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सर्वसुलभ स्वास्थ्य सुविधाओं हेतु ‘नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति’

  • 19 Mar 2017
  • 17 min read

सन्दर्भ

भारत सरकार  ने राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य नीति 2017 को अनुमोदित कर दिया है । स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य नीति 2017 बनाई है जिसे स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने संसद में प्रस्तुत किया | मंत्रिमंडल ने गुरुवार 16  मार्च को राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति को मंजूरी दी थी | यह देश के स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र के इतिहास में बहुत बड़ी उपलब्‍धि है । नई स्वास्थ्य नीति के व्‍यापक सिद्धांत-  व्‍यावसायिकता, सत्‍यनिष्‍ठा और नैतिकता, निष्‍पक्षता, सामर्थ्‍य, सार्वभौमिकता, रोगी केन्‍द्रित तथा परिचर्या गुणवत्‍ता, जवाबदेही और बहुलवाद पर आधारित हैं ।

प्रमुख बिंदु

  • स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए नीति बनाना बहुत चुनौतीपूर्ण कार्य है। दरअसल इसकी पृष्ठभूमि में यह निहित है  कि लोगों के पास स्वास्थ्य पर पैसा खर्च करने की क्षमता कम है और स्वास्थ्य सेवाएँ बहुत महंगी हैं।
  • हालाँकि भारत में सरकारी अस्पतालों में विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाओं सहित प्रसव, और नवजात शिशुओं की देखभाल जैसी कुछ सेवाएं मुफ्त भी दी जाती हैं लेकिन इसके बावजूद व्यक्ति को अपनी जेब से बहुत पैसा देना पड़ता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रति व्यक्ति मासिक आय के अनुपात में स्वास्थ्य सेवाओं पर, ग्रामीण इलाकों में 6.9 प्रतिशत और शहरी इलाकों में 5.5 प्रतिशत लोगों को स्वयं भी खर्च करना पड़ता है। 
  • इन सब बातों को मद्देनज़र रखते हुए नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता दिये जाने के साथ-साथ स्वास्थ्य खर्च को समयबद्ध ढंग से जीडीपी के 2.5 प्रतिशत तक बढ़ाने तथा सार्वजनिक अस्पतालों में नि:शुल्क दवाइयाँ मुहैया कराने एवं अनिवार्य स्वास्थ्य देखभाल पर जोर दिया गया है।
  • स्वास्थ्य नीति के तहत अगले पाँच वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत जनस्वास्थ्य पर खर्च किया जाएगा जो मौजूदा 1 प्रतिशत के स्तर से अधिक है। 
  • 2017 के बजट में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए उल्लेखनीय इजाफा किया गया है। इसमें 2016-17 में 3706.55 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 47352.51 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इस प्रकार इसमें 27 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की गई है। 
  • ध्यातव्य है कि नई स्वास्थ्य  नीति के तहत सरकार ने 2017 में कालाजार और फाइलेरिया, 2018 तक कुष्ठ रोग, 2020 तक खसरा और 2025 तक तपेदिक का उन्मूलन करने की कार्ययोजना तैयार की है | हृदयवाहिका रोग, कैंसर, मधुमेह या श्वांस संबंधी पुराने रोगों से होने वाली अकाल मृत्यु दर को साल 2025 तक घटाकर 25 प्रतिशत करने की बात कही गई है एवं गैर संचारी रोगों की उभरती चुनौतियों से निपटने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है |
  • वर्ष 2022 तक प्रमुख रोगों की व्याप्तता तथा इसके रूझान को मापने के लिए अशक्तता समायोजित आयु वर्ष (डीएएलवाई) सूचकांक की नियमित निगरानी की जायेगी |
  • विदित हो कि नई स्वास्थ्य नीति में जन्म से संबंधित जीवन प्रत्याशा को 67.5 साल से बढ़ाकर साल 2025 तक 70 साल करने का लक्ष्य, अकाल मृत्यु दर को 25% कम करने, साल 2025 तक पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों में मृत्यु दर को कम करके 23 का लक्ष्य रख गया है | नवजात शिशु मृत्यु दर को घटाकर 16 करना तथा मृत जन्म वाली शिशु दर को वर्ष 2025 तक घटाकर ‘एक अंक’ में लाना है|
  • नई स्वास्थ्य नीति में साल 2025 तक दृष्टिहीनता की व्याप्तता घटाने और इसके रोगियों के वर्तमान स्तर को घटाकर एक तिहाई करने का प्रस्ताव किया गया है | 
  • इसमें प्राथमिक परिचर्या के लिए संसाधनों के व्यापक अनुपात अर्थात दो तिहाई या इससे अधिक आवंटन की अनुशंसा की गई है| 
  • इसका उद्देश्य प्रति 1000 आबादी के लिए 2 बिस्तरों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है ताकि किसी आपात स्थिति में जरूरत पड़ने पर इसे असानी से उपलब्ध कराया जा सके| 
  • इस नीति में उपलब्धता तथा वित्तीय सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए सभी सार्वजनिक अस्पतालों में नि:शुल्क दवाइयाँ, नि:शुल्क निदान तथा नि:शुल्क आपात एवं अनिवार्य स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ  प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया है |

