काजीरंगा में संरक्षणात्मक उपायों से एक सींग वाले गैंडे की जनसंख्या में वृद्धि | 09 Feb 2017
पृष्ठभूमि
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भारत का सबसे पुराना वन्य जीव संरक्षण क्षेत्र है| वर्ष 1905 में पहली बार इस वन्य जीव संरक्षण क्षेत्र को अधिसूचित किया गया था तथा वर्ष 1908 में इसका गठन संरक्षित वन के रूप में किया गया| गौरतलब है कि इसका गठन विशेष रूप से “एक सींग वाले गैंडे” के लिये किया गया था, उस समय यहाँ एक सींग वाले गैंडों की संख्या लगभग 24 जोड़ी थी|
प्रमुख बिंदु
- वर्ष 1916 में काजीरंगा को एक पशु अभयारण्य घोषित किया गया था, तत्पश्चात् वर्ष 1938 में इसे आगंतुकों के लिये खोल दिया गया। इसके उपरांत वर्ष 1950 में इसे एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में घोषित किया गया|
- 429.93 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले काजीरंगा को वर्ष 1974 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया| वर्तमान में इसका क्षेत्रफल बढ़कर 899 वर्ग किमी. हो गया है|
- काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान पाँच बड़े नामों (जीवधारियों) के लिये प्रसिद्ध है, जिनमें गैंडा (2,401), बाघ (116), हाथी (1,165), एशियाई जंगली भैंस तथा पूर्वी बारहसिंघा (1,148) शामिल हैं|
- यह दुनिया में “एक सींग वाले गैंडों” की सबसे बड़ी आबादी वाला निवास स्थान है| ध्यातव्य है कि विश्व में “एक सींग वाले गैंडे” की पूरी आबादी का लगभग 68% यहीं है|
- इसके अतिरिक्त, पूर्वी बारहसिंघा हिरण की भी लगभग पूरी आबादी यहीं निवास करती है|
- गौरतलब है कि इन पाँच बड़े नामों के अलावा, काजीरंगा विशाल पुष्प और जीव जैव विविधता का भी पोषण करता है|
- काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान देश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र का एक महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल है|
- यह राष्ट्रीय उद्यान उत्तर में ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर अवस्थित है, जिसके पूर्व में गोलाघाट ज़िले की सीमा से लेकर पश्चिम में ब्रह्मपुत्र नदी पर कालीयाभोमोरा पुल स्थित है|
- जहाँ एक तरफ नदी में आने वाली वार्षिक बाढ़ (का पानी) इस क्षेत्र के पोषण स्तर में वृद्धि करता है जो एक ओर उच्च उत्पादक बायोमास के उत्पादन में अग्रणी भूमिका निभाता है, वहीं दूसरी ओर बाढ़ के कारण होने वाले कटाव से मूल्यवान तथा प्रमुख निवास स्थानों को भी काफी नुकसान पहुँचता है|
- इसके अतिरिक्त, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के आसपास के क्षेत्रों में कई अधिसूचित जंगली और संरक्षित क्षेत्र सम्मिलित किये जाते हैं, जिनमें पनबारी रिज़र्व फॉरेस्ट और दियोपहर प्रस्तावित रिज़र्व फॉरेस्ट गोलाघाट ज़िले में, नगाँव ज़िले में कुकुराकाता हिल रिज़र्व फॉरेस्ट, बागसेर रिज़र्व फॉरेस्ट, कामाख्या हिल रिज़र्व फॉरेस्ट और दियोसुर हिल प्रस्तावित रिज़र्व फॉरेस्ट, सोनितपुर ज़िले में भूमुरागौरी रिज़र्व फॉरेस्ट, कार्बी आंगलोंग ज़िले में उत्तर कर्बी आंगलोंग वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं|
- उल्लेखनीय है कि काजीरंगा में गैंडों का अवैध शिकार हमेशा से ही एक गंभीर चिंता का सबब रहा है| हालाँकि, स्थानीय लोगों के साथ समन्वय स्थापित करके पार्क के अधिकारियों द्वारा उठाए गए कुछ उत्कृष्ट संरक्षण उपायों के फलस्वरूप गैंडों की वर्तमान आबादी (लगभग 2401) के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज़ की गई है|
