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बाढ़ के दौरान ‘प्रभावी प्रशासन’ का महत्त्व

  • 16 Aug 2017
  • 7 min read

संदर्भ
असम की अपनी हाल की यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर में बाढ़ प्रभावित राज्यों में राहत, पुनर्निर्माण और पुनर्वास के लिये 2,000 करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की है। साथ ही 100 करोड़ रुपए की एक समग्र निधि (corpus fund) का इस्तेमाल एक उच्च-स्तरीय समिति की स्थापना के लिये किया जाएगा, जो बाढ़ की समस्या का स्थायी समाधान खोजने पर काम करेगी।

भारत में अब तक बाढ़ से बचाव के ही रास्ते खोजे गए हैं, जबकि बाढ़ के दौरान प्रभावी प्रशासन के महत्त्व को नज़रंदाज़ किया गया है। उम्मीद है कि प्रस्तावित उच्च-स्तरीय समिति प्रभावी प्रशासन के महत्त्व को पहचानने के साथ-साथ इसे अपनाने के तरीके भी सुझाएगी।

क्यों महत्त्वपूर्ण है प्रभावी प्रशासन ?

  • बाढ़ से संरक्षण के सर्वाधिक प्रचलित उपायों में शामिल हैं तटबंधों का निर्माण, नदियों के किनारों को मज़बूत करना और बांधों का निर्माण आदि।
  • दरअसल, प्रत्येक वर्ष जब भी बाढ़ आती है तटबंधों का एक बड़ा हिस्सा बहा ले जाती है क्योंकि एक बार निर्माण पूरा हो जाने के बाद उसके रख-रखाव पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
  • विदित हो कि तटबंध निर्माण एक खर्चीली प्रक्रिया है, परन्तु एक प्रभावी प्रशासन के द्वारा हम तटबंधों के कटाव को रोक सकते हैं।
  • बाढ़ के दौरान बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था चरमरा सी जाती है, स्कूलों में या तो पानी भर जाता है या फिर वे बाढ़ राहत केंद्र के तौर पर कार्य कर रहे होते हैं।
  • बाढ़ के दौरान स्वच्छ पेय जल और स्वच्छता के मुद्दों पर भी गंभीरता से विचार करना होगा, क्योंकि इस दौरान बाढ़ से प्रभावित इलाके रोग का घर बन जाते हैं।
  • पशु चिकित्सा सेवाओं तक सीमित पहुँच के कारण बड़ी संख्या में मवेशी मर जाते हैं, जिससे किसानों को भारी क्षति पहुँचती है।
  • इन परिस्थितियों में बाढ़ के दौरान एक प्रभावी प्रशासन की भूमिका उतनी ही महत्त्वपूर्ण है, जितनी की एक बाढ़ प्रतिरोधी ढाँचे के निर्माण की।

कैसे प्रभावी हो प्रशासन ?

  • बाढ़ के दौरान प्रशासन को प्रभावी बनाने के लिये तीन व्यापक उपायों को अपनाना होगा:

1. जोखिम को कम करना।
2. सेवाओं तक पहुँच बढ़ाना।
3. उपलब्ध संसाधनों का इष्टतम उपयोग करना।

  • समुदाय आधारित अग्रिम बाढ़ चेतावनी प्रणाली को असम के कुछ हिस्सों में सफलतापूर्वक संचालित किया गया है, किन्तु जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को इसके दायरे में लाना होगा।
  • पर्याप्त संख्या में नौकाएँ प्रदान करना सबसे महत्वपूर्ण है। इससे बाढ़ के दौरान सुरक्षा एवं विकास संबंधी गतिविधियों तक पहुँच सुनिश्चित की जा सकेगी और स्कूली बच्चों के लिये सुरक्षित यात्रा की सुविधा भी उपलब्ध होगी।
  • दरअसल, सामान्य शौचालयों का बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सीमित उपयोग है। उत्तरी बिहार के बाढ़ प्रवण क्षेत्रों में उन्नत शौचालयों, पारिस्थितिकीकरण इकाईयों और पूर्वोत्तर में लोहे के फिल्टर के साथ ऊँचा डगवेल स्थापित करने की आवश्यकता है।
  • स्वच्छ भारत अभियान के तहत बनवाए जा रहे शौचालयों की तुलना में इस प्रकार के निर्माण महँगे अवश्य हैं, लेकिन यदि इन्हें उपलब्ध कराया गया तो बाढ़ के दौरान बीमारियों को फैलने से रोका जा सकता है।
  • उपलब्ध संसाधनों के इष्टतम उपयोग के लिये हम उन्नत तकनीक का सहारा ले सकते हैं, जैसे: तैरते सब्ज़ी के बगीचे और तैरते छोटे खेत। इस तरह की कृषि में बड़ी नौकाओं पर सब्ज़ियाँ उगाई जाती हैं।
  • उपरोक्त कुछ ऐसे उपाय हैं, जिनसे हम बाढ़ के प्रभावों को कम कर सकते हैं, लेकिन इसके लिये इन सभी उपायों के अभिनव संयोजन की ज़रूरत है। 

निष्कर्ष

  • दरअसल, बाढ़-नियंत्रण का एक महत्त्वपूर्ण पहलू बचाव एवं राहत तथा पुनर्वास कार्यों से सम्बंधित है और बाढ़ के दौरान प्रभावी प्रशासन के द्वारा ही हम संबंधित लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
  • विकास प्रक्रिया के कतिपय दोषों के कारण बाढ़ का स्वरूप विकराल होता जा रहा है, लेकिन इस पर नियंत्रण करने का कार्य कठिन होते हुए भी, दुर्जेय नहीं है। सुव्यवस्थित आयोजन एवं कार्यनीति को अपना कर ऐसी परिस्थितियाँ पैदा की जा सकती हैं कि बाढ़ एवं जल आप्लावन की स्थिति उत्पन्न ही न हो।
  • तकनीक के प्रयोग से दो या तीन दिन पूर्व ही अधिकाधिक वर्षा होने या बाढ़ आने की चेतावनी देकर लोगों को बाढ़ के खतरों से बचाया जा सकता है तथा बहुत बड़ी सीमा तक बाढ़ से होने वाली क्षति को न्यूनतम किया जा सकता है।
  • बाढ़ के दौरान प्रशासन को प्रभावी बनाने के लिये हमें इस अवधारणा का त्याग करना होगा की बाढ़ एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जिसके आने पर इंतज़ार के अलावा कुछ नहीं किया जा सकता है। हालाँकि, उच्च स्तरीय समिति कब गठित की जाएगी इस संबध में अधिकारिक तौर पर अभी कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन यह समिति जब भी गठित हो उम्मीद तो यही है कि वह बाढ़ के दौरान प्रशासन को प्रभावी बनाने पर ज़ोर देगी।
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