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शासन व्यवस्था

शिक्षा के अधिकार को विस्तृत करने की आवश्यकता

  • 18 Oct 2017
  • 6 min read

एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ग्रामीण), 2017 के निष्कर्ष दर्शाते हैं कि नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act) को 6-14 वर्ष के आयु वर्ग तक सीमित ना रखते हुए इसे 18 वर्ष तक के सभी बच्चों तक विस्तृत करने की आवश्यकता है।

क्या है RTE?

  • 2 दिसंबर, 2002 को संविधान में 86वाँ संशोधन किया गया और इसके अनुच्छेद 21ए के तहत शिक्षा को मौलिक अधिकार बना दिया गया है।
  • इस मूल अधिकार के क्रियान्वयन हेतु वर्ष 2009 में भारत  सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक युगांतकारी कदम उठाते हुए नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम (the Right of Children to Free and Compulsory Education (RTE) Act,) पारित किया।
  • इसका उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में सार्वभौमिक समावेशन को बढ़ावा देना तथा माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अध्ययन के नए अवसर सृजित करना है।
  • इसके तहत 6-14 वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे के लिये शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में अंगीकृत किया गया।

एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ग्रामीण), 2017

  • एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ASER), 2017 के अनुसार ग्रामीण प्राथमिक शिक्षा की स्थिति उत्साहजनक नहीं है।
  • ASER के अनुसार, 14-18 वर्ष आयु वर्ग के लगभग 14 फीसदी ग्रामीण युवाओं का कही भी नामांकन नहीं हुआ है।
  • 14-18 वर्ष आयु वर्ग के लगभग 25% युवा अपनी भाषा में स्पष्ट रूप से बुनियादी पाठ तक पढ़ने में सक्षम नहीं पाए गए
  • सर्वेक्षण में भाग लेने वालों में से केवल 5% ने किसी तरह का व्यावसायिक पाठ्यक्रम किया है और इनमें से भी बहुत कम लोगों ने 3 महीने या इससे अधिक के लिये नामांकन कराया।
  • उच्च विद्यालयी शिक्षा तक पहुँचने वालों में लर्निंग आउटकम (सीखने के परिणाम) काफी कम पाया गया। 
  • केवल 43% युवा ही एक अंक से तीन अंकों की संख्या का विभाजन करने जैसी अंकगणितीय समस्या को हल कर पाए और अब स्कूल नहीं जाने वालों में तो यह प्रतिशत और भी कम पाया गया।
  • स्कूली शिक्षा के स्तर तक नामाँकित नहीं होने वाले युवाओं की संख्या में भी राज्यों के बीच काफी विभिन्नताएँ देखने को मिलीं। जैसे छत्तीसगढ़ के किसी ज़िले में 17-18 वर्ष के आयु वर्ग में नामाँकित नहीं होने वाले लड़के और लड़कियों दोनों का प्रतिशत 29.4% पाया गया, जबकि केरल के किसी ज़िले के लिये यह आँकड़ा क्रमशः 4.5% और 3.9% है।
  • ASER बड़े पैमाने पर व्याप्त डिजिटल डिवाइड को भी इंगित करता है, जिसके अनुसार इंटरनेट और कंप्यूटर का इस्तेमाल कभी नहीं करने वालों की संख्या क्रमशः 61% और 56% पायी गई। कंप्यूटर और इंटरनेट तक पहुंच के मामले में लड़कों की तुलना में लड़कियों की स्थिति निम्न स्तर पर है।

RTE के विस्तार के लाभ

  • 14-18 वर्ष आयु वर्ग के लोगों के इससे समावेशन से उन्हें श्रमबल में शामिल होने के लिये आवश्यक परिष्कृत शिक्षा प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
  • यह उन बच्चों के सशक्तिकरण में सहायक होगा जिनका अब तक कहीं भी नामांकन नहीं हुआ है।
  • जनसांख्यिकीय लाभांश की सार्थकता के लिये इन सभी युवाओं को कौशल और रोज़गार आधारित शिक्षा उपलब्ध कराना आवश्यक है।
  • सभी बच्चों को एक स्कूल, कॉलेज या प्रशिक्षण संस्थान के अंतर्गत लाकर इनकी कंप्यूटर और इन्टरनेट तक पहुँच को प्राप्त किया जा सकता है।
  • नामांकन में प्रगति के साथ ही लर्निंग आउटकम पर ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि उच्च नामांकन का मतलब सदैव उच्च उपस्थिति नहीं होता। यही कारण है कि माध्यमिक स्तर के छात्रों की एक बड़ी संख्या को जूनियर कक्षाओं के लिये निर्धारित पाठ को पढ़ने में मुश्किल हुई और वे मानचित्र पर अपने स्वयं के राज्य की पहचान तक नहीं कर पाए।

निष्कर्ष 

  • अक्सर होने वाले अध्ययनों के निरीक्षण बच्चों के नामांकन में हुई प्रगति का साक्ष्य देते हैं लेकिन ये सीखने के परिणामों को प्राप्त करने में असफलताओं को भी इंगित करते हैं। 
  • अच्छी शिक्षा पर किया गया खर्च उत्पादकता पर बहुआयामी प्रभाव डालता है। इसके लिये यह आवश्यक है कि RTE कानून में शिक्षा के सभी स्तरों को शामिल करते हुए इनका विस्तार किया जाए ताकि इस कानून के उद्देश्यों को पाया जा सके।
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