विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
वैज्ञानिक क्रांति का दशक
- 11 Jan 2020
- 12 min read
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में पिछले दशक की कुछ महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक और तकनीकी उपलब्धियों पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।
संदर्भ
लगभग 3500 ई.पू. में पहिये के साथ शुरू हुआ वैज्ञानिक आविष्कार का सफर आज तक अनवरत जारी है। इस दौरान दुनिया भर में तमाम तरह के आविष्कार किये जा रहे हैं जिन्होंने हमारे जीवन के सूक्ष्मतम पहलुओं को बदलने में अपना योगदान दिया है। 20वीं सदी में इंटरनेट के आविष्कार ने कंप्यूटर क्रांति के मार्ग को एक नई दिशा दी और लगभग संपूर्ण विश्व को एक कमरे में समेट दिया। पिछले एक दशक में विज्ञान की दुनिया काफी बदल गई है, इस अवधि के दौरान हुए वैज्ञानिक और तकनीकी नवाचार ने मानवीय जीवन को बेहद प्रभावित किया है। ऐसे में यह आवश्यक है कि हम बीते 10 वर्षों में वैज्ञानिक विकास के बदलते स्वरूप को समझने का प्रयास करें।
स्मार्ट फोन क्रांति
- पिछला एक दशक स्मार्ट फोन की क्रांति के नज़रिये से काफी अहम् रहा है। इस अवधि में हम फीचर फोन से टच स्क्रीन फोन तक पहुँच गए हैं। इसी के साथ ही मोबाइल फोन की कीमतों में भी काफी कमी देखने को मिला है।
- फोन की कीमतों में कमी से इसकी मांग बढ़ गई है और आज यह दुनिया भर के आम जनमानस तक पहुँच गया है।
- वर्ष 2010 के मुकाबले वर्ष 2020 के मोबाइल फोन्स में मौजूद फीचर्स ने हमारे दैनिक जीवन पर भी काफी प्रभाव डाला है। आज हमारा दैनिक जीवन मोबाइल फोन के चारों ओर ही घूम रहा है।
3G से 5G की ओर
- 1990 के दशक के अंत में इंटरनेट क्रांति ने मोबाइल इंटरनेट की मांग को काफी बढ़ा दिया। 2G नेटवर्क की अभूतपूर्व सफलता ने अधिक तेज़ तथा कुशल मोबाइल नेटवर्क के निर्माण हेतु एक एक प्रेरणा का कार्य किया, जिसके पश्चात् 3G नेटवर्क पर खोज प्रारंभ हुई और 2010 के दशक की शुरुआत के साथ ही 3G नेटवर्क आम लोगों के बीच प्रचलित हो गया।
- अब नए दशक की शुरुआत के साथ ही हम 5G नेटवर्क की ओर बढ़ गए हैं जिसने लोगों को इंटरनेट के प्रयोग का बेहतरीन अनुभव प्रदान किया।
- इस अवधि में इंटरनेट डेटा का प्रयोग भी काफी तेज़ी से बढ़ा है। एसोचैम (ASSOCHAM) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत का डेटा उपभोग वर्ष 2022 में 72.6 प्रतिशत बढ़कर 10,96,58,793 मिलियन MB हो जाएगा। यदि भारत में 5G आता है तो डेटा की यह खपत और अधिक बढ़ सकती है।
मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना
- नासा (NASA) के क्यूरियोसिटी रोवर (Curiosity Rover) यान ने 6 अगस्त, 2012 को मंगल ग्रह पर उतरने के कुछ समय बाद ही गोल आकार के पत्थरों (Rounded Pebbles) की खोज की, जो यह दर्शाता है कि लगभग तीन बिलियन वर्ष पहले इस ग्रह पर नदियाँ विद्यमान थीं।
- वर्ष 2019 में नासा के क्यूरियोसिटी रोवर यान द्वारा मंगल ग्रह की वायु में मीथेन की उच्च मात्रा संबंधी डेटा भेजा गया है। पृथ्वी पर यह गैस सामान्यतः जीवित जीवों द्वारा उत्सर्जित होती है। वैज्ञानिक इसे मंगल ग्रह पर सूक्ष्मजीवों की उपस्थिति का संकेत मान रहे हैं।
- वर्ष 2014 में क्यूरियोसिटी रोवर यान ने जीवन के आधारभूत तत्त्व जटिल कार्बनिक अणुओं की खोज की।
- वर्ष 2020 में अमेरिका द्वारा ‘मार्स, 2020’ (Mars, 2020) और यूरोप द्वारा ‘रोजालिंड फ्रैंकलिन रोवर्स’ (Rosalind Franklin Rovers) यानों को मंगल ग्रह पर सूक्ष्मजीवों की उपस्थिति की खोज के लिये लॉन्च किया जाएगा।
गुरुत्वाकर्षण तरंगें
- लगभग 100 वर्ष पहले सर्वप्रथम महान वैज्ञानिक ‘अल्बर्ट आइंस्टीन’ द्वारा सापेक्षिकता के सिद्धांत (Theory of Relativity) में गुरुत्वाकर्षण तरंगों की भविष्यवाणी की गई थी। इस भविष्यवाणी के संदर्भ में तकरीबन 50 वर्षों तक शोध कार्य किये जाने के बाद 14 सितंबर, 2015 को पहली बार इन तरंगों को खोजा जा सका।
- लगभग 1.3 बिलियन वर्ष पूर्व ब्रह्माण्ड में दो ब्लैकहोल (Blackholes) की शक्तिशाली टक्कर के कारण पूरे ब्रह्माण्ड में सागरीय लहरों की तरह वलन उत्पन्न करते हुए प्रकाश की गति से चलने वाली कुछ तरंगें उत्पन्न हुईं। इन्हीं तरंगों को गुरुत्त्वाकर्षण तरंगें कहा जाता है।
