भारत का दूरसंचार क्षेत्र और 5G तकनीक | 08 Jul 2019
इस Editorial में The Hindu, Indian Express, Business Line, Down to earth, Political and economic weekly आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण शामिल हैं। इस आलेख में दूरसंचार क्षेत्र से जुड़ी समस्याएँ तथा 5G तकनीक के बारे में चर्चा भी शामिल है तथा आवश्यकतानुसार यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।
संदर्भ
कुछ समय पूर्व ही विश्व में सर्वप्रथम दक्षिण कोरिया में 5G तकनीक की शुरुआत की गई यह तकनीक निकट भविष्य में संचार के क्षेत्र में अभूतपूर्व संभावनाओं को व्यक्त कर रही है। इसको ध्यान में रखते हुए विभिन्न राष्ट्र इस तकनीक को तेज़ी से अपनाने की कोशिश कर रहे हैं। वर्ष 2020 तक भारत भी 5G तकनीक आरंभ करने की योजना बना रहा है लेकिन कुछ लोगों के अनुसार, भारत के इस क्षेत्र से संबंधित अनुभव संतोषजनक नहीं रहे हैं। इस तथ्य के आलोक में भारत के संचार क्षेत्र का अध्ययन करना आवश्यक है ताकि इस क्षेत्र से जुड़ी हुई समस्याओं का समाधान खोजा जा सके।
दूरसंचार क्षेत्र का इतिहास
भारत में वर्ष 1994 में दूरसंचार क्षेत्र का उदारीकरण हुआ किंतु निजी क्षेत्र का दूरसंचार में प्रवेश नहीं हो सका। इसका मुख्य कारण लाइसेंस प्रणाली तथा टेलीग्राफ अधिनियम के अंतर्गत दूरसंचार सेवाएँ संचालित करने का अधिकार न होना था। उपर्युक्त स्थिति में निजी क्षेत्र हेतु दूरसंचार क्षेत्र उदारीकरण से पूर्व (Pre-1991) की स्थिति में ही बना रहा।
आरंभ में निजी निवेशकों ने इस क्षेत्र से जुड़ने में अत्यधिक उत्साह दिखाया, इसकी वज़ह निवेशकों का अधिक राजस्व प्राप्ति की आकांक्षा थी। लाइसेंस की संख्या कम होने तथा सेवाओं के लिये सरकार द्वारा अत्यधिक उच्च शुल्क निर्धारित किये जाने के कारण सेवाओं का उपयोग सीमित ही रहा जिससे राजस्व सीमित रूप से प्राप्त हो सका। वहीं इस क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के एकाधिकार ने निज़ी क्षेत्र की मुश्किलें और बड़ा दी।
वर्ष 1999 में भारत सरकार ने दूरसंचार क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिये एक बढ़ा कदम उठाया सरकार ने लाइसेंस के शुल्क में कटौती कर दी क्योंकि अधिक लाइसेंस शुल्क इस क्षेत्र को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा था। इसके पश्चात् यह क्षेत्र राजस्व शेयर लाइसेंस शुल्क प्रणाली (Revenue-share license fee regime) की ओर बढ़ गया। यह प्रणाली वर्तमान में भी जारी है, इस कदम ने इस क्षेत्र को जीवित कर दिया जिसके परिणामस्वरूप सरकार और निज़ी क्षेत्र दोनों को लाभ हुआ।
दूरसंचार क्षेत्र की मौजूदा स्थिति
मौजूदा समय में भी यह क्षेत्र वर्ष 1999 के समान ही चुनौतियों का सामना कर रहा है। यह क्षेत्र गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा है। पिछले कुछ वर्षों से दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियाँ सेवाओं के शुल्कों की कम दर करने के लिये प्रतिस्पर्द्धा कर रही हैं। यह परिस्थिति उपभोक्ता की दृष्टि से से तो सही है किंतु संचार क्षेत्र को गंभीर संकट की ओर ले जा रही है। सेवा प्रदाता छोटी कंपनियाँ समाप्त हो चुकी हैं तथा जो कंपनियाँ बाज़ार में मौजूद हैं वे भी इस प्रतिस्पर्द्धा के कारण अपनी उत्तरजीविता के लिये जूझ रही हैं। इस प्रतिस्पर्द्धा नें कंपनियों पर ऋण के बोझ को भी बढ़ा दिया है।
विनियामक से जुड़ी अनिश्चितता तथा स्पेक्ट्रम की नीलामी में देरी के कारण भारत में 4G सेवाओं के संचालन में पहले ही देर हुई है। विश्व 5G के वाणिज्यिक उपयोग की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है लेकिन भारत में 5G तकनीक का आरंभ होना अभी शेष है।
