विविध
बढ़ती शहरी आबादी (Worlds rising urban population)
- 02 Nov 2018
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संदर्भ
दुनिया की लगभग 55% आबादी अब शहरी क्षेत्रों में रहती है। उल्लेखनीय है कि 31अक्तूबर को विश्व शहर दिवस मनाया गया। इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा कि लगभग 1.4 मिलियन लोग हर हफ्ते दुनिया भर के शहरों में जाते हैं साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि "इस तरह का तेज़ी से हो रहा शहरीकरण स्थानीय क्षमताओं को बाधित कर सकता है और मानव निर्मित आपदाएँ जोखिम को और बढ़ा देती है। अतः हमें बाढ़, भूकंप, आग, महामारी तथा आर्थिक संकट के प्रति अधिक लचीलेपन/सामंजस्यपूर्ण दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है।
प्राकृतिक आपदाओं के प्रति विभिन्न देशों की कार्यनीति
- जहाँ बैंकॉक ने शुष्क अवधि से बचने के लिये भूमिगत जल संग्रहण संसाधनों का निर्माण किया है वहीं क्विटो, इक्वाडोर ने 200,000 हेक्टेयर भूमि को बाढ़ से संरक्षित किया है।
- इसके साथ ही जोहान्सबर्ग सार्वजनिक सुविधाओं, जैसे - मनोरंजन, खेल, सामुदायिक कार्यक्रमों जैसे मुफ्त चिकित्सा देखभाल आदि के लिये किये जाने वाले सुधार के प्रयासों में निवासियों की सहभागिता को बढ़ावा दे रहा है ताकि उनका सुरक्षित रूप से उपयोग किया जा सके।
शहरी आवास सम्मलेन की पृष्ठभूमि
- शहरीकरण की चुनौती को पूरी तरह से पहचानने वाला पहला अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन आवास-I नाम से 1976 में वैंकूवर, कनाडा में आयोजित किया गया था।
- वहीं संयुक्त राष्ट्र ने शहरों को लेकर एक दूसरा सम्मेलन आवास-II इस्तांबुल, तुर्की में आयोजित किया जो शहरी आवास की दो दशकों की प्रगति का आकलन करने लिये आयोजित किया गया था, जबकि तीसरा सम्मेलन अक्तूबर, 2016 में इक्वाडोर की राजधानी क्वीटो में आयोजित हुआ।
- उल्लेखनीय है कि तीसरे सम्मेलन में शहरीकरण की पहचान विकास के अंतर्जातीय स्रोत के रूप में की गई है और साथ ही शहरी मॉडल को जलवायु परिवर्तन की चुनौती को प्रभावी ढंग से संबोधित करने तथा सामाजिक एकीकरण के लिये शहरीकरण की भूमिका को एक उपकरण के रूप में रेखांकित किया गया है।
मानव आवास पर संयुक्त राष्ट्र आयोग
- यह मानव बस्तियों के लिये संयुक्त राष्ट्र की एक इकाई है जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ कस्बों और शहरों को बढ़ावा देने के लिये अपनाया गया है ताकि सभी के लिये पर्याप्त आश्रय प्रदान किया जा सके।
- आमतौर पर आयोग को हैबिटेट से संबोधित किया जाता है और यह कार्यकारी सचिवालय के रूप में भी कार्य करता था।
- संयुक्त राष्ट्र-आवास संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम के एक बेहतर शहरी भविष्य की दिशा में काम कर रहा है।
- इसका लक्ष्य सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ मानव बस्तियों के विकास और सभी के लिये आश्रय की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
शहरीकरण से उत्त्पन्न चुनौतियाँ
- शहर अभूतपूर्व जनसांख्यिकीय, पर्यावरण, आर्थिक, सामाजिक और स्थानिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
- शहरीकरण की दिशा में एक असाधारण बदलाव आया है, दुनिया के प्रत्येक 10 में से 6 व्यक्तियों की वर्ष 2030 तक शहरी क्षेत्रों में बसने की उम्मीद है।
- उल्लेखनीय है कि इस वृद्धि का लगभग 90 प्रतिशत भाग अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और कैरीबियाई देशों में होगा।
