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राष्ट्रीय प्रशिक्षु संवर्द्धन योजना

  • 28 Jan 2017
  • 9 min read

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आदिकाल से ही कौशल का स्‍थानांतरण प्रशिक्षुओं  की परम्‍परा के माध्‍यम से होता आ रहा है। एक युवा प्रशिक्षु एक मास्‍टर दस्‍तकार से कला सीखने की परम्‍परा के तहत काम करेगा, जबकि मास्‍टर दस्‍तकार को बुनियादी सुविधाओं के माध्यम से प्रशिक्षु को प्रशिक्षण देने के बदले में श्रम का एक सस्‍ता साधन प्राप्‍त होगा। कौशल विकास की इस परम्‍परा के द्वारा नौकरी हेतु प्रशिक्षण देना समय की कसौटी पर खरा उतरा है और यही दुनिया के अनेक देशों में कौशल विकास कार्यक्रमों का आधार भी बना है।

प्रमुख बिंदु

  • उल्लेखनीय है कि दुनिया के अनेक देशों में प्रशिक्षुता मॉडल को लागू किया जा रहा है। जापान में 10 मिलियन से अधिक प्रशिक्षु हैं, जबकि जर्मनी में तीन मिलियन, अमेरिका में 0.5 मिलियन प्रशिक्षु हैं, जबकि भारत जैसे विशाल देश में केवल 0.3 मिलियन प्रशिक्षु (Trainee) ही मौजूद  हैं।
  • भारत की वृहद जनसंख्‍या तथा जनसांख्यिकीय लाभांश को देखते हुए देश में 18 से 35 वर्ष की आयु वर्ग के तीन सौ मिलियन लोग मौजूद होने के बावजूद यह संख्‍या बहुत कम है।
  • देश में उपस्थित इसी जनसांख्यिकी लाभांश की क्षमता का आकलन करते हुए भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने कौशल भारत अभियान (Skill India Program) तथा कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (Ministry of Skill Development and Entrepreneurship) का नवंबर, 2014 में गठन किया।
  • इस अभियान का उद्देश्‍य भारत को दुनिया की कौशल राजधानी के रूप में विकसित करना है
  • इसके साथ-साथ देश में प्रशिक्षु के मॉडल को अपनाने की भावना को बढ़ावा देने के लिये निम्न दो प्रमुख कदम भी उठाए गए हैं –प्रशिक्षु अधिनियम (Apprentices Act 1961) में संशोधन तथा प्रशिक्षु प्रोत्‍साहन योजना(Apprenticeship Promotion Scheme) की जगह राष्‍ट्रीय प्रशिक्षु प्रोत्‍साहन योजना (National Apprenticeship Promotion Scheme) की शुरुआत करना।


प्रशिक्षु अधिनियम 1961

  • प्रशिक्षु अधिनियम, 1961 को नौकरी हेतु प्रशिक्षण देने के लिए उपलब्‍ध सुविधाओं का उपयोग करते हुए उद्योग में प्रशिक्षु के प्रशिक्षण को नियमित करने के उद्देश्‍य से विनियमित किया गया था।    
  • इस अधिनियम के तहत नियोक्ताओं के लिये एक अनिवार्य प्रावधान किया गया है| इस प्रावधान के अंतर्गत नियोक्ता प्रशिक्षुओं को उद्योग में काम करने के लिये प्रशिक्षण सुनिश्चित करेंगे ताकि स्कूल छोड़ने वालों और आईटीआई से उत्तीर्ण होने वाले लोगों को बेहतर रोज़गार के अवसर प्राप्त हो सकें। 
  • गौरतलब है कि इनमें स्नातक इंजीनियर, डिप्लोमा और प्रमाणपत्र धारक व्यक्तियों का कुशल श्रम आदि का विकास किया जाएगा।
  • ध्यातव्य है कि पिछले कुछ दशकों के दौरान प्रशिक्षु प्रशिक्षण योजना (Apprenticeship Training Scheme-ATS) का प्रदर्शन भारत की अर्थव्यवस्था के अनुरूप नहीं रहा है| इसके अतिरिक्त यह भी पाया गया है कि उद्योगों में उपलब्ध प्रशिक्षण सुविधाओं का सटीक एवं उचित इस्तेमाल भी नहीं किया जा रहा है, जिसके कारण बेराज़गार युवा एटीएस के लाभ से वंचित रह जाते हैं।
  • गौरतलब है कि एटीएस के विषय में प्राप्त शिकायतों के आधार पर प्रशिक्षु अधिनियम, 1961 के प्रावधानों में वर्ष 2014 में कुछ संशोधन किये गए हैं| इन संशोधनों ने 22 दिसंबर, 2014 से प्रभावी रूप धारण कर लिया है।


