अंतर्राष्ट्रीय संबंध
कोरोना बॉण्ड: अर्थव्यवस्था बचाने की मुहिम
- 15 Apr 2020
- 13 min read
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में कोरोना बॉण्ड और यूरोपीय संघ पर पड़ने वाले प्रभावों पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।
संदर्भ
वैश्विक महामारी COVID-19 के प्रसार को रोकने हेतु विश्व के लगभग सभी देशों में पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से लॉकडाउन की व्यवस्था को अमल में लाया गया है। लॉकडाउन के कारण देश के भीतर होने वाला या एक देश का दूसरे देश से होने वाला आर्थिक संव्यवहार पूरी तरह से ठप्प है, जिसके कारण प्रत्येक देश की अर्थव्यवस्था संकट के दौर से गुज़र रही है। लोगों के समक्ष खाद्य और रोज़गार का संकट है। संकट के इस दौर में प्रत्येक देश अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिये विभिन्न वैकल्पिक साधनों को अपना रहे हैं। यूरोपीय संघ और यूरोज़ोन भी यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिये इन वैकल्पिक साधनों के प्रयोग को लेकर तत्पर हैं। इन वैकल्पिक साधनों में सामूहिक ऋण प्रपत्र अर्थात कोरोना बॉण्डस प्रमुख हैं।
इस आलेख में अर्थव्यवस्था को संकट के इस दौर से निकालने के लिये जारी किये गए कोरोना बॉण्ड और उसकी कार्यप्रणाली तथा इससे प्राप्त होने वाले लाभ और हानि के बारे में विमर्श किया जाएगा। इसके अतिरिक्त अर्थव्यवस्था को बचाने के लिये किये जाने वाले अन्य आर्थिक उपायों की भी समीक्षा की जाएगी।
बॉण्ड से तात्पर्य?
- बॉण्ड एक ऋण निवेश प्रपत्र होता है। जो किसी देश की सरकार या कार्पोरेट कंपनी द्वारा निवेशकों के लिये जारी किये जाते हैं।
- सरकार या कंपनी पूंजी जुटाने के उद्देश्य से बाज़ार से मुद्रा ऋण लेने के लिये बॉण्ड जारी करती है।
- बॉण्ड जारीकर्त्ता निवेशकों से ऋण में ली गई मुद्रा के बदले में निवेशकों को ऋण प्रपत्र के रूप में बॉण्ड जारी करता है।
- बॉण्ड जारीकर्त्ता निवेशक से एक निश्चित ब्याज दर पर निर्धारित समय के लिये ऋण लेता है।
- सरल शब्दों में बॉण्ड जारीकर्त्ता परिपक्वता की निर्धारित तिथि पर निवेशक की राशि को चुकाने का वायदा करता है और निर्धारित तिथि के लिये उधार ली गई राशि पर निवेशक को ब्याज का भुगतान करता है।
क्या है कोरोना बॉण्ड?
- कोरोना बॉण्ड यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के बीच एक सामूहिक ऋण प्रपत्र होगा, जिसका उद्देश्य यूरोजोन देशों के कोरोना वायरस पीड़ितों को वित्तीय राहत प्रदान करना है।
- यह यूरोपीय संघ द्वारा सभी राज्यों के सामूहिक रूप से लिये गए ऋण के साथ यूरोपीय निवेश बैंक द्वारा प्राप्त निधियों को पारस्परिक रूप से जोड़ा जाएगा और आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।
- कोरोनोवायरस महामारी ने यूरोज़ोन देशों के बीच संयुक्त रूप से स्वास्थ्य संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने के लिये ऋण जारी करने और पालन करने के लिये निर्धारित गहरी आर्थिक मंदी को दूर करने के बारे में एक तीक्ष्ण बहस को पुनर्जीवित किया है।
- यूरो मुद्रा का प्रयोग करने वाले 19 देशों में से 9 देशों ने सामूहिक ऋण प्रपत्र के प्रस्ताव को स्वीकार किया है।
