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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

डिजिटल अधिकारों का निरंतर होता व्यापार

  • 21 Apr 2017
  • 9 min read

उल्लेखनीय है कि वैश्विक व्यापार संधियाँ अब पहले की भाँति केवल टैरिफ दरों को कम करने के बारे में नहीं रही है। बल्कि वैश्विक व्यापार संधियाँ अब वैश्विक व्यवसाय के हित में स्वतंत्र राष्ट्रीय नीति और संप्रभुता के लिये आवश्यक नई वैश्विक कानूनी प्रणाली का प्रतिनिधित्व करती हैं।

प्रमुख बिंदु

  • जैसा की हम सभी जानते हैं कि वृहद आँकड़ें यानि बिग डेटा डिजिटल दुनिया का एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण संसाधन है।
  • इसे विकासशील देशों से स्वतंत्र रूप से एकत्र किया जाता है और विकसित देशों (यथा; अमेरिका) में इसे डिजिटल इंटेलिजेंस (digital intelligence) के रूप में परिवर्तित या निर्मित किया जाता है| 
  • यह डिजिटल इंटेलिजेंस एक तरह के "सामाजिक मस्तिष्क" (social brain) का निर्माण करता है जो विभिन्न क्षेत्रों को नियंत्रित करने और एकाधिकार की सत्ता में दरार डालने का कार्य करता है।
  • उदाहरण के लिये दुनिया की बहुप्रसिद्ध टैक्सी कंपनी उबर (Uber) की प्रमुख संपत्ति इसकी कारें और चालकों का वृहद नेटवर्क नहीं है। बल्कि इसकी वृहद संपत्ति परिवहन, सार्वजनिक परिवहन, सड़कों, यातायात, शहर की घटनाओं, यात्रियों और चालकों की व्यक्तिगत व्यवहार संबंधी विशेषताओं और इसी प्रकार की अन्य विशेषताओं के विषय में, इसका डिजिटल इंटेलिजेंस है।
  • ऐसे में यह जानने के लिये कि विश्व में डिजिटल सोसाइटी किस प्रकार आकार ले रही है, बस एक बार इस समस्त स्थिति को व्यापक परिदृश्य में देखने की आवश्यकता हैं; न कि केवल नियमित रूप से वाणिज्यिक क्षेत्र में बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और सामरिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में भी इसे व्यापक रूप में समझने की आवश्यकता है| 
  • इस समस्त संदर्भ में यह समझने की आवश्यकता है कि आखिर इन वृहद आँकड़ों एवं डिजिटल इंटेलिजेंस का मालिक कौन है? साथ ही यह भी समझा जाना चाहिये कि आखिर इन्हें किस प्रकार सामाजिक रूप से वितरित किया जाना चाहिये|
  • वस्तुतः नीति निर्माताओं के लिये यह जानना और भी आवश्यक है, क्योंकि नीति बनाने के लिए ज़रूरी सबसे होता है महत्त्वपूर्ण आँकड़ों का संचयन|

