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मोदी सरकार के चार साल (भाग 5) – गृह मामले : पूर्वोत्तर के विकास को बढ़ावा देना

  • 30 May 2018
  • 13 min read

संदर्भ

केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा आंतरिक सुरक्षा, सीमा प्रबंधन, केंद्र-राज्य संबंध, केंद्र-शासित प्रदेशों के प्रशासन के लिये उत्तरदायी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के प्रबंधन के साथ-साथ बहुत से दूसरे अन्य उत्तरदायित्वों का निर्वहन, उसके प्रशासनिक कौशल से अधिक राजनीतिक कौशल के आधार पर किया जाता है। यही कारण था कि इस कार्य के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनाथ सिंह को यह ज़िम्मेदारी का फैसला किया।

  • पिछले चार वर्षों में श्री सिंह ने कई मोर्चों पर प्रधानमंत्री के फैसले को सही भी ठहराया। 
  • केंद्र-राज्य संबंध, सांप्रदायिक हिंसा और कश्मीर मुद्दा आदि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जो इस बीच निरंतर का चर्चा का विषय रहे हैं।

कौन-कौन से कार्य किये गए हैं?

  • जम्मू-कश्मीर के बाहर किसी भी बड़े आतंकवादी हमले को रोकना, वामपंथी चरमपंथ (Left Wing Extremism - LWE) से प्रभावित दक्षिण और दक्षिण-मध्य भारत तथा पूर्वोत्तर के प्रभावित क्षेत्रों के संबंध में किये गए कार्यों को मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक कहा जा सकता है।
  • ज्ञातव्य है कि जनवरी 2016 में पठानकोट हवाई अड्डे पर हुआ आतंकवादी हमला आखिरी दर्ज हमला है।
  • 2011 से नक्सलवादी हिंसा की घटनाओं में गिरावट की प्रवृत्ति देखने को मिली है और पिछले चार वर्षों में इस स्थिति में और भी सुधार हुआ है।
  • 2013 की तुलना में 2017 में हिंसक घटनाओं में कुल 20 प्रतिशत की कमी (1,136 हमलों की तुलना में 908) दर्ज की गई। साथ ही एलडब्ल्यूई से संबंधित मौतों (397 से घटकर यह आँकड़ा 263 पहुँच गया है) में भी 33.8 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई।
  • इस साल अप्रैल में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने माओवादी प्रभाव के तहत आने वाले ज़िलों की सूची से 44 ज़िलों को हटा दिया और सबसे अधिक माओवाद प्रभावित ज़िलों की संख्या भी 36 से घटकर 30 हो गई हैं।
  • हालाँकि, केरल-कर्नाटक-तमिलनाडु त्रिकोणीय जंक्शन में पिछले कुछ समय से माओवादी घटनाएँ देखने को मिली हैं। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने केरल के तीन ज़िलों को सुरक्षा से संबंधित व्यय (Security Related Expenditure) में शामिल किया है।
  • इसके अलावा एक और क्षेत्र है जहाँ की स्थितियों में इन चार सालों में सुधार देखने को मिला है, वह है पूर्वोत्तर भारत।
  • मंत्रालय के अनुसार, विद्रोह से संबंधित घटनाओं की संख्या 2016 के 484 से घटकर 2017 में 308 हो गई, इससे पहले वर्ष 1997 में सबसे कम विद्रोह की घटनाएँ दर्ज की गई थीं।
  • इसी तरह सुरक्षाकर्मियों की मौत के आँकड़ों में गिरावट देखने को मिली है। यह आँकड़ा वर्ष 2016 के 17 से घटकर वर्ष 2017 में 12 पर आ गया है।
  • इसी प्रकार विद्रोह की घटनाओं में मरने वाले नागरिकों की संख्या में भी गिरावट देखने को मिली है। वर्ष 2016 में जहाँ 48 नागरिकों की मौत हुई थी, वहीं 2017 में यह संख्या घटकर 37 हो गई।
  • इससे पहले पूर्वोत्तर के कई हिस्सों में लागू विवादास्पद अफ्स्पा (Armed Forces Special Powers Act –AFSPA) के दायरे को भी घटा दिया गया है। अब यह केवल नगालैंड, असम और अरुणाचल प्रदेश तक ही सीमित है।
  • वस्तुतः केंद्र सरकार की नीति शुरू से ही विद्रोही समूहों के साथ वार्ता करने की रही है। इसके पीछे मूल उद्देश्य हिंसा का खात्मा करते हुए क्षेत्र विशेष में शांति व्यवस्था को लागू करना रहा है, ताकि बहुत ही सहज एवं शांत तरीके से विद्रोहियों की समस्याओं का हल ढूंढा जा सके और प्रदेश को विकास की राह पर अग्रसर किया जा सके।
  • इसके अतिरिक्त हिंसा की राह न छोड़ने वाले संगठनों को प्रतिबंधित करने जैसे निर्णय भी लिये गए।
  • जून 2015 में मणिपुर में सेना पर हमला करने वाले संगठन NSCN-K को गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम [Unlawful Activities (Prevention) Act], 1967 के तहत "गैरकानूनी संगठन" घोषित किया गया।

NSCN

कौन-कौन से कार्य प्रगति पर हैं?

