Dynamic विदेश नीति से बढ़ी भारत की अहमियत | 12 Jan 2019
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ समय पहले एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि देश की विदेश नीति राष्ट्रीय हित से निर्देशित होती है और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत की आवाज़ सुनी जा रही है। भारत की विदेश नीति ऐसी है जिसमें वैश्विक संतुलन कायम रखते हुए सभी देशों से बेहतर संबंध बनाने पर ज़ोर दिया जाता है। भारत अन्य देशों के साथ समय-समय पर विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न मुद्दों पर समझौते करता रहता है। हाल ही में भारत ने अलग-अलग देशों के साथ अलग-अलग विषयों पर कुछ समझौते किये हैं।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत-फ्रांस MoU
इस MoU के तहत भारत और फ्रांस का लक्ष्य आपसी लाभ, समानता और पारस्परिकता के आधार पर नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़े मुद्दों पर तकनीकी द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिये सहकारी संस्थागत संबंध सुनिश्चित करने का ठोस आधार स्थापित करना है। इसके अलावा अनुसंधान से जुड़े संयुक्त कार्यदल, प्रायोगिक (Pilot) आधार पर चलाई जाने वाली परियोजनाएँ, क्षमता निर्माण कार्यक्रम, अध्ययन भ्रमण (Study Tour), केस स्टडी और अनुभव एवं विशेषज्ञता को साझा करने के कार्य तकनीकी सहयोग के दायरे में आएंगे।
समुद्री मुद्दों पर भारत-डेनमार्क समझौता
इस समझौते से दोनों देशों के बीच समुद्री सहयोग के क्षेत्रों का पता लगाने में आसानी होगी। भारत और डेनमार्क के समुद्री क्षेत्रों के मध्य सीमा-पार सहयोग और निवेशों में मदद करना इस समझौते का एक अहम हिस्सा है। इस समझौते में दोनों देशों को बेहतर जहाज़रानी (Quality Shipping) सुविधाएँ सुनिश्चित करने हेतु आपसी क्षमताओं को सुधारने के लिये विशेषज्ञों, प्रकाशनों, सूचना, डेटा और सांख्यिकी का आदान-प्रदान करने के प्रावधान किये गए हैं। इसके अलावा यह समझौता हरित समुद्रीय प्रौद्योगिकी एवं शिप-बिल्डिंग के क्षेत्र में सहयोग, भारत के शिपिंग पंजीयक को मान्यता प्राप्त संगठन का दर्जा प्रदान करने तथा समुद्री प्रशिक्षण और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग करने में समर्थ बनाएगा। इस समझौते से मर्चेंट शिपिंग और समुद्रीय परिवहन संबंधित मामलों के क्षेत्र में सतत सहयोग के लिये अनुसंधान और विकास को भी गति मिलेगी।
भारत-जापान द्विपक्षीय विनिमय व्यवस्था
भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय विनिमय व्यवस्था (Bilateral Swap Agreement) के लिये समझौता किया गया है। इसके लिये भारतीय रिज़र्व बैंक को बैंक ऑफ जापान और भारतीय रिज़र्व बैंक के मध्य द्विपक्षीय विनिमय व्यवस्था के अनुबंध पर हस्ताक्षर करने हेतु अधिकृत किया गया। यह विनिमय व्यवस्था विदेशी मुद्रा में अल्पकालिक कमी को पूरा करने के लिये भुगतान संतुलन के उचित स्तर को बनाए रखने के उद्देश्य से घरेलू मुद्रा के अधिकतम 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर के आवश्यक विनिमय और पुनर्विनिमय के लिये भारत और जापान के मध्य एक अनुबंध है।
द्विपक्षीय विनिमय व्यवस्था के तहत परेशानी के समय एक-दूसरे की मदद करने के रणनीतिक उद्देश्य की पूर्ति होगी। इस सुविधा से भारत को उपयोग के लिये पूंजी तुरंत उपलब्ध हो जाएगी। इस व्यवस्था से भारतीय कंपनियों के लिये विदेशी पूंजी की निकासी की संभावनाओं में सुधार आएगा, क्योंकि देश की विनिमय दर में अधिक स्थिरता आएगी। भुगतान संतुलन (Balance of Payment) में उत्पन्न होने वाली कठिनाइयों से निपटने में ऐसी विनिमय व्यवस्था की उपलब्धता से घरेलू मुद्रा पर पड़ने वाला दबाव कम होगा और विनिमय दर की अस्थिरता से निपटने के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक की क्षमता में वृद्धि होगी।
एडवांस मॉडल सिंगल विंडो के विकास पर भारत-जापान MoU