- ध्यातव्य है कि काजीरंगा में गैंडों के अवैध शिकार का प्रमुख कारण पिछले कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में गैंडे के सींगों की कीमत में हुई वृद्धि है|
अवैध शिकार रोकने के उपाय
- पार्क के अधिकारियों द्वारा अवैध शिकार को रोकने के लिये कई महत्त्वपूर्ण प्रयास किये गए हैं, जिनमें कठोर गश्त तथा फील्ड ड्यूटी में परिवर्तन करने के साथ-साथ कुछ अन्य बदलाव भी किये गए हैं|
- इस क्षेत्र में बुनियादी ढाँचे, उपकरणों और स्टाफ की कमी के साथ-साथ असुरक्षित सीमा और प्रतिकूल इलाके में अवस्थित होने के बावजूद अभयारण्य में अवैध शिकार को रोकने के हरसंभव प्रयास किये गए हैं|
- गौरतलब है कि इस दिशा में भारत सरकार द्वारा उठाए गए कुछ प्रमुख कदम इस प्रकार हैं-
→ वर्ष 2007 में काजीरंगा राष्ट्रीय पार्क को एक टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया, और तभी से इसे भारत सरकार के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority – NTCA) के अधीन आने वाले "सीएसएस प्रोजेक्ट टाइगर" (Centrally Sponsored Scheme The Tiger Project) के तहत पर्याप्त रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है|
→ ध्यातव्य है कि काजीरंगा में 'प्रोजेक्ट टाइगर' के तहत एनटीसीए द्वारा प्रदान की जाने वाली निधि से इलेक्ट्रॉनिक आई (Electronic Eye) के रूप में एक इलेक्ट्रॉनिक निगरानी प्रणाली भी स्थापित की गई है|
→ इस योजना के तहत सात लंबे टावरों को विभिन्न स्थानों पर स्थापित करने के साथ-साथ नियंत्रण कक्ष से 24x7 निगरानी रखने वाले थर्मल इमेजिक कैमरे (Thermal emagic camera) भी लगाए गए हैं|
→ इसके अतिरिक्त, असम की राज्य सरकार द्वारा गैंडों के अवैध शिकार को रोकने तथा वन्यजीव अपराध से निपटने के लिये नीति तथा विधायी परिवर्तनों को कड़ाई से लागू करने हेतु वन्यजीव (संरक्षण) (असम संशोधन) अधिनियम, 2009 भी लागू किया गया है|
→ इस अधिनियम के अंतर्गत वन्य जीवों से संबंधित किसी भी अपराध के लिये वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के तहत सज़ा में बढ़ोतरी करके इसे न्यूनतम 7 वर्ष कर दिया गया है, इसके साथ-साथ इस अधिनियम के अंतर्गत न्यूनतम ज़ुर्माने की दर को बढ़ाकर 50 हज़ार रुपए कर दिया गया है|
→ ध्यातव्य है कि वर्ष 2010 में सरकार के द्वारा सीआरपीसी (CODE OF CRIMINAL PROCEDURE, 1973) की धारा 197 (2) के तहत वन्य कर्मचारियों को प्रतिरक्षा के लिये हथियारों का इस्तेमाल करने की अनुमति प्रदान की गई है|
→ काजीरंगा नेशनल पार्क में अवैध शिकार को रोकने के लिये अतिरिक्त सहायता प्रदान की गई है, जिसमें असम वन सुरक्षा बल के 423 कर्मी तथा 125 होमगार्डों की भी तैनाती की गई है|
→ इसके अतिरिक्त, सीमावर्ती कर्मचारियों को भी पहले की अपेक्षा और अधिक आधुनिक हथियार मुहैया कराए जाने का कार्य किया जा रहा है|
→ इतना ही नहीं, राज्य सरकार से संबंधित विभागों के सदस्यों तथा तकनीकी विशेषज्ञों के साथ मिलकर अलग से एक समिति के द्वारा काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के सीमावर्ती क्षेत्रों में बेहतर संरक्षण के लिये विस्तृत रूप से ढाँचागत विकास करने में सहायता प्रदान करने का कार्य किया जाएगा|