण 1950 और 1960 के दशक में कई नेताओं को जेल में डाल दिया गया।
- आधिकारिक तौर पर प्रतिबंधित न होने के बावजूद, दमन एवं उत्पीड़न के कारण NIC को अपनी गतिविधियों को रोकना पड़ा, जब तक कि वर्ष 1971 में इसका पुनरुद्धार नहीं हुआ और इसका ध्यान नागरिक कार्यों पर केंद्रित हो गया।
- 1980 के दशक के मध्य में NIC ने यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) के गठन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- UDF का लक्ष्य "गैर-नस्लीय, एकीकृत दक्षिण अफ्रीका" की स्थापना करना था।
दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह में महात्मा गांधी की क्या भूमिका थी?
- भारतीय समुदाय का एकत्रीकरण और सत्याग्रह:
- नेटाल सत्याग्रह: 7 जून 1893 को महात्मा गांधी को नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा, जब उन्हें दक्षिण अफ्रीका के पीटरमैरिट्ज़बर्ग रेलवे स्टेशन पर प्रथम श्रेणी के ट्रेन के डिब्बे से ज़बरन उतार दिया गया। इस घटना ने नेटाल सत्याग्रह में उनके पहले अहिंसक विरोध के माध्यम से सविनय अवज्ञा की उनकी भावना को प्रज्वलित किया।
- गांधीजी ने भारतीय समुदाय को एकजुट करने तथा मताधिकार और भेदभावपूर्ण कानूनों जैसे मुद्दों के समाधान के लिये नेटाल इंडियन कॉन्ग्रेस (NIC) की स्थापना की।
- ट्रांसवाल ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन: वर्ष 1903 में गांधीजी ने विशेष रूप से ट्रांसवाल क्षेत्र में बढ़ते प्रतिबंधों के खिलाफ भारतीयों के अधिकारों का समर्थन ज़ारी रखने के लिये इस एसोसिएशन की स्थापना की थी।
- सत्याग्रह का शुभारंभ: वर्ष 1906 में गांधीजी ने एशियाई पंजीकरण अधिनियम के खिलाफ जोहान्सबर्ग में अपना पहला सत्याग्रह (अहिंसक प्रतिरोध) अभियान शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और सविनय अवज्ञा हुई।
- ट्रांसवल में एशियाई पंजीकरण अधिनियम 1906, के तहत एशियाई पुरुषों, मुख्य रूप से भारतीयों और चीन के लोगों को पंजीकरण कराना, उंगलियों के निशान दिखाना, पंजीकरण प्रमाणपत्र साथ रखना और शारीरिक परीक्षण से गुजरना अनिवार्य था। इसका उद्देश्य इस क्षेत्र में एशियाई लोगों के प्रवेश और आवागमन को नियंत्रित एवं प्रतिबंधित करना था।
- दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों ने पैसिव रेजिस्टेंस एसोसिएशन बनाकर भेदभावपूर्ण कानून का विरोध किया। उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपने पंजीकरण प्रमाणपत्र जला दिये, जिससे दक्षिण अफ्रीकी सरकार की नकारात्मक छवि बनी। अंततः संघर्ष एक समझौते के साथ समाप्त हुआ।
- नेटाल सत्याग्रह: 7 जून 1893 को महात्मा गांधी को नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा, जब उन्हें दक्षिण अफ्रीका के पीटरमैरिट्ज़बर्ग रेलवे स्टेशन पर प्रथम श्रेणी के ट्रेन के डिब्बे से ज़बरन उतार दिया गया। इस घटना ने नेटाल सत्याग्रह में उनके पहले अहिंसक विरोध के माध्यम से सविनय अवज्ञा की उनकी भावना को प्रज्वलित किया।
- एम्बुलेंस कॉर्प्स का संगठन:
- एंग्लो-बोअर युद्ध (1899-1902) के दौरान गांधीजी ने अंग्रेज़ों की सहायता के लिये भारतीय स्वयंसेवकों की एक एम्बुलेंस कॉर्प्स का गठन किया, जिससे भारतीयों के साथ बेहतर व्यवहार की उम्मीद थी, लेकिन यह उम्मीद पूरी नहीं हुई।
- सामुदायिक जीवन की स्थापना:
- गांधीजी ने सामुदायिक जीवन प्रयोग के रूप में वर्ष 1904 में डरबन में फीनिक्स सेटलमेंट की स्थापना की।
- उन्होंने पूंजीवाद की आलोचना पर जॉन रस्किन की पुस्तक अनटू दिस लास्ट (John Ruskin’s Unto This Last) को पढ़ने से प्रेरित होकर इस फार्म की स्थापना की थी।
- उन्होंने सत्याग्रहियों को तैयार करने के लिये वर्ष 1910 में जोहान्सबर्ग के समीप टॉल्स्टॉय फार्म की स्थापना की।
- इन पहलों का उद्देश्य आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना, सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देना और व्यावहारिक कौशल में प्रशिक्षण प्रदान करना था।
- गांधीजी ने सामुदायिक जीवन प्रयोग के रूप में वर्ष 1904 में डरबन में फीनिक्स सेटलमेंट की स्थापना की।
- वर्ष 1913 का सत्याग्रह अभियान:
- गांधी जी ने पोल टैक्स , विवाह पंजीकरण अधिनियम के खिलाफ एक बड़े सत्याग्रह का नेतृत्व किया और अपनी पत्नी कस्तूरबा सहित भारतीय महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भागीदारी के साथ कानून पारित किये।
- साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने ईसाई रीति-रिवाजों के अनुसार नहीं किये गए सभी विवाहों को अमान्य कर दिया था, जिससे भारतीयों और अन्य गैर-ईसाई लोगों का गुस्सा भड़क उठा था।
- गांधी जी ने पोल टैक्स , विवाह पंजीकरण अधिनियम के खिलाफ एक बड़े सत्याग्रह का नेतृत्व किया और अपनी पत्नी कस्तूरबा सहित भारतीय महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भागीदारी के साथ कानून पारित किये।
- कानूनी सुधार और भारतीय अधिकारों की मान्यता:
- गांधीजी के विरोध के निरंतर दबाव के कारण दक्षिण अफ्रीकी सरकार को वर्ष 1914 के भारतीय राहत अधिनियम को स्वीकृति देनी पड़ी, जिसमें भारतीय समुदाय के अनेक मुद्दों को हल किया गया।
- गांधीवादी आंदोलनों का प्रभाव:
- सत्याग्रह का विकास: दक्षिण अफ्रीका में गांधी के अनुभव अहिंसक प्रतिरोध के उनके दर्शन को विकसित करने में महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुए, जिसे उन्होंने बाद में भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी लागू किया।
- वैश्विक प्रभाव: दक्षिण अफ्रीका में गांधी के तरीकों ने विश्व भर में आगामी नागरिक अधिकार आंदोलनों की नींव रखी और नस्लीय एवं औपनिवेशिक उत्पीड़न के खिलाफ वैश्विक प्रयासों को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया।
- नेल्सन मंडेला और मार्टिन लूथर किंग दोनों ही गांधीजी और उनके सत्याग्रह से बहुत प्रभावित थे।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न 1. इनमें से कौन अंग्रेज़ी में अनूदित प्राचीन भारतीय धार्मिक गीतिकाव्य- ‘सॉन्ग्स फ्रॉम प्रिज़न’ से संबद्ध है? (2021) (a) बाल गंगाधर तिलक उत्तर: (c) प्रश्न 2. भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त में से कौन-से कथन सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) |