परिवर्तनकारी वैश्विक पुलिसिंग | 22 Oct 2022

यह एडिटोरियल 18/10/2021 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “Why Interpol needs to get better at countering global challenges” लेख पर आधारित है। इसमें भारत में आयोजित हो रही इंटरपोल महासभा की बैठक और वैश्विक पुलिस व्यवस्था के समक्ष विद्यमान चुनौतियों के बारे में चर्चा की गई है।

संदर्भ

विश्व का सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय पुलिस संगठन ‘इंटरपोल’ (Interpol) सीमा-पार पुलिस सहयोग की सुविधा प्रदान करता है। भारत में लगभग 25 वर्षों के अंतराल के बाद इंटरपोल महासभा (Interpol General Assembly) की बैठक आयोजित हो रही है। पिछली बार भारत में यह बैठक वर्ष 1997 में आयोजित की गई थी।

  • आपराधिक परिदृश्य के विकास पर ध्यान दें तो प्रौद्योगिकीय विकास के कारण अपराध अधिक परिष्कृत, अधिक अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति के और जाँचकर्ताओं के लिये अधिक जटिल होते जा रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय पुलिस मानकों को बनाए रखने के लिये इस दिशा में गंभीर ध्यान देने की आवश्यकता है।

इंटरपोल क्या है?

  • अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन/इंटरपोल (International Criminal Police Organisation- Interpol) की स्थापना वर्ष 1923 में की गई थी ताकि विश्व भर में आपराधिक जाँच को सुविधाजनक बनाया जा सके।
  • इंटरपोल के भारत सहित 195 सदस्य देश हैं। वे पुलिस जाँच से संबंधित डेटा साझा करने के लिये मिलकर कार्य करते हैं।
  • इंटरपोल न तो कोई जाँच एजेंसी है, न ही यह कोई फ्रंट-लाइन पुलिस बल है। इसे सूचना साझा करने और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को बैक-एंड तकनीकी सहायता प्रदान करने का कार्य सौंपा गया है।
    • प्रत्येक देश एक इंटरपोल राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो (Interpol National Central Bureau- NCB) की मेजबानी करता है, जो राष्ट्रीय पुलिस को वैश्विक नेटवर्क से संयुक्त करता है।

इंटरपोल नोटिस क्या है?

  • इंटरपोल नोटिस (Interpol Notices) सहयोग या अलर्ट (Alert) के लिये अंतर्राष्ट्रीय अनुरोध होते हैं जो सदस्य देशों में पुलिस को अपराध से संबंधित महत्त्वपूर्ण सूचना साझा करने की अनुमति देते हैं।
    • ये नोटिस सामान्य सचिवालय (General Secretariat) द्वारा जारी किये जाते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायाधिकरणों (International Criminal Tribunals) और अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (International Criminal Court- ICC) के अनुरोध पर भी नोटिस जारी किये जा सकते हैं ताकि वे अपने क्षेत्राधिकार में अपराध के लिये, विशेष रूप से नरसंहार, युद्ध अपराध और मानवता के विरुद्ध अपराध के लिये वांछित व्यक्तियों की तलाश कर सकें।
    • सुरक्षा परिषद द्वारा आरोपित प्रतिबंधों के कार्यान्वयन के संबंध में संयुक्त राष्ट्र के अनुरोध पर भी नोटिस जारी किये जा सकते हैं।

Interpol_Notices

वैश्विक पुलिस व्यवस्था के समक्ष विद्यमान चुनौतियाँ

  • त्वरित प्रौद्योगिकी, चुनौतीपूर्ण नीतियाँ: अगले दशकों में डिजिटलीकरण की वृद्धि, हाइपर-कनेक्टिविटी और डेटा की मात्रा में घातीय वृद्धि की विशेषता होना संभावित है।
    • जैव हथियार और परमाणु प्रौद्योगिकी जैसे विभिन्न क्षेत्रों का अभिसरण प्रभावी वैश्विक पुलिस व्यवस्था के लिये नए खतरे उत्पन्न करने के लिये तैयार है।
  • वैश्विक प्रवासन में वृद्धि और जेनरेशन-ज़ेड का युग: वैश्विक स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन के बने रहने की उम्मीद की जा सकती है। इसके अलावा, अगला दशक जेनरेशन ज़ेड (Gen-Z) की परिपक्वता से आकार लेगा, जो पूरी तरह से डिजिटल युग में उत्पन्न हुई है और स्मार्टफोन-आधारित सोशल मीडिया पैठ की उच्च दर की विशेषता रखती है। इससे दो देशों के मध्य डेटा-उल्लंघन और साइबर युद्ध की संभावना पैदा होती है।
  • वैश्विक भरोसे की कमी की वृद्धि: वैश्विक पुलिस व्यवस्था की कल्पना केवल वैश्विक सहयोग के साथ सामंजस्य में ही की जा सकती है, लेकिन वर्तमान में विश्व भू-रणनीतिक प्रतिस्पर्द्धा का सामना कर रहा है, बहुध्रुवीयता को आकार दे रहा है और सीमा-पार तस्करी एवं आतंकवाद जैसे पारंपरिक समस्याओं की वृद्धि हो रही है।
    • दुनिया भर में सरकारें, व्यवसाय और मीडिया बढ़ते भरोसे की कमी और सामाजिक ध्रुवीकरण का सामना कर रहे हैं। भरोसे के इस बदलते परिदृश्य में सिंथेटिक मीडिया और डिजिटल रूप से सक्षम भ्रामक सूचना एवं दुष्प्रचार के उभार के माध्यम से प्रौद्योगिकी इसमें एक उल्लेखनीय भूमिका निभा रही है।
  • जलवायु परिवर्तन और वैश्विक पुलिस व्यवस्था: जलवायु परिवर्तन के कारण अधिक लगातार और गंभीर चरम मौसमी घटनाएँ ‘इकोसाइड’ (Ecocide) के इन जोखिमों पर सार्वजनिक चिंताओं को बढ़ा रही हैं।
    • यह वैश्विक सार्वजनिक सुरक्षा क्षमताओं और संसाधनों पर भी दबाव बढ़ा रहा है।
  • वैश्वीकरण की बदलती लहर: बढ़ती आय असमानता और राष्ट्रवादी भावनाओं ने वैश्वीकरण के विरुद्ध एक प्रतिक्रिया को हवा दी है। देशों के बीच बढ़ते व्यापार विवाद इसकी पुष्टि करते हैं।
    • आने वाले दशकों में लोकलुभावनवाद (populism) और राष्ट्रवाद (nationalism) के महत्त्वपूर्ण प्रतिकारी शक्ति बने रहने की पूरी संभावना है।
    • दीर्घावधि में इसका क्षेत्रीय, द्विपक्षीय या अनौपचारिक व्यवस्थाओं पर अधिक निर्भरता के साथ पुलिस सहयोग सहित मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्थाओं के लिये परिणाम उत्पन्न हो सकते हैं।
  • सीमित पुलिस क्षेत्राधिकार: दुनिया भर की लोकतांत्रिक राजनीति में पुलिस बलों को कानूनी प्रक्रियाओं की सीमाओं के भीतर संयम के साथ कार्य करना पड़ता है, जबकि कानून तोड़ने वाले गतिशीलता और इंटरनेट तक पहुँच की आसानी का उपभोग करते हैं।

