लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

आईएमएफ के तीन विकास संदेशों को स्वीकृति

  • 24 Apr 2017
  • 9 min read

संदर्भ
गौरतलब है कि हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund – IMF) द्वारा प्रकाशित "विश्व आर्थिक आउटलुक" (World Economic Outlook) में वैश्विक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये तीन महत्त्वपूर्ण संदेश जारी किये गए| इन संदेशों में स्पष्ट किया गया कि आर्थिक विकास की आधारभूत सीमा मध्यम अवधि में एक समान होती है, यह कम अवधि में थोड़ी और बेहतर हो सकती है; समय के साथ जोखिम न केवल अधिक हो रहे है बल्कि इनका झुकाव भी नीचे की तरफ हुआ है; ऐसे में बेहतर राष्ट्रीय नीति बनाने और बेहतर सीमा पार समन्वय के माध्यम से आर्थिक विकास की इन संभावनाओं को बल प्रदान किया जा सकता हैं|

महत्त्वपूर्ण पक्ष

  • यदि वृहद परिदृश्य में गौर किया जाए तो इन तीनों संदेशों का चालू वित्तीय वर्ष में काफी अच्छी तरह से उपयोग किया जा सकता है| वस्तुतः यह मात्र कोरी संभावना नहीं है कि ये तीनों संदेश वर्ष 2022 तक पूरी तरह से अपने यथोचित रूप में क्रियान्वित रहेंगे|
  • हालाँकि, पर्याप्त समावेशी एवं दीर्घकालिक विकास से जुड़ी कुछ तनावपूर्ण स्थितियाँ एवं इसमें व्याप्त विरोधाभास अवश्य ही इसके लिये चुनौती बनकर उभरेंगे| तथापि, वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में बदलाव की इस बयार का परिणाम बेहतर हो या नहीं, यह सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि क्या विश्व आईएमएफ द्वारा सुझाई गई इन सिफारिशों के अनुपालन के विषय में गंभीरता से विचार करता है अथवा नहीं|

भविष्य के संदर्भ में पूर्वानुमान

  • ध्यातव्य है कि आई.एम.एफ. द्वारा हाल ही में प्रस्तुत किये गए एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2017-18 में वैश्विक अर्थव्यवस्था की वार्षिक औसत विकास दर के लगभग 3.5 प्रतिशत (वर्ष 2012-2015 के स्तर के समान) रहने की संभावना है| हालाँकि, इसके वर्ष 2022 में 3.8 प्रतिशत तक बढ़ने की भी संभावना व्यक्त की गई है|
  • इसके अतिरिक्त यदि समस्त आर्थिक घटकों के संदर्भ में बात की जाए तो इसके वर्ष 2017 में 2 प्रतिशत तक पहुँचने की संभावना है| जबकि, उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में वर्ष 2022 में सिर्फ 1.7 प्रतिशत तक बढ़ोतरी होने का अनुमान व्यक्त किया गया है|
  • इसके विपरीत, उभरते हुए और विकासशील देशों में वार्षिक वृद्धि दर 5 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है|

