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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

वाहनों को स्वच्छ ईंधन से चलाने की चुनौती

  • 01 May 2019
  • 15 min read

संदर्भ

देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुज़ुकी इंडिया ने अगले वर्ष 1 अप्रैल से डीज़ल कारों की बिक्री बंद करने का फैसला किया है। देश के करीब 51 फीसदी कार बाज़ार पर मारुति का कब्ज़ा है। कंपनी ने 2018-19 में करीब 4 लाख डीज़ल गाड़ियाँ (कुल घरेलू बिक्री का 23 फीसदी) बेची हैं। कंपनी डीज़ल कारें बनाना इसलिये बंद कर रही है क्योंकि अगले साल से लागू होने वाले BS-VI प्रदूषण मानकों से जुड़ी कारों की निर्माण लागत काफी ज़्यादा है, अर्थात् डीज़ल इंजन को BS-VI मानकों के मुताबिक अपग्रेड करने में काफी अधिक खर्च आता है।

कम हो रहा है डीज़ल कारों के प्रति आकर्षण

  • हालाँकि, डीज़ल ने दशकों से भारत के वाणिज्यिक परिवहन को संचालित किया है, लेकिन अब कई कारणों से इसके प्रति लोगों की रुचि घट रही है, जिसका एक बड़ा कारण पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों के बीच अंतर का लगातार कम होता जाना है।
  • यूरोप में इसकी शुरुआत हो चुकी है और वहाँ डीज़ल वाहन अपनी चमक खो बैठे हैं। यूरोप डीज़ल कारों का दुनिया का सबसे बड़ा बाज़ार है, लेकिन 2018 के दौरान वहाँ प्रसिद्ध ब्रांड की डीज़ल कारों की बिक्री में भी 20% की गिरावट आई है।
  • वहाँ अनिवार्य और सुझावात्मक तरीकों से कार-मालिकों को पेट्रोल तथा अन्य वैकल्पिक ईंधनों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है।
  • कारों, बसों और मालवाहक वाहनों में डीज़ल के इस्तेमाल से होने वाले प्रदूषण ने डीज़ल को अस्वच्छ ईंधन की श्रेणी में रख दिया है। यह भी एक बड़ा कारण है कि ऑटो कंपनियाँ डीज़ल वाहनों को अपग्रेड करने के कार्य को घाटे के सौदे के रूप में देखती हैं।
  • मारुति सुज़ुकी के निर्णय को इस परिप्रेक्ष्य में देखने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि डीज़ल कार बाज़ार का एक मज़बूत खिलाड़ी होने के बावजूद वह इनसे किनारा कर रहा है। ऐसे में जहाँ तक व्यक्तिगत वाहनों (कारों) का संबंध है, डीज़ल वाहनों का भविष्य उजला तो हर्गिज़ नहीं दिखाई दे रहा।
  • वायु की गुणवत्ता और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव के लिये इस निर्णय का स्वागत किया जाना चाहिये।

बेहतर ईंधन है BS- VI

  • दिल्ली में वायु के बेहद खराब स्तर के मद्देनज़र तय समय से पहले ही BS- VI ईंधन उपलब्ध कराया जा रहा है।
  • वर्तमान BS- IV ईंधन की तुलना में BS- VI में सल्‍फर का स्‍तर पाँच गुना कम होता है यानी सल्फर के उत्सर्जन में 80% तक की कमी होगी।
  • इसी वज़ह से  BS- VI ईंधन को अत्‍यंत स्‍वच्‍छ माना गया है। इससे सड़कों पर चलने वाले वर्तमान वाहनों, यहाँ तक कि पुराने वाहनों से होने वाला प्रदूषण भी काफी कम हो जाएगा।
  • माना जा रहा है कि BS- VI ईंधन CNG जैसा स्‍वच्‍छ है और कुछ मायनों में तो यह CNG से भी ज्‍यादा स्‍वच्‍छ है। सरकार ने 1 अप्रैल, 2020 तक देश भर में BS- VI ईंधन उपलब्‍ध कराने की योजना बनाई है।
  • हालाँकि, इस तरह के उन्‍नत ईंधन की उपलब्‍धता का पूर्ण लाभ उठाने के लिये वाहनों की प्रौद्योगिकी को BS- VI के अनुरूप करना होगा।
  • सड़कों पर चलने वाले वाहनों को यदि BS- VI के अनुरूप न किया गया, तो BS- VI ईंधन का उपयोग शुरू करने से केवल आंशिक लाभ ही प्राप्त हो पाएगा।
  • बीएस- VI ईंधन का उपयोग शुरू करने के साथ ही भारत जापान, दक्षिण कोरिया, हॉन्गकॉन्ग, ऑस्‍ट्रेलिया, न्‍यूज़ीलैंड, फिलीपींस और चीन जैसे एशिया-प्रशांत के देशों में शामिल हो गया है। इनमें से चीन केवल भारी वाहनों में ही बीएस- VI ईंधन का इस्तेमाल कर रहा है।

