अंतर्राष्ट्रीय संबंध
बदलते परिदृश्य में भारत-मलेशिया संबंध
- 21 Apr 2020
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इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में भारत-मलेशिया संबंधों पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।
संदर्भ
बीते दिनों मलेशिया में मोहिउद्दीन यासीन के नेतृत्व वाली सरकार ने अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया है। मोहिउद्दीन यासीन को मलेशिया का नया प्रधानमंत्री नामित करने के साथ ही पूर्व सत्तारूढ़ गठबंधन के टूटने और महातिर मोहम्मद के इस्तीफे के बाद एक सप्ताह से चल रहा राजनीतिक संकट समाप्त हो गया। मलेशिया की नई सरकार भारत के साथ संबंधों पर ज़मीं बर्फ को पिघलाना चाहती है। हालाँकि भारत और मलेशिया के बीच संबंधों में गर्मजोशी की बहाली काफी हद तक भारत-पाकिस्तान विवादों में तटस्थता बनाए रखने की नई सरकार की क्षमता पर निर्भर करती है।
इसके अलावा यासीन सरकार को अपनी विदेश नीति में इस्लामिक बयानबाज़ी का विरोध करने की आवश्यकता होगी, क्योंकि ऐसा न करने से भारत जैसे अन्य देशों के साथ उसके संबंध जटिल हो सकते हैं। इससे पहले मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद द्वारा जम्मू-कश्मीर और नागरिकता कानून को लेकर विवादित टिप्पणी करने से दोनों देशों के बीच तल्खी बढ़ गई थी। परिणामस्वरूप भारत ने मलेशिया से पाम आयल के आयात पर प्रतिबंध भी लगा दिया था।
इस आलेख में भारत-मलेशिया के संबंधों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के साथ, संबंधों में खटास के कारण तथा सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों पर विमर्श करने का प्रयास किया जाएगा।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- इतिहास पर नज़र डालें तो पाएंगे कि वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध में मलेशिया अकेला ऐसा दक्षिण-पूर्वी देश था जिसने न सिर्फ खुलकर भारत का साथ दिया था, बल्कि भारत को युद्ध में सहायता देने के लिये एक आर्थिक कोष की भी स्थापना की थी।
- वहीं, भारत ने भी वर्ष 1965 में इंडोनेशिया-मलेशिया विवाद में मलेशिया का साथ दिया था। इसके चलते भारत और इंडोनेशिया के संबंधों में खटास आ गई थी।
- शीत युद्ध के दौरान दोनों ही देश गुटनिरपेक्ष देशों के दल के साथ रहे और इन्होंने पारस्परिक संबंधों को मज़बूत बनाए रखा। एक मुस्लिम बहुल देश होने और पाकिस्तान की तमाम कोशिशों के बावजूद मलेशिया और भारत के संबंध मधुर बने रहे।
- भारत सरकार के वर्ष 1992 में ‘लुक ईस्ट नीति’ के अनावरण ने संबंधों को नए आयाम दिये।
- वर्ष 2014 में चुनी गई नई सरकार ने कूटनीति के अगले चरण में मलेशिया समेत अन्य पूर्वी एशियाई देशों में पहल करते हुए लुक ईस्ट नीति को ‘एक्ट ईस्ट नीति’ में तब्दील कर दिया। मलेशिया भारत सरकार की एक्ट ईस्ट नीति के केंद्र में है।
- राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक तथा सामाजिक-सांस्कृतिक स्तंभों पर भारत और मलेशिया का आपस में सहयोग काफी महत्त्वपूर्ण है।
- गौरतलब है कि मलेशिया आसियान समूह का एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण सदस्य है और आसियान दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले देशों का एक समूह है। आसियान भारत का चौथा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार और इस दस सदस्यों के समूह में भारत छठा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
- इसके अलावा मलेशिया में भारतीय मूल के करीब 24 लाख लोग हैं जो वहाँ की कुल जनसंख्या का 8 प्रतिशत हैं।
- पिछले कई सालों के दौरान, भारत और मलेशिया ने द्विपक्षीय सहयोग के कई समझौतों को अंजाम दिया जिनमें मलेशिया-इंडिया कोम्प्रेहेंसिवे इकॉनोमिक को-ऑपरेशन एग्रीमेंट (2011) और इनहेंस्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप (2016) प्रमुख हैं।
एक्ट ईस्ट नीति
- भारत की वर्तमान विदेश नीति के बारे में कहा जा रहा है कि भारत इस मोर्चे पर आज जितना मज़बूत है उतना कभी नहीं था। यूरोप, अमेरिका और खाड़ी देशों के साथ रिश्तों को मज़बूत आधार देने के बाद भारत सरकार ने कूटनीति के अगले चरण में पूर्वी एशियाई देश में पहल करते हुए वर्ष 2014 में लुक ईस्ट नीति को एक्ट ईस्ट नीति में तब्दील कर दिया।
