नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


भारतीय राजनीति

वैश्विक महामारी के दौर में निजता पर संकट

  • 05 May 2020
  • 13 min read

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में वैश्विक महामारी के दौर में निजता पर संकट व उससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ 

अपनी विकास यात्रा के दौरान समूचा विश्व असंख्य प्रकार की वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकीय उन्नतियों का साक्षी रहा है। हालाँकि इस जद्दोजहद में अक्सर यह भुला दिया जाता है कि यदि जनता के मानवाधिकारों का आदर या सम्मान नहीं होगा तो, किसी भी तरह का विकास टिकाऊ साबित नहीं होगा। इन्हीं मानवाधिकारों में ‘निजता का अधिकार’ भी शामिल है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के अनुसार, भारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 के अंतर्गत ‘निजता का अधिकार’ मूल अधिकारों की श्रेणी में रखा गया है।

COVID-19 महामारी का पूरी दुनिया में अभूतपूर्व ढंग से प्रसार और मृतकों की संख्या में तेज़ी से बढ़ोतरी के बाद गूगल और फेसबुक जैसी बड़ी तकनीकी कंपनियों ने महामारी पर नियंत्रण पाने में सरकार की मदद के लिये अपनी कोशिशें तेज़ कर दी हैं। द वॉशिंगटन पोस्ट के अनुसार, गूगल और फेसबुक इस महामारी से लड़ाई में स्मार्टफोन से यूज़र्स का लोकेशन डाटा एकत्र कर सरकार से शेयर करेंगी। अमेरिका के बाद इन कंपनियों ने ये भी एलान किया है कि वो इस तरह का डाटा शेयर करने के लिये यूनाइटेड किंगडम की सरकार और कुछ टेलीकॉम कंपनियों से बात कर रही हैं ताकि इन देशों में बीमारी का मुकाबला किया जा सके। भारत सरकार ने भी ‘आरोग्य सेतु’ (Aarogya Setu) के माध्यम से COVID-19 से संक्रमित व्यक्तियों एवं उपायों से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास किया है। परंतु इसके साथ ही विभिन्न देशों की सरकारों पर नागरिकों की निजता के उल्लंघन का आरोप भी लग रहा है। 

इस आलेख में निजता के अधिकार के महत्त्व, आरोग्य सेतु एप की कार्यप्रणाली, उसकी विशेषताएँ तथा इससे जुड़ी चिंताओं का विश्लेषण करने का प्रयास किया जाएगा।

आरोग्य सेतु एप के बारे में

  • आरोग्य सेतु एप को सार्वजनिक-निजी साझेदारी (Public-Private Partnership) के जरिये तैयार एवं गूगल प्ले स्टोर पर लॉन्च किया गया है।
  • इस एप का मुख्य उद्देश्य COVID-19 से संक्रमित व्यक्तियों एवं उपायों से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराना होगा।
  • यह एप 11 भाषाओं में उपलब्ध है और साथ ही इसमें देश के सभी राज्यों के हेल्पलाइन नंबरों की सूची भी दी गई है। 

एप की विशेषताएँ

  • किसी व्यक्ति में कोरोना वायरस के जोखिम का अंदाज़ा उनकी गतिविधियों के आधार पर करने हेतु आरोग्य सेतु ऐप द्वारा ब्लूटूथ तकनीक, एल्गोरिदम (Algorithm), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग किया जाएगा।
  • एक बार स्मार्टफोन में इन्स्टॉल होने के बाद यह एप नज़दीक के किसी फोन में आरोग्य सेतु के इन्स्टॉल होने की पहचान कर सकता है। 
  • यह एप कुछ मापदंडों के आधार पर संक्रमण के जोखिम का आकलन कर सकता है। 

एप की कार्यप्रणाली

  • अगर कोई व्यक्ति COVID-19 सकारात्मक व्यक्ति के संपर्क में आता है, तो एप निर्देश भेजने के साथ ही ख्याल रखने के बारे में भी जानकारी प्रदान करेगा।
  • इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार, एप अपने उपयोगकर्त्ताओं के ‘अन्य लोगों के साथ संपर्क’ को ट्रैक करेगा और किसी उपयोगकर्त्ता को किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में होने के संदेह की स्थिति में अधिकारियों को सतर्क करेगा। इनमें से किसी भी संपर्क का परीक्षण सकारात्मक होने की स्थिति में यह एप्लिकेशन परिष्कृत मापदंडों के आधार पर संक्रमण के जोखिम की गणना कर सकता है।