वर्तमान परिदृश्य

  • वस्तुतः आई.एम.एफ. चालू वित्त वर्ष के आधार पर एक नई सामान्य व्यवस्था स्थापित करने की ओर अग्रसर है|
  • विश्व की उन्नत अर्थव्यवस्थाओं का लक्ष्य इस समय विशेष रूप से, वर्ष 2017 के चक्रीय प्रभाव (सम्पूर्ण वैश्विक राजनीतिक, आर्थिक एवं भौगोलिक) से लाभान्वित होने और ‘उत्साही वित्तीय बाजारों’ से एक स्पिलओवर (पिछले जमा स्टॉक) प्राप्त करने के बाद, जनसांख्यिकी कमियों सहित कमज़ोर उत्पादित विकास और संरचनात्मक चुनौतियों का अधिक दृढ़ता से सामना करना है|
  • आई.एम.एफ. के अनुमान के अनुसार, हालाँकि संपूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्थाओं में सुधार होने की उम्मीद है, तथापि यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिये आवश्यक उस बहुत-प्रतीक्षित ‘उठाव’ के लिये पर्याप्त नहीं है|
  • चालू वित्त वर्ष की मध्यम अवधि में वैश्विक अर्थव्यवस्था को होने वाली नफे-नुकसान के सन्दर्भ में, आई.एम.एफ. ने स्वीकार किया है कि वर्तमान में यह जोखिम ‘नकारात्मक पक्ष के लिये अधिक झुका हुआ’ है|
  • अत: ऐसी स्थिति में अधिक से अधिक आर्थिक नीतियों के अनुपालन की ओर झुकाव, खराब असमानता और गलत नीतियों के निर्माण संबंधी जोखिम के साथ साथ भू-राजनीतिक तनाव, घरेलू राजनीतिक विरोधाभास, कमज़ोर प्रशासन और भ्रष्टाचार, चरम मौसमी घटनाओं, आतंकवाद और सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण उत्पन्न जोखिम सहित कईं ऐसे कारक हैं जो वर्तमान में आई.एम.एफ. की चिंता का प्रमुख कारण बने हुए हैं|
  • हालाँकि जब हम इस समस्त विवरण के संदर्भ में गंभीरता से विचार करते है तो हम यह पाते हैं कि निरंतरता में कम विकास का कारण बने मध्यम अवधि के आधारभूत जोखिमों के कारण ही समस्त विश्व की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है| ऐसी किसी भी स्थिति में किसी भी अर्थव्यवस्था का संभावित परिणाम उसके लाभ वितरण में परिवर्तन का मुख्य कारक साबित होगा| 
  • यह सच है कि वर्तमान की उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में जहाँ एक ओर अर्थशास्त्र और राजनीति (उदाहरण के लिये, ब्रेक्सिट) को एकसाथ शामिल करने से विश्व में संभावित रूप से एक पृथक परंतु, मज़बूत प्रतिक्रिया वाला छोर निर्मित हो रहा हैं। वहीं दूसरी ओर यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के (अपेक्षाकृत) स्वस्थ हिस्सों का भी एक महत्त्वपूर्ण भाग बनता जा रहा है|
  • ऐसी स्थिति में यदि तेज़ी से उभरते देशों के साथ-साथ विकासशील देश भी आई.एम.एफ. द्वारा सुझाये गए विकास के फंडों को अपनाते है तो बेशक विकास की धीमी दर ही रहेगी, परंतु यह निरंतर रूप से आगे बढ़ने की ओर ही अग्रसर रहेगी न की अस्थिर हो कर रुक जाएगी|

समाधान का पक्ष

  • संयोगवश, इस प्रकार के किसी भी विषय में कुछ भी पूर्वनिर्धारित नहीं होता है| वस्तुतः ऐसा कुछ भी जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था का विकास हो| 
  • संभवतः इसका एक बहुत महत्त्वपूर्ण कारण (जिसका उल्लेख आई.एम.एफ. ने भी किया है) यह है कि नीति विकल्प इस दृष्टिकोण को आकार देने में निर्णायक भूमिका निभाते है, परंतु यदि नीतियों के निर्माण एवं सटीक क्रियान्वयन के स्तर पर ही गलतियाँ हो तो कुछ भी कहना कठिन हो जाता है|
  • अत: इस संबंध में प्रोत्साहन प्रदान करने के लिये आवश्यक है कि नीति निर्माताओं को अर्थव्यवस्था के केवल उस विस्तार को ओर प्रतिबद्ध होना होगा जिससे न केवल कॉर्पोरेट जगत बल्कि घरेलू अर्थव्यवस्था की भावनाएँ और विश्वास के उपायों को भी बल मिल सकें|
  • जैसा कि आई.एम.एफ. ने संकेत दिया है कि राष्ट्रीय स्तर पर अच्छे आर्थिक उपाय, वैश्विक स्तर पर सुधरे हुए नीति समन्वय के साथ मिलकर विकास में वृद्धि करने के साथ-साथ, वित्तीय जोखिमों को कम करने तथा असमानता के स्तर में कमी लाने जैसे परिवर्तनों को ला सकते हैं|
  • इसके लिये संभावित उत्पादन में वृद्धि करने के लिये विकासात्मक कार्यों पर बल देना होगा तथा एक अधिक विस्तृत राजकोषीय नीति एवं ऋण प्रबंधन के अधिक वास्तविक दृष्टिकोण के अनुपालन की आवश्यकता पर भी अधिक से अधिक बल देना होगा| 
  • वस्तुतः ये सभी कारक उत्पादन गतिविधियों में अधिक नकदी के प्रवाह में सहायता करेंगे तथा वास्तविक आर्थिक जोखिम को कम करने में भी उल्लेखनीय भूमिका का निर्वाह करेंगे|

निष्कर्ष
हालाँकि, यदि इस संबंध में नीतियों के निर्माण में देरी लगातार बनी रही, तो नई साधारण नीतियों को वित्तीय अस्थिरता से परेशानी के साथ-साथ मंदी का दबाव, उच्च असमानता और अत्यधिक नुकसानदेह (आक्रोशात्मक) राजनीति की समयावधि में निराशाजनक भूमिका के रूप में ही स्मरण किया जाएगा|

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2