मालाबार नौसैनिक अभ्यास तथा ऑस्ट्रेलिया | 21 Oct 2020
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में मालाबार अभ्यास तथा उसमे ऑस्ट्रेलिया को शामिल करने से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।
संदर्भ :
वर्षों के विचार-विमर्श के बाद रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की है कि मालाबार, 2020 नौसैनिक अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया शामिल होगा। यह निर्णय ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों के साथ साथ हिंद प्रशांत की भू-राजनीति हेतु भी महत्त्वपूर्ण है। यह रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण क्षेत्र अफ्रीका के पूर्वी तट से पूर्वी एशिया तक फैले हुए जलीय भागों तक विस्तारित है। भारत द्वारा समुद्री सुरक्षा क्षेत्र में अन्य देशों के साथ सहयोग बढ़ाने का प्रयास किया जाता रहा है और इसी आलोक में ऑस्ट्रेलिया के साथ बढ़ते रक्षा सहयोग के चलते मालाबार, 2020 में ऑस्ट्रेलियाई नौसेना की भागीदारी होगी। मालाबार, 2020 नौसैनिक अभ्यास का आयोजन नवंबर के अंत में किया जाना है और अक्तूबर के अंत में अभ्यास के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के लिये एक कॉन्फ्रेंस आयोजित की जाएगी।
युद्धाभ्यास से संबंधित तैयारियाँ:
- चेन्नई के तट के करीब बंगाल की खाड़ी में होने वाला यह अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास है। इस अभ्यास के दौरान लगभग 20 लड़ाकू विमान और दर्ज़नों फाइटर जेट्स इसमें भाग लेंगे।
- इस सैन्य अभ्यास में तीनों देशों के तीन विमानवाहक पोतों को भी शामिल किया जा रहा है। भारत द्वारा अब तक किसी भी देश के साथ हुए युद्धाभ्यास में एक साथ तीन विमान वाहक पोतों का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
- इस सैन्य अभ्यास में भारत का आईएनएस विक्रमादित्य, जापान का इजूमो (हेलिकॉप्टर्स करियर) और अमेरिका का निमित्ज़ विमान वाहक पोत शामिल है।
- सैन्य अभ्यास में शामिल होने वाले अमेरिकी बेड़े की खासियत यह है कि एक लाख टन वज़नी विमान वाहक पोत यूएसएस निमित्ज़, न्यूक्लियर पावर से चलने वाला यूएसएस निमित्ज़ एफए-18 फाइटर जेट्स से लैस है।
- इज़रायल के बाद भारत पहला देश है जहाँ अमेरिका सैन्य युद्धाभ्यास में न्यूक्लियर सबमरीन लेकर आया है। इस युद्धाभ्यास में सबसे बड़ा एंटी सबमरीन हथियार भी शामिल किया जा रहा है।
- विदित हो कि इस युद्धाभ्यास में भारत के विमान वाहक युद्धपोत विक्रमादित्य के अलावा दो शिवालिक श्रेणी के युद्धपोत भी शामिल हैं।
युद्धाभ्यास से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य
- नौसेना अभ्यास, जो अगले महीने बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में होने वाला है, यह भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया को शामिल करते हुए औपचारिक रूप से क्वाड समूह के चार देशों की नौसेनाओं को एक साथ लाएगा।
- आखिरी बार ऑस्ट्रेलियाई नौसैनिक जहाज़ मालाबार नौसैनिक अभ्यास में वर्ष 2007 में शामिल हुए थे, जब यह भारत, अमेरिका, जापान, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया द्वारा किया जाने वाला पाँच देशों का अभ्यास था। वर्ष 2007 तक, मालाबार अमेरिकी नौसेना के साथ एक वार्षिक द्विपक्षीय अभ्यास था जो वर्ष 1992 में शुरू किया गया था।
- भारतीय नौसेना द्वारा पाँच राष्ट्रों के साथ अभ्यास का निर्णय संभवतः भू-राजनीतिक से अधिक प्रशासनिक था।
