शैक्षिक तकनीक (Ed-Tech) | 01 Jul 2021
यह एडिटोरियल दिनांक 30/06/2021 को इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित लेख “The future of learning in India is ed-tech”पर आधारित है। इसमें शिक्षा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के उपयोग से जुड़ी ज़रूरतों और चुनौतियों पर चर्चा की गई है।
वर्तमान में भारत का स्कूली शिक्षा परिदृश्य कठिन चुनौतियों का सामना कर रहा है। क्रमिक ASER सर्वेक्षणों के अनुसार, कोविड-19 महामारी से पहले भी देश शिक्षा से संबंधित परेशानियों से जूझ रहा था।
महामारी इस संकट को और बढ़ा सकती है। महामारी के चलते विशेष रूप से 15.5 लाख स्कूल 1 वर्ष से अधिक समय से बंद हैं, जिसके चलते 248 मिलियन से अधिक छात्रों की शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
इस शिक्षा के संकट के साथ चौथी औद्योगिक क्रांति के उद्भव ने शिक्षा की पुनर्कल्पना और इसे अभूतपूर्व तकनीकी परिवर्तन के साथ संरेखित करना अनिवार्य बना दिया है।
शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट सर्वेक्षण:
(Annual Status of Education Report- ASER)
- शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (Annual Status of Education Report-ASER) एक वार्षिक सर्वेक्षण है जिसका उद्देश्य भारत में प्रत्येक राज्य और ग्रामीण ज़िले के बच्चों की स्कूली शिक्षा की स्थिति और बुनियादी शिक्षा के स्तर का विश्वसनीय वार्षिक अनुमान प्रदान करना है।
- ASER सर्वेक्षण ग्रामीण शिक्षा एवं सीखने के परिणामों पर आधारित एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण है जिसमें पढ़ने एवं अंकगणितीय कौशल को शामिल किया गया है।
- इसे पिछले 15 वर्षों से एनजीओ ‘प्रथम’ (NGO Pratham) द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
एड-टेक की आवश्यकता और अवसर
- एड-टेक के इच्छित लाभ: प्रौद्योगिकी में अविश्वसनीय क्षमता है और यह मानव को इच्छित लाभ देने में भी सक्षम है, जो इस प्रकार हैं:
- शिक्षा के अधिक-से-अधिक निजीकरण को सक्षम करना।
- सीखने की दर में सुधार करके शैक्षिक उत्पादकता में वृद्धि करना।
- अवसंरचनात्मक सामग्री की लागत को कम करना और बड़े पैमाने पर सेवा प्रदान करना।
- शिक्षकों/निर्देशकों के समय का बेहतर उपयोग करना।
- महामारी से प्रेरित आवश्यकता: महामारी के कारण शिक्षा में उत्पन्न हुई बाधा ने इसमें प्रौद्योगिकी को समाहित करने की आवश्यकता को एक महत्त्वपूर्ण आधार प्रदान किया है।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 निर्देश के प्रत्येक स्तर पर प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने का स्पष्ट आह्वान करती है।
- यह स्वायत्त निकाय राष्ट्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी मंच (NETF) की स्थापना की परिकल्पना करता है, जो प्रौद्योगिकी के उपयोग और इसकी स्थापना की दिशा में प्रयासों का नेतृत्व करता है।
- एड-टेक का वादा: भारतीय एड-टेक इकोसिस्टम में नवाचार की काफी संभावनाएँ हैं। 4,500 से अधिक स्टार्ट-अप और लगभग 700 मिलियन डॉलर के मौजूदा मूल्यांकन के साथ यह बाज़ार तेज़ी से विकास कर रहा है। अनुमान है कि अगले 10 वर्षों में $ 30 बिलियन का आश्चर्यजनक बाज़ार देखने को मिल सकता है।
