‘2+2 संवाद मॉडल’ वार्ता के आलोक में भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध | 14 Dec 2017

संदर्भ
हाल ही में भारत और ऑस्ट्रेलिया ने '2+2' संवाद मॉडल (‘2+2’ dialogue model) के तहत एशिया-प्रशांत क्षेत्र को "खुला" और "मुक्त" (open and free) बनाए रखने की आवश्यकता पर चर्चा की है। गौरतलब है कि इस 2 + 2 संवाद मॉडल में दोनों पक्षों के विदेश और रक्षा सचिव शामिल हैं।

एशिया-प्रशांत क्षेत्र की भौगोलिक विशेषताएँ

क्या है ‘2+2 संवाद मॉडल’?

  • यदि दो देशों के बीच एक साथ ही दो-दो मंत्रिस्तरीय वार्ताएँ आयोजित की जाएँ तो इसे 2+2 संवाद मॉडल का नाम दिया जाता है।
  • भारत-ऑस्ट्रेलिया 2+2 संवाद मॉडल में दोनों पक्षों के विदेश और रक्षा मंत्रालयों के सचिवों के बीच वार्ता हो रही है।
  • विदित हो कि इस संवाद मॉडल के तहत भारत और जापान की भी वार्ता हुई है।

2+2 संवाद मॉडल पर आधारित वार्ता की महत्त्वपूर्ण बातें?

  • समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा:
    ⇒ इस वार्ता में दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि एक मुक्त, खुला, समृद्ध और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र दोनों देशों के सामरिक हित में महत्त्वपूर्ण साबित होगा।
    ⇒ साथ ही यह इस क्षेत्र में स्थित सभी देशों और शेष विश्व के दीर्घकालिक हितों की भी रक्षा करेगा।
  • नई रणनीतिक साझेदारी:
    ⇒ गौरतलब है कि दोनों पक्ष एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बनने जा रहे उस क्षेत्रीय चतुष्कोणीय गठबंधन (quad) के सदस्य हैं जिसमें अमेरिका और जापान भी शामिल हैं।
    ⇒ भारत और जापान पहले से ही इस प्रकार की वार्ता को आगे बढ़ा रहे हैं, जबकि भारत अमेरिका संबंध भी पहले से बेहतर हैं।
    ⇒ अब ऑस्ट्रेलिया के साथ सफल वार्ता कर भारत क्वाड की दशा और दिशा दोनों तय कर सकता है।
  • नेविगेशन की स्वतंत्रता:
    ⇒ दोनों पक्षों ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में व्यवधान-रहित नेविगेशन (आवाजाही) सुनिश्चित करने पर सहमति व्यक्त की है।
    ⇒ दक्षिण चीन सागर में चीन द्वारा बुनियादी ढाँचे के विकास से उसका समुद्री प्रभाव बढ़ता जा रहा है और इस दृष्टि से यह प्रयास अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण है।
  • चर्चा में शामिल अन्य महत्त्वपूर्ण बातें:
    ⇒ चीन के बढ़ते प्रभुत्व के आलोक में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में क्या रणनीतिक कदम उठाए जाएँ, वार्ता में इस मुद्दे पर भी चर्चा हुई।
    ⇒ गौरतलब है कि पिछले 14 वर्षों में ऑस्ट्रेलिया पहली बार अपनी विदेश नीति पर श्वेत पत्र जारी करने जा रहा है। बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि इसमें भारत की क्या भूमिका हो।