- दूसरी ओर इस तरह के सामूहिक ऋण प्रपत्र के विचार, जिसे ‘कोरोना बॉण्डस’ कहा जाता है को जर्मनी, नीदरलैंड, फिनलैंड और ऑस्ट्रिया द्वारा अस्वीकार कर दिया गया है। इन देशों के समूह को फ्रूगल फोर (Frugal Four) कहते हैं।
यूरोपीय संघ
- यूरोपीय संघ 27 देशों की एक आर्थिक और राजनीतिक सहभागिता है। ये 27 देश संधि के द्वारा एक संघ के रूप में जुड़े हुए हैं जिससे कि व्यापार आसानी से हो सके और लोग एक-दूसरे से कोई विवाद न करें क्योंकि अर्थव्यवस्था का एक सिद्धांत है कि जो देश आपस में जितना ज़्यादा व्यापार करते हैं उनकी लड़ाई होने की संभावना उतनी ही कम हो जाती है।
- यही कारण है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यूरोप में यह कोशिश की गई कि सभी देश आर्थिक रूप से एक साथ आएँ और एकजुट होकर एक व्यापार समूह का हिस्सा बनें।
- इसी व्यापार समूह की वज़ह से आगे चलकर वर्ष 1993 में यूरोपीय संघ का जन्म हुआ। वर्ष 2004 में जब यूरो मुद्रा लॉन्च की गई तब यह पूरी तरह से राजनीतिक और आर्थिक रूप से एकजुट हुआ।
- यूरोपीय संघ मास्ट्रिच संधि द्वारा बनाया गया था, जो 1 नवंबर, 1993 को लागू हुई थी।
- एकल बाज़ार सिद्धांत (Single Market Principle) अर्थात् किसी भी तरह का सामान और व्यक्ति बिना किसी टैक्स या बिना किसी रुकावट के कहीं भी आ-जा सकते हैं एवं लोग बिना रोक टोक के नौकरी, व्यवसाय तथा स्थायी तौर पर निवास कर सकते हैं। फ्री मूवमेंट ऑफ़ पीपल एंड गुड्स यूरोपीय संघ की खासियत है।
फ्रूगल फोर बनाम प्रो बॉण्डस विवाद
- यूरोज़ोन के 9 देशों ने एक सामूहिक ऋण प्रपत्र जारी करने का आह्वान किया था जिनमें स्पेन, इटली, फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमबर्ग, आयरलैंड, पुर्तगाल, ग्रीस और स्लोवेनिया हैं।
- 9 देशों ने यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने यूरोपीय संस्था द्वारा जारी किये गए एक सामूहिक ऋण प्रपत्र पर कार्य करने की आवश्यकता पर बल देने की बात की।
- यूरोज़ोन के 9 देशों ने सामूहिक ऋण प्रपत्र को स्वीकृति देने का निवेदन किया वहीँ यूरोज़ोन के अपेक्षाकृत रूप से संपन्न राष्ट्रों ने सामूहिक ऋण प्रपत्र का विरोध किया।
- इन संपन्न राष्ट्रों का मानना है कि कोरोना बॉण्डस के कारण उनकी अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त दबाव उत्पन्न हो जाएगा।
- जबकि सामूहिक ऋण प्रपत्र का समर्थन करने वाले देशों का मानना है कि जर्मनी, फिनलैंड आस्ट्रिया तथा नीदरलैंड जैसे देशों ने यूरोपीय संघ से सर्वाधिक आर्थिक लाभ प्राप्त किया है, ऐसे में यह उन देशों का नैतिक कर्तव्य है कि वह इस संकट की घड़ी में यूरोज़ोन के अपेक्षाकृत कमज़ोर देशों को आर्थिक सहायता प्रदान करें।
- सामूहिक ऋण प्रपत्र का समर्थन करने वाले देशों को प्रो बॉण्डस कंट्री कहा गया तो वहीँ इसका विरोध करने वाले देशों को फ्रूगल फोर कंट्री कहा गया।
यूरोपीय संघ द्वारा घोषित किये गए आर्थिक उपाय
- कोरोना वायरस की चुनौती से निपटने के लिये यूरोपीय संघ ने 540 बिलियन यूरो का आर्थिक पैकेज जारी किया है।
- यूरोपीय संघ ने आपातकालीन क्रेडिट लाइन खोलने, यूरोपीय निवेश बैंक की उधार क्षमता बढ़ाने और यूरोपीय आयोग की 100 बिलियन यूरो की बेरोज़गारी बीमा योजना को लागू करने का भी निर्णय किया है।
