अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-बांग्लादेश संबंध
- 10 Oct 2019
- 16 min read
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में भारत और बांग्लादेश के संबंधों और हालिया द्विपक्षीय वार्ता पर भी चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।
संदर्भ
हाल ही में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारत की अपनी चार दिवसीय (3-6 अक्तूबर, 2019) आधिकारिक यात्रा संपन्न की है। अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने विश्व आर्थिक मंच के भारत आर्थिक शिखर सम्मेलन में बांग्लादेश का प्रतिनिधित्व किया और साथ ही सम्मेलन को भी संबोधित किया। सम्मेलन के बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने भारतीय प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी की। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री की यह यात्रा भारत और बांग्लादेश के मध्य गहन द्विपक्षीय संबंधों और बढ़ती परस्पर निर्भरता को दर्शाती है।
राष्ट्र प्रमुखों की बैठक और उसके मुख्य बिंदु:
बैठक के दौरान दोनों देशों के प्रमुखों ने संबंधों को मज़बूती प्रदान करने के लिये कुल 7 समझौतों पर हस्ताक्षर किये और 3 परियोजनाओं का उद्घाटन भी किया।
- सात समझौतों में शामिल हैं:
- भारत और विशेष रूप से पूर्वोत्तर भारत से माल की आवाजाही के लिये बांग्लादेश में छत्रोग्राम और मोंगला बंदरगाहों का उपयोग।
- त्रिपुरा में पेयजल आपूर्ति के लिये बांग्लादेश की फेनी नदी के जल का उपयोग।
- बांग्लादेश के लिये लाइन ऑफ क्रेडिट के कार्यान्वयन के भारत की प्रतिबद्धता से संबंधित समझौता।
- बांग्लादेश में तटीय निगरानी रडार प्रणाली की स्थापना की जाएगी।
- हैदराबाद विश्वविद्यालय और ढाका विश्वविद्यालय के बीच समझौता ज्ञापन।
- युवा मामलों में सहयोग पर समझौता ज्ञापन।
- सांस्कृतिक विनिमय कार्यक्रम का नवीकरण।
- 3 द्विपक्षीय विकास साझेदारी परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया गया:
- भारत के पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में प्रयोग हेतु एलपीजी (LPG) का आयात।
- रामकृष्ण मिशन, ढाका में विवेकानंद भवन (छात्रों हेतु छात्रावास) का उद्घाटन।
- इंस्टीट्यूशन ऑफ डिप्लोमा इंजीनियर्स बांग्लादेश (IDEB) में बांग्लादेश-भारत व्यावसायिक कौशल विकास संस्थान (BIPSDI) का उद्घाटन।
- बांग्लादेशी प्रतिनिधि ने असम में एनआरसी (NRC) के संबंध में चिंता ज़ाहिर की है।
- बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने भारतीय प्रधानमंत्री से सभी रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी के लिये म्याँमार सरकार के साथ अपने "अच्छे संबंधों" का उपयोग करने हेतु अनुरोध किया।
बांग्लादेश का उद्भव
- जो क्षेत्र अब बांग्लादेश कहलाता है, वह कई वर्षों पूर्व भारत के बंगाल का हिस्सा था।
- यह क्षेत्र मुख्यतः उन्ही साम्राज्यों द्वारा शासित था जिन्होंने मध्य भारत पर शासन किया।
- अंत में वर्ष 1526-1858 तक यहाँ मुगलों का शासन रहा।
- जब अंग्रेज़ भारत आए और उन्होंने भारत तथा उसके आस-पास के क्षेत्रों पर अपना अधिपत्य स्थापित किया तो उन्होंने बांग्लादेश को भी उसमे शामिल कर लिया।
- वर्ष 1947 में जब भारत और पाकिस्तान ने आज़ादी प्राप्त की तो बंगाल का यह मुस्लिम बहुल क्षेत्र पाकिस्तान का हिस्सा बन गया और उसे ‘पूर्वी पाकिस्तान’ कहा जाने लगा।
- पूर्वी पाकिस्तान काफी विषम परिस्थितियों में था। वह न केवल भौगोलिक रूप से समकालीन पाकिस्तान से अलग था बल्कि जातीयता और भाषा के आधार पर भी पाकिस्तान से काफी अलग था। इस विषमता के कारण जल्द ही पूर्वी पाकिस्तान में संघर्ष शुरू हो गया।
- 1958 से 1962 के बीच तथा 1969 से 1971 के बीच पूर्वी पाकिस्तान मार्शल लॉ के अधीन रहा।
- 1970-71 के संसदीय चुनावों में पूर्वी पाकिस्तान के अलगाववादी दल अवामी लीग ने उस क्षेत्र को आवंटित सभी सीटें जीत लीं।
- पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान के मध्य वार्ता की विफलता के पश्चात् 27 मार्च, 1971 को शेख मुजीबुर रहमान ने पाकिस्तान से बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा कर दी।