  • भारत की कुल भूमि सीमा 15,106.7 किमी. लंबी और द्वीप क्षेत्रों सहित तटीय सीमा रेखा 7,516.6 किमी. लंबी है। केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2016 में पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ सीमा रेखा की सीलिंग करने की घोषणा की गई थी, जिसके जल्द ही पूरे होने की संभावना है।
  • सीमाई क्षेत्र में बाड़-बंदी करने के साथ-साथ गृह मंत्रालय ने फ्लडलाइट लगाने, पाकिस्तान, बांग्लादेश, चीन और नेपाल की सीमाओं पर सड़कों के निर्माण, विभिन्न सीमावर्ती स्थानों पर एकीकृत चेक पोस्ट (आईसीपी) के निर्माण और तटीय सुरक्षा को मज़बूत करने के संबंध में भी बहुत से उपाय किये हैं।
  • सरकार का उद्देश्य सीमाई क्षेत्रों को किसी भी आपदा से निपटने के लिये पहले से तैयार रखना ताकि आवश्यकता पड़ने पर उचित निर्णय किये जा सकें।
  • हालाँकि महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या में वृद्धि देखेने को मिली है जो कि चिंता का विषय है। वर्ष 2015 की तुलना में महिलाओं के खिलाफ आपराधिक मामलों में 2016 में 2.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
  • चूँकि कानून और व्यवस्था राज्य सूची का विषय है, इसीलिये गृह मंत्रालय ने राज्यों को सलाह देते हुए पुलिस बल में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने, पुलिस के बीच लैंगिक संवेदनशीलता में वृद्धि करने, 24×7 महिला पुलिस डेस्क की स्थापना करने जैसे महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक कदम उठाने को कहा है।
  • इसके अतिरिक्त आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश [Criminal Law (Amendment) Ordinance], 2018 को भी प्रभाव में लाया गया है ताकि बच्चों और महिलाओं के खिलाफ बढ़ती आपराधिक गतिविधियों पर लगाम लगाई जा सके।
  • इस अध्यादेश के अंतर्गत बच्चों एवं महिलाओं के साथ होने वाले अपराध के संबंध में सज़ा को मृत्युदंड (विशेष मामलों में) और आजीवन कारावास तक बढ़ाया गया है।
  • मिज़ोरम में ब्रू प्रवासियों (Bru migrants) के प्रत्यावर्तन (Repatriation) को भी आने वाले महीनों में पूरा किये जाने की संभावना है।
  • जातीय हिंसा से बचने के लिये ये लोग वर्ष 1997 में त्रिपुरा भाग गए थे।
  • 1,622 ब्रू परिवारों के प्रत्यावर्तन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और 5,407 परिवारों को वापस भेजने के लिये उनकी पहचान की जा चुकी है। 

union budget

कौन-कौन से कार्य अभी लंबित हैं?

  • वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री मोदी ने एनएससीएन-आईएम और केंद्र सरकार के बीच एक ढाँचागत समझौते पर हस्ताक्षर करने की घोषणा की। तीन साल बाद भी इस समझौते को अंतिम रूप दिया जाना अभी बाकी है।
  • इस संबंध में और भी बहुत से समूह अपनी मांगों के साथ सामने आए हैं जिनके साथ केंद्र सरकार के प्रतिनिधि आर.एन. रवि बातचीत कर रहे हैं।
  • एक अन्य प्रमुख प्रस्तावित कानून नागरिकता (संशोधन) विधेयक [Citizenship (Amendment) Bill] 2016 है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के सताए गए हिंदुओं की सहायता हेतु लाए गए इस विधेयक के संबंध में असम और मेघालय में कड़ा विरोध प्रदर्शन हो रहा है, जिस कारण इस विधेयक के अंतर्गत निहित प्रावधानों को लागू करने में बाधा आ रही है।
  • हालाँकि इस संदर्भ में गृह मंत्रालय द्वारा दीर्घकालिक वीज़ा मानदंडों के तहत अंतरिम राहत प्रदान की गई, तथापि इस संबंध में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।
  • गृह मंत्रालय द्वारा प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट  (Prevention of Damage to Public Property Act), 1984 में संशोधन करते हुए प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट, 2015 को लाने का प्रस्ताव पिछले तीन वर्षों से लंबित पड़ा हुआ है।
  • इस विधेयक के अंतर्गत राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा आयोजित रैलियों, हमलों, विरोध प्रदर्शनों आदि के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को पहुँचने वाले नुकसान के लिये उन्हें ज़िम्मेदार ठहराने की बात कही गई है।
  • यूपीए सरकार द्वारा शुरू किये गए सीसीटीएनएस (Crime and Criminal Tracking Networks and Systems) कार्यक्रम को पिछले साल शुरू किया गया था, लेकिन यह व्यवस्था एजेंसियों द्वारा आवश्यक डेटा को सफलतापूर्वक तैयार करने में सक्षम नहीं है।
  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य सभी पुलिस स्टेशनों को आपस में जोड़ने और प्रभावी पुलिस व्यवस्था कायम करने के लिये एक व्यापक एवं एकीकृत प्रणाली प्रदान करना है।
  • सरकार को अभी भी अपराधिक डेटा के लिये राज्य पुलिस द्वारा प्रदत्त जानकरी पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
  • इसके अतिरिक्त देश भर में एकल आपातकालीन प्रतिक्रिया नंबर स्थापित करने का प्रस्ताव भी अभी लंबित ही है।
     

प्रश्न: पूर्वोत्तर भारत के विकास के संदर्भ में केंद्र सरकार किये जा रहे प्रयासों की समीक्षात्मक व्याख्या कीजिये।

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