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नए CIC के तहत केंद्रीय सूचना आयोग

  • 05 Jan 2019
  • 9 min read

संदर्भ


हाल ही में देश के केंद्रीय सूचना आयोग (Central Information Commission) में सुधीर भार्गव की नियुक्ति मुख्य सूचना आयुक्त (Chief Information Commissioner) के पद पर की गई। वह 2015 से सूचना आयुक्त के पद पर काम कर रहे थे। उनके साथ 4 अन्य सूचना आयुक्त भी नियुक्त किये गए हैं। अब आयोग में कुल 7 सदस्य हो गए हैं, जबकि अधिकतम स्वीकृत संख्या 11 है। शेष अन्य चार सदस्यों की नियुक्ति के लिये केंद्र सरकार ने विज्ञापन जारी कर आवेदन मांगे हैं।

सूचना का अधिकार कानून के तहत हुआ गठन


भारत सरकार ने देश के नागरिकों को सरकारी क्रियाकलापों की जानकारी देने और उस जानकारी का अधिक प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करने के लिये सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 अधिनियमित किया। इसे 15 जून, 2005 को राष्ट्रपति ने स्वीकृति दी और इसी वर्ष 12 अक्तूबर को यह देशभर में लागू हो गया। सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत केंद्रीय सूचना आयोग का गठन किया गया था। वजाहत हबीबुल्लाह देश के पहले मुख्य सूचना आयुक्त बनाए गए थे। सुधीर भार्गव नौवें मुख्य सूचना आयुक्त हैं।

केंद्रीय सूचना आयोग की प्रमुख शक्तियाँ और कार्य?

  • केंद्रीय सूचना आयोग की शक्तियों और कार्यों का उल्लेख सूचना अधिकार अधिनियम की धारा 18, 19, 20 और 25 में किया गया है।
  • इनमें मुख्य रूप से सूचना आवेदन दाखिल करने में असमर्थता आदि तथ्यों पर आधारित शिकायतों को प्राप्त करना और उनकी जाँच करना; सूचना प्रदान करने के लिये पुनः अपील का न्याय-निर्णयन करना प्रमुख है।
  • इसके अलावा डॉक्यूमेंट्स के रख-रखाव के लिये निर्देश, स्वप्रेरणा से प्रकटन, RTI दाखिल करने में असमर्थता पर शिकायतों की प्राप्ति और जाँच आदि भी इसके कार्यों में शामिल है।
  • साथ ही आर्थिक दंड और अनुश्रवण तथा प्रतिवेदन आदि से जुड़ी शक्तियाँ भी आयोग में निहित हैं।
  • आयोग के निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होते हैं, लेकिन इन्हें हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।

केंद्रीय सूचना आयोग की संरचना

  • सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अध्याय-3 में केंद्रीय सूचना आयोग तथा अध्याय-4 में राज्य सूचना आयोगों के गठन का प्रावधान है।
  • इस कानून की धारा-12 में केंद्रीय सूचना आयोग के गठन, धारा-13 में सूचना आयुक्तों की पदावधि एवं सेवा शर्ते तथा धारा-14 में उन्हें पद से हटाने संबंधी प्रावधान किये गए हैं।
  • केंद्रीय सूचना आयोग में एक मुख्य सूचना आयुक्त तथा अधिकतम 10 केंद्रीय सूचना आयुक्तों का प्रावधान है और इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • ये नियुक्तियाँ प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बनी समिति की अनुशंसा पर की जाती है, जिसमें लोकसभा में विपक्ष का नेता और प्रधानमंत्री द्वारा मनोनीत कैबिनेट मंत्री बतौर सदस्य होते हैं।