- तत्कालीन पश्चिमी पाकिस्तान ने अलगाव को रोकने के पूरे प्रयास किये और इसके विरुद्ध जंग की शुरुआत कर दी। परंतु भारत ने बांग्लादेशियों का समर्थन करने के लिये अपनी शांति सेना भेज दी।
- 11 जनवरी, 1972 को लंबे संघर्ष के पश्चात् बांग्लादेश एक स्वतंत्र संसदीय लोकतंत्र बन गया।
भारत-बांग्लादेश संबंध
भारत और बांग्लादेश के मध्य द्विपक्षीय सहयोग की शुरुआत वर्ष 1971 में हो गई थी, जब भारत ने बांग्लादेश राष्ट्र का समर्थन करते हुए अपनी शांति सेना भेजी थी। इसी कारण दोनों के मध्य एक भावनात्मक संबंध भी बना हुआ है। किसी भी देश के लिये यह आवश्यक होता है कि उसके पड़ोसी देशों के साथ उसके रिश्ते अच्छे और मज़बूत रहें, खासकर एशियाई क्षेत्र में जहाँ आतंकवाद के बड़ा खतरा है। बीते वर्ष 2017 की बैठक में भारत और बांग्लादेश के संबंधों को एक नया आयाम दिया गया और कुल 11 समझौतों तथा 24 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये गए थे।
- सुरक्षा और सीमा प्रबंधन
भारत और बांग्लादेश की सीमा लगभग 4096.7 किमी. लंबी है। उल्लेखनीय है बांग्लादेश के साथ भारत की सीमा उसके किसी भी अन्य पड़ोसी देश से सबसे अधिक है। भारत-बांग्लादेश भूमि सीमा समझौता (India-Bangladesh Land Boundary Agreement-LBA) वर्ष 2015 में लागू हुआ था और 31 जुलाई, 2015 को भूभागीय मानचित्र पर हस्ताक्षर किये गए थे। विदित है कि दोनों देशों के मध्य अब तक सुरक्षा सहयोग से संबंधित कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए हैं। इन्ही में से एक है समन्वित सीमा प्रबंधन योजना, जिस पर वर्ष 2011 में हस्ताक्षर किये गए थे एवं इसके तहत सीमा पार अवैध गतिविधियों और अपराधों की जाँच करने तथा भारत-बांग्लादेश सीमा पर शांति बनाए रखने हेतु दोनों सीमा सुरक्षा बलों द्वारा समन्वित प्रयास किये गए।
- नदी के पानी का बँटवारा
भारत और बांग्लादेश आपस में 54 नदियाँ साझा करते हैं। ध्यातव्य है कि इस विषय पर एक द्विपक्षीय संयुक्त नदी आयोग (JRC) भी है जो आम नदी प्रणालियों से लाभ को अधिकतम करने के लिये दोनों देशों के बीच संपर्क बनाए रखने हेतु जून 1972 से काम कर रहा है और यह JRC समय-समय पर नदी संबंधी मुद्दों पर चर्चा करने के लिये बैठकें भी करता है।
- द्विपक्षीय व्यापार और निवेश
ज्ञातव्य है कि भारत और बांग्लादेश के बीच 1972 में पहला व्यापार समझौता हुआ था। भारत-बांग्लादेश व्यापार समझौते को अंतिम बार जून 2015 में स्वतः नवीनीकरण के प्रावधान के साथ 5 वर्षों की अवधि के लिये नवीनीकृत किया गया था। भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछले एक दशक में लगातार बढ़ा है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में भारत और बांग्लादेश के मध्य 9.5 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था। साथ ही भारत ने वर्ष 2011 से दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) के तहत तंबाकू और शराब को छोड़कर सभी टैरिफ लाइनों पर बांग्लादेश को शुल्क मुक्त कोटा प्रदान किया हुआ है। सीमावर्ती समुदायों के लाभ के लिये त्रिपुरा और मेघालय में दो-दो बॉर्डर हाट (Border Haats) की भी स्थापना की गई है।
- बांग्लादेश को भारत का आर्थिक सहयोग
भारत मे बांग्लादेश को वर्ष 2010 से अब तक 8 बिलियन डॉलर की 3 लाइन ऑफ क्रेडिट (LOC) दी हैं। जनवरी 2010 में भारत ने सार्वजनिक परिवहन, सड़कों, रेलवे, पुलों और अंतर्देशीय जलमार्ग संबंधी परियोजनाओं हेतु लगभग 1 बिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट (LOC) की घोषणा की थी। उल्लेखनीय है कि इनमें से अधिकांश परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं और शेष पूरी होने की कगार पर हैं। इसके अलावा लगभग 2 बिलियन डॉलर की दूसरी LOC वर्ष 2015 में और लगभग 4.5 मिलियन डॉलर की वर्ष 2017 में भी दी गई थी।
- बिजली और ऊर्जा क्षेत्र