उन्नत मोटर ईंधन प्रौद्योगिकी गठबंधन कार्यक्रम

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के तहत उन्नत मोटर ईंधन प्रौद्योगिकी गठबंधन कार्यक्रम (Advanced Motor Fuels Technology Collaboration Programme-AMF TCP) के सदस्य के रूप में भारत 9 मई, 2018 को इस कार्यक्रम के सदस्य के रूप में जुड़ा था। AMF TCP अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की रूपरेखा के तहत काम करता है।

क्या है AMF TCP?

  • यह स्वच्छ एवं अपेक्षाकृत अधिक ऊर्जा दक्ष ईंधनों एवं वाहन प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से संबंधित देशों के बीच सहयोग के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म है। AMF TCP की गतिविधियाँ अनुसंधान एवं विकास, उन्नत मोटर ईंधनों के उपयोग एवं प्रचार-प्रसार से जुड़ी हुई हैं। इसके तहत उत्पादन, वितरण और संबंधित पहलुओं के अंतिम उपयोग को ध्यान में रखते हुए सुव्यवस्थित ढंग से परिवहन ईंधन से जुड़े मुद्दों पर विचार किया जाता है।
  • भारत सरकार का पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय उन्नत मोटर ईंधन प्रौद्योगिकी गठबंधन कार्यक्रम से जुड़ा इसका 16वाँ सदस्य है। अमेरिका, चीन, जापान, कनाडा, चिली, इज़राइल, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, स्वीडन, फिनलैंड, डेनमार्क, स्पेन, दक्षिण कोरिया, स्विट्ज़रलैंड और थाईलैंड इस कार्यक्रम के अन्य सदस्य हैं।
  • पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय का AMF TCP से जुड़ने का मुख्य लक्ष्य उन्नत मोटर ईंधनों/वैकल्पिक ईंधनों को बाज़ार में पेश करने की व्यवस्था को सुविधाजनक बनाना है, ताकि उत्सर्जन कम हो और परिवहन क्षेत्र में उच्च ईंधन दक्षता हासिल की जा सके।
  • उन्नत मोटर ईंधन प्रौद्योगिकी गठबंधन कार्यक्रम से ईंधन का विश्लेषण करने, परिवहन क्षेत्र में उपयोग के लिये नए/वैकल्पिक ईंधनों की पहचान करने और ईंधन गहन क्षेत्रों में उत्सर्जन में कमी के लिये संबद्ध अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों का पता लगाने के भी अवसर मिलते हैं।  
  • AMF TCP से जुड़ने से प्राप्त होने वाले लाभों में साझा लागत और एकत्रित तकनीकी संसाधन शामिल हैं। इसके चलते प्रयासों में दोहराव की ज़रूरत नहीं पड़ती और साथ ही राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास संबंधी क्षमताएँ मज़बूत होती हैं।
  • इसके परिणामस्वरूप अपनाए जाने वाले सर्वोत्तम तौर-तरीकों से जुड़ी सूचनाओं एवं अनुसंधानकर्त्ताओं के नेटवर्क का आदान-प्रदान होता है तथा साथ ही अनुसंधान को व्यावहारिक कार्यान्वयन से जोड़ना संभव हो पाता है।
  • जीवाश्म ईंधनों के आयात के प्रतिस्थापन में उन्नत जैव ईंधनों और अन्य वाहन ईंधनों की महत्त्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए भारत इस कार्यक्रम का सदस्य बन जाने के बाद इन ईंधनों से संबंधित अपनी रुचि वाले अन्य क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास कार्य शुरू करेगा।
  • वाहनों से होने वाला उत्सर्जन, विशेष रूप से भीड़भाड़ वाले शहरों में स्थिर आर्थिक विकास और वाहनों की अधिक संख्या के कारण बढ़ गया है।
  • उदाहरण के लिये दिल्ली को लें- जब 1998 से चार साल की अवधि के दौरान सार्वजनिक परिवहन के साधनों को कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (CNG) में बदला गया तो इससे वायु की गुणवत्ता में सुधार स्पष्ट देखने को मिला। लेकिन कुल वाहनों की संख्या में हुई वृद्धि, खासकर डीज़ल से चलने वाले वाहनों की संख्या बढ़ने से हालात फिर पहले जैसे हो गए। इसके साथ अन्य प्रदूषणकारी तत्त्वों की मात्रा में भी तेज़ी से इज़ाफा हुआ।
  • वायु गुणवत्ता में लगातार गिरावट को चिह्नित करते हुए एक अध्ययन में पाया गया कि दिल्ली में सड़क पर चलने वाले लोगों को शहर के औसत परिवेश वायु प्रदूषण के स्तर से 1.5 गुना अधिक प्रदूषण का खतरा था।
  • इसके अलावा डीज़ल से होने वाले उत्सर्जन के कुछ अप्रत्यक्ष खतरे भी हैं। बेहद महीन हानिकारक कणों के अलावा वाहनों से निकलने वाला धुआँ सूरज की रोशनी में नाइट्रोजन ऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन से बने ज़मीनी स्तर के ओज़ोन को प्रभावित करता है।