- ऐसी दशा में प्रभावी शहरी नियोजन की अनुपस्थिति में शहरीकरण के परिणाम भी नाटकीय होंगे।
- दुनिया भर में उचित आवासों की कमी और मलिन बस्तियों का विकास, अपर्याप्त और आउट-डेटेड इंफ्रास्ट्रक्चर (जैसे- सड़क, सार्वजनिक परिवहन, पेयजल, स्वच्छता, बिजली, गरीबी और बेरोज़गारी तथा सुरक्षा से जुड़ी) के कारण समस्यायों में वृद्धि होगी।
- इसके अतिरिक्त प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों में वृद्धि, साथ ही खराब प्रबंधन के कारण जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों में भी वृद्धि होगी।
- शहरों में मलिन बस्तियों की बढ़ती संख्या जलवायु परिवर्तन पर घातक प्रभाव डालती है, साथ ही बढ़ते प्रवासन का एक महत्त्वपूर्ण कारक भी है।
प्रवासन हेतु वैश्विक समझौता
- सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित प्रवासन के लिये वैश्विक समझौता, दुनिया का पहला अंतर-सरकारी समझौता है जो अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन के समग्र और व्यापक तरीके से सभी आयामों को कवर करता है।
- इस समझौते को इसी वर्ष 13 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र के तहत अंतिम रूप दिया गया था और इसे 11से 12 दिसंबर को माराकेश, मोरक्को में एक बैठक में औपचारिक रूप से अनुमोदित किया जाना है।
- इस समझौते में 23 उद्देश्यों को शामिल किया गया है जिसमें प्रवासन के प्रबंधन हेतु सहयोग को बढ़ावा देना, प्रवासियों को हिरासत में न लेना और प्रवासी श्रमिकों द्वारा अर्जित आय की पोर्टेबिलिटी जैसी तकनीकी समस्याओं संबंधी मुद्दे आदि हैं।
- उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2017 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका को इस समझौते पर बातचीत करने से बाहर कर लिया है और साथ ही यह कहा है कि इसके प्रावधान अमेरिकी आप्रवासन और शरणार्थी नीतियों के साथ असंगत थे।
आगे की राह
- शहरीकरण की दिशा में अपनाई जाने वाली नीतियों और दृष्टिकोणों को शहरों एवं शहरी क्षेत्रों के विकास के अवसरों में बदलने की ज़रूरत है जो किसी को भी पीछे न छोड़े।
- बड़े शहर वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रभावी भूमिका निभाते हैं इसके साथ ही नवीनतम आँकड़े, शहरी दुनिया का केंद्र विकासशील देशों मुख्यतः दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को मानते हैं।
- इससे स्पष्ट होता है कि विकास और समस्यायों की मुख्य धुरी भी यही देश होंगे अतः हमारी भविष्य की रणनीतियों के केंद्रबिंदु में ये देश होने चाहिये।
- उल्लेखनीय है कि भारत ने देश की बढ़ती आबादी और शहरी बुनियादी ढाँचे पर बढ़ते दबाव के मद्देनजर 100 स्मार्ट शहरों को विकसित करने की योजना बनाई है।
- शहर और गाँव के बीच के मज़बूत सह-संबंध के कारण भारत में वर्ष 1983 से 1999 के बीच ग्रामीण इलाकों में 13-25 प्रतिशत गरीबी कम हुई है।
- इससे यह संदेश और भी स्पष्ट हो जाता है कि शहरीकरण ग्रामीण गरीबी को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और किसी भी देश के विकास में अहम भूमिका निभा सकता है।
- क्षणिक विकास की बजाय उस मार्ग को अपनाया जाए जो वर्तमान को तो संबोधित करे ही बल्कि भविष्य में भी गुणवत्तापूर्ण जीवन की संकल्पना को बनाए रखे।
- उपर्युक्त आधार पर कहें तो हमें संपोषणीय विकास/सतत विकास के मार्ग को अपनाना चाहिये क्योंकि यही शहरीकरण के उपोत्पाद (by product) यानी जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर समस्यायों का हल है।