DoPT है इसका नोडल मंत्रालय

  • कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) सूचना का अधिकार और केंद्रीय सूचना आयोग का नोडल विभाग हैi।
  • अधिकांश सार्वजनिक उपक्रमों और प्राधिकरणों को RTI अधिनियम के अंतर्गत लाया गया है।
  • केंद्र सरकार के 2200 सरकारी कार्यालयों और उपक्रमों में ऑनलाइन RTI दाखिल करने और उसका जवाब देने की व्यवस्था है।
  • ऐसा इन संस्थानों के कामकाज में अधिकतम पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
  • आधुनिक तकनीक के उपयोग से RTI दाखिल करने के लिये अब एक पोर्टल और एप है, जिसकी सहायता से कोई भी नागरिक अपने मोबाइल फोन से किसी भी समय, कहीं से भी RTI दर्ज कर सकता है।
  • राज्य सरकारों से भी अपने यहाँ RTI पोर्टल शुरू करने की व्यावहारिकता पर विचार करने को कहा गया है।
  • राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NEC) को ऑनलाइन RTI पोर्टल बनाने में राज्य सरकारों की सहायता करने को कहा गया है।

क्या व्यवस्था है सूचना का अधिकार अधिनियम में?

  • सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत सूचना आयोग सूचना पाने संबंधी मामलों के लिये सबसे बड़ा और अंतिम विकल्प है।
  • इस कानून के तहत सबसे पहले आवेदक सरकारी विभाग के लोक सूचना अधिकारी के पास आवेदन करता है।
  • अगर 30 दिनों में जवाब नहीं मिलता है तो आवेदक प्रथम अपीलीय अधिकारी के पास अपना आवेदन भेजता है।
  • अगर यहाँ से भी 45 दिनों के भीतर जवाब नहीं मिलता है तो आवेदक केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग में अपील करता है।
  • इस कानून के तहत केंद्रीय सूचना आयोग द्वितीय अपील और शिकायतों पर सुनवाई करता है। उचित मामलों में केंद्रीय सूचना आयोग लोक सूचना अधिकारी पर जुर्माना भी लगाता है।
  • यदि आयोग को लगता है कि किसी लोक सूचना अधिकारी ने याचिकाकर्त्ता को जान-बूझकर परेशान किया है या जानकारी नहीं दी है तो CIC उस पर 25 हज़ार रुपए तक का जुर्माना लगा सकता है।

प्रमुख अधिकार जो नागरिकों को मिले

  • प्रत्‍येक नागरिक को सरकार से सवाल पूछने का अधिकार
  • सूचना हासिल करने और किसी सरकारी दस्‍तावेज़ की प्रति मांगने का अधिकार
  • किसी सरकारी दस्‍तावेज का निरीक्षण करने का अधिकार
  • सरकार द्वारा किये गए किसी काम का निरीक्षण करने का अधिकार
  • सरकारी कार्य में इस्‍तेमाल सामग्री के नमूने लेने का अधिकार
  • सूचना आयोग के फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का अधिकार

नागरिकों को जागरूक बनाने के लिये वार्षिक सम्मेलन


सूचना का अधिकार के प्रति नागरिकों में जागरूकता उत्पन्न करने के लिये केंद्रीय सूचना आयोग हर वर्ष वार्षिक सम्मेलन का आयोजन करता है। हर वर्ष इसकी थीम यानी विषय भिन्न होता है। इस वर्ष इसका 13वाँ वार्षिक सम्मेलन अकटूबर, 2018 में नई दिल्ली में आयोजित किया गया था। इस बार की थीम ‘डाटा निजता एवं सूचना का अधिकार, सूचना का अधिकार अधिनियम में संशोधन और सूचना का अधिकार अधिनियम का कार्यान्वयन’ थी। इस सम्मलेन का उद्देश्य शासन में सुधार के लिये पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को दुरुस्त बनाने हेतु उपाय सुझाना था।

सूचना का अधिकार यानी Right To Information (RTI) अधिनियम में यह व्यवस्था की गई है कि नागरिक किस प्रकार की सूचना सरकार से मांग सकेंगे और किस प्रकार सरकार जवाबदेह होगी। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य सूचना का अधिकार प्रदान करके लोक प्राधिकरण के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना है।

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