नेटवर्क तक पहुँच

  • बड़े वैश्विक व्यापार का प्रतिनिधित्व कर रहे विकसित देशों के द्वारा डिजिटल व्यापार वार्ता में तीन महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं को शामिल किया गया है| सर्वप्रथम, देश एवं समाज के प्रत्येक नेटवर्क एवं कोने से सामाजिक और निजी डेटा को स्वतंत्र रूप से प्रसारित होने देने के लिये पूरे समाज में चलने वाले "नेटवर्क" के लिये नि:शुल्क और बिना रुके हुए अभिगम की व्यवस्था करना|
  • इस समस्त व्यवस्था में स्थानीय नेटवर्क तक पूर्ण पहुँच, नेटवर्क स्थापित करने का अधिकार, डिजिटल सामानों पर किसी भी प्रकार के शुल्क को न लगाया जाना, कोई भी स्थानीय प्रौद्योगिकी उपयोग या तकनीकी मानकों की प्रतिबद्धता को शामिल न करना, साथ ही हमारे सामाजिक और निजी क्षेत्र में प्रयोग होने वाले डिजिटल माध्यमों के चलते रहने के लिये किसी विशेष प्रकार के स्रोत कोड संबंधी पारदर्शिता को अधिरोपित न करना शामिल हैं|
  • स्पष्ट है कि इन सभी नियमों के अनुपालन हेतु एकसमान क्षेत्र, खुले मानकों, निजी तथा सुरक्षा संबंधी माध्यमों, गोपनीयता, स्थानीय प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहन देने वाले कारकों तथा अन्य दूसरे सकारात्मक कारकों जैसे ओपन सोर्स सॉफ़्टवेयर (जो कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपयोग के लिये एक भारतीय नीति है) तथा आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा की आवश्यकता है|
  • इस समस्त परिचर्चा में दूसरी आवश्यकता है, क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से परे डेटा के पूरी तरह से मुक्त प्रवाह को सुनिश्चित करने की| एक ऐसा प्रवाह जिसमें स्थानीय भंडारण की कोई आवश्यकता नहीं है, यहाँ तक कि संवेदनशील क्षेत्रों जैसे कि शासन, बैंकिंग, स्वास्थ्य आदि के लिये भी नहीं|
  • इस संबंध में तीसरा मुख्य बिंदु एक नकारात्मक सूची के लिये पहले से ही प्रतिबद्ध उन सभी सेवाओं के भविष्य के विनियमन से बहिष्करण (exclusion) करना है, जो निश्चित रूप से प्रत्येक क्षेत्र के ई-संस्करणों में शामिल होगी।

भारतीय परिदृश्य

  • उल्लेखनीय है कि भारत पहले से ही वैश्विक डिजिटल व्यापार वार्ता (global digital trade negotiations) का विरोध करता रहा है। हालाँकि इस संबंध में भारत द्वारा किये गए प्रयास एक आईटी हब के रूप में स्थापित तथा डिजिटल सुपरपॉवर की दिशा में बढ़ते राष्ट्र के लिये कितने सकारात्मक होंगे अथवा नकारात्मक, यह तो समय ही बताएगा| 
  • भारत के वैश्विक आईटी व्यापार संबंध बड़े पैमाने पर बी 2 बी (B2B) स्तर के है जहाँ प्रमुख दल विदेश में अवस्थित होते है और इस प्रकार के व्यापार से संबद्ध सभी प्रकार के डेटा के मालिक भी होते हैं|
  • गौरतलब है कि डिजिटल दुनिया के क्षेत्र में भारत के पास बहुत सी देशी तकनीकी और उद्यमशीलता क्षमताएँ मौजूद है| इतना ही नहीं इन सभी क्षमताओं से मिलान करने के लिये भारत में एक विशाल घरेलू बाजार भी मौजूद है|
  • स्पष्ट है कि भारत में घरेलू डिजिटल उद्योग के विकास के लिये आवश्यक सभी शर्तें बहुत अच्छी स्थिति में उपलब्ध है, लेकिन इसके लिये भारत को वैश्विक प्रतिबद्धताओं में प्रवेश करने के लिये अभी बहुत से प्रयास करने होंगे| साथ ही साथ भारतीय नीति निर्माताओं को विभिन्न क्षेत्रों के डिजिटलीकरण को उचित रूप से नियंत्रित करने की दिशा की ओर भी तेज़ी से अग्रसर होना होगा|
  • इस संदर्भ में दिसंबर 2017 में अर्जेंटीना में होने वाली विश्व व्यापार संगठन की बैठक इस संबंध में एक निर्णायक बैठक साबित हो सकती हैं|

निष्कर्ष
वस्तुतः डिजिटल उद्योग से संबद्ध ये सभी मुद्दे आसीयान प्लस देशों (भारत सहित) के बीच क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (Regional Comprehensive Economic Partnership) वार्ता में भी शामिल हैं| हालाँकि इस समय भारत को किसी भी डिजिटल व्यापार वार्ता का विरोध करना चाहिये, क्योंकि अभी इन सभी वार्ताओं में भारत के पास पाने के लिये बहुत कुछ नहीं है जबकि खोने के लिये बहुत कुछ है| स्पष्ट रूप से भारत को किसी भी प्रकार की वैश्विक व्यापार वार्ता का हिस्सा बनने से पहले अपनी डिजिटल संप्रभुता को विकसित करने के साथ-साथ डिजिटल अधिकारों का निर्माण करना होगा|

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