मोदी सरकार के चार साल (भाग 3) – जीएसटी का कार्यान्वयन ज़ोरों पर; काले धन पर भी सख्त है रवैया | 28 May 2018
संदर्भ
स्वतंत्रता के बाद से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), सबसे बड़े अप्रत्यक्ष कर सुधारों में से एक है, मोदी सरकार द्वारा अपने शासनकाल के तीसरे वर्ष में जीएसटी को लागू किया गया। हालाँकि, इसके अनुपालन में शुरुआत में थोड़ी समस्याएँ हुई, विशेषकर इसके तकनीकी स्वरूप के कारण ऐसा हुआ।
प्रमुख बिंदु
- इसके साथ-साथ कर की दर के निर्धारण, कार्यान्वयन जैसे बहुत-से मुद्दों पर विवाद एवं अनिश्चितता की स्थिति भी उत्पन्न हुई। हालाँकि, अब जीएसटी राजस्व स्थिर हो गया है लेकिन आगे के सुधार रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म और चालान मिलान जैसे उपायों पर निर्भर करती है।
- अप्रत्यक्ष कर सुधारों के साथ-साथ सरकार ने विदेशों में रखे काले धन के मुद्दे से निपटने के लिये एक नया कानून पेश किया। साथ ही काले धन की समस्या से निपटने के लिये अन्य लक्षित कदम भी उठाए।
- पिछले चार वर्षों में केंद्र सरकार ने कॉर्पोरेट कर दर में चरणबद्ध कमी लाने की प्रक्रिया को भी शुरू किया है।
क्या-क्या कार्य किये गए?
- 1 जुलाई, 2017 से जीएसटी की शुरुआत। इस नई कर व्यवस्था के तहत 17 केंद्रीय और राज्य करों को समाहित किया गया।
- केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद द्वारा कुछ महत्त्वपूर्ण निर्णय भी लिये गए तथा इस परिषद के अंतर्गत राज्य वित्त मंत्रियों को सदस्य के रूप में शामिल किया गया।
- ब्लैक मनी (अज्ञात विदेशी आय एवं संपत्ति) और कर अधिनियम, 2015 का कार्यान्वयन एवं प्रभाव।
- करदाताओं द्वारा अपनी अज्ञात विदेशी संपत्ति की घोषणा करने के लिये 1 जुलाई से 30 सितंबर, 2015 तक का समय प्रदान किया गया, जिसके तहत एकल खिड़की के ज़रिये 640 से अधिक लोगों ने 4,100 करोड़ रुपए से अधिक की अज्ञात विदेशी संपत्ति की घोषणा की।
- 2016 में आय घोषणा योजना (Income Declaration Scheme-IDS) के माध्यम से अज्ञात आय की घोषणा करने हेतु एकल खिड़की की सुविधा प्रदान की गई, विमुद्रीकरण के पश्चात् प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (Pradhan Mantri Garib Kalyan Yojana-PMGKY) के अंतर्गत भी इसी का अनुसरण किया गया।
- आईडीएस के तहत 71,000 से अधिक लोगों द्वारा 67,300 करोड़ रुपए की अज्ञात आय की घोषणा की गई, जबकि पीएमजीकेवाई के तहत लगभग 21,000 लोगों द्वारा तकरीबन 4,900 करोड़ रुपए की घोषणा की गई।
- बेनामी लेन-देन (निषेध) अधिनियम, 1988 में संशोधन किया गया। इसके तहत 900 से अधिक संपत्तियों के मामलों को अस्थायी रूप से संलग्न किया गया।
- आपको जानकर आश्चर्य होगा कि संलग्न की गई इन संपत्तियों का मूल्य 3,500 करोड़ रुपए से भी अधिक पाया गया।
- 1 अप्रैल, 2017 से गार (General Anti-Avoidance Rules-GAAR) का कार्यान्वयन। मॉरीशस के साथ डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (Double Taxation Avoidance Agreement-DTAA) में संशोधन किया गया, जिसके तहत भारत को किसी मॉरीशियन टैक्स निवासी द्वारा अधिग्रहित भारतीय कंपनी के शेयरों की बिक्री या हस्तांतरण से उत्पन्न पूंजीगत लाभ पर कर वसूलने का अधिकार दिया।
- साथ ही इसके अंतर्गत 31 मार्च, 2017 तक किये गए निवेश को इस प्रावधान से छूट भी प्रदान की गई।
- वित्त वर्ष 18 के दौरान टैक्स नेट में बढ़ोतरी दर्ज की गई, इसके अंतर्गत नए आयकर रिटर्न आवेदकों की संख्या 99.49 लाख (30 मार्च, 2018 तक) हो गई है, इसकी तुलना में वर्ष 2016-17 के वित्त वर्ष में आयकर रिटर्न फाइल करने वालों की संख्या 85.51 लाख थी अर्थात् इसमें 16.3 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
कौन-कौन से कार्य अभी प्रगति पर हैं?