वर्ष 2012 में स्पेक्ट्रम नीति में कुछ बदलाव किये गए, ये बदलाव दूरसंचार ऑपरेटरों के लिये महत्त्वपूर्ण थे। इसके तहत लाइसेंस लेना आसान हो गया कोई भी कंपनी जो दूरसंचार सेवाएँ देना चाहती थीं, लाइसेंस ले सकती थीं। हालाँकि लाइसेंस प्राप्त करने में कोई बाधा नहीं हैं लेकिन लाइसेंस की उपलब्धता दूरसंचार क्षेत्र की बड़ी समस्या बन कर उभरी है।
5G तकनीक
यह अगली पीढ़ी की सेलुलर तकनीक है जो अल्ट्रा लो लेटेंसी (Ultra low latency) के साथ तेज़ और अधिक विश्वसनीय संचार सेवाएँ प्रदान करेगी। एक सरकारी पैनल की रिपोर्ट बताती है कि 5G के साथ पीक नेटवर्क डेटा स्पीड 2-20 गीगाबिट प्रति सेकंड (Gbps) की सीमा में होने की उम्मीद है। सरकार के एक पैनल के अनुसार, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत में 5G तकनीक वर्ष 2035 तक संचयी रूप से 1 ट्रिलियन डॉलर का आर्थिक प्रभाव उत्पन्न करेगी। साथ ही एक अध्ययन के अनुसार, भारत में वर्ष 2025 तक 70 मिलियन 5G कनेक्शन होने का अनुमान लगाया गया है।
लेटेंसी (Latency)
यह नेटवर्किंग से संबंधित एक शब्द है। एक नोड से दूसरे नोड तक जाने में किसी डेटा पैकेट द्वारा लिये गए कुल समय को लेटेंसी कहते हैं। लेटेंसी समय अंतराल या देरी को संदर्भित करता है।
भारत में 5G के संचालन में समस्याएँ
भारत में 5G सेवा की शुरुआत वर्ष 2020 में होने की संभावना है, यह सेवा विश्व के परिप्रेक्ष्य में समय से पीछे है। भारत के दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) ने 5G सेवा के लिये ज़रूरी स्पेक्ट्रम की रिज़र्व कीमत अत्यधिक ऊँची रखी है, यह कीमत भारत में 5G सेवा की वृद्धि तथा इसके विस्तार में बाधक हो सकती हैं। ज्ञात हो कि भारत में पहले से ही दूरसंचार क्षेत्र आर्थिक समस्याओं से जूझ रहा है, हालाँकि राहत की बात है कि भारत के दूरसंचार विभाग ने TRAI की सिफारिशों को पुनर्विचार के लिये लौटा दिया है। मंत्रालय ने भी इस क्षेत्र हेतु करों और शुल्कों के निर्धारण के लिये दूरसंचार सचिव के अंतर्गत एक समिति गठित की है।
स्पेक्ट्रम के अलावा 5G संचार प्रणाली के मूल ढाँचे में परिवर्तन की आवश्यकता होगी। केवल मौजूदा LTE तकनीक को अपग्रेड करने से 5G उपयोग के सभी मामलों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा नहीं किया जा सकता। एक रिपोर्ट के अनुसार, यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में उद्योगों को 5G नेटवर्क लागू करने के लिए 60-70 बिलियन डॉलर के अतिरिक्त निवेश की आवश्यकता हो सकती है। ज्ञात हो कि वर्तमान में भारत के दूरसंचार उद्योग पर 7 लाख करोड़ रूपए का ऋण है।
चुनौतियों का समाधान
भारत का दूरसंचार क्षेत्र विकास के नए दौर से गुज़र रहा है। भारत की प्राथमिकता समय के अनुसार पारंपरिक दूरसंचार सेवाओं से उच्च गुणवत्ता वाली सेवाओं की ओर स्थानांतरित हुई है। इसको ध्यान में रखते हुए भारत के विनियामक ढाँचे में भी बदलाव किया जाना आवश्यक हो गया है। वायरलेस नेटवर्क पर अधिक निर्भरता, अधिक स्पेक्ट्रम मूल्य, डिजिटल विभाजन तथा अवसंरचना विकास आदि कुछ महत्त्वपूर्ण समस्याएँ है जिनका समाधान करना आवश्यक है।