वर्ष 2017 में बांग्लादेश भारत से लगभग 660 मेगावाट बिजली का आयात कर रहा था। अप्रैल 2017 में भारतीय सार्वजनिक/निजी कंपनियों और बांग्लादेश के बीच 3600 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन/आपूर्ति/वित्तपोषण के समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए थे। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन जैसे कई भारतीय सार्वजानिक क्षेत्र की इकाइयाँ बांग्लादेश के तेल और गैस क्षेत्र में अपने बांग्लादेशी समकक्षों के साथ काम कर रही हैं।
- दोनों देश के मध्य कनेक्टिविटी
भारत-बांग्लादेश परिवहन के सभी साधनों के माध्यम से कनेक्टिविटी का एक अच्छा उदाहरण है। वर्तमान समय में दोनों देशों के मध्य व्यापार और आवागमन हेतु लगभग सभी साधनों जैसे- पानी के जहाज़, रेल, बस और हवाई जहाज़ आदि का प्रयोग किया जा रहा है।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान
इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र (IGCC), बांग्लादेश में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) का एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र है। IGCC का उद्घाटन वर्ष 2010 में किया गया था और यह नियमित रूप से बांग्लादेश में सांस्कृतिक गतिविधियों वाले कार्यक्रमों का आयोजन करता है। इसी के साथ IGCC योग, हिंदी, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, मणिपुरी नृत्य, कथक और चित्रकारी में नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करता है, विदित है कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम बांग्लादेशी विद्यार्थियों के मध्य काफी प्रचलित है।
कई क्षेत्रों में चिंताएँ बरकरार
- कई प्रयासों के बावजूद भारत और बांग्लादेश के बीच नदी जल साझाकरण समझौते असफल रहे हैं, उनमें से मुख्य तीस्ता समझौता है जो वर्ष 2011 से लगातार चल रहा है, लेकिन केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकारों के बीच तनाव के कारण अब तक आगे नहीं बढ़ पाया है।
- भारत की आर्थिक नीति में बाज़ार-विरोधी रुझान गंभीर समस्या है। उदाहरण के लिये बांग्लादेश में गोमांस एक प्रधान भोजन है फिर भी भारत इसे निर्यात नहीं करता है जिसके कारण सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध पशु तस्करी को बढ़ावा मिलता है।
- बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल पहल (Bangladesh, Bhutan, India and Nepal Initiative-BBIN) के कार्यान्वयन में लगातार देरी।
- भारत में मुसलमानों के प्रति घृणा और घृणा की घटनाएँ बांग्लादेश में सार्वजनिक धारणाओं को प्रभावित करती हैं।
NRC पर भी है चिंता
दोनों देशों के प्रतिनिधियों की बैठक के दौरान NRC भी चर्चा का एक महत्त्वपूर्ण विषय रहा और बांग्लादेशी पक्ष ने NRC के संबंध में अपनी चिंताएँ भी ज़ाहिर कीं। इस विषय पर भारतीय प्रधानमंत्री ने यह भरोसा दिया था कि बांग्लादेश पर NRC का प्रभाव नहीं पड़ेगा और यह भारत का आंतरिक विषय है। उल्लेखनीय है कि जब अगस्त में असम में NRC के अंतिम संस्करण से लगभग 19 लाख लोगों को अलग किया है, तब से भारत की ओर से आने वाले बयानों के कारण बांग्लादेश चिंतित है कि इन लोगों को निर्वासित कर दिया जाएगा।
आगे की राह
- भारत और बांग्लादेश को दोस्ती और सहयोग के माध्यम से अपनी भू-राजनीतिक वास्तविकताओं का प्रबंधन करना चाहिये। यह आवश्यक है कि दोनों देश अल्पकालिक लाभ हेतु अपने दीर्घकालिक हितों के साथ समझौता न करें।
- दोनों देशों के मध्य नदियों के जल प्रबंधन के कार्य को गंभीरता से लिया जाना चाहिये।
- दोनों देशों के नेताओं को एक दीर्घकालिक संयुक्त रणनीति विकसित करने का प्रयास करना चाहिये।
निष्कर्ष
भारत और बांग्लादेश के मध्य संबंध काफी अच्छे हैं। भारतीय राष्ट्रपति के अनुसार, भारत और बांग्लादेश के संबंध अपने स्वर्णिम युग में हैं, परंतु फिर भी कुछ चिंताएँ बनी हुई हैं जिन्हें जल्द-से-जल्द समग्र रूप से संबोधित किया जाना आवश्यक है ताकि दोनों पड़ोसियों के बीच अच्छे संबंधों को हमेशा के लिये कायम रखा जा सके और एक-दूसरे के सहयोग से विकास के नए लक्ष्य प्राप्त किये जा सकें।
प्रश्न: “भारत और बांग्लादेश के संबंध अपने स्वर्णिम युग में हैं।” कथन को स्पष्ट करते हुए दोनों देशों के मध्य चिंता के विभिन्न क्षेत्रों पर चर्चा कीजिये।