- एक्ट ईस्ट पॉलिसी ने बुनियादी ढाँचे, विनिर्माण, व्यापार, कौशल, शहरी नवीकरण, स्मार्ट सिटीज़, मेक इन इंडिया और अन्य पहलों पर हमारे घरेलू एजेंडे में भारत-आसियान सहयोग पर ज़ोर दिया है।
- एक्ट ईस्ट पॉलिसी का उद्देश्य आर्थिक, सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना और द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं बहुपक्षीय स्तरों पर निरंतर जुड़ाव के माध्यम से एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ रणनीतिक संबंध विकसित करना है, ताकि भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों को उन्नत कनेक्टिविटी प्रदान की जा सके।
विवाद के कारण
- भारत में टेरर फाइनेंस के आरोपी जाकिर नाइक के मलेशिया भाग जाने और भारत सरकार की तमाम कोशिशों और दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि होने के बावजूद मलेशियाई सरकार के उसे भारत नहीं भेजने के निर्णय ने राजनयिक स्तर पर पिछले कुछ सालों से एक तनाव की स्थिति पैदा कर दी है।
- वर्ष 2018 में महातिर मोहम्मद के सत्ता पर काबिज़ होने के बाद से भारत के लिये खासतौर पर परिस्थितियाँ कुछ कठिन हुई हैं। उदाहरण के तौर पर प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय विदेश मंत्रालय की गुज़ारिश के बावजूद महातिर ने जाकिर नाइक को यह कहकर भारत भेजने से मना कर दिया था कि वहाँ उसकी जान को खतरा हो सकता है।
- गौरतलब है कि वर्ष 2011 में दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि और वर्ष 2012 में आपराधिक मामलों में एक-दूसरे की कानूनी सहायता संबंधी समझौता होने के बावजूद मलेशिया ने जाकिर नाइक को भारत को सौंपने से इनकार कर दिया।
- इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर पर बयान देकर मलेशिया ने पाकिस्तान से बढ़ती करीबी और भारत से संबंधों पर पड़ते इसके असर को उजागर कर दिया।
- महातिर ने संयुक्त राष्ट्र संघ की बैठक में अप्रत्याशित रूप से कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए कहा कि ‘भारत ने कश्मीर पर आक्रमण कर उसे कब्ज़े में कर रखा है, जो संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों के उलट है।’
पाम तेल और भारत
- मलेशिया की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पाम आयल के कारोबार पर निर्भर है। विश्लेषकों का मानना है कि भारत में खाने में इस्तेमाल किये जाने वाले तेलों में पाम तेल का हिस्सा दो-तिहाई है।
- भारत पाम आयल के मामले में आत्मनिर्भर नहीं हुआ है। भारत को पाम आयल की अपनी ज़रूरत को पूरा करने के लिये आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। देश में खपत होने वाले कुल पाम आयल का लगभग 60-70 प्रतिशत तेल विदेशों से आयात होता है।
- भारत हर साल लगभग 90 लाख टन पाम तेल आयात करता है और यह मुख्य रूप से मलेशिया और इंडोनेशिया से आयातित होता है।
भारत और मलेशिया के बीच सहयोग के क्षेत्र
- भारत मलेशिया के पाम आयल का सबसे बड़ा खरीददार देश है। भारत और मलेशिया के बीच कुल 17.2 बिलियन डॉलर का व्यापार है, जिसमें से भारत 10.8 बिलियन डॉलर का आयात करता है।
- हाल के वर्षों में मलेशियाई कंपनियों और निवेशकों द्वारा भारत में कई परियोजनाओं, विशेष रूप से बुनियादी ढाँचे और निर्माण क्षेत्रों में निवेश किया गया है। साथ ही निवेश के नए क्षेत्रों का पता भी लगाया गया।
- मलेशियाई कंपनियाँ भारत के विभिन्न राज्यों में कई बुनियादी ढाँचागत परियोजनाओं में काम कर रही हैं। भारतीय कंपनियों ने भी बड़े पैमाने पर मलेशिया की अर्थव्यवस्था में योगदान दिया है।
- रॉयल मलेशियाई वायु सेना और भारतीय वायु सेना प्रशिक्षण, रख-रखाव, तकनीकी सहायता और सुरक्षा संबंधी मुद्दों में सहयोग के लिये विमान सुरक्षा और रख-रखाव मंच की स्थापना के संदर्भ में काम कर रहे हैं।
- दोनों देश आतंकवाद और अंतर्राष्ट्रीय अपराध का मुकाबला करने में सहयोग कर रहे हैं। साथ ही, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर मलेशियाई और भारतीय वैज्ञानिक अनुसंधान, विकास तथा तकनीकी जानकारी और दस्तावेज़ों के पारस्परिक आदान-प्रदान में सहयोग कर रहे हैं।
- मलेशिया में भारतीय मूल के समुदाय के योगदान का उत्सव मनाने के लिये कुआलालंपुर में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र का नाम ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय सांस्कृतिक केंद्र’ के रूप में नामित किया गया है।
