प्रौद्योगिकी-दशक:महत्त्व एवं संभावनाएँ | 09 Jun 2022
यह एडिटोरियल 08/06/2022 को ‘लाइवमिंट’ में प्रकाशित “The Design Principles We Should Employ To Shape India's Techade” लेख पर आधारित है। इसमें भारत के ‘टेकेड’ (Techade) की अवधारणा और इसके प्रमुख तत्वों के बारे में चर्चा की गई है।
संदर्भ
वर्ष 2030 के सतत् विकास लक्ष्यों की समय-सीमा के निकट आते जाने के साथ हमारे पास जलवायु संकट से लेकर समावेशन और सभी के लिये बेहतर स्वास्थ्य सेवा एवं शिक्षा जैसी बड़ी चुनौतियों से निपटने का समय अवसर कम होता होता जा रहा है। इन समस्याओं को हल करने का एकमात्र तरीका प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की हमारी क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि करना ही हो सकता है।
- वर्ष 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रेखांकित किया था कि अगले 10 वर्ष ‘कार्रवाई के दशक’ (Decade of Action) के रूप में उपयोग किये जाने चाहिये। कार्रवाई के इस दशक के लिये प्रौद्योगिकी प्रमुख प्रवर्तक है और इसे साकार करने के लिये हमें समस्या-समाधान के एक साधन के रूप में प्रौद्योगिकी की वास्तविक शक्ति को ‘अनलॉक’ करना होगा।
‘टेकेड’ की अवधारणा
‘टेकेड’ का अभिप्राय
- टेकेड (Techade) शब्द ‘टेक्नोलॉजी’ और ‘डिकेड’ शब्द के मेल से बना है, जिसका आशय है- प्रौद्योगिकी-दशक, अर्थात प्रौद्योगिकी के प्रभाव से संचालित एक दशक। इस अवधारणा को कोविड-19 प्रकोप से विश्व के अवरुद्ध होने से ठीक पहले प्रमुखता मिली थी।
- इस महामारी ने वस्तुतः मानव जाति के समक्ष विद्यमान कुछ कठिनतम चुनौतियों का समाधान पाने में प्रौद्योगिकी की तात्कालिकता और भूमिका का तेज़ी से विस्तार किया है।
- टेकेड की सफलता के लिये इसका डिज़ाइन सिद्धांत विचार का प्रमुख बिंदु होना चाहिये जो अंततः इस दशक को भारत के अपने ‘टेकेड’ के रूप में आकार देगा ।
- इसका अर्थ है कि न केवल प्रौद्योगिकी के उपयोग में वृद्धि हो, बल्कि यह प्रभाव, विशेष रूप से मानव-केंद्रित प्रभाव, भी उत्पन्न करे।
भारत ने टेकेड के विचार की कितनी अच्छी तरह कल्पना की है?
- नवाचार के ‘हब’ के रूप में भारत: भारत तेज़ी से विश्व के लिये ऐसा केंद्र या हब बनता जा रहा है। वर्तमान में लगभग प्रत्येक फॉर्च्यून 500 कंपनी भारत में एक R&D केंद्र रखती है।
- ये R&D केंद्र द्वितीयक कार्यों के लिये ‘बैक ऑफिस’ नहीं हैं, बल्कि कंपनियों के इनोवेशन चार्टर्स के अग्रणी नेतृत्वकर्ता हैं।
- फॉर्च्यून 500 ‘फॉर्च्यून’ पत्रिका द्वारा संकलित और प्रकाशित एक वार्षिक सूची है जो संबंधित वित्तीय वर्षों में कुल राजस्व के हिसाब से 500 सबसे बड़े अमेरिकी निगमों की रैंकिंग करती है।
- ‘डिजिटल इंडिया’ कार्यक्रम: प्रौद्योगिकी अंगीकरण के मामले में भारत की प्रमुख पहल डिजिटल इंडिया कार्यक्रम है जो भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में परिणत करने के विज़न के साथ कार्यान्वित भारत सरकार का फ्लैगशिप कार्यक्रम है।
- जुलाई 2021 में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के छह वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारत के प्रधानमंत्री ने वर्ष 2021-30 के दशक को भारत के ‘टेकेड’ के रूप में वर्णित किया, जहाँ भारत के सिद्ध तकनीकी कौशल के साथ डेटा और जनसांख्यिकीय लाभांश का संयोग देश की वृद्धि और विकास में वृहत भूमिका निभाएगा।
