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कॉमन गुड्स फॉर हेल्थ

  • 24 Oct 2019
  • 10 min read

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Standard आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में विश्व स्वास्थ्य संगठन के कॉमन गुड्स फॉर हेल्थ से संबंधित विभिन्न पक्षों की चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने विश्व की विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में कॉमन गुड्स फॉर हेल्थ (CGH) कार्यक्रम की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया है। इसके अंतर्गत न सिर्फ किसी देश के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकेगा बल्कि राजकोषीय मोर्चे पर भी यह किसी अर्थव्यवस्था के लिये मददगार साबित हो सकता है। इस परिप्रेक्ष्य में यह कार्यक्रम भारत के लिये भी महत्त्वपूर्ण रूप से उपयोगी सिद्ध हो सकता है।

कॉमन गुड्स फॉर हेल्थ: अवधारणा

CGH के अंतर्गत जनसंख्या के आधार पर सामूहिक हस्तक्षेप किया जाता है इसमें सरकार के साथ-साथ गैर-सरकारी संस्थाओं की भी भूमिका मानी जाती है। CGH के अंतर्गत निम्नलिखित बातों को शामिल किया जाता है-

  • नीति एवं समन्वय: इसके अंतर्गत आपातकालीन सेवाओं का नियोजन और प्रबंधन, स्वास्थ्य सुरक्षा तथा पर्यावरण जोखिम पर नीति तैयार करना, बीमारियों की रोकथाम हेतु नीति एवं रणनीतियों का निर्माण आदि को शामिल किया जाता है।
  • कर एवं सब्सिडी: वे उत्पाद जो स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक हैं या जिनका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, को कर एवं सब्सिडी के माध्यम से संचालित करते हुए लोगों की मनोवृत्ति में परिवर्तन लाना।
  • विधि तथा विनियमों का निर्माण: मेडिकल से संबंधित उत्पादों का नियमों के माध्यम से प्रभावी विनियमन करना, जैव विविधता, जल एवं वायु प्रदूषण पर विधान निर्मित करके उनको संरक्षित करना तथा स्वास्थ्य सेवाओं एवं स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिये उचित मापदंड तैयार करना आदि।
  • जन सेवाएँ: सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, चिकित्सा एवं ठोस कचरा प्रबंधन का बेहतर क्रियान्वयन, विभिन्न बीमारियाँ फ़ैलाने वाले वाहकों को रोकने हेतु उपाय करना आदि।

इलाज से बेहतर बचाव

विश्व में प्रायः स्वास्थ्य को लेकर एकपक्षीय दृष्टिकोण की समस्या रही है। लंबे समय तक बीमारी के पश्चात् इलाज की धारणा पर बल दिया गया है। बीमारी के दूसरे पक्ष जिसमें बचाव तथा रोकथाम की बात की जाती है, पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया। समाज का प्रत्येक व्यक्ति इसी विचार का पक्षधर है कि बीमारी को शरू होने से पहले ही रोक लिया जाए ताकि बीमारी से उत्पन्न लागतों को समाप्त किया जा सके। किंतु विभिन्न देशों में स्वास्थ्य सेवा के लिये समर्पित समूहों का इलाज पर ही अधिक ज़ोर होने से बचाव को अधिक प्राथमिकता नहीं दी गई। इसके लिये उत्तरदायी अन्य कारकों में एक कारक देश की नीतियों तथा उनके क्रियान्वयन में बेहतर समन्वय की कमी होना भी माना जाता रहा है। CGH न सिर्फ बचाव पक्ष पर ज़ोर देता है बल्कि सरकार के विभिन्न विभागों के बेहतर क्रियान्वयन पर भी बल देता है।

कॉमन गुड्स फॉर हेल्थ क्यों आवश्यक ?

तेज़ी से परिवर्तित होते मौजूदा दौर में विश्व के समक्ष कई चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं। कुछ समय पूर्व इबोला ने विश्व की महामारी के प्रति पूर्व तैयारी की पोल खोल दी थी। इसी प्रकार एड्स भी विश्व के समक्ष एक संकट के रूप में उभरा था। भारत के संबंध में वायु प्रदूषण तथा जल संकट को भी इसी संदर्भ में देखा जा सकता है। WHO का मानना है कि यदि विश्व CGH जैसे कार्यक्रम पर विशेष ध्यान दें तो उपर्युक्त समस्याओं जिसमें विश्वव्यापी महामारी भी शामिल है, को नियंत्रित किया जा सकता है।