हरित परिवहन ईंधन

ऐसा ईंधन जिससे कम-से-कम प्रदूषण हो और कम खपत के साथ ही वह अच्छा कार्य-प्रदर्शन भी करे तथा उस पर आने वाला खर्च भी तर्कसंगत हो, उसे सहज ही हरित परिवहन ईंधन की श्रेणी में रखा जा सकता है। लेकिन ऐसा ईंधन कौन सा हो सकता है, जिसमें ये सारी विशेषताएँ हों?... पेट्रोल-इलेक्ट्रिक हाइब्रिड, पूरी तरह बिजली से चलने वाली गाड़ी, डीज़ल, प्राकृतिक गैस या बायो ईंधन। सवाल काफी कठिन है। ये सभी ईंधन बहुत-सी संभावनाओं वाले हैं, लेकिन इन सभी के साथ आर्थिक और तकनीकी चुनौतियाँ भी जुड़ी हुई हैं। भविष्य के लिये वैकल्पिक ईंधन का खाका क्या हो, यह अभी स्पष्ट नहीं है।

    • वाहनों को उच्च गुणवत्ता वाले BS VI ग्रेड ईंधन में स्थानांतरित करने की राष्ट्रीय योजना से प्रदूषण को कुछ नियंत्रित तो किया जा सकता है, लेकिन यह केवल तात्कालिक राहत हो सकती है।

    परिवर्तनकारी नियोजन दृष्टिकोण की आवश्यकता

    शहरों में वायु की गुणवत्ता में सुधार के लिये प्रदूषणकारी वाहनों के उपयोग को कम करने के उद्देश्य से निर्देशित एक परिवर्तनकारी नियोजन दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इस तरह की नीति में वाहनों के लिये कम प्रदूषण और वैकल्पिक ईंधन को प्राथमिकता देना तो शामिल होना ही चाहिये और साथ ही पैदल चलने, साइकिल चलाने और सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने को भी प्रोत्साहित करने की व्यवस्था होनी चाहिये। विश्व के कई बड़े शहर इस तरह की नीति पर अमल कर रहे हैं, इनमें से पेरिस, मैड्रिड और एथेंस ने 2025 तक डीज़ल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। इसी के मद्देनज़र लंदन में प्रवेश करने वाले वाहनों से अब भारी शुल्क वसूला जाने लगा है। लेकिन भारत को किसी की नकल करने की ज़रूरत नहीं है, बल्कि हमें अपने लिये उपयोगी और सुलभ राह चुननी होगी।

    राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति-2018

    • भारत सरकार ने राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति-2018 को अधिसूचित किया है, जिसमें उन्नत जैव ईंधनों जैसे- सेकंड जेनेरेशन एथनॉल, जैव-सीएनजी, जैव-मेथनॉल, ड्रॉप-इन ईंधनों इत्यादि के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास पर विशेष ज़ोर देने पर फोकस किया गया है।
    • इन उन्नत ईंधनों को विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट पदार्थों जैसे कि फसल अवशेष, नगर निगम के ठोस कचरे, औद्योगिक अपशिष्ट, अपशिष्ट से निकलने वाली गैसों, खाद्य अपशिष्ट, प्लास्टिक इत्यादि से तैयार किया जा सकता है।
    • वैसे तो इनमें से कुछ उन्नत जैव ईंधनों का सफलतापूर्वक उपयोग कुछ देशों में किया जा रहा है, लेकिन भारत में परिवहन क्षेत्र में इनका उपयोग अभी नहीं हो रहा है। ये उन्नत ईंधन वर्तमान में हमारे देश में विकास के आरंभिक चरणों में हैं।
    • हमारी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु इन ईंधनों को एक लाभप्रद विकल्प बनाने के लिये व्यापक अनुसंधान एवं विकास की ज़रूरत है।

    अभ्यास प्रश्न: “भारत के महानगरों में वाहन उत्सर्जन की वज़ह से प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक हो गया है और वायु की गुणवत्ता बेहद खराब हो चुकी है। BS- VI ईंधन और हरित वाहन ईंधन इसे कम करने में सहायक हो सकते हैं। इसके लिये सरकार के प्रयासों के साथ जनसहयोग भी बेहद आवश्यक है।“ कथन का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।

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