कितनी तर्कसंगत है आकस्मिक कार्यबल में हो रही वृद्धि? | 31 May 2017
संदर्भ
वर्तमान समय में डिजिटलीकारण रोज़गारों को कम करने में प्रत्यक्ष भूमिका निभा रहा है क्योंकि इसके कारण सॉफ्टवेयर द्वारा मानव श्रम का प्रतिस्थापन किया जा रहा है। इसके पीछे तर्क यह दिया जाता है कि सॉफ्टवेयर से कार्य पूरा करने में कम समय लगता है। विदित हो कि आज व्यवसायों में वित्तीय दबाव के चलते भी स्टाफ में कमी की जाती है। वास्तविकता यह है कि लोग अपने जीवन काल में कई बार अपने रोज़गारों में परिवर्तन करते हैं। “गिग अर्थव्यवस्था” (Gig economy) को इसी रुझान के विकास के तौर पर देखा जा सकता है।
महत्त्वपूर्ण तथ्य
- हालाँकि, आज व्यवसायों में प्रौद्योगिकी का महत्त्व अधिक हो गया है, लेकिन किसी भी संगठन द्वारा इससे संबंधित मुद्दों पर अवश्य विचार किया जाना चाहिये-
→ सभी प्रौद्योगिकियों से संबंधित मुद्दों को एक-साथ सूचीबद्ध करना।
→ लागत के स्थान पर प्रतिभा को एक निवेश के रूप में देखना तथा एक समय पर केवल एक ही लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करना।
→ वैश्विक कार्यबल का उद्भव जहाँ किसी कंपनी के स्थान की निकटता अथवा दूरी प्रतिभाशाली व्यक्तियों के कार्य में अवरोध उत्पन्न नहीं कर सकती है।
→ लाखों प्रतिभाशाली श्रमिकों का आगमन।
- ‘गिग अर्थव्यवस्था’ का किसी संगठन के स्थाई कार्यबल पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। किसी भी संगठन द्वारा महत्त्वपूर्ण कार्यों को प्रतिभाशाली आकस्मिक श्रमिकों के माध्यम से ही संपन्न कराया जाता है।
क्या हैं चुनौतियाँ?
- यद्यपि अस्थाई कामगारों को शिक्षित करना चुनौतीपूर्ण है, तथापि उन्हें शिक्षित किया जाना आवश्यक भी है ताकि वे किसी संगठन में मौज़ूद प्रतिभा अंतराल को समझने में सक्षम हों। यह आवश्यक है कि यह संदेश सभी कामगारों तक पहुँचाया जाए कि कंपनी बाज़ार व्यवस्था से भलीभाँति परिचित है तथा यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि इसके अस्थाई कार्यबल कौशल्युक्त हैं अथवा नहीं। अतः कामगारों को उनके अस्थायी संगठन के साथ सामंजस्य बनाए रखने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।
- ऐसे अस्थायी संगठनों के पास कामगारों के पेशेवर कौशल से संबंधित चुनौतियाँ भी अवश्य उपस्थित रहेंगी क्योंकि ये संगठन कुछ निश्चित प्रोजेक्टों के अलावा कभी भी आकस्मिक कामगार की नियुक्ति नहीं करते हैं। तकनीकी मूल्यांकन, बौद्धिक संपदा संरक्षण और वाणिज्यिक वार्ता के संदर्भ में प्रतिभा खरीद को बढ़ावा दिया जाना चाहिये ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि दोनों पक्ष (कामगार और संगठन) इस व्यवस्था से संतुष्ट हैं।
- आकस्मिक कामगारों के संदर्भ में बनाए गए दिशा-निर्देशों का अनुसरण करना अत्यावश्यक है। चूँकि नियामकीय प्रक्रिया स्वयं ही एक बोझिल प्रक्रिया है, अतः यह देखा गया है कि अर्थव्यवस्था के विशाल स्वरूप और नियामकों को अपनाने (चूँकि इससे जुड़े हुए कानून कई संदर्भों में अपूर्ण और प्राचीन हैं) के मध्य एक बड़ा अंतराल विद्यमान है।
- कंपनियों को ऐसी परिस्थितियों को विचारों, उचित प्रक्रिया और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के माध्यम से विशेष रूप से नियंत्रित करना होता है। सरकार कंपनियों से यह आश्वासन चाहती है कि वे किसी भी परिस्थिति में कानून के विरुद्ध कार्य नहीं करेंगी।
क्या है आकस्मिक कार्यबल?