आगे की राह

  • रेड नोटिस प्रक्रिया को तेज़ करना: भगोड़े अपराधियों को रेड नोटिस जारी करने की प्रक्रिया को तेज़ करने के लिये इंटरपोल के नोटिस तंत्र में सुधार किया जाना चाहिये, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि भ्रष्ट, आतंकवादी और ड्रग कार्टेल कोई सुरक्षित आश्रय नहीं हो सकता।
  • पूर्व अभिज्ञान एवं चेतावनी प्रणाली: वैश्विक पुलिस व्यवस्था को एक नए स्तर पर ले जाने के लिये पूर्व अभिज्ञान एवं चेतावनी प्रणाली (Early Detection and Warning System) और ख़ुफ़िया आदान-प्रदान (intelligence exchange) की स्थापना हेतु अंतर्राष्ट्रीय रणनीति विकसित करने की ज़रूरत है।
  • राजनीति केंद्रित से जन केंद्रित पारितंत्र की ओर आगे बढ़ना: पुलिस व्यवस्था को भू-राजनीतिक मुद्दों के रंगमंच से दूर रखने की आवश्यकता है। लोक-उत्साही कुशल पुलिस व्यवस्था सबसे सार्थक विश्वास-निर्माण उपाय है जिसकी विविध भू-राजनीतिक समोच्च के लोग इच्छा रखते हैं और वे इसके हक़दार भी हैं।
    • इंटरपोल और अंतर्राष्ट्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों को उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिये एक लोक-केंद्रित पारितंत्र के निर्माण, इसके रखरखाव और संचालन का प्रयास करना चाहिये।
  • साइबर अपराधों के लिये साइबर-पुलिसिंग विकसित करना: अपराध के बढ़ते परिष्करण, जटिलता और अंतर्राष्ट्रीयकरण से निपटने के लिये नई डिजिटल खोजी एवं डेटा प्रबंधन क्षमताओं और नवोन्मेषी एआई-संवर्द्धित साधनों जैसी विशेषज्ञता को पाना समय की आवश्यकता है।
    • उदाहरण के लिये, दुनिया भर में साइबर अपराध की स्थिति को उपयुक्त रूप से देख सकने के लिये आपराधिक आँकड़ों को अद्यतन करना होगा।
    • सहकार्यता की वृहत आवश्यकता की पूर्ति के लिये अंतर्राष्ट्रीय पुलिस सहयोग का विकसित होना और एक-दूसरे से अधिक गहनता से संबद्ध होना आवश्यक है।
  • भारत के लिये अवसर: भारत अब एक स्वीकृत प्रौद्योगिकी महाशक्ति है। स्टार्टअप्स में एक बड़े और युवा प्रौद्योगिकी-उन्मुख कार्यबल के भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश का उपयोग सुरक्षा संरचना के उन्नयन और विश्व के लिये प्रभावी पुलिसिंग मानकों को स्थापित करने हेतु किया जा सकता है।
    • सीबीआई प्रशिक्षण अकादमी द्वारा संचालित क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के माध्यम से भारतीय कौशल विकास संसाधनों का उपयोग अंतर्राष्ट्रीय पुलिस बिरादरी, विशेष रूप से एशिया और अफ्रीका में कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा समय-समय पर किया जाता रहा है।

अभ्यास प्रश्न: वैश्विक पुलिस व्यवस्था से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ कौन-सी हैं और बढ़ते साइबर अपराधों से निपटने के लिये इंटरपोल किस हद तक वैश्विक सहयोग की सुविधा प्रदान कर सकता है?