- सरकार द्वारा उठाए गए कदम: भारत डिजिटल इंडिया और दीक्षा (स्कूली शिक्षा के लिये डिजिटल अवसंरचना) जैसे प्रमुख कार्यक्रमों द्वारा संचालित तकनीक-आधारित बुनियादी ढाँचे, बिजली और सस्ती इंटरनेट कनेक्टिविटी तक पहुँच बढ़ाने के साथ इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिये तैयार है।
- तकनीक-सक्षम निगरानी और कार्यान्वयन हेतु भारत सरकार द्वारा आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है जो नागरिक जुड़ाव, भागीदारी और प्रभावी सेवा वितरण पर ज़ोर देता है।
एड-टेक में ज़मीनी स्तर पर नवाचार के कई उदाहरण उपलब्ध हैं:
- अरुणाचल प्रदेश के नामसाई ज़िले में हमारा विद्यालय कार्यक्रम तकनीक आधारित प्रदर्शन आकलन को बढ़ावा दे रहा है।
- असम का ऑनलाइन कॅरियर मार्गदर्शन पोर्टल कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों के लिये स्कूल से काम और उच्च शिक्षा ट्रांजिशन को मज़बूत कर रहा है।
- गुजरात में समर्थ नामक कार्यक्रम, आईआईएम-अहमदाबाद के सहयोग से लाखों शिक्षकों को ऑनलाइन पेशेवर विकास की सुविधा प्रदान कर रहा है;
- झारखंड का डिजीसाथ अभिभावक-शिक्षक-छात्र संबंध को मज़बूती से स्थापित करके व्यवहार परिवर्तन का नेतृत्व कर रहा है।
- हिमाचल प्रदेश की हर घर पाठशाला विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिये डिजिटल शिक्षा प्रदान कर रही है।
- उत्तराखंड का सामुदायिक रेडियो बाइट-आकार के प्रसारणों के माध्यम से प्रारंभिक पठन को बढ़ावा दे रहा है।
- मध्य प्रदेश का डिजी LEP कार्यक्रम सभी समूहों और माध्यमिक विद्यालयों को कवर करने वाले 50,000 से अधिक व्हाट्सएप समूहों के साथ एक अच्छी तरह से स्थापित तंत्र के माध्यम से सीखने की दर में वृद्धि के लिये सामग्री वितरित कर रहा है।
- केरल की अक्षरवृक्षम पहल खेल और गतिविधियों के माध्यम से सीखने और कौशल विकास का समर्थन करने के लिये डिजिटल "एजुटेनमेंट" पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
एड-टेक के साथ जुड़े मुद्दे
- प्रौद्योगिकी तक पहुँच में कमी: प्रत्येक छात्र जो स्कूल जाने का खर्च नहीं उठा सकता है उसके पास ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने के लिये फोन, कंप्यूटर या यहाँ तक कि एक गुणवत्तायुक्त इंटरनेट कनेक्शन होना दुर्लभ है।
- वर्ष 2017-18 के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के आँकड़ों के अनुसार, केवल 42 प्रतिशत शहरी और 15 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास इंटरनेट की सुविधा थी।
- ऐसे में एड-टेक पहले से मौजूद डिजिटल डिवाइड को बढ़ा सकता है।
- शिक्षा के अधिकार के विपरीत: प्रौद्योगिकी सभी के लिये सस्ती नहीं है और पूरी तरह से ऑनलाइन शिक्षा की ओर बढ़ना उन लोगों के शिक्षा के अधिकार को छीनने जैसा है जो प्रौद्योगिकी के उपयोग में सक्षम नहीं हैं।
- इसके अलावा शिक्षा के डिजिटलीकरण की बात करने वाली राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी शिक्षा के अधिकार के विपरीत है।
आगे की राह
- व्यापक एड-टेक नीति: एक व्यापक एड-टेक नीति संरचना में चार प्रमुख तत्त्वों पर ध्यान दिया जाना चाहिये-