आसन्न मुद्दे 

  • गौरतलब है कि यह नीति समन्वित दृष्टिकोण का समर्थन करती है जिसमें रूग्णता को कम करने और रोकी जा सकने वाली मृत्यु के मामलों पर पर्याप्त प्रभाव पड़ेगा |
  • नीति में आयुष प्रणाली के त्रि-आयामी एकीकरण की परिकल्पना की गई है जिसमें क्रॉस रेफरल, सह-स्थल और औषधियों की एकीकृत पद्धतियाँ शामिल हैं | 
  • ध्यातव्य है कि सरकार देशभर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान जैसे कई संस्थान खोलने पर विशेष जोर दे रही है। 2017 के बजट में झारखंड और गुजरात में 2 नए आयुर्विज्ञान संस्थान खोले जाने का प्रस्ताव किया गया है। इस कदम से सार्वजनिक क्षेत्र में शानदार चिकित्सा सेवा संभव हो जाएगी।
  • पहले, दूसरे और तीसरे स्तर की चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए अतिरिक्त संसाधनों का प्रावधान किया जा रहा है। इसके तहत सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने का रोडमैप तैयार किया जायेगा।
  • भारत की स्वास्थ्य सुविधाओं में मानव संसाधन अत्यंत महत्वपूर्ण घटक है। भारत सरकार ने चिकित्सा सुविधा और अभ्यास संबंधी नियमों में बदलाव लाने के लिए भी आवश्यक कदम उठाने का संकेत दिया है। देश में बढ़ी हुई स्नात्कोत्तर सीटों की उपलब्धता और एक केंद्रीय प्रवेश प्रणाली जैसे सुधारों ने चिकित्सा सुविधा की गुणवत्ता बढ़ाई है।
  • 2017 के बजट में प्रति वर्ष स्नात्कोत्तर की 5 हजार सीटों की व्यवस्था बनाए जाने का प्रस्ताव है ताकि दूसरे और तीसरे स्तर की स्वास्थ्य सुविधा को मजबूत करने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक मिल सकें। 
  • नीति में मध्‍य स्‍तरीयसेवा प्रदायक कैडर,नर्स प्रेक्‍टिशनरों,जन स्‍वास्‍थ्‍य कैडर का विकास करने की अनुशंसा की गई है ताकि उपयुक्‍त मानव संसाधन की उपलब्‍धता में सुधार हो सके ।
  • ध्यातव्य है कि नई स्वास्थ्य नीति में रोगों की प्रभावी रोकथाम और चिकित्सा करने की व्यापक क्षमता पर जोर दिया गया है जो सुरक्षित और किफायती है |
  • इसके अतिरिक्त नई नीति के तहत योग को अच्छे स्वास्थ्य संवर्धन के भाग के रूप में स्कूलों एवं कार्यस्थलों में अधिक व्यापक ढंग से लागू किया जायेगा| 
  • विनियामक परिवेश में सुधार करने और उसे सुदृढ़ बनाने के लिए नीति में मानक तय करने के लिए प्रणालियां निर्धारित करने तथा स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की परिकल्पना की गई है|
  • औषधियों तथा चिकित्सा शिक्षा में सुधार करने की अपेक्षा की गई है। 
  • यह नीति व्यक्ति आधारित है जिसके अंतर्गत चिकित्सा परिचर्या चाहने वाले रोगियों को उनकी सभी समस्याओं का निदान करने का अधिकार प्रदान किया गया है|
  • नीति में स्वास्थ्य सुरक्षा का समाधान करने और औषधियों एवं उपकरणों के लिए मेक इन इंडिया को लागू करने की परिकल्पना की गई है | 
  • नई स्वास्थ्य नीति में नीतिगत लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक समयबद्ध कार्यान्वयन ढांचा लागू करने की परिकल्पना की गई है | इसमें स्वास्थ्य एवं आरोग्यता केंद्रों के माध्यम से सुनिश्चित व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल का बड़ा पैकेज प्रदान करने की परिकल्पना करते हुए प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पर जोर दिया गया है जो व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पैकेज में महत्वपूर्ण परिवर्तन को दर्शाता है |
  • नीति में निजी क्षेत्र के साथ सुदृढ़ भागीदारी करने की परिकल्पना की गई है | जिसके अंतर्गत स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश, स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं का प्रबंधन एवं वित्तपोषण, चिकित्सा प्रौद्योगिकी उपलब्धता, मानव संसाधन का विकास करने तथा वित्तीय सुरक्षा कार्यनीतियां बनाने आदि पर बल दिया गया है|
  • नई स्वास्थ्य नीति में यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है कि स्वास्थ्य संबंधी अधिकतर उपकरणों का ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत भारत में ही निर्माण किया जाए| 