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय सांस्कृतिक केंद्र, भारत और मलेशिया के बीच सांस्कृतिक कार्यक्रमों, सांस्कृतिक संगोष्ठियों, कार्यशालाओं का आयोजन करके भारतीय शास्त्राीय संगीत और भारतीय नृत्य जैसे कि कत्थक और मणिपुरी के लिये भारतीय पेशेवरों और प्रशिक्षकों को नियुक्त करके द्विपक्षीय सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देता है।
- इसके अलावा खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों, खेल के नियम व प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के आदान-प्रदान के ज़रिये खेल के क्षेत्र में सहयोग को लेकर भी एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं। इंटरप्रेन्योरशिप डवलपमेंट इंस्टीट्यूट अहमदाबाद तथा मलेशियन ह्यूमन रिसोर्स फंड के बीच प्रशिक्षण तथा अन्य क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को अंजाम एक देने पर एक समझौता हुआ।
- मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्मार्ट सिटीज़ और कौशल विकास जैसे भारत द्वारा उठाए गए नए विकास और व्यापारिक पहलों में मलेशियाई व्यापारियों के लिये निवेश के महत्त्वपूर्ण अवसर उपलब्ध कराए गए हैं।
- आयुर्वेद एवं भारतीय परंपरा की अन्य पारंपरिक चिकित्साओं में दोनों देशों के बीच बेहतर सहयोग को बढ़ावा देने की ज़रूरत को स्वीकार करते हुए मलेशिया ने भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग कार्यक्रम के तहत भारत से एक आयुर्वेद के चिकित्सक और दो थेरेपिस्ट की प्रतिनियुक्ति की है।
- टिकाऊ ऊर्जा विकास, भविष्य में ऊर्जा सुरक्षा अर्जित करने की दिशा में एक प्रमुख तत्त्व रहा है और भारत तथा मलेशिया दोनों ही देश बेहतर ऊर्जा सुविधाओं के साथ अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के उद्देश्य से नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ाने पर सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। दोनों ही पक्षों ने जल्द से जल्द नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा पर एक संयुक्त कार्य समूह के गठन पर सहमति जताई है।
आसियान देशों से भारत का संबंध
- दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ भारत का संबंध 2000 वर्ष से भी पुराना है। भारत के कंबोडिया, मलेशिया एवं थाइलैंड जैसे देशों के बीच प्राचीन व्यापार का पूरा दस्तावेज़ मौजूद है।
- दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की संस्कृतियों, परंपराओं एवं भाषाओं पर इन शुरुआती संपर्कों का पूरा प्रभाव पड़ा है। कंबोडिया में अंगकोरवाट मंदिर परिसर, इंडोनेशिया में योग्याकर्त्ता के निकट बोरोबुदूर एवं प्रमबन मंदिर एवं मलेशिया में प्राचीन कैंडिस जैसे ऐतिहासिक स्थलों पर भारतीय हिन्दू-बौद्ध प्रभाव दिखते हैं।
- इसके अलावा भारत सरकार की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति एवं आसियान के साथ संबंधों को मज़बूत बनाने के लिये 3-सी (कॉमर्स, कनेक्टिविटी और कल्चर) हमारे व्यापक सहयोग के ज्वलंत उदाहरण हैं।
- सामाजिक सांस्कृतिक मोर्चे पर, आसियान-भारत छात्र विनिमय कार्यक्रम एवं वार्षिक दिल्ली संवाद जैसे कार्यक्रम लोगों के बीच आपसी संबंधों को और मज़बूत बनाते हैं। इन मंचों के ज़रिये आसियान देशों व भारत के युवा, शिक्षाविद एवं उद्योगपति आपस में मिलते हैं, एक दूसरे से सीखते हैं तथा रिश्तों को प्रगाढ़ बनाते हैं।
- भारत हिंद महासागर से लेकर प्रशांत महासागर तक बड़े समुद्री लेनों के साथ रणनीतिक रूप से अवस्थित है। ये समुद्री लेन आसियान के कई सदस्य देशों के लिये महत्त्वपूर्ण व्यापार रास्ते भी हैं।
आगे की राह
- एक ऐसे देश के रूप में जहाँ लगभग 8 प्रतिशत आबादी भारतीय मूल की है, मलेशिया भारत की विदेश नीति में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।
- मलक्का जलडमरूमध्य और दक्षिण चीन सागर से घिरा हुआ मलेशिया भारत की पूर्व की ओर देखो नीति का एक प्रमुख स्तंभ है तथा भारत की समुद्री संपर्क रणनीतियों के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- ऐसे में भारत को धैर्य का परिचय देते हुए मलेशिया के साथ अपने संबंधों को परिभाषित करना होगा। वहीं मलेशिया को यह प्रयास करना होगा कि उनकी घरेलू राजनीति भारत जैसे पड़ोसी देश के साथ खराब संबंधों की नींव पर न स्थापित हो।
प्रश्न- एक्ट ईस्ट नीति क्या है? भारत व मलेशिया के बीच सहयोग के क्षेत्रों का उल्लेख करते हुए बताएँ कि भारत की समुद्री सुरक्षा की दृष्टि से मलेशिया क्यों आवश्यक है।