इस MoU से कारोबार से जुड़े कार्यों हेतु आवश्यक प्रशासनिक प्रक्रियाओं के लिये ‘उन्नत मॉडल एकल खिड़की’ (Advance Model Single Window) के विकास और भारत में केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा इस पर अमल किये जाने से भारत और जापान के बीच सहयोग सुनिश्चित होगा। इसके साथ ही एक ऐसे ढाँचे के विकास के लिये भी दोनों देशों के बीच सहयोग संभव होगा जिसमें ये प्रक्रियाएँ त्वरित ढंग से पूरी होंगी। इससे देश में ‘कारोबार में सुगमता’ को बढ़ावा देने के लिये भारत द्वारा किये जा रहे प्रयासों में तेज़ी आएगी। ‘उन्नत मॉडल एकल खिड़की’ भारत में और इससे बाहर अपनाए जा रहे सर्वोत्तम तौर-तरीकों या प्रथाओं पर आधारित है। इसमें मापने योग्य पैमाने या मापदंड भी हैं और इससे भारत में ‘एकल खिड़की’ की स्थापना के मार्ग में आने वाली संभावित बाधाओं की पहचान हो सकेगी। अत: इससे निवेश करना सुविधाजनक हो जाएगा।
स्वाजीलैंड को कर संबंधी सहायता के लिये ToR
भारत और स्वाजीलैंड (नया नाम एस्वातिनी-Eswatini) के बीच सीमा विहीन कर निरीक्षक कार्यक्रम (Tax Inspectors Without Borders Programme-TIWBP) के तहत स्वाजीलैंड को कर संबंधी सहायता देने के लिये नामित भारतीय विशेषज्ञ की सहभागिता से संबंधित विचारार्थ विषय (Terms of Reference-ToR) पर हस्ताक्षर किये गए हैं। इसके लिये भारत और एस्वातिनी सरकार द्वारा एक भारतीय विशेषज्ञ को पारस्परिक सहमति से चुना गया है। इससे सीमा विहीन कर निरीक्षक कार्यक्रम के तहत एस्वातिनी को कर-संबंधी सहायता देने के लिये नामित भारतीय विशेषज्ञ की सहभागिता से जुड़ी शर्तों को औपचारिक रूप दिया जाएगा। इस कार्यक्रम के तहत भारतीय विशेषज्ञ की सहभागिता से विकासशील देशों में कर संबंधी मामलों में क्षमता निर्माण करने में भारत द्वारा सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme-UNDP) और आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (Organisation for Economic Co-operation and Development-OECD) द्वारा संयुक्त रूप से शुरू किये गए TIWBP का उद्देश्य ऑडिट क्षमता के सुदृढ़ीकरण के ज़रिये राष्ट्रीय कर प्रशासन को मज़बूत करने के लिये विकासशील देशों को आवश्यक सहयोग देना और अन्य देशों के साथ इस जानकारी को साझा करना है। TIWBP का उद्देश्य विकासशील देशों के टैक्स ऑडिटरों को आवश्यक तकनीकी जानकारियाँ और कौशल हस्तांतरित करने के साथ-साथ इन टैक्स ऑडिटरों के साथ सामान्य ऑडिट प्रथाओं और ज्ञान संसाधनों के प्रचार-प्रसार को साझा करके इन देशों के कर प्रशासनों को मज़बूत करना है। TIWBP कर संबंधी मसलों पर सहयोग बढ़ाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा किये जा रहे प्रयासों का पूरक है और साथ ही यह विकासशील देशों के घरेलू कर जुटाने संबंधी प्रयासों में भी योगदान करता है। भारत विकासशील देशों में कर संबंधी मसलों में क्षमता निर्माण के लिये आवश्यक सहयोग देता रहा है। भारत चूँकि इस संदर्भ में वैश्विक स्तर पर अग्रणी माना जाता है, इसलिये भारत कर संबंधी मसलों में दक्षिण-दक्षिण सहयोग अथवा विकासशील देशों के बीच सहयोग सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
चीन-भारत डिजिटल सहयोग प्लाजा की शुरुआत
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) आधारित एकल प्लेटफॉर्म पर भारतीय आईटी कंपनियों और चीन के उद्यमों को एक-दूसरे के और करीब लाने वाली पहल चीन-भारत डिजिटल सहयोग प्लाजा (Sino-Indian Digital Collaboration Plaza-SIDCOP) की हाल ही में शुरुआत की गई। यह गुइयांग और डालियान की नगरपालिका सरकारों (Municipal Governments of Guiyang and Dalian) के साथ नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज (National Association of Software and Services Companies-NASSCOM) की एक साझेदारी है। एक भारतीय और एक चीनी कंपनी के संयुक्त उद्यम को इस प्लेटफॉर्म के संचालन की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।
कहा जा सकता है कि वर्तमान सरकार की विदेश नीति के तहत विदेशों में भारत की भूमिका पहले से कहीं अधिक विस्तारित रही। इसके अलावा, सांस्कृतिक कूटनीति की भूमिका बढ़ी और भारत ने सामान्य हितों को अपने लाभ के लिये उपयोग करने में अधिक सक्रियता दिखाई। भू-राजनीतिक गतिशीलता में बदलाव के साथ कदमताल करने में भी भारत की विदेश नीति पीछे नहीं रही। रूस और अमेरिका के साथ संबंधों में सहजता इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।