मोदी सरकार के चार साल (भाग 4) – दूरसंचार और आईटी: डिजिटल हुआ भारत; दूरसंचार तनाव अभी भी बरकरार | 29 May 2018

संदर्भ

मौजूदा एनडीए सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया है, इस प्रक्रिया में सरकार द्वारा संचार मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के नेतृत्व में ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल सेवाओं के प्रसार पर विशेष बल दिया गया है। सरकार के डिजिटल इंडिया (Digital India) कार्यक्रम की आधारशिला राष्ट्रीय ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क (National Optic Fibre Network) थी, जिसे 2015 में भारतनेट (BharatNet) का नाम दिया गया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा देश की सभी 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने की योजना बनाई गई।

प्रमुख बिंदु

  • इसके अलावा केंद्र सरकार ने इंटरनेट आधारित सरकारी सेवाओं की पेशकश के लिये सभी 2.5 लाख ग्राम पंचायतों में सामान्य सेवा केंद्र (common service centres - CSCs) खोलने की भी योजना बनाई।
  • विशेष रूप से ऑप्टिक फाइबर परियोजना और सीएससी परियोजना को दोनों पिछली सरकारों के समय में शुरू किया गया था।
  • इसके अलावा, सरकार द्वारा दूरसंचार क्षेत्र में मौजूद वित्तीय तनाव को कम करने के लिये भी उपाय किये गए हैं, हालाँकि अभी इनका परिणाम आना बाकी है।

CSC

क्या-क्या कार्य किये गए हैं?

  • ग्रामीण और अर्द्ध शहरी क्षेत्रों में आईटी-आधारित नौकरियाँ पैदा करना सरकार की महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं एवं ई-गवर्नेंस पहलों का एक हिस्सा था।
  • यही कारण है कि सरकार द्वारा इस क्षेत्र के लिये 27 राज्यों में 86 ग्रामीण बीपीओ में 53,300 सीट वाली बीपीओ प्रमोशन योजना को लागू किया गया।
  • इस योजना के तहत इम्फाल, कोहिमा, श्रीनगर, उन्नाव, गुंटूर, मुजफ्फरपुर इत्यादि बहुत से छोटे शहरों में 12,500 से अधिक लोगों को रोज़गार प्रदान किया गया।
  • सेवाओं के वितरण हेतु डिजिटल पहचान के रूप में आधार के उपयोग को बढ़ावा प्रदान किया गया।
  • इसकी बदौलत सरकार ने तकरीबन 30 करोड़ लाभार्थियों को खाद्य सामानों और खाना पकाने वाली गैस जैसी सब्सिडी का सीधे स्थानांतरण किया, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के परिणामस्वरूप सरकार को 90,000 करोड़ रुपए की बचत हुई।
  • बीजेपी के 2014 के घोषणापत्र में भ्रष्टाचार और काम में होने वाली देरी को कम करने के लिये सभी सरकारी कार्यों का डिजिटलीकरण करने को एक ‘ज़रूरी’ कार्य के रूप में चिन्हित किया गया।
  • इसके लिये गवर्नमेंट ई-मार्केट प्लेस पोर्टल (Government eMarket place portal) को सरकारी विभागों और एजेंसियों द्वारा खरीद के लिये ऑनलाइन बाज़ार के रूप में लॉन्च किया गया।
  • नवीनतम आँकड़ों के अनुसार 22,000 से अधिक खरीद संगठनों को 7,000 करोड़ रुपए से अधिक के ऑर्डर दिये गए हैं।
  • इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये देश के 15 राज्यों में [ब्राउनफील्ड क्लस्टर (brownfield clusters) में] 20 ग्रीनफील्ड विनिर्माण क्लस्टर और तीन आम सुविधा केंद्रों को मंज़ूरी दी गई।
  • मई 2014 में केवल दो मोबाइल विनिर्माण इकाइ परिचालन में थीं, जबकि केंद्र सरकार का दावा है कि अब 120 इकाइयों द्वारा मोबाइल हैंडसेट और अन्य घटकों का निर्माण किया जा रहा है।

BASE

कौन-कौन से कार्य अभी प्रगति पर हैं?