संशोधन के बिंदु 

  • नए संशोधनों में यह सुनिश्चित किया गया है कि प्रशिक्षु अधिनियम के तहत अब कारावास का प्रावधान निहित नहीं किया जाएगा (ध्यातव्य है कि इससे पहले 6 माह के कारावास का प्रावधान था)| वर्तमान में यदि कोई व्यक्ति इस अधिनियम में वर्णित प्रावधानों की अवहेलना करता है तो उस पर केवल आर्थिक जुर्माना लगाया जाएगा। 
  • नए संशोधनों में  कामगार की परिभाषा को व्यापक बनाया गया है| साथ ही प्रशिक्षुओं की नियुक्ति की संख्या तय करने के तरीके में भी परिवर्तन किया गया है। इन संशोधनों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि नियोक्ता बड़ी संख्या में प्रशिक्षुओं को नियुक्त करने में कोई आनाकानी न करें। 
  • ध्यातव्य है कि इन संशोधनों में एक वेब पोर्टल बनाने का प्रावधान भी किया गया है ताकि दस्तावेज़ों, संविधाओं और कराधान आदि को इलेक्ट्रानिक रूप से सुरक्षित किया जा सके।
  • वृहद रूप में इन संशोधनों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नियोक्ताओं द्वारा एक बड़ी संख्या में प्रशिक्षुओं की नियुक्ति की जा सके। इसके अलावा संशोधनों के तहत नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने पर भी बल दिया जाएगा ताकि  वे प्रशिक्षु संबंधी अधिनियमों का ईमानदारी से अनुपालन करें।


राष्ट्रीय प्रशिक्षु संवर्द्धन योजना (National Apprenticeship Enhancement Scheme)

  • सरकार ने प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करने और नियोक्ताओं को प्रशिक्षुओं को नियुक्त करने की प्रेरणा देने के लिये 19 अगस्त, 2016 को राष्ट्रीय प्रशिक्षु संवर्द्धनन योजना (National Apprenticeship Enhancement Plan) की शुरुआत की थी।
  • ध्यातव्य है कि इस योजना ने 19 अगस्त, 2016 को प्रशिक्षु प्रोत्साहन योजना (Apprenticeship Incentive Plan-AIP) का स्थान लिया है। इस योजना के तहत प्रशिक्षण और वज़ीफे के संबंध में निम्नलिखित प्रावधान किये गए हैं –

-निर्धारित वज़ीफे के 25 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति, नियोक्ता के लिये अधिकतम 1500 रुपये प्रति माह प्रति प्रशिक्षु सुनिश्चित की गई है|
-नए प्रशिक्षु के संबंध में बुनियादी प्रशिक्षण की लागत को साझा किया जाएगा (विशेषकर उनके लिये जो बिना किसी औपचारिक प्रशिक्षण के सीधे आए थे)| 

निष्कर्ष

गौरतलब है कि एनएपीएस को वर्ष 2020 तक प्रशिक्षुओं की संख्या 2.3 लाख से बढ़ाकर 50 लाख करने के महत्त्वाकांक्षी उद्देश्य के साथ शुरू किया गया था। ध्यातव्य है कि अगस्त माह में योजना के शुरू होने के बाद से अब तक तकरीबन 1.43 लाख छात्र इस योजना के तहत पंजीकृत हो चुके हैं। इस संबंध में सबसे प्रशंसनीय बात यह है कि रक्षा मंत्रालय ने भी इस योजना के लिये अपना समर्थन दिया है। रक्षा मंत्रालय ने अपने अंतर्गत आने वाली सभी पीएसयू कंपनियों को कुल कर्मचारियों में से 10 फीसदी प्रशिक्षु शामिल करने को कहा है।

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