- विशेष रूप से वंचित समूहों तक शिक्षा की पहुँच प्रदान करना।
- शिक्षण, सीखने और मूल्यांकन की प्रक्रियाओं को सक्षम बनाना।
- शिक्षक प्रशिक्षण और निरंतर व्यावसायिक विकास की सुविधा।
- योजना, प्रबंधन और निगरानी प्रक्रियाओं सहित शासन प्रणाली में सुधार करना।
- प्रौद्योगिकी एक उपकरण है, रामबाण नहीं: सार्वजनिक शिक्षण संस्थान सामाजिक समावेश और सापेक्ष समानता में अनुकरणीय भूमिका निभाते हैं।
- यह वह स्थान है जहाँ सभी लिंगों, वर्गों, जातियों और समुदायों के लोग मिल सकते हैं और यहाँ किसी एक समूह को दूसरों के सामने झुकने के लिये मजबूर नहीं किया जा सकता है।
- इसलिये प्रौद्योगिकी स्कूलों का प्रतिस्थापन या शिक्षकों का स्थान नहीं ले सकती है। इस प्रकार यह "शिक्षक बनाम प्रौद्योगिकी" नहीं बल्कि "शिक्षक और प्रौद्योगिकी" होना चाहिये।
- एड-टेक के लिये बुनियादी ढाँचा प्रदान करना: तत्काल अवधि में एड-टेक परिदृश्य (विशेष रूप से उनके पैमाने, पहुँच और प्रभाव) को लागू करने के लिये एक सुव्यवस्थित तंत्र होना चाहिये।
- शिक्षकों और छात्रों के लिये पहुँच, इक्विटी, बुनियादी ढाँचे, शासन और गुणवत्ता से संबंधित परिणामों व चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
- डिजिटल डिवाइड को दो स्तरों - प्रौद्योगिकी का प्रभावी ढंग से उपयोग करने और इसके लाभों का लाभ उठाने के लिये पहुँच एवं कौशल को संबोधित करने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये।
- क्रॉस-प्लेटफॉर्म एकीकरण: लघु से मध्यम अवधि में नीति निर्माण और योजना प्रक्रिया को विभिन्न परियोजनाओं (शिक्षा, कौशल, डिजिटल शासन तथा वित्त) के साथ अभिसरण द्वारा सक्षम करने का प्रयास किया जाना चाहिये।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से समाधानों के एकीकरण को बढ़ावा देने और सरकार के सभी स्तरों पर सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने की भी आवश्यकता है।
- सफलता के मॉडल को दोहराना: लंबी अवधि में जैसे-जैसे नीति स्थानीय स्तर पर अभ्यास में बदल जाती है और प्रौद्योगिकी-आधारित समाधान सर्वव्यापी हो जाते हैं, उसी के साथ ही इस प्रकार की सफलताओं के मॉडल को अपनाकर सर्वोत्तम-इन-क्लास प्रौद्योगिकी समाधानों का भंडार, अच्छी प्रथाओं और सफल कार्यान्वयन को सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
- नीति आयोग का इंडिया नॉलेज हब और शिक्षा मंत्रालय का DIKSHA तथा ShaGun प्लेटफॉर्म इस तरह की शिक्षा को सुविधाजनक बनाने के साथ-साथ बढ़ा सकते हैं।
निष्कर्ष
एक समग्र रणनीति से Ed-Tech के सफल अनुप्रयोग तक की यात्रा निस्संदेह लंबी होगी। इसके लिये सावधानीपूर्वक योजना बनाने, निरंतर कार्यान्वयन और परिकलित पाठ्यक्रम सुधार की आवश्यकता है। NEP 2020 के साथ आगे बढ़ने हेतु शिक्षा को प्रभावी ढंग से अधिकतम छात्रों तक पहुँचाने के लिये एक परिवर्तनकारी एड-टेक नीति समय की आवश्यकता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: महामारी से प्रेरित शिक्षा के संकट के साथ चौथी औद्योगिक क्रांति के उद्भव ने शिक्षा की पुनर्कल्पना और इसे अभूतपूर्व तकनीकी परिवर्तन के साथ संरेखित करना अनिवार्य बना दिया है। चर्चा कीजिये।