इन समस्याओं के समाधान की शुरुआत विनियामक ढाँचे में बदलाव तथा दूरसंचार क्षेत्र से जुड़ी बाधाओं को समाप्त करके की जा सकती है। वर्तमान नीति जो स्पेक्ट्रम की नीलामी के माध्यम से अधिकतम राजस्व प्राप्त करने पर ज़ोर देती है, में बदलाव किया जाना चाहिये। ऐसी नीति पर ध्यान देना होगा जो इस क्षेत्र में स्पेक्ट्रम की कमी की चुनौती से निपट सके और भविष्य में यह भारत के लिये सामाजिक-आर्थिक स्तर पर भी उपयोगी हो। इस क्षेत्र में कुछ नवीन चुनौतियाँ जैसे- सेवा के लिये अधिक शुल्क की मांग, नेटवर्क कनेक्शन के मुद्दे, इंटरकनेक्शन शुल्क, विभिन्न सेवाओं को एक साथ खरीदने के लिये बाध्य करना आदि से निपटने के लिये भी ज़रूरी नियम और विनियम बनाए जाने की आवश्यकता है। दूरसंचार क्षेत्र के विकारों तथा प्रतिस्पर्द्दी बाज़ार के लिये चुनौती बनने वाले मामलों में भी भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) तथा TRAI के मध्य बेहतर तालमेल बनाए जाने की आवश्यकता है।
दूरसंचार क्षेत्र का भविष्य
भारत में दूरसंचार क्षेत्र का अतीत वृद्धि एवं विकास के मामले में उतार-चढ़ाव वाला रहा है। किंतु भारत की वर्तमान स्थिति संदर्भित करती है कि देश में इस क्षेत्र के विकास की प्रबल संभावनाएँ हैं। भारत में इंटरनेट और दूरसंचार सेवाओं का उपयोग करने वाली विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या निवास करती है। भारत की 70 प्रतिशत आबादी अभी भी ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है, इस आबादी में सिर्फ 58 प्रतिशत लोगों तक ही दूरसंचार सेवाओं की पहुँच है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए दूरसंचार क्षेत्र के विकास में भारत के ग्रामीण क्षेत्र का महत्त्वपूर्ण योगदान होगा। भारत की राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति जो पिछले वर्ष (2018) प्रकाश में आई, मे इस क्षेत्र के लिये वर्ष 2022 तक 100 बिलियन डॉलर के निवेश का लक्ष्य निर्धारित किया है। साथ ही इस क्षेत्र में 4 मिलियन रोज़गार सृजित करने का भी लक्ष्य है। सरकार की नीति निकट भविष्य में दूरसंचार क्षेत्र के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। वर्ष 2020 में भारत 5G तकनीक संचालित करने की योजना बना रहा है जिसके अनुप्रयोग और आर्थिक प्रभाव भारत के दूरसंचार क्षेत्र के बेहतर भविष्य को इंगित करते हैं। किंतु दूरसंचार के बेहतर विकास और समता पूर्वक उपयोग के लिये आवश्यक होगा कि भारत इस क्षेत्र से जुड़ी विभिन्न बाधाओं का भी समाधान करे।
निष्कर्ष
उदारीकरण के पश्चात् भारत में दूरसंचार क्षेत्र को भी निज़ी क्षेत्र के लिये खोल दिया गया लेकिन विभिन्न बाधाओं के कारण इस क्षेत्र का विकास नहीं हो सका। समय-काल में हुए विभिन्न आर्थिक एवं नीतिगत बदलावों के चलते इस क्षेत्र में भी बदलाव आया है। ऐसा माना जा रहा है कि भविष्य में संचार तकनीक का अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान होगा, इसलिये विभिन्न राष्ट्र संचार के क्षेत्र में अपनी क्षमता में वृद्धि कर रहे हैं। लेकिन भारत में इस क्षेत्र का अतीत उतार-चढ़ाव वाला रहा है, इसके लिये मुख्य रूप से भारत की नीतियाँ और अवसंरचना से जुड़ी खामियाँ ज़िम्मेदार हैं। विश्व में विभिन्न देश 5G तकनीक के उपयोग की शुरुआत कर रहे हैं या कर चुके हैं लेकिन भारत का यह लक्ष्य वर्ष 2020 तक ही पूरा हो सकेगा। इस तकनीक को लागू करने से पूर्व भारत को संचार क्षेत्र से जुड़ी बाधाओं को दूर करना होगा, साथ ही इसका क्रियान्वयन इस प्रकार करना होगा कि भारत में इसका व्यापक उपयोग सुनिश्चित हो सके। इससे भारत में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के साथ साथ अर्थव्यवस्था की गति भी तीव्र हो सकेगी।
प्रश्न: भारत वर्ष 2020 में 5G तकनीक को आरंभ करने की योजना पर कार्य कर रहा है किंतु भारत के दूरसंचार क्षेत्र का अतीत उतार-चढ़ाव वाला रहा है। आपके विचार में इस क्षेत्र से जुड़ी ऐसी कौन-सी बाधाएँ हैं जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है?