शासन व्यवस्था
उच्च शिक्षा में सुधार का प्रस्ताव : चुनौतियाँ एवं समाधान
- 30 Jun 2018
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संदर्भ
हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने तथा फर्ज़ी विश्वविद्यालयों पर रोक लगाने के उद्देश्य से यूजीसी अधिनियम में बदलाव कर इसके स्थान पर उच्च शिक्षा आयोग (Higher Education Commission of India- HECI) की स्थापना करने का फैसला लिया गया। ऐसे समय में जब कौशल निर्माण तथा शैक्षिक अवसरों तक पहुँच होना अति महत्त्वपूर्ण है, केंद्र सरकार द्वारा तैयार किये गए उच्च शिक्षा आयोग के प्रावधानों के प्रभाव दूरगामी सिद्ध हो सकते हैं।
पृष्ठभूमि
- द हिंदू के अनुसार वर्ष 2016-17 में देश में 40,026 कॉलेज तथा 864 मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय थे जबकि 1956 में जब यूजीसी का गठन हुआ तब देश में केवल 20 विश्वविद्यालय तथा 500 कॉलेज थे।
- व्यवस्था में सुधार के प्रयास पूर्व में भी किये गए थे जिसमें विशेषज्ञों की समिति और यहाँ तक कि उच्च शिक्षा तथा शोध के लिये एक अलग निकाय बनाने हेतु निर्मित कानून में भी स्वायत्तता प्रदान करने पर ज़ोर देने के साथ-साथ बदलाव का समर्थन किया गया था।
उच्च शिक्षा आयोग के सामने चुनौतियाँ तथा समाधान
- HECI के सामने बहुत से चुनौतीपूर्ण लक्ष्य आएँगे इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार को शैक्षणिक संस्थानों, शिक्षक समुदायों तथा समाज को प्रस्तावित मसौदे पर सुविचारित सलाह देने के लिये पर्याप्त समय देना चाहिये।
- इंजीनियरिंग, चिकित्सा तथा कानून के लिये वर्तमानं में स्थापित बहु नियामक संस्थाओं द्वारा भविष्य में निभाई जाने वाली भूमिका उन प्रमुख समस्याओं में शामिल हैं जिनका समाधान करना आवश्यक है। यशपाल समिति ने इन सभी को एक समिति के अंतर्गत लाने का सुझाव दिया था।
- इसके साथ ही अन्य पेशेवर संस्थानों जैसे- आर्किटेक्चर तथा नर्सिंग को भी इसमें शामिल किये जाने की आवश्यकता है।
- इसका लक्ष्य प्रत्येक वर्ग के लिये पाठ्यक्रमों में परिवर्तन करने और प्रत्येक विषय के अध्ययन को प्रोत्साहित करने की पर्याप्त स्वायत्तता के साथ अकादमिक मानक निर्धारित करना होना चाहिये।
निधियों का आवंटन तथा पारदर्शिता : एक बड़ी चुनौती
- प्रस्तावित विधेयक के कारण उत्पन्न अधिक विवादित मुद्दों में केंद्र सरकार का वह निर्णय भी शामिल है जिसके अंतर्गत उच्च शिक्षा संस्थानों के लिये मानव संसाधन विकास मंत्रालय या एक अलग निकाय हेतु अनुदान देने वाली शक्तियों को स्थानांतरित करने का फैसला लिया गया है।
- UGC बहुत सी कार्यवाहियों के साथ-साथ अब तक अनुदान देने का कार्य भी करती रही है और कमियाँ चाहे जो भी हो इसने अनुदान देने के निर्णयों को राजनीतिक विचारों से अलग रखना सुनिश्चित किया है।
- निधियों के आवंटन तथा पारदर्शिता के बीच संतुलन कैसे स्थापित किया जाए यह अब HECI की सलाहकर समिति पर निर्भर करेगा।
राज्यों का प्रतिनिधित्व
- हालाँकि किसी भी मामले में अंतिम निर्णय HECI का न होकर केंद्र का होगा फिर भी राज्यों को सलाहकार परिषद् के प्रतिनिधित्व का कार्य दिया जाना एक सराहनीय कदम है जो इसे संघात्मक गुण प्रदान करता है।
- वर्तमान समय में उच्च शिक्षा के सामने सबसे बड़ी चुनौती अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले तेज़ी से विकसित होते तकनीकी परिवर्तनों की आवश्यकता को पूरा करना तथा आवश्यक कौशल वाले कार्यबल का निर्माण है।
निष्कर्ष
- सुधार के फलस्वरूप एक ऐसी संस्था का निर्माण होना चाहिये जिसके पास विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों के अनुकूल बौद्धिक कोष के साथ-साथ गतिविधि के उभरते क्षेत्रों में सार्वजनिक वित्तपोषण के लिये योजना बनाने का दृष्टिकोण हो।
- HECI के नियमों का उल्लंघन करने वाले प्रबंधन अधिकारियों पर मुक़दमा चलाए जाने और कारावास के प्रावधान के साथ ही डिग्री देने वाली मिलों और संदिग्ध प्रशिक्षण संस्थानों की मान्यता रद्द करने के प्रावधान द्वारा प्रस्तावित कानून में सकारात्मक प्रयास किये गए हैं।
- इन सभी उत्तरदायित्वों की पूर्ति के लिये राजनीतिक इच्छाशक्ति की भी आवश्यकता होगी।
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