- वर्ष 2017 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार गुरुत्त्वीय तरंगों की खोज करने वाले वैज्ञानिकों रैनर वीस (Rainer Weiss), बैरी सी. बैरिश (Barry C. Barish) एवं किप एस. थॉर्न (Kip S. Thorne) को संयुक्त रूप से प्रदान किया गया था और तब से कई प्रकार के गुरुत्त्वाकर्षण तरंगों का पता लग चुका है।
- वर्ष 2009 में नासा द्वारा लॉन्च किये गए कैपलर मिशन ने हमारे सौरमंडल के बाहर अब तक 2600 से अधिक ग्रहों की खोज की है। ऐसे ग्रहों को एक्सोप्लैनेट (Exoplanets) कहते हैं।
- नासा द्वारा हमारे सौरमंडल से बाहर के जीवन का पता लगाने के लिये वर्ष 2018 में कैपलर के उत्तरवर्ती (Successor) मिशन ‘टेस’ (The Transiting Exoplanet Survey Satellite-TESS) लॉन्च किया गया था।
चालक रहित कार
- 2010 के दशक में दुनिया भर की कई बड़ी कंपनियों ने बिना ड्राइवर के वाली कार के प्रयोग में सफलता हासिल की है जिसमें टेस्ला और गूगल जैसी कंपनियों का नाम सबसे आगे है।
- इंटरनेट के माध्यम से गूगल मैप और कृत्रिम बुद्धमत्ता (AI) का प्रयोग कर इस प्रकार की गाड़ियाँ लोगों को बिना जोखिम के अपनी मंज़िल तक पहुँचती हैं।
- हालाँकि विश्लेषक मानते हैं कि चालक रहित गाड़ियों की परियोजना को पूरी तरह सफलता हासिल करने में अभी थोड़ा समय लेगा और विशेष भौगोलिक क्षेत्रों जैसे भारत आदि, जहाँ स्वाचालित तकनीक का प्रचलन काफी कम है, में लंबा वक्त लग सकता है।
- इसके अलावा ड्राइवर रहित करों को लेकर डेटा सुरक्षा भी एक बड़ा मुद्दा है।
ड्रोन का प्रयोग
- विश्व में ड्रोन का इतिहास काफी पुराना है, परंतु इस संदर्भ में एक महत्त्वपूर्ण घटना वर्ष 2010 में हुई जब एक फ्रेंच कंपनी ने पहला रेडी-टू-फ्लाई (Ready-to-Fly) ड्रोन जिसे स्मार्टफोन का उपयोग कर वाई-फाई (Wi-Fi) के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता था।
- वर्ष 2014 में अमेज़न (Amazon) ने ड्रोन के माध्यम से डिलीवरी करने का विचार प्रस्तुत किया। साथ ही इसी समय कई कंस्ट्रक्शन कंपनियां भी अपने प्रमोशन के लिये ड्रोन का प्रयोग करने लगी थीं।
- एयर टैक्सी की अवधारणा को ड्रोन के विकास का दूसरा चरण माना जा रहा है, इसके माध्यम से लोगों को ट्रैफिक जाम की समस्या से छुटकारा मिल सकेगा।
- मौजूदा समय में भारत के बंगलुरू में एयर टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है। भारत में ड्रोन के बढ़ते प्रयोग को देखते हुए सरकार ने नीति भी तैयार की है।
मानव परिवार के विभिन्न पूर्वजों की खोज
- 2010 के दशक की शुरुआत ही ‘डेनिसोवंस’ (Denisovans) नामक मानव परिवार की एक विलुप्त प्रजाति की खोज के साथ हुई थी। इस प्रजाति की खोज साइबेरिया के अल्टाई (Altai) पर्वत में ‘डेनिसोवा’ (Denisova) गुफा में खोज के कारण इसका नाम ‘डेनिसोवंस’ रखा गया था।
- इसके बाद वर्ष 2015 में ‘होमो नालेडी’ (Homo Naledi) नामक मानव प्रजाति के अवशेष दक्षिण अफ्रीका में खोजे गए।
- जबकि वर्ष 2019 में जीवाश्म विज्ञानियों (Paleontologists) ने फिलीपींस में पाई जाने वाली एक और प्रजाति को होमो लूजोनेंसिस (Homo Luzonensis) नामक एक छोटे आकार की मानव प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया था।
कृत्रिम बुद्धमत्ता (AI)
- गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां कृत्रिम बुद्धमत्ता (AI) आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम के लिये कार्य कर रही हैं। AI की सहायता से हमारे जीवन में रोबोटिक्स का प्रयोग दिन-प्रति-दिन बढ़ता जा रहा है।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता वह गतिविधि है जिसके द्वारा मशीनों को बुद्धिमान बनाने का काम किया जाता है और बुद्धिमत्ता वह गुण है जो किसी इकाई को अपने वातावरण में उचित दूरदर्शिता के साथ कार्य करने में सक्षम बनाता है।
- 2010 का दशक ‘मशीन लर्निंग’ (Machine Learning) के आरंभ का दशक रहा है।
निष्कर्ष
बीता दशक वैज्ञानिक आविष्कारों की दृष्टि से एक क्रांतिकारी युग रहा है। इस दौरान ऐसे तमाम आविष्कार हुए जिन्होंने आम जनमानस के सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित किया है। हालाँकि तकनीक जो हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी में काफी फायदेमंद होती है वह मानव सभ्यता को प्रतिकूल रूप से भी प्रभावित कर सकती है। उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में भी तकनीक इसी तरह मानवीय जीवन को और सुगम बनाने में अपना योगदान देगी।