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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

साझा क्षमता को आगे बढ़ाते हुए

  • 10 Apr 2017
  • 8 min read

उल्लेखनीय है कि वर्तमान में भारत दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक है और वर्ष 2030 तक, यह चीन से आगे निकलकर दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। एक दर्जन से भी अधिक विशिष्ट भाषाओं, लिपियों और धर्मों के साथ, भारत दुनिया का सबसे बड़ा बहुसंस्कृतिवादी लोकतंत्र है। यही कारण है कि एक जीवंत आधुनिक लोकतंत्र को बनाए रखने के लिये निश्चित रूप से भारत अपने समय की सबसे बड़ी राजनीतिक उपलब्धियों में से एक है। जब आप इसके आकार की सराहना करते हैं, तो आप इसकी क्षमता की वास्तविक झलक देखते हैं।

  • एक बार भारत के उन सभी 10 वर्षीय बच्चों के बारे में विचार कीजिये जो एक दिन एक व्यस्क मतदाता के रूप में भारतीय लोकतंत्र के चुनावों में हिस्सा लेंगे और एक दिन भारत के मध्यम वर्ग के रूप में उभर कर देश की अर्थव्यवस्था को एक वृहद आकार प्रदान करेंगे।
  • यह विचार स्पष्ट करता है कि वह दिन दूर नहीं जब भारत अपनी वृहद कार्यशील जनसंख्या के बल पर दुनिया की सबसे तेज़ी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित हो जाएगा।
  • यदि इन सभी विचारों को एक साथ रखकर इन्हें समझने का प्रयास किया जाए तो यह स्पष्ट होता है कि बहुत जल्द भारत सम्पूर्ण एशियाई क्षेत्र में एक केंद्रीय भूमिका के रूप में उभरकर सामने आने की दिशा में अग्रसर है।

भारत एवं ऑस्ट्रेलिया के मध्य संबंध

  • ध्यातव्य है कि भारत एवं ऑस्ट्रेलिया के मध्य औपचारिक संबंधों की शुरुवात उस समय हुई थी, जब सन 1950 में रॉबर्ट मेंज़िस स्वतंत्र भारत की यात्रा करने वाले पहले ऑस्ट्रेलियाई नेता बने। इस यात्रा ने दोनों देशों के मध्य संबंधों को एक नया आकार प्रदान करने का काम किया।

तीन केंद्रीय बिंदु

  • ध्यातव्य है कि भारत एवं ऑस्ट्रेलिया के मध्य संबंधों को एक नया आकार प्रदान करने हेतु तीन महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता हैं। जिनमें दोनों देशों की अर्थव्यवस्था, ज्ञान तथा सामरिक साझेदारी जैसे महत्त्वपूर्ण पक्ष शामिल हैं।
  • जैसा की हम सभी जानते हैं कि पिछले कुछ समय से भारत विश्व की सबसे तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में दृष्टिगत हो रहा है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था का केंद्रीय बिंदु देश में से गरीबी को कम करने की बजाय इसका पूरी तरह से खात्मा करना है। यही कारण है कि वर्तमान में लगभग सभी भारतीय नीतियाँ इसी एक पक्ष की ओर सबसे अधिक केंद्रित भी है।
  • उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में भारतीय अर्थव्यवस्था की संवृद्धि दर 7.5% रहने की सम्भावना व्यक्त की गई है।
  • गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की जा रही है। इसका परिणाम यह है कि भारत एवं ऑस्ट्रेलिया के मध्य द्विपक्षीय व्यापार वर्तमान में 20 अरब डॉलर के स्तर पर पहुँच गया है, हालाँकि भारत के अन्य देशों के साथ व्यापारिक लक्ष्यों की तुलना में यह बढ़त बहुत कम है। स्पष्ट है कि उक्त विषय में दोनों देशों को एकसाथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।
  • विदित हो कि बहुत जल्द ऑस्ट्रेलिया-भारत सामरिक अनुसंधान कोष (Australia-India Strategic Research Fund) के दसवें दौर के परिणामों की भी घोषणा होने वाली है। 
  • 100 मिलियन $ से भी अधिक की राशि वाले इस कोष की सहायता से दोनों देश बहुत जल्द खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सहयोग करने एवं क्वांटम कंप्यूटिंग, नैनोटैक्नोलॉजी और खगोल विज्ञान जैसे क्षेत्रों में विकास की गति को और आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य करेंगे। 

एक शिक्षा गंतव्य के रूप में 

  • प्राचीन समय से विद्यार्थी अध्ययन के लिये एक देश से दूसरे देशों की यात्रा करते आए हैं। इसी क्रम में बहुत से विद्यार्थी भारत से ऑस्ट्रेलिया तथा ऑस्ट्रेलिया से भारत में आगमन करते रहे है।
  • ध्यातव्य है कि ऑस्ट्रेलिया भारतीय छात्रों के मध्य दूसरा सबसे लोकप्रिय अध्ययन गंतव्य है।
  • इसी सन्दर्भ में ऑस्ट्रेलियाई सरकार द्वारा आरंभ की गई नई कोलंबो योजना (New Colombo Plan) के अंतर्गत अधिक से अधिक ऑस्ट्रेलियाई विद्यार्थियों को भारत में अध्ययन करने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। 
  • स्पष्ट है कि तेज़ी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में दो देशों के मध्य साझा समृद्धि की राह सुदृढ़ करने के लिये शिक्षा से बेहतर दूसरा विकल्प कोई नहीं हो सकता है।
  • उच्च शिक्षा और अनुसंधान क्षेत्र में विकास होने से दोनों देशों के मध्य शिक्षा संबंधों को सुदृढ़ करने में एक बड़ी ताकत मिलेगी।
  • उच्च स्तरीय अनुसंधान, नवाचार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के संस्थानों के बीच सहयोग स्थापित होने से न केवल दोनों देशों की ज्ञान आधारित भागीदारी में इज़ाफा होगा बल्कि इससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा मिलेगा।
  • इसके अतिरिक्त जैसा की हम सभी जानते हैं कि भारत-प्रशांत महासागरीय क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता दोनों देशों के लिये अत्यधिक आवश्यक है। ऐसे में दोनों देश के मध्य प्रमुख क्षेत्रीय और भू-नीतिगत मुद्दों पर विस्तारित चर्चा एवं आवश्यक कार्यवाही दोनों देशों के मध्य संबंधों को और अधिक मज़बूत स्वरूप प्रदान करने में लाभकारी सिद्ध होगी। 

निष्कर्ष
उल्लेखनीय है कि भारत की संस्कृति, कला, भोजन तथा लोगों का ऑस्ट्रेलियाई जीवन में इतना अधिक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है कि सम्पूर्ण ऑस्ट्रेलियाई जनसंख्या की तकरीबन आधी आबादी भारतीय मूल की है। ध्यातव्य है कि यह संख्या प्रत्येक वर्ष निरंतर बढ़ती जा रही है। स्पष्ट है कि इन अभी बातों को मद्देनज़र रखते हुए तथा उदार लोकतांत्रिक देश होने के कारण इन दोनों देशों को स्वतंत्र व्यापार और समृद्धि को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ इस क्षेत्र विशेष में सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने के लिये साथ मिलकर काम करने की ज़रूरत है।

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