भारत-ऑस्ट्रेलिया द्विपक्षीय संबंध

  • आर्थिक संबंध:
    ⇒ भारत एक तेज़ी से आगे बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है और ऑस्ट्रेलिया ने इसकी पहचान करते हुए भारत के साथ महत्त्वपूर्ण आर्थिक समझौते किये हैं।
    ⇒ दोनों देशों के बीच वर्तमान में लगभग 20 बिलियन डॉलर का व्यापार हो रहा है।
    ⇒ यदि दोनों देश बेहतर प्रयास करें तो इसमें चौगुनी वृद्धि हो सकती है।
    ⇒ दोनों देश वर्तमान में व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (Comprehensive Economic Cooperation Agreement- CECA) पर सहमति बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
  • शैक्षिक भागेदारियाँ:
    ⇒ अध्ययन के लिये अन्य देशों की ओर रुख करने वाले भारतीय छात्रों के लिये ऑस्ट्रेलिया एक लोकप्रिय गंतव्य स्थल है।
    ⇒ ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने युवाओं को उनकी योग्यता और अनुभव में वृद्धि के लिये ‘न्यू कोलम्बो योजना’ (New Colombo Plan) शुरू की है।
    ⇒ इस योजना में ऑस्ट्रेलियाई युवाओं को भारत भेजने की योजना बनाई गई है।
    ⇒ स्किल इंडिया मिशन के तहत भारत सरकार ने वर्ष 2022 तक 400 मिलियन लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य तय किया है, ऑस्ट्रेलिया की इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
  • सामरिक संबंध:
    ⇒ एक खुला और मुक्त एशिया-प्रशांत क्षेत्र भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों के ही हित में है।
    ⇒ ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में एशिया-प्रशांत के बजाय ‘हिंद-प्रशांत’ की शब्दावली अपनाई है। यह दिखाता है कि ऑस्ट्रेलिया ने इस क्षेत्र में भारत की महत्ती भूमिका को स्वीकार किया है।
    ⇒ असैन्य परमाणु ऊर्जा सहयोग के शीघ्र संचालन तथा भारत के सुरक्षित परमाणु रिएक्‍टरों के लिये यूरेनियम आपूर्ति को भी ऑस्‍ट्रेलिया का समर्थन प्राप्त है।
  • ऑसिन्डेक्स-2017:
    ⇒ विदित हो कि इस वर्ष 13-17 जून के बीच भारत-ऑस्ट्रेलिया द्विपक्षीय संयुक्त नौसैन्य अभ्यास ‘ऑसिन्डेक्स-2017’(AUSINDEX-2017) का आयोजन किया गया था।
    ⇒ यह अभ्यास फ्रीमैन्टल, ऑस्ट्रेलिया में किया गया था और इसका उद्देश्य दोनों देशों की नौसेनाओं के मध्य पेशेवर अंतःक्रिया को मज़बूत करना है।
    ⇒ यह दोनों देशों के मध्य समुद्री सहयोग को मज़बूत करने के उद्देश्य से एक द्विवार्षिक अभ्यास है।
    ⇒ इससे आपदा राहत और मानवीय सहायता के लिये चलाए जाने वाले संयुक्त अभियानों की क्षमता में वृद्धि होगी।
    ⇒ गौरतलब है कि भारतीय नौसेना की तरफ से इस अभ्यास में आईएनएस ज्योति, शिवालिक और कामोर्ता ने भाग लिया था।

किन क्षेत्रों में बेहतर हो सकते हैं संबंध?

  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
    ⇒ भारत और ऑस्ट्रेलिया ने अनुसंधान और नवाचार  के क्षेत्र में व्यापक प्रगति की है।
    ⇒ 84 मिलियन डॉलर का भारत-ऑस्ट्रेलिया रिसर्च फण्ड ऑस्ट्रेलिया की तरफ से किसी भी देश के लिये इस क्षेत्र में किया गया अब तक सबसे बड़ा निवेश है।
    ⇒ फिर भी कुछ मोर्चों पर सुधार की ज़रूरत है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने 1.1 बिलियन डॉलर की राशि के साथ अपना एक ‘नेशनल इनोवेशन एंड साइंस एजेंडा’ ज़ारी किया है।
    ⇒ भारत के लिये यह उपयुक्त अवसर है कि वह इस एजेंडे के साथ अपने ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्टार्ट-अप इंडिया’ जैसे अभियानों को लेकर चले, ताकि विज्ञान एवं नवाचार आर्थिक विकास को गति दे सके।
  • अंतरिक्ष अनुसंधान:
    ⇒ अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में इसरो का बेहतरीन ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। इसरो द्वारा चंद्रयान, मंगलयान से लेकर एक साथ 104 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने का कारनामा किया जा चुका है।
    ⇒ भारत ऑस्ट्रेलिया की अंतरिक्ष संबंधी पहलों के लिये इसरो के तत्त्वधान में अभियान चला सकता है। इससे जहाँ ऑस्ट्रेलिया की अंतरिक्ष में पहुँच बढ़ेगी वहीं भारत महत्त्वपूर्ण आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकता है।
  • ऊर्जा:
    ⇒ ऑस्ट्रेलिया, ऊर्जा क्षेत्र में भारत का एक महत्त्वपूर्ण भागीदार है। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि इस दशक के अंत तक ऑस्ट्रेलिया भारत को एलएनजी (Liquefied Natural Gas) निर्यात करने वाला सबसे बड़ा देश बन जाएगा।
    ⇒ भारत को चाहिये कि ऑस्ट्रेलिया के साथ दीर्घकालिक और सुरक्षित एलएनजी आपूर्ति सुनिश्चित कर मध्य-पूर्व पर अपनी अत्यधिक निर्भरता को कम करे।

निष्कर्ष

  • 2+2 संवाद मॉडल पर आधारित भारत-ऑस्ट्रेलिया वार्ता कई कारणों से महत्वपूर्ण है।
  • यह एक ओर जहाँ पूर्ववर्ती ‘एशिया-प्रशांत संकल्पना’ के स्थान पर ‘हिंद-प्रशांत संकल्पना को मज़बूती देने में अहम् साबित होगी।
  • वहीं दूसरी ओर भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान’ के क्वाड के लिये रास्ता तय करने का कार्य भी करेगी।
  • जहाँ तक इसके मुख्य उद्देश्य का प्रश्न है तो इसमें कोई शक नहीं है कि यह भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों को एक नई ऊँचाई पर ले जाने का काम करेगी।