राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का इतिहास | 03 May 2017

सन्दर्भ
देश में बरसों से कई फिल्म पुरस्कार समारोह आयोजित होते रहे हैं। सितारों की मौजूदगी और उनके द्वारा प्रस्तुत देर रात तक चलने वाले रंगारंग कार्यक्रम ऐसे समारोहों को लोकप्रिय भी बनाते हैं, लेकिन जो प्रतिष्ठा, गरिमा और महत्त्व राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का है वह अद्धभुत है। सच कहा जाए तो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार देश का सर्वाधिक प्रतिष्ठित फिल्म पुरस्कार है और बरसों से चली आ रही इस परंपरा का आज भी कोई सानी नहीं है।

कब हुआ राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का आरम्भ?

  • विदित हो कि देश स्वतंत्र होने के पश्चात कला, संस्कृति, सिनेमा और साहित्य आदि को प्रोत्साहित करने और श्रेष्ठ कार्य करने वालों को पुरस्कृत करने की आवश्यकता के अंतर्गत विभिन्न समितियों का गठन किया गया था।
  • उन्हीं में सन 1949 में गठित एक समिति, इंक्वारी समिति भी थी, इस समिति ने शिक्षा,संस्कृति के मूल्यों को लेकर बनी सर्वोत्तम फिल्मों को प्रति वर्ष राजकीय पुरस्कार से पुरस्कृत करने की सिफारिश की थी, जिससे उच्च तकनीक की अच्छी फिल्मों के निर्माण को प्रोत्साहन मिल सके।
  • सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा इन सिफारिशों को साकार करने के लिये सन 1953 में प्रदर्शित फिल्मों का मूल्यांकन करते हुए सन 1954 में वर्ष 1953 की सर्वोत्तम फिल्मों को पुरस्कार दिये गए।
  • इस तरह से देश में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की शुरुआत सन 1954 में हुई थी। उस समय देश के राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद थे और सूचना प्रसारण मंत्री बी वी केसकर थे। गौरतलब है कि इन राष्ट्रीय पुरस्कारों को तब राजकीय फिल्म पुरस्कार कहा जाता था।
  • इस प्रथम फिल्म समारोह में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का प्रथम स्वर्ण पदक मराठी फिल्म ‘श्यामची आई’ को मिला था और सर्वश्रेष्ठ वृत्त चित्र का स्वर्ण पदक ‘महाबलीपुरम’ को दिया गया था ।
  • इन फिल्मों के अलावा इस प्रथम समारोह में हिंदी फिल्म ‘दो बीघा ज़मीन’ के साथ बांग्ला फीचर फिल्म ‘भगवान् श्रीकृष्ण चैतन्य’ और बच्चों की फिल्म ‘खेला घर’ को और दो वृत्त चित्र ‘होली हिमालयाज़’ और ‘ट्री ऑफ़ वेल्थ’ को भी योग्यता प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया था।

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के लिये एक निश्चित तिथि

  • दरअसल,  भारत की पहली फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ 3 मई 1913 को प्रदर्शित हुई थी, इसलिये जब 2013 में देश में सिनेमा के 100 साल मनाने का समारोह हुआ तो उससे एक वर्ष पहले ही राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह आयोजित करने की तिथि भी 3 मई करने का निर्णय लिया गया था।
  • अतः सन 2012 के 59 वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से यह समारोह प्रति वर्ष 3 मई को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में ही आयोजित हो रहा है। इस वर्ष भी 3 मई को विज्ञान भवन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 64वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान करेंगे।
  • इस वर्ष जिन फिल्म हस्तियों को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है उनमें सर्वोत्तम अभिनेता का पुरस्कार अक्षय कुमार को फिल्म ‘रुस्तम’ के लिये मिला है, जबकि सर्वोत्तम अभिनेत्री का पुरस्कार सुरभि सी एम को, मलयालम फिल्म ‘मिननामिनुंगु- द फायर फ्लाई’ के लिये मिला है।
  • ‘नीरजा’ फ़िल्म के लिये सोनम कपूर को विशेष उल्लेख पुरस्कार के लिये चुना गया है और सर्वोतम निर्देशन का पुरस्कार मराठी फिल्म ‘वेंटिलेटर’ के लिये राजेश मापुस्कर को मिला है।
  • इसके अलावा सर्वोत्तम फीचर फिल्म का पुरस्कार मराठी फिल्म ‘कसाव’ को और सामाजिक मुद्दों को उठाने वाली सर्वोत्तम फिल्म का पुरस्कार ‘पिंक’ को, सर्वश्रेष्ठ बाल फिल्म का पुरस्कार ‘धनक’ को और सर्वोत्तम हिंदी फिल्म का पुरस्कार ‘नीरजा’ को प्रदान किया जाएगा।

दादा साहब फाल्के पुरस्कार

  • इस वर्ष भारतीय फिल्मों के शिखर पुरस्कार दादा साहब फाल्के से सुप्रसिद्द फिल्मकार कासीनाधुनी विश्वनाथ को सम्मानित किया जाएगा। के विश्वनाथ, अब तक 50 से अधिक तेलुगु और हिंदी फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं।
  • इनकी प्रमुख फिल्मों में संकराभरणम, स्वाति मुत्यम, सप्तदी, सागर संगमम के साथ हिंदी की सरगम, ईश्वर, कामचोर, संजोग और धनवान शामिल हैं। 87 वर्षीय विश्वनाथ को इससे पहले पाँच बार राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है।
  • भारत सरकार 1992 में इन्हें पदमश्री से भी सम्मानित कर चुकी है। के विश्वनाथ फाल्के पुरस्कार पाने वाले 48वें व्यक्ति हैं।
  • उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड के रूप में जब दादा साहब फाल्के पुरस्कार भी शामिल कर लिया गया तो इन पुरस्कारों का महत्त्व और भी बढ़ गया।
  • इससे इन पुरस्कारों में फिल्म संसार के वे वरिष्ठ व्यक्ति भी जुड़ गए जिन्होंने फिल्म जगत को अपना उल्लेखनीय योगदान दिया हो।
  • भारत में फिल्मों के पितामह कहे जाने वाले धुंधीराज गोविन्द फाल्के का जब 1969 में जन्म शताब्दी वर्ष आया तब भारत सरकार ने उनकी स्मृति में उन्हें सम्मान देने के लिये सिनेमा के अत्यंत विशिष्ट साधकों को दादा साहब फाल्के सम्मान देने का निर्णय लिया।
  • वर्ष 1969 के लिये पहला फाल्के सम्मान 1970 में अभिनेत्री देविका रानी को दिया गया था तब से अब तक 48 फिल्म हस्तियों को यह सम्मान दिया जा चुका है।