- वित्तीय समावेशिता: कोई भी देश समावेशी पैमाने की शक्ति का प्रदर्शन करने में उतना सक्षम नहीं रहा है जैसा कि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में किया है।
- भारत ने लगभग4 बिलियन की आबादी में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिये कई समावेशी पहलें की हैं।
- भारत में जन धन योजना के माध्यम से 430 मिलियन से अधिक बैंक खाते खोले गए हैं जिसके परिणामस्वरूप अब 80% से अधिक भारतीयों के पास बैंक खाते हैं।
- भारत के प्रमुख डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने अप्रैल 2022 में58 बिलियन लेनदेन (मूल्य में 9.83 ट्रिलियन रुपए का लेनदेन) की अपनी उच्चतम संख्या दर्ज की।
- भारत ने लगभग4 बिलियन की आबादी में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिये कई समावेशी पहलें की हैं।
टेकेड के विचार को साकार करने के राह की बाधाएँ
- ‘ब्रेन-ड्रेन’: भारत की विफलताएँ बाज़ार-संचालित विकास के अवसरों का उपयोग करने में असमर्थता से जुड़ी हुई हैं, जिसके परिणामस्वरूप प्रतिभाशाली लोग रोज़गार अवसरों के लिये अमेरिका जैसे देशों की ओर पलायन को बाध्य हैं।
- वर्ष 2019 तक अमेरिका में7 मिलियन भारतीय अप्रवासी थे जो देश के सर्वाधिक शिक्षित और पेशेवर रूप से संपन्न समुदायों में शामिल हैं।
- R&D व्यय में धीरे-धीरे गिरावट: वर्ष 1991 में जब भारत ने मुक्त बाज़ार और वैश्वीकरण को अपनाया तो उसे अपनी तकनीकी क्षमताओं को सुदृढ़ करने के प्रयासों को भी दोगुना करना चाहिये था।
- लेकिन भारत में सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में अनुसंधान एवं विकास पर व्यय में गिरावट ही आई है (वर्ष 1990-91 में85% से वर्ष 2018 में 0.65%)।
- इसके विपरीत, चीन और दक्षिण कोरिया में यह अनुपात समय के साथ बढ़ा है और वर्ष 2018 तक क्रमशः1% और 4.5% तक पहुँच गया था।
- तृतीयक शिक्षा के लिये कम सार्वजनिक व्यय: भारत में तृतीयक स्तर के छात्रों का एक बड़ा भाग निजी संस्थानों में नामांकित है।
- आर्थिक सहयोग एवं विकास परिषद (OECD) के अनुसार वर्ष 2017 में स्नातक की डिग्री के लिये नामांकित छात्रों के लिये यह संख्या 60% थी, जबकि G20 देशों के लिये यह औसत 33% था।
- इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का उच्च आयात: भारत सभी प्रकार की नई प्रौद्योगिकियों का एक बड़ा बाज़ार है। हालाँकि घरेलू उद्योग अभी तक इसका लाभ उठा सकने में सफल नहीं हुआ है।
- देश इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण में अपनी क्षमता से पर्याप्त नीचे है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक वस्तु एवं घटक भारत के आयात बिल में तेल के बाद दूसरे सबसे बड़े मद हैं।
- वर्ष 2020-21 तक इस प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत का आयात उसके निर्यात का लगभग पाँच गुना था।
- अन्य बाधाएँ: डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के सफल कार्यान्वयन में डिजिटल निरक्षरता, बदतर अवसंरचना, मंद इंटरनेट गति, कनेक्टिविटी संबंधी समस्याएँ, विभिन्न विभागों के बीच समन्वय की कमी, कराधान संबंधी मुद्दों जैसी कई बाधाएँ मौजूद हैं।
इस प्रौद्योगिकी-क्रांति (Tech-Revolution) के प्रमुख तत्व कौन-से होने चाहिये?