सरकारों के लिये राजकोषीय प्रेरणा

सरकार के पास सीमित संसाधन होने के कारण वह विभिन्न आवश्यक क्षेत्रों जैसे- शिक्षा, स्वास्थ्य, पूंजीगत व्यय आदि पर सीमित खर्च कर पाती है। यदि सरकारें अपने देश में CGH पर बल देती हैं तो इससे बीमार व्यक्तियों की संख्या में कमी आएगी जिससे सार्वजनिक व्यय में कमी आएगी, परिणामतः राजकोषीय मोर्चे पर सरकार पर दबाव कम होगा। ध्यान देने योग्य है कि पिछले कुछ दशकों में सरकार द्वारा बीमा कंपनियों को स्वास्थ्य के लिये किये गए भुगतान में अत्यधिक वृद्धि हुई है। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य क्षेत्र का अधिकांश बजट जो बीमारियों के इलाज पर व्यय होता है उसका उपयोग लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने में किया जा सकेगा।

भारत के लिये CGH का महत्त्व

लंबे समय से ही भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र की गंभीर समस्या रही है, इसके लिये भारत के स्वास्थ्य खर्च में भी बढ़ोत्तरी होती रही है। कुछ समय पूर्व सरकार द्वारा आयुष्मान भारत योजना को लागू किया गया है, इस योजना के परिणामस्वरूप सरकार के खर्च में अत्यधिक वृद्धि होने की संभावना है। एक ओर सरकार का स्वास्थ्य के क्षेत्र में निरंतर व्यय बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत के लोगों के स्वास्थ्य सुधार में तीव्र प्रगति भी नहीं हो सकी है। यदि भारत में कॉमन गुड्स फॉर हेल्थ की अवधारणा को बल दिया जाता है तो उपर्युक्त समस्या का समाधान हो सकता है। साथ ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक कदम आगे बढ़कर बीमारी के इलाज के स्थान पर उसके मूल में ही उसे समाप्त करने अथवा रोकथाम की ओर बढ़ा जा सकता है। इससे भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य में वृद्धि होगी जो परिणामतः भारत के आर्थिक विकास को भी बल प्रदान करेगा।

CGH की चुनौतियाँ

ध्यातव्य है कि कॉमन गुड्स फॉर हेल्थ एक बहुआयामी अवधारणा है, इसमें सरकार के विभिन्न मंत्रालयों, विभागों तथा सिविल सोसाइटी की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इनके मध्य उचित समन्वय द्वारा ही CGH को संभव बनाया जा सकता है। ध्यान देने योग्य है कि भारत जैसे विकासशील देशों में प्रमुख समस्या न सिर्फ गुड गवर्नेंस को लेकर है बल्कि लोगों के मध्य शिक्षा का स्तर निम्न होने के कारण जागरूकता को लेकर भी होती है। यदि सरकार अपने अंगों के मध्य बेहतर समन्वय स्थापित कर ले एवं विभिन्न मंत्रालयों को ऐसे कार्यक्रम अपनाने के लिये प्रेरित करे तो उपर्युक्त समस्या का समाधान हो सकता है।

निष्कर्ष

विदित है कि विश्व के समक्ष वायु प्रदूषण, जल संकट, विश्वव्यापी महामारी जैसी कई समस्याएँ सिर उठाकर खड़ी हैं। किंतु इन समस्याओं से निपटने हेतु विश्व के समक्ष उचित दृष्टि का अभाव है, परिणामतः विश्व ऐसी समस्याओं के प्रति सुग्राह्य बनता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रतिपादित कॉमन गुड्स फॉर हेल्थ की अवधारणा उपर्युक्त चुनौती का एक उचित समाधान प्रस्तुत करती है। इसमें न सिर्फ बीमारियों बल्कि पर्यावरण क्षरण के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं को उत्पन्न होने से पहले ही रोका जा सकता है। WHO ने अपने हाल के वक्तव्य में यह अभिनिर्धारित किया है कि इस अवधारणा से विभिन्न देशों को राजकोषीय चुनौती से निपटने में भी सहायता मिलेगी, साथ ही साथ इससे अर्थव्यवस्था की गति को भी तीव्र किया जा सकता है। किंतु आवश्यक है कि इस अवधारणा को सफल बनाने हेतु शासन के मध्य बेहतर नीतिगत समन्वय हो तथा कार्यक्रमों का प्रभावी क्रियान्वयन हो।

प्रश्न: कॉमन गुड्स फॉर हेल्थ अवधारणा की भारत के संदर्भ में उपयोगिता पर चर्चा कीजिये।

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