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यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने अगले 9 महीनों में 750 बिलियन यूरो की राशि के साथ परिसंपत्ति खरीद कार्यक्रम का विस्तार करने का निर्णय लिया है।
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यूरोपीय संघ ने संपन्न सदस्य राष्ट्रों से कोरना वायरस से अत्यधिक पीड़ित अन्य सदस्य राष्ट्रों की सहायता करने की भी अपील की है।
यूरोज़ोन
- वर्ष 1998 में यूरोपीय संघ के 11 सदस्य राष्ट्रों ने यूरोज़ोन के मानदंडों को पूरा किया जिससे यूरोज़ोन अस्तित्व में आया।
- यूरोज़ोन का आधिकारिक शुभारंभ 1 जनवरी 1999 को हुआ।
- यूरोज़ोन 27 यूरोपीय संघ के सदस्य राष्ट्रों में से 19 राष्ट्रों का एक मौद्रिक संघ है जिसने यूरो को मुद्रा के एकमात्र कानूनी निविदा के रूप में अपनाया है।
- इसमें ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, साइप्रस, एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, आयरलैंड, इटली, लातविया, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, माल्टा, नीदरलैंड्स, पुर्तगाल, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया और स्पेन शामिल हैं।
लाभ
- कोरोना बॉण्ड का लाभ यह है कि वे यूरोपीय देशों को आवश्यक वित्तीय सहायता प्राप्त करने की सुविधा देंगे।
- कोरोना वायरस से अत्यधिक प्रभावित देश अपने राष्ट्रीय ऋण का विस्तार किये बिना आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
- यूरोपीय संघ के सदस्य राष्ट्रों द्वारा एकता के प्रदर्शन से यूरोप के सभी राष्ट्रों के बीच इस संकट से निकलने का विश्वास मज़बूत होगा।
हानियाँ
- कोरोना बॉण्ड का एक नुकसान यह है कि यह सदस्य राष्ट्रों की आवश्यक रूप से ऋण वहनीयता की शक्ति में वृद्धि नहीं करेगा।
- यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के बीच एक सामूहिक ऋण प्रपत्र के कार्यान्वयन में भी बहुत समय लग सकता है। यह देरी उन देशों के लिये उचित नहीं है, जिन्हें तत्काल आर्थिक सहायता की आवश्यकता है।
- फ्रूगल फोर देशों का किया जाने वाला विरोध यूरोपीय संघ के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। ऐसे में इस आशंका को भी बल मिलता है कि ब्रिटेन की भांति कहीं अन्य देश भी यूरोपीय संघ से अलग होने का निर्णय न कर लें।
निष्कर्ष
कोरोना बॉण्ड को लेकर उत्पन्न विवाद मुख्य रूप से अधिकार व कर्त्तव्यों के मध्य संघर्ष का परिणाम है। जहाँ एक ओर इटली जैसे राष्ट्र हैं जो इस महामारी से अधिक संकटग्रस्त हैं तथा सहायता हेतु प्रयासरत हैं। वहीँ दूसरी ओर जर्मनी जैसे राष्ट्र हैं जो इस संकट से कम प्रभावित हैं, परंतु अन्य देश की आर्थिक सहायता करने का बोझ स्वयं पर नहीं लेना चाहते हैं। पूर्व में इस प्रकार की सामूहिक ऋण प्रक्रिया ब्रेक्ज़िट जैसे संकट को भी जन्म दे चुकी है। अतः यह आवश्यक है कि इस प्रकार के संवेदनशील मुद्दों पर अधिक सावधानी रखी जाए। इस समय सभी राष्ट्रों को यह समझना होगा कि राष्ट्र हित, मानवीय हितों से बढ़कर नहीं हो सकता है। इस संकट को सामूहिक प्रयत्न से ही दूर किया जा सकता है।
प्रश्न- कोरोना बॉण्ड से आप क्या समझते हैं? यूरोपीय संघ द्वारा घोषित किये गए आर्थिक उपाय के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख करते हुए बताएँ कि कोरोना बॉण्डस यूरोपीय संघ को किस प्रकार प्रभावित कर सकते हैं।