- इन भागीदारों में से प्रत्येक के साथ अलग-अलग अभ्यास करने के बजाय उन्हें एक साथ लाना समझदारी पूर्ण कदम माना जाता था। लेकिन बंगाल की खाड़ी में बहुपक्षीय अभ्यास का चीन ने विरोध किया और इसे "एशियाई नाटो" के रूप में करार दिया।
- वर्ष 2015 में पुनः जापान को वार्षिक मालाबार अभ्यास में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया गया।
ऑस्ट्रेलिया को मालाबार में अभी तक शामिल क्यों नहीं किया गया :
- भारत और ऑस्ट्रेलिया हमेशा से ही एक मुक्त, खुले, समावेशी और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र के समर्थक रहे हैं।
- मालाबार में शामिल होने के लिये ऑस्ट्रेलिया की उत्सुकता के बावजूद भारत ने इसे भारत, अमेरिका और जापान तक सीमित कर दिया। भारत की हिचकिचाहट के पीछे मुख्य चिंता यह थी कि नौसैनिक अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को शामिल करने से यह चीन के खिलाफ एक ‘चतुष्पक्षीय सैन्य गठबंधन’ के समान प्रतीत होगा जिससे चीन की नाजुक राजनीतिक संवेदनशीलता को ठेस पहुँच सकती है तथा भारत और चीन के बीच तनाव और अधिक बढ़ सकता है।
- किंतु चीन के आक्रामक रवैये ने भारत के इस पूर्वानुमान को स्पष्ट रूप से बदल दिया है। चीन भारत के प्रमुख क्षेत्रीय और बहुपक्षीय हितों को कम कर रहा है, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव बढ़ा रहा है, इन सबको देखते हुए भारत के पास चीन के संदर्भ में अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। चीन की लद्दाख आक्रामकता इस ताबूत की अंतिम कील थी।
ऑस्ट्रेलिया को शामिल करने के संभावित लाभ:
- वस्तुस्थिति यह है कि क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर पिछले कुछ समय में इन चारों देशों के बीच आपसी समझ लगातार बढ़ी है।
- चीन की आक्रामक नीतियों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से की जा रही यह साझेदारी अभी बेहद शुरुआती चरण में है और इसमें किसी प्रकार की परिपक्वता नहीं है।
- माना जाता है कि धरातल पर उतरने के बाद चार देशों की यह साझेदारी वैश्विक शक्ति समीकरण पर गहरा असर डाल सकती है। ये चारों देश एक-दूसरे के हितों की रक्षा के साथ-साथ परस्पर समृद्धि में भी अपना योगदान दे सकते हैं।
- चीन की विस्तारवादी नीति इन चारों को प्रभावित करती है, इसलिये इनका एकजुट होना समय की ज़रूरत है। भारत ने चीन के बेल्ट रोड इनीशिएटिव (BRI) प्रोजेक्ट से अपनी सुरक्षा प्रभावित होने की बात शुरू में ही उठाई थी।
- चीन भले ही कहे कि उसकी इस परियोजना से भारत सहित क्षेत्र के सभी देश लाभ उठा सकते हैं, पर चीन के इरादे अब दुनिया में संदेह से ही देखे जाते हैं।
- अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया-जापान-भारत के आपसी सहयोग से चतुष्कोणीय गठबंधन मज़बूत होगा जो मध्य एशिया के तेल और गैस के भंडारों और पूर्वी यूरोप के बाज़ारों तक हमारी आसान पहुँच सुनिश्चित करेगा।
- इसके लिये फिलहाल दो ही रास्ते दिखते हैं - एक पाकिस्तान होकर और दूसरा ईरान होकर।
- पाकिस्तान का रास्ता चीन के कब्ज़े में है और ईरान के रास्ते के आड़े अमेरिका के उसके साथ बिगड़ते हुए संबंध आते हैं। अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया-जापान-भारत का चतुष्कोणीय गठबंधन पूर्ववर्ती एशिया-प्रशांत संकल्पना के स्थान पर हिंद-प्रशांत संकल्पना की बात करता है और इसी को मज़बूती देने के उद्देश्य से इसकी परिकल्पना की गई है।
मालाबार अभ्यास में निहित चुनौतियाँ:
