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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

किसान दंगे क्यों कर रहे हैं?

  • 10 Jun 2017
  • 5 min read

संदर्भ
हाल ही में दो बड़े राज्यों मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के किसानों ने लोन माफी जैसे मुद्दों को लेकर व्यापक स्तर पर आंदोलन किया। इस प्रकार अचानक भड़के आन्दोलन के पीछे क्या कारण है? क्या इसके पीछे कोई सामाजिक-आर्थिक अशांति ज़िम्मेदार है? या फिर कोई राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा। कुछ लोगों के अनुसार यह अशांति पूरे देश में फैल सकती है। अत: नीति-निर्माताओं और विश्लेषकों के लिये यह ज़रूरी है कि वे इस अशांति के पीछे के कारणों को समझने का प्रयास करें। 

सामाजिक-आर्थिक व्याख्या

  • कोई भी व्यक्ति अब किसान नहीं बनना चाहता है। क्योंकि यह एक अलाभकारी व्यवसाय रह गया है और कृषि कार्यों में अपेक्षाकृत कठिन शारीरिक परिश्रम भी करना पड़ता है। 
  • आज किसानों के बच्चे अच्छी नौकरी की तलाश में शहरों की तरफ पलायन कर रहे है, लेकिन अर्थव्यवस्था द्वारा इन लोगों के लिये पर्याप्त रोज़गार उपलब्ध नहीं कराये जा रहे है जिसके कारण इन लोगों में निराशा एवं अशांति घर कर जाती है जिसका परिणाम दंगों के रूप में सामने आता है। 
  • कृषि क्षेत्र में उपर्युक्त प्रकार का ट्रेंड एक सार्वभौमिक घटना बनती जा रही है। यही कारण है कि सामाजिक वैज्ञानिकों ने ज़ोर देकर कहा है कि नीति-निर्माताओं को इस बदलाव के लिये तैयार रहना चाहिये और कुछ ठोस नीतियों का निर्माण करना चाहियें।
  • गरीब किसानों को फसल बिक्री के लिये नकदी की ज़रूरत होती है लेकिन विमुद्रीकरण के कारण अर्थव्यवस्था में नकदी का पर्याप्त अभाव हो गया जिसने किसानों की आय पर विपरीत प्रभाव डाला। परिणामस्वरूप किसानों ने दंगेबाज़ी शुरु कर दी। 

कृषि संबंधी व्याख्या

  • 2014-15 और 2015-16 में भारतीय किसानों को लगातार दो साल सूखे का सामना करना पड़ा था। इस त्रासदी के बावजूद सूखे वाले वर्षों में किसी भी प्रकार के किसान दंगे नहीं देखें गए। 
  • ‘कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय’ के आँकड़ों के अनुसार 2016 में अनाज उत्पादन में अत्यधिक बढ़ोतरी हुई जो पिछले पाँच सालों के औसत उत्पादन से 6.37 प्रतिशत तथा 2015-16 के मुकाबले 8.6 प्रतिशत अधिक रहा।
  • क्या खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट और किसानों की आय में कमी दंगों का कारण  हैं? लेकिन आँकड़े बताते हैं कि पिछले तीन वर्षों में खाद्य पदार्थों की कीमतों पर नज़र डाले तो पता चलता है कि किसानों की आमदनी में लगभग 5 से 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
  • दालों के उत्पादन में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जिसके कारण भी  2016-17 में किसानों की आय बढ़ी है। गेहूँ उत्पादक किसानों की आय भी लगभग 10 प्रतिशत बढ़ी है।  
  • एक रिपोर्ट से पता चला है कि दंगों के दौरान किसान लूटपाट और शराब चोरी जैसी घटनाओं को अंजाम देते है। अत: अगर किसान अपनी जायज़ मागों को लेकर आन्दोलन कर रहे थे तो इस प्रकार की घटनाएँ क्यों घटित होती है। 

अत: उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर देखें तो ऐसा प्रतीत होता है कि किसानों द्वारा किये जा रहे दंगे राजनीति से ज़्यादा प्रेरित लगते हैं।

निष्कर्ष
बढ़ती पैदावार, किसानों की बढ़ती आय एवं सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि जैसे उपायों तथा किसानों से संबंधित चलाई जा रहीं नई योजनओं के बावजूद किसानों द्वारा आन्दोलन किये जाने का आखिर क्या कारण है? इन कारणों को हमें जल्द खोजना होगा क्योंकि इस प्रकार के दंगे-फसाद से न केवल सामाजिक समरसता को हानि पहुँचती है बल्कि निवेशकों का मनोबल भी प्रभावित होता है। अत: सरकार को इन आंदोलनों को गंभीरता से लेना चाहिये तथा स्वार्थपरक राजनीति से ऊपर उठ कर संवैधानिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुये उचित समाधान निकाले जाने चाहिये।

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