भारतीय अर्थव्यवस्था
विदेशी मुद्रा भंडार: संभावनाएँ व महत्त्व
- 13 Jun 2020
- 12 min read
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में विदेशी मुद्रा भंडार व उससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।
संदर्भ
भारतीय अर्थव्यवस्था वर्ष 1991 में उस दौर की भी साक्षी रही है जब भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग शून्य हो गया था और तब विदेश से आयात करने के लिये हमें बैंकों में मौजूद स्वर्ण गिरवी रखना पड़ा था। अब लगभग 30 वर्षों के बाद भारत के पास 501.70 अरब डॉलर का वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार है। वैश्विक महामारी COVID-19 के संक्रमण के दौरान जहाँ विश्व की लगभग सभी अर्थव्यवस्थाएँ संकट के दौर से गुजर रही हैं, वहीँ भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि अर्थव्यवस्था के लिये एक सुखद संकेत है।
भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) द्वारा जारी नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, जून माह के प्रथम सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 8.22 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 501.70 अरब डॉलर के कुल भंडार तक पहुँच गया है। इससे पूर्व मार्च माह के अंतिम सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 3.44 अरब डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई थी और उस समय विदेशी मुद्रा भंडार 493.48 अरब डॉलर तक पहुँच गया था।
इस आलेख में विदेशी मुद्रा भंडार, उसकी संरचना, आर्थिक मंदी के बावज़ूद विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्दि के कारण, विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि का महत्त्व तथा RBI द्वारा विदेशी मुद्रा भंडार के प्रबंधन पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।
विदेशी मुद्रा भंडार से तात्पर्य
- विदेशी मुद्रा भंडार को फॉरेक्स रिज़र्व या आरक्षित निधियों का भंडार भी कहा जाता है।
- सामान्यतः विदेशी मुद्रा भंडार में केवल विदेशी रुपये, विदेशी बैंकों की जमाओं, ,विदेशी ट्रेज़री बिल और अल्पकालिक अथवा दीर्घकालिक सरकारी परिसंपत्तियों को शामिल किया जाना चाहिये परन्तु इसमें प्रायः सोने के भंडारों, विशेष आहरण अधिकारों और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की भंडार अवस्थितियों को शामिल किया जाता है। इस परिप्रेक्ष्य में इसे आधिकारिक अंतर्राष्ट्रीय भंडार अथवा अंतर्राष्ट्रीय भंडार की संज्ञा देना अधिक उचित है।
- विदेशी मुद्रा भंडारों को भुगतान संतुलन में ‘आरक्षित परिसंपत्तियाँ’ कहा जाता है तथा ये पूँजी खाते में होते हैं।
- ये किसी देश की अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति का एक महत्त्वपूर्ण भाग हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार की संरचना
- किसी भी देश के विदेशी मुद्रा भंडार में निम्नलिखित 4 तत्व शामिल होते हैं-
- विदेशी परिसंपत्तियाँ (विदेशी कंपनियों के शेयर, डिबेंचर, बाॅण्ड इत्यादि विदेशी मुद्रा के रूप में)
- स्वर्ण भंडार
- IMF के पास रिज़र्व ट्रेंच (Reserve Trench)
- विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights-SDR)
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ
- विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (Foreign Currency Assets) विदेशी मुद्रा भंडार का बड़ा घटक होता है और यह जून माह के प्रथम सप्ताह में 8.42 अरब डॉलर बढ़कर 463.63 अरब डॉलर के स्तर पर पहुँच गया है।
- ध्यातव्य है कि यदि डॉलर के संदर्भ में बात की जाए तो विदेशी मुद्रा भंडार में पड़ी गैर-अमेरिकी मुद्रा जैसे- यूरो, पाउंड और येन की कीमतों में उतार-चढ़ाव को FCA में शामिल किया जाता है।
स्वर्ण भंडार
- इस अवधि में जून माह के प्रारंभ में जारी आँकड़ों के अनुसार, भारत के स्वर्ण भंडार में गिरावट दर्ज़ की गई है।
- नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, वर्तमान में भारत का स्वर्ण भंडार 32.682 बिलियन डॉलर है।
रिज़र्व ट्रेंच से तात्पर्य
- रिज़र्व ट्रेंच वह मुद्रा होती है जिसे प्रत्येक सदस्य देश द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) को प्रदान किया जाता है और जिसका उपयोग वे देश अपने स्वयं के प्रयोजनों के लिये कर सकते हैं।
- इस मुद्रा का प्रयोग सामान्यतः आपातकाल की स्थिति में किया जाता है।
विशेष आहरण अधिकार
- विशेष आहरण अधिकार को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) द्वारा 1969 में अपने सदस्य देशों के लिये अंतर्राष्ट्रीय आरक्षित संपत्ति के रूप में बनाया गया था।