सभी को निश्चित स्वास्थ्य सुविधाएँ 

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति सभी को नि:शुल्क दवाइयाँ  और निश्चित स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करेगी और इसका उद्देश्य स्वास्थ्य पर आने वाला खर्च कम करना है | 

  • नई नीति स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देती है और इसमें रोगों के उन्मूलन के लिए लक्ष्योन्मुखी प्रतिबद्धता है जिसके लिए क्रियान्वयन का खाका भी खींचा गया है |
  • नई स्वास्थ्य नीति के तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल मानक संगठन का सृजन किया जाएगा, जो स्वास्थ्य देखभाल के लिए दिशानिर्देश और प्रोटोकोल तैयार करेगा |
  • विवादों और शिकायतों के त्वरित समाधान के लिए एक अलग सशक्त न्यायाधिकरण की स्थापना का भी प्रावधान है |
  • नई नीति से देश के सभी नागरिकों खासतौर से समाज के वंचित वर्गों के लिए गुणवत्ता युक्त स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य व्यय को समयबद्ध ढंग से लाने का प्रस्ताव है। इसके लिए निजी सरकारी भागीदारी पर जोर दिया जाएगा । 
  • नीति का मूल लक्ष्य समाज के सभी वर्गों के लिए स्वास्थ्य और कल्याण का उच्चतम संभव स्तर प्राप्त करना और किसी भी प्रकार की वित्तीय कठिनाई के बिना गुणवत्ता युक्त स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करना है । 
  • यह नीति स्वास्थ्य विशेषज्ञों और पेशेवर लोगों द्वारा तैयार की गई है। इसमें देश के स्वास्थ्य परिवेश में सुधार के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा का समाधान करने तथा औषधियों और उपकरणों के लिए मेक इन इंडिया को लागू करने की परिकल्पना की गई है । 
  • नीति में विशिष्‍ट मात्रात्‍मक लक्ष्‍यों को भी निर्धारित किया गया है,जिनका उद्देश्‍य 3 व्‍यापक घटकों अर्थात् स्‍वास्‍थ्‍य स्‍थिति और कार्यक्रम प्रभाव, स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली निष्‍पादन, तथा स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली का सुदृढ़ीकरण के द्वारा बीमारियों को कम करना है जो नीतिगत उद्देश्‍यों के अनुरूप हों । 
  • पिछली राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य नीति 2002 में बनाई गई थी। इस प्रकार, यह नीति बदलते सामाजिक-आर्थिक, प्रौद्योगिकीय और महामारी-विज्ञान परिदृश्‍य में मौजूदा और उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए 15 साल के अंतराल के बाद अस्‍तित्‍व में आई है।
  • नीति में रोकथाम और स्‍वास्‍थ्‍य संवर्धन पर बल देते हुए रुग्‍णता-देखभाल की बजाय आरोग्‍यता पर ध्‍यान केन्‍द्रित करने की अपेक्षा की गई है। हालांकि नीति में जन स्‍वास्‍थ्‍य प्रणालियों की दिशा बदलने तथा उसे सुदृढ़ करने की मांग की गई है, इसमें निजी क्षेत्र से कार्यनीतिक खरीद पर विचार करने और राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने में अपनी शक्‍तियों का इस्‍तेमाल करने की भी नए सिरे से अपेक्षा की गई है। 

निष्कर्ष 

नई स्वास्थ्य नीति में सभी आयामों जैसे - स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में निवेश, स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल सेवाओं का प्रबंधन और वित्‍त-पोषण करने, विभिन्‍न क्षेत्रीय कार्रवाई के जरिए रोगों की रोकथाम और अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने, चिकित्‍सा प्रौद्योगिकी उपलब्‍ध कराने, मानव संसाधन का विकास करने, चिकित्‍सा बहुलवाद को प्रोत्‍साहित करने, बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अपेक्षित ज्ञान आधार बनाने, वित्‍तीय सुरक्षा कार्यनीतियाँ बनाने तथा स्‍वास्‍थ्‍य के विनियमन और उत्तरोत्तर विकास  के संबंध में स्‍वास्‍थ्‍य प्रणालियों को आकार देने में सरकार की भूमिका और प्राथमिकताओं की जानकारी दी गई है । इस रूप में नई स्वास्थ्य नीति सैद्धांतिक स्तर पर सभी पहलुओं को छूने का प्रयास करती है | चूंकि इस नीति का उद्देश्‍य सभी लोगों, विशेषकर अल्‍पसेवित और उपेक्षित लोगों को सुनिश्चित स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल उपलब्‍ध कराना है अतः  इसकी सफलता निश्चित रूप से क्रियान्वयन के स्तर पर ही सामने आ सकेगी किन्तु  फिलहाल यह स्वास्थ्य के क्षेत्र में उम्मीद की नई किरण तो लेकर आई ही है |

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