- एक नए जीएसटी रिटर्न फाइलिंग सिस्टम को मंज़ूरी दी गई है, इसे कार्यान्वित होने में अभी एक साल का समय लगेगा।
- कम्पोजीशन डीलर्स (composition dealers) और शून्य लेन-देन वाले डीलरों को छोड़कर सभी करदाताओं को एक मासिक रिटर्न दाखिल करना होगा।
- इसके अतिरिक्त एक त्रि-स्तरीय ट्रांजीशन अवधि भी प्रस्तावित की गई है, जिसके बाद इनपुट टैक्स क्रेडिट केवल विक्रेता द्वारा अपलोड किये गए चालानों पर ही प्रदान किये जाएंगे।
- जीएसटी के तहत, सरकार ने वस्तुओं के अंतर-राज्य आवागमन के लिये ई-वे बिल के अनुपालन को अनिवार्य किया है।
- 3 जून से देश के सभी राज्यों द्वारा अनिवार्य रूप से ई-वे बिल प्रणाली के क्रियान्वयन को सुनिश्चित किया गया है। अभी तक 20 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने ई-वे बिल को अनिवार्य किया है।
- 31 जनवरी, 2017 को आईटी विभाग द्वारा शुरू किये गए ऑपरेशन क्लीन मनी के तहत विमुद्रीकरण के बाद बड़ी संख्या में बैंकों में धन जमा कराने वाले लोगों से संबंधित आँकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है।
- इसके पहले चरण में 17.92 लाख लोगों की सत्यापन हेतु पहचान की गई है।
- इसके दूसरे चरण में उच्च, मध्यम और निम्न जोखिम वाले समूहों में शामिल करदाताओं के वर्गीकरण का कार्य अभी प्रगति पर है।
- एक नया प्रत्यक्ष कर कानून तैयार करने के लिये एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है। संभवतः अगले तीन महीनों में यह पैनल अपनी रिपोर्ट जमा कर देगा।
- सरकार ने जीएसटी के तहत निर्यातकों को धन-वापसी की मंज़ूरी तो दे दी लेकिन अभी इसका शत—प्रतिशत कार्यान्वयन नहीं हो पाया है।
- 31 मार्च, 2018 तक इसके लिये 17,616 करोड़ रुपए मंज़ूर किये गए थे।
कौन-कौन से कार्य अभी लंबित हैं?
- जीएसटी के तहत अधिकांश राज्यों ने अभी तक एक अपीलीय प्राधिकरण की स्थापना नहीं की है। अभी तक 12 राज्यों ने एएएआर (Appellate Authority for Advance Ruling-AAAR) की स्थापना के लिये अधिसूचना जारी की है।
- इसके अलावा, निर्यातकों के लिये प्रस्तावित ई-वॉलेट, जिसे अक्तूबर तक के लिये निलंबित कर दिया गया है, अभी भी लिस्ट में है।
- जीएसटी काउंसिल ने हाल की अपनी बैठक में चीनी पर सेस लगाने और डिजिटल भुगतान के लिये प्रोत्साहन प्रदान करने का प्रस्ताव पेश किया।
- हालाँकि, इन प्रस्तावों का राज्यों द्वारा विरोध किया गया, जिसके बाद दो GoMs (Group of Ministers-GoMs) का गठन किया गया।
- पहले तो सरकार ने 2017-18 में 50 करोड़ रुपए का कारोबार करने वाली कंपनियों के लिये कॉर्पोरेट कर की दर को 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी कर दिया, फिर 250 करोड़ रुपए से अधिक का वार्षिक कारोबार करने वाली कंपनियों के लिये इसे बढ़ा दिया।
- हालाँकि, इसे 2015 में प्रस्तावित सभी कंपनियों के लिये विस्तारित नहीं किया गया।
- पाँच पेट्रोलियम उत्पादों - कच्चे तेल, डीज़ल, पेट्रोल, प्राकृतिक गैस, विमानन टरबाइन ईंधन, मानव उपभोग के अल्कोहल और अचल संपत्ति को अभी भी जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है, जिसका बहुत-से संबंधित उत्पादों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
जीएसटी के प्रारंभिक रूप में रिवर्स चार्ज मैकेनिज़्म, जहाँ अपंजीकृत विक्रेता के मामले में कर देयता खरीदार पर होती है; चालान मिलान और किसी स्रोत पर एकत्रित कर अभी भी कमज़ोर स्थिति में हैं, इनके प्रभाव में आने के बाद कर अनुपालन में वृद्धि होने तथा जाँच प्रक्रियाओं को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
प्रश्न: केंद्र सरकार द्वारा काले धन, कर चोरी और बेनामी संपत्ति जैसी समस्याओं से निपटने के लिये क्या-क्या उपाय किये गए हैं, विवेचनात्मक वर्णन कीजिये।
‘मोदी सरकार के चार साल’ खंड के संदर्भ में अन्य पक्षों को जानने के लिये पढ़ें :
मोदी सरकार के चार साल (भाग 1) - रेलवे: ट्रैक पर सुधार, पर राजस्व चिंता का विषय