  • राज्य संचालित दूरसंचार भारत संचार निगम लिमिटेड (Bharat Sanchar Nigam Ltd - BSNL) और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (Mahanagar Telephone Nigam Ltd - MTNL) का पुनरुद्धार सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है।
  • केंद्र सरकार के प्रयासों के बाद वर्ष 2016-17 में बीएसएनएल का घाटा 4,786 करोड़ रुपए के स्तर पर पहुँच गया जो वर्ष 2014-15 में 8,234 करोड़ रुपए था।
  • वर्ष 2016-17 में बीएसएनएल का ऋण लगभग 3,813 करोड़ रुपए हो गया, जो वर्ष 2014-15 में 6,385 करोड़ रुपए था।
  • इसके अतिरिक्त बीएसएनएल के वायरलेस ग्राहकों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है। मई 2014 में यह संख्या 91.61 मिलियन थी, जो कि मार्च 2018 तक 111.68 मिलियन हो गई है।
  • हालाँकि, एमटीएनएल के घाटे में वृद्धि हुई है। वर्ष 2014-15 में एमटीएनएल का नुकसान 2,893 करोड़ रुपए था, जो कि वर्ष 2016-17 में बढ़कर 2,970 करोड़ रुपए हो गया है, वहीं दूसरी ओर इसके ऋण में वृद्धि हुई है।
  • वर्ष 2014-15 में एमटीएनएल का ऋण 12,070 करोड़ रुपए था, जो 2016-17 में बढ़कर 15,160 करोड़ रुपए हो गया।
  • भारतनेट परियोजना के तहत 1 लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिक फाइबर से जोड़ा गया है, लेकिन यह 2017 तक सभी 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ने के शुरुआती लक्ष्य से बहुत दूर है।
  • परियोजना के पुनरुद्धार और बाद में इसके लक्ष्य को संशोधित किये जाने के बावजूद फाइबर इंफ्रास्ट्रक्चर वाले कुछ गाँवों में अभी तक सक्रिय इंटरनेट कनेक्टिविटी देखने को नहीं मिली है।
  • 20 मई, 2018 तक फाइबर कनेक्टिविटी के साथ देश की 1.22 लाख ग्राम पंचायतों में 1.09 लाख सक्रिय इंटरनेट गतिविधियाँ दर्ज की गई है।
  • 2.5 लाख ग्राम पंचायतों में कवरेज के लक्ष्य वाले सीएससी (common service centres – CSCs) कार्यक्रम के अंतर्गत करीबन 1.8 लाख ग्राम पंचायतों को शामिल कर लिया गया है।
  • 2018 के अंत तक इस लक्ष्य को शत-प्रतिशत हासिल करने की उम्मीद है। वर्तमान में सीएससी पूर्वोत्तर के कुछ गाँवों और दुर्गम इलाकों तक नहीं पहुँच पाई है।
  • अपने घोषणापत्र में बीजेपी ने कहा कि यह ‘पूर्वोत्तर क्षेत्र’ और शेष देश के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ाने पर विशेष बल देगी।
  • इस घोषणा के संदर्भ में दूरसंचार विभाग पूर्वोत्तर क्षेत्र में कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिये एक परियोजना को कार्यान्वित कर रहा है।
  • विभाग द्वारा इस कार्य के लिये 15,000 करोड़ रुपए के निवेश की योजना भी बनाई गई है, जिसमें मोबाइल टावरों की स्थापना करने जैसे पक्षों को शामिल किया गया है।

Public

कौन-कौन से कार्य अभी लंबित हैं?

  • डेटा गोपनीयता कानून, जिसका ढाँचा न्यायमूर्ति श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में एक पैनल द्वारा तैयार किया जा रहा है, के संबंध में अभी कार्यवाही नहीं की गई है।
  • इस पैनल द्वारा जून 2018 तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत किये जाने की उम्मीद है।
  • इसके बाद आगे की कार्यवाही के रूप में हिस्सेदारों के साथ वार्ता और सरकारी विचार-विमर्श में लगभग साल भर का समय लगने की संभावना है।
  • मोबाइल फर्मों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं में सुधार के लिये केंद्र और दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India - Trai) द्वारा नियामक उपाय किये जाने के बावजूद कॉल ड्राप की उच्च दर जैसी समस्याएँ अभी भी बनी हुई हैं।
  • इन चिंताओं को दूर करने के लिये दूरसंचार कंपनियों के साथ नियमित बैठक किये जाने के बावजूद आवासीय इलाकों में दूरसंचार टावरों की उचित संख्या की कमी और सरकारी भवनों में खराब कॉल गुणवत्ता जैसी समस्याओं का सुधार नहीं किया जा सका है।
  • इन सबके साथ-साथ आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में नौकरियाँ भी चिंता का विषय बनी हुई है।
  • अपने एक शुरुआती बयान में केंद्र सरकार ने कहा था कि इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र में 2.8 करोड़ नौकरियों का सृजन करने की क्षमता है।
  • इसके इतर इस माह आईटी मंत्रालय द्वारा प्रदत्त अनुमानों के अनुसार पिछले चार सालों में इस क्षेत्र में  केवल 5 लाख नौकरियों का ही सृजन किया जा सका है।
  • इसके अतिरिक्त, दूरसंचार क्षेत्र अभी भी लगभग 7 लाख करोड़ रुपए से अधिक के ऋण से ग्रस्त है, इस साल की शुरुआत में सरकार द्वारा दूरसंचार क्षेत्र में मौजूद वित्तीय तनाव को कम करने के लिये किये गए उपायों का अभी तक कोई प्रभाव देखने को नहीं मिला है।
  • इसके अलावा, आरबीआई के आँकड़ों के मुताबिक 31 दिसंबर, 2017 तक इस क्षेत्र से संबंधित सकल एनपीए 11,000 करोड़ रुपए होने की बात कही गई है, जोकि चिंता का विषय है।

प्रश्न: केंद्र सरकार द्वारा डिजिटल भारत को बढ़ावा देने के लिये शुरू की गई पहलों का परिचय देते हुए उनके परिणामों और वर्तमान स्थितियों की विवेचना कीजिये।