- समुद्री अभ्यास पर प्रायः सहमति की कमी है, जबकि अमेरिका, अमेरिका-भारत सहयोग को भारत-प्रशांत के ‘बुकेंड’ या ‘आलंब’ के रूप में देखता है, भारत और जापान ने महासागरों की अपनी परिभाषा में अफ्रीका तक को शामिल किया है।
- चीन के क्षेत्रीय दावे तथा देशों के साथ विवाद;
- क्वाड देशों के बीच व्यापार जैसे अनेक मामलों को लेकर टकराव;
- मालाबार अभ्यास को एशिया के नाटो की संज्ञा दी जाती है, जो कि उचित नहीं है।
मालाबार नौसैनिक अभ्यास:
- मालाबार नौसैनिक अभ्यास भारत-अमेरिका-जापान की नौसेनाओं के बीच वार्षिक रूप से आयोजित किया जाने वाला एक त्रिपक्षीय सैन्य अभ्यास है।
- मालाबार नौसैनिक अभ्यास की शुरुआत भारत और अमेरिका के बीच वर्ष 1992 में एक द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास के रूप में हुई थी।
- वर्ष 2015 में इस अभ्यास में जापान के शामिल होने के बाद से यह एक त्रिपक्षीय सैन्य अभ्यास बन गया।
भारत-ऑस्ट्रेलिया के मध्य रक्षा सहयोग:
म्यूचुअल लॉजिस्टिक्स सपोर्ट एग्रीमेंट:
- भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच ‘म्यूचुअल लॉजिस्टिक्स सपोर्ट एग्रीमेंट’ (Mutual Logistics Support Agreement- MLSA) की घोषणा द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण निर्णय है।
- इस समझौते के तहत दोनों देश एक दूसरे के सैन्य अड्डों का उपयोग कर सकेंगे।
- यह समझौता दोनों देशों के लिये सैन्य आपूर्ति को आसान बनाने के साथ परिचालन सुधार में सहायक होगा।
- वर्ष 2016 में भारत और अमेरिका के बीच 'लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट' (Logistics Exchange Memorandum of Agreement- LEMOA) पर हस्ताक्षर होने के बाद ऑस्ट्रेलिया पहला देश बना जिसने भारत के समक्ष MLSA का मसौदा प्रस्तुत किया था।
- इस समझौते पर पिछले वर्ष भारतीय रक्षा मंत्री की कैनबरा (Canberra) यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किया जाना प्रस्तावित था परंतु यह यात्रा रद्द होने और इसके बाद जनवरी 2020 में ऑस्ट्रेलिया की वनाग्नि तथा मई 2020 में COVID-19 के कारण इसे विलंबित कर दिया गया था।
समुद्री क्षेत्र जागरूकता
(Maritime Domain Awareness- MDA):
- भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच समुद्री क्षेत्र जागरूकता को ध्यान में रखते हुए एक व्यापक ‘समुद्री सहयोग समझौते’ (Maritime Cooperation Agreement) पर कार्य किया जा रहा है।
- ऑस्ट्रेलिया ने भारतीय नौसेना के गुरुग्राम स्थित ‘सूचना संलयन केंद्र – हिंद महासागर क्षेत्र’ (Information Fusion Centre - Indian Ocean Region or IFC-IOR) पर अपने एक संपर्क अधिकारी को तैनात करने पर सहमति ज़ाहिर की है।
निष्कर्ष:
यद्यपि ऑस्ट्रेलिया को मालाबार में शामिल करने का निर्णय लद्दाख में चीन के साथ जारी टकराव के बीच आया है, लेकिन यह नौसेना अभ्यास इस घटना से प्रेरित नहीं है। चीन के खिलाफ भारत के क्षेत्रीय युद्ध में अपने क्वाड साझेदारों को लाने में भारत की कोई दिलचस्पी नहीं है। यह ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत के द्विपक्षीय सुरक्षा संबंधों का विस्तार करने से संबंधित है। वस्तुतः यह सैन्य क्वाड एक स्थायी इंडो-पैसिफिक गठबंधन बनाने से प्रेरित है जो एक आक्रामक चीनी राज्य के उदय से उत्पन्न रणनीतिक असंतुलन को बड़े पैमाने पर संबोधित करने में सक्षम है।
अभ्यास प्रश्न: ऑस्ट्रेलिया को मालाबार में शामिल करने का निर्णय लद्दाख में चीन के साथ जारी टकराव के बीच आया है। क्या यह भारत द्वारा चीन के विरुद्ध अपने क्वाड साझेदारों को एक साथ लाने से प्रेरित लगता है? विश्लेषण कीजिये।