- SDR न तो एक मुद्रा है और न ही IMF पर इसका दावा किया जा सकता है।
- SDR का मूल्य, बास्केट ऑफ करेंसी में शामिल मुद्राओं के औसत भार के आधार पर किया जाता है। इस बास्केट में पाँच देशों की मुद्राएँ शामिल हैं- अमेरिकी डॉलर (Dollar), यूरोप का यूरो (Euro), चीन की मुद्रा रॅन्मिन्बी (Renminbi), जापानी येन (Yen), ब्रिटेन का पाउंड (Pound)।
विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि के कारण
- विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि का प्रमुख कारण भारतीय शेयर बाज़ार में पोर्टफोलियो निवेश और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में हो रही वृद्धि है। विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाज़ार में 2.75 बिलियन डॉलर से अधिक के शेयर खरीदे हैं।
- विदेशी निवेशकों द्वारा रिलायंस इंडस्ट्रीज़ की सहायक कंपनी जियो (JIO Platform) में लगभग 97,000 करोड़ रूपए का निवेश भी किया गया है।
- इसके साथ ही कच्चे तेल की मांग में भारी कमी और उसकी कीमत में गिरावट से विदेशी मुद्रा भंडार में भी बचत हुई।
- मांग में गिरावट के चलते आयात भी काफी कम हुआ है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार से कम व्यय करना पड़ा है।
विदेशी मुद्रा भंडार के प्रबंधन में RBI की भूमिका
- भारतीय रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा भंडार के संरक्षक एवं प्रबंधक के रूप में कार्य करता है, और भारत सरकार की सहमति से निर्मित समग्र नीतिगत ढाँचे के अंतर्गत कार्य करता है।
- RBI विशिष्ट उद्देश्यों के लिये विदेशी मुद्रा का आवंटन करता है। उदाहरण के लिये, उदारीकृत प्रेषण योजना के तहत प्रत्येक व्यक्ति को प्रति वर्ष 250,000 डॉलर तक की छूट प्रदान की जाती है।
- RBI रुपये के क्रमबद्ध संचालन के लिये अपने विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग करता है। जब रुपया कमज़ोर होता है तब यह डॉलर को बेंच देता है और रुपया मज़बूत होने पर पुनः डॉलर खरीद लेता है।
- RBI जब बाज़ार से डॉलर खरीदता है तो उसी अनुपात में रुपए का निर्गमन करता है ताकि बाज़ार में तरलता बनी रहे।
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार की अवस्थिति
- भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 RBI को विभिन्न विदेशी मुद्रा आस्तियों में अपने विदेशी मुद्रा भंडार की उपलब्धता को सुनिश्चित करने का अधिकार प्रदान करता है।
- लगभग 64 प्रतिशत विदेशी मुद्रा भंडार अन्य देशों की प्रतिभूतियों जैसे- ट्रेज़री बिल इत्यादि में रखा जाता है, जिसमें मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रतिभूतियाँ शामिल हैं।
- लगभग 28 प्रतिशत विदेशी मुद्रा अन्य केंद्रीय बैंकों में संगृहीत की जाती है और तकरीबन 8 प्रतिशत विदेशी मुद्रा अन्य देशों के वाणिज्यिक बैंकों में भी जमा किया जाता है।
- मार्च 2020 तक भारत में 653.01 टन स्वर्ण भंडार था, जिसमें 360.71 टन स्वर्ण बैंक ऑफ इंग्लैंड (Bank of England) और बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (Bank for International Settlements) की अभिरक्षा में है, जबकि शेष स्वर्ण को घरेलू स्तर पर सुरक्षित रखा गया है।
विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि का महत्त्व
- विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि से सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक को भारत के आंतरिक और वाह्य वित्तीय मुद्दों का प्रबंधन करने में सहायता प्राप्त होगी।
- विदेशी मुद्रा बाज़ार में अस्थिरता को कम करने के लिये विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि अति आवश्यक थी।
- विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि से भारत लगभग 17 माह तक आयात बिल को कवर करने में सक्षम हो जाएगा।
- विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि से भारतीय रूपए को डॉलर के सापेक्ष मज़बूती भी प्राप्त होती है।
- विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि निवेशकों में आत्मविश्वास और ऊर्जा का भी संचार करता है।
- विदेशी मुद्रा भंडार वाह्य ऋण दायित्वों को पूरा करने में सरकार की सहायता कर सकता है।
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आपदाओं की स्थिति में बेहतर ढंग से निपटने में विदेशी मुद्रा भंडार की प्रभावी भूमिका हो सकती है।
प्रश्न- विदेशी मुद्रा भंडार से आप क्या समझते हैं? इसकी संरचना का उल्लेख करते हुए इसके प्रबंधन में भारतीय रिज़र्व बैंक की भूमिका तथा अर्थव्यवस्था में इसके महत्त्व पर प्रकाश डालिये।