आकस्मिक कार्यबल श्रमिकों का एक समूह है जिसके सदस्यों को किसी संगठन द्वारा अपनी मांग के अनुसार किराए पर लिया जाता है। इनमें फ्रीलांसर, स्वतंत्र ठेकेदार और सलाहकारों को शामिल किया जाता है। चूँकि इनके नाम कंपनी के भुगतान रजिस्टर में सूचीबद्ध नहीं होते हैं, अतः ये संगठन के पूर्णकालिक कर्मचारी नहीं होते हैं।
आकस्मिक कार्य से तात्पर्य?
- आकस्मिक कार्य एक ऐसा रोज़गार संबंध है जिसे ‘अस्थाई’ माना जाता है। ये रोज़गार पार्ट-टाइम प्रकृति के होते हैं तथा इनमें सीमित रोज़गार सुरक्षा होती है। इसके परिणामस्वरूप वेतन का भुगतान प्रत्येक दिन के काम के आधार पर किया जाता है। इस कार्य को करियर (career) अथवा करियर का हिस्सा नहीं माना जाता है।
- आकस्मिक कार्य की एक विशेषता यह भी है कि इसमें करियर के विकास की कोई संभावना नही होती है। इन कामगारों को प्रायः फ्रीलांसर, स्वतंत्र पेशेवर,अस्थायी संविदा कर्मी, स्वतंत्र ठेकेदार अथवा सलाहकार आदि कहा जाता है।
क्या है ‘गिग’ अर्थव्यवस्था?
- वस्तुतः यह श्रम बाज़ार का ही एक रूप है, जिसमें स्थाई रोज़गार की बजाय अल्पकालिक अनुबंध अथवा फ्रीलांस कार्य को प्राथमिकता दी जाती है।
- गिग अर्थव्यवस्था बदलते सांस्कृतिक और कारोबारी परिवेश का एक भाग है, जिसमें शेयरिंग (साझा) इकॉनमी, गिफ्ट अर्थव्यवस्था और बार्टर (वस्तु-विनिमय) अर्थव्यवस्था को भी शामिल किया जाता है।
कितनी प्रभावी है गिग अर्थव्यवस्था?
- गिग अर्थव्यवस्था की शुरुआत हो चुकी है। एक अध्ययन में यह पाया गया कि वर्ष 2020 तक 40% अमेरिकी श्रमिक स्वतंत्र ठेकेदार बन जाएंगे। अल्पकालिक रोज़गार की बढ़ती हिस्सेदारी के पीछे कई कारक विद्यमान हैं। डिजिटलिकरण के इस युग में श्रमिकों के पास मोबाइल है तथा कार्य कहीं से भी किया जा सकता है, अतः रोज़गार के स्थल का कोई महत्त्व नहीं रह गया है। तात्पर्य यह है कि फ्रीलांसर विश्व मे अस्थाई रोज़गार अथवा प्रोजेक्टों में से किसी एक को चुन सकते हैं जबकि रोज़गार प्रदाता किसी विशेष प्रोजेक्ट के लिये श्रमिकों के एक बड़े समूह में से उस क्षेत्र में मौजूद किसी भी व्यक्ति को चुन सकते हैं।
- हालाँकि इस अर्थव्यवस्था के माध्यम से नई प्रौद्योगिकियों के साथ प्रयोगों, मौजूदा कारोबारों से उनकी प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा दिया जा सकता है परन्तु यह एक जटिल कारोबारी योजना (जिसे सुव्यवस्थित विचारों और रणनीति की समीक्षा के माध्यम से बनाया जाता है) को प्रतिस्थापित नहीं कर सकती है। नए प्रयोगों के नाम पर उच्च कौशल युक्त गिग कामकारों को किराये पर लेने से किसी भी संगठन के अनपेक्षित खर्च में वृद्धि होगी। यह मुख्यतः कंपनी के जोखिम लेने की क्षमता पर निर्भर करता है।
निष्कर्ष
अंततः गिग अर्थव्यवस्था में विभिन्न कम्पनियाँ अथवा संगठन अपने संसाधनों को लाभ कमाने व प्रशिक्षण हेतु सुरक्षित रखते हैं। उनके पास विशेष प्रोजेक्टों के लिये विशेषज्ञों से अनुबंध करने की क्षमता होती है। फ्रीलांसरों के दृष्टिकोण से गिग अर्थव्यवस्था कार्य और जीवन में संतुलन स्थापित कर सकती है। आदर्श रूप में, इस मॉडल के तहत स्वतंत्र कामगार उस रोज़गार की तलाश करते हैं जिससे करने की उनकी इच्छा होती है तथा उन्हें किसी भी रोज़गार में बलपूर्वक नहीं लगाया जा सकता है।