- व्यवधान: ‘व्यवधान’ (Disruption) नए तरीकों या प्रौद्योगिकी का उपयोग कर किसी उद्योग या बाज़ार के संचालित होने के पारंपरिक तरीके को पूरी तरह से बदलने की क्रिया है।
- टेकेड या इस प्रौद्योगिकी-दशक में व्यवधान की आवश्यकता है क्योंकि प्रौद्योगिकी अंगीकरण की यथास्थिति पर्याप्त नहीं होगी।
- नवाचार और प्रभाव: टेकेड में प्रौद्योगिकी को ‘संभावना’ से आगे बढ़ते हुए ‘वास्तविक जीवन समस्या समाधान और प्रभाव’ को साकार करना होगा। तात्कालिकता को देखते हुए, हमें वास्तविक समस्याओं को हल करने के लिये नवाचारों पर पहले की तुलना में कहीं अधिक बल देना होगा।
- समावेशिता: टेकेड को वृहतता पर घटित होना होगा जहाँ SDGs को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ते हुए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि कोई भी पीछे न छूटे।
- नवाचार की ओर बढ़ते हमारे कदम में समावेशन और सुरक्षा को बेहद शुरू से ही डिज़ाइन प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिये।
- तकनीक का नैतिक उपयोग: सरकारों को यह सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी उठानी चाहिये कि हम प्रौद्योगिकी का उपयोग सभी के लिये बेहतर जीवन हेतु एक तुल्यकारक और प्रवर्तक के रूप में करें।
- जितना संभव हो जोखिम को कम करने के लिये प्रौद्योगिकी के उपयोग को एक नैतिक ढाँचा प्रदान किया जाना भी अनिवार्य है।
- टेकेड को मानव-केंद्रित दृष्टिकोण से आकार दिया जाना चाहिये।
फोकस के प्रमुख क्षेत्र कौन-से होने चाहिये?
- वैश्विक मानकों का अनुपालन: प्रौद्योगिकी अगले 20 वर्षों में वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रमुख चालक बनने जा रही है।
- टेकेड का पूरा लाभ उठाने के लिये भारत को वैश्विक मानकों में शामिल होने और उन्हें आकार देने में रचनात्मक भूमिका निभाने की आवश्यकता होगी। ये मानक गोपनीयता, डेटा स्थानीयकरण, कर कानून, एकाधिकार की परिभाषा, साइबर सुरक्षा, आप्रवासन और विनियमों की अनुमेयता जैसे क्षेत्रों में उभर रहे हैं।
- विकास के अवसरों की तलाश: टेकेड भारतीय उद्योग के लिये विकास के वृहत अवसर प्रदान करता है।
- हरित प्रौद्योगिकी एवं संवहनीयता समाधान, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, क्लाउड कंप्यूटिंग, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस एवं एनालिटिक्स, डिजिटल ट्विन्स, साइबर सुरक्षा, ब्लॉकचेन तथा हरित भवन, कार्बन फुटप्रिंट प्रबंधन, मौसम की निगरानी व पूर्वानुमान, वायु एवं जल प्रदूषण की निगरानी, वन निगरानी, फसल निगरानी, मिट्टी की स्थिति/नमी की निगरानी और जल शोधन जैसे अनुप्रयोगों में व्यापक संभावनाएँ मौजूद हैं।
- वर्ष 2020 में इन सभी का मूल्यांकन 32 बिलियन डॉलर का किया गया था और अनुमान है कि वर्ष 2030 तक इनका मूल्य 74.64 बिलियन डॉलर तक पहुँच जाएगा।
- शिक्षा पर सार्वजनिक व्यय की वृद्धि: ‘मेक इन इंडिया’ पहल को निजी उद्योग के लिये ‘व्यापार सुगमता’ को बढ़ाने भर से आगे बढ़ना होगा। भारतीय उद्योग को अपनी तकनीकी क्षमताओं को गहन और व्यापक बनाने की ज़रूरत है।
- यह तभी होगा जब देश में विश्वविद्यालयों और सार्वजनिक संस्थानों को प्रौद्योगिकी विकास के क्षेत्रों में प्रवेश करने के लिये सुदृढ़ एवं प्रोत्साहित किया जाए, जिसके लिये निजी क्षेत्र के पास संसाधन और धैर्य का अभाव हो सकता है।
- सार्वजनिक क्षेत्र को सशक्त करना: एक सशक्त सार्वजनिक क्षेत्र निजी व्यवसायों के लिये अधिक अवसर पैदा करेगा और उद्यमशीलता के आधार का विस्तार करेगा।
- छोटे और मध्यम उद्यमी तभी फल-फूल सकेंगे जब सार्वजनिक रूप से निर्मित प्रौद्योगिकियों के प्रसार के लिये तंत्र होंगे और इसके साथ ही उनके लिये बैंक ऋण और अन्य प्रकार की सहायता की अधिक उपलब्धता होगी।
अभ्यास प्रश्न: ‘डिजिटल इंडिया’ कार्यक्रम के छह वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारत के प्रधानमंत्री ने वर्ष 2021-30 के दशक को भारत के ‘टेकेड’ के रूप में वर्णित किया। टेकेड के इस विचार को सफल बनाने के लिये किन कारकों पर प्रमुख तत्वों के रूप में विचार किया जाना चाहिये?