निजता संबंधी चिंताएँ

  • इस एप को लेकर कई विशेषज्ञों ने निजता संबंधी चिंता जाहिर की है। हालाँकि केंद्र सरकार के अनुसार, किसी व्यक्ति की गोपनीयता सुनिश्चित करने हेतु लोगों का डेटा उनके फोन में लोकल स्टोरेज में ही सुरक्षित रखा जाएगा तथा इसका प्रयोग तभी होगा जब उपयोगकर्त्ता किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आएगा जिसकी COVID-19 की जाँच पॉजिटिव/सकारात्मक रही हो।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, कौन सा डेटा एकत्र किया जाएगा, इसे कब तक संग्रहीत किया जाएगा और इसका उपयोग किन कार्यों में किया जाएगा, इस पर केंद्र सरकार की तरफ से पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं है। 
  • सरकार ऐसी कोई गारंटी नहीं दे रही कि हालात सुधरने के बाद इस डेटा को नष्ट कर दिया जाएगा।
  • इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के जरिये एकत्रित किये जा रहे डेटा के प्रयोग में लाए जाने से निजता के अधिकार का हनन होने के साथ ही सर्वोच्च न्यायलय के आदेश का भी उल्लंघन होगा जिसमें निजता के अधिकार को संवैधानिक अधिकार बताया गया है।
  • जिस तरह आधार नंबर एक सर्विलांस सिस्टम बन गया है और उसे हर चीज़ से जोड़ा जा रहा है वैसे ही कोरोना वायरस से जुड़े एप्लिकेशन में लोगों का डेटा लिया जा रहा है जिसमें उनका स्वास्थ्य संबंधी डेटा और निजी जानकारियाँ भी शामिल हैं। अभी यह सुनिश्चित नहीं है कि सरकार किस प्रकार और कब तक इस डेटा का उपयोग करेगी।
  • COVID-19 महामारी के बारे में सबसे ज़्यादा चिंताजनक तथ्य ये है कि सरकारें स्वयं मरीज़ों और संभावित संक्रमित लोगों की संवेदनशील जानकारी मुहैया करा रही हैं।
  • विज्ञान पत्रिका ‘नेचर’ ने इस ओर ध्यान आकृष्ट किया है कि अनगिनत एप और वेबसाइट बन गई हैं जो सरकारी वेबसाइट से वायरस से संक्रमित लोगों की जानकारी लेकर प्रकाशित कर रही हैं।
  • निजता के विषय पर शोध करने वाले शोधकर्त्ताओं का मानना है कि हर केस की जो विशेष जानकारी प्रकाशित की जाती है, उससे वो चिंतित हैं। COVID-19 से बीमार व्यक्ति या क्वॉरन्टीन किये गए लोगों की पहचान आसानी से हो सकती है जिससे उनके निजता के अधिकार का हनन होता है।

प्रभाव 

  • ऐसी परिस्थितियों में निजता के हनन से कोई भी व्यक्ति सामाजिक भेदभाव का शिकार हो सकता है। इसकी वजह से लोग वायरस का टेस्ट कराने से भी भागेंगे क्योंकि अगर उनका टेस्ट पॉज़िटिव मिलता है तो उनकी जानकारी सार्वजनिक होने का डर रहेगा।
  • व्यापक स्तर पर इस जानकारी का दुरुपयोग हो सकता है। ई-कॉमर्स कंपनियां ऐसे लोगों की निगेटिव लिस्ट बना लेंगी और संक्रमण के डर से उनके निवास स्थान पर डिलीवरी से इनकार कर सकती हैं।
  • एकत्र किये जा रहे डेटा के माध्यम से इस समस्या के समाप्त होने के बाद भी सरकारें नागरिकों की गतिविधियों की निगरानी कर सकती हैं। 

निजता का महत्त्व क्यों?

  • निजता वह अधिकार है जो किसी व्यक्ति की स्वायत्तता और गरिमा की रक्षा के लिये ज़रूरी है। वास्तव में यह कई अन्य महत्त्वपूर्ण अधिकारों की आधारशिला है। 
  • दरअसल निजता का अधिकार हमारे लिये एक आवरण की तरह है, जो हमारे जीवन में होने वाले अनावश्यक और अनुचित हस्तक्षेप से हमें बचाता है।
  • यह हमें अवगत कराता है कि हमारी सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक हैसियत क्या है और हम स्वयं को दुनिया से किस हद तक बाँटना चाहते हैं।
  • वह निजता ही है जो हमें यह निर्णित करने का अधिकार देती है कि हमारे शरीर व हमारे विचारों पर किसका अधिकार है?
  • आधुनिक समाज में निजता का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। फ्रांस की क्रांति के बाद समूची दुनिया से निरंकुश राजतंत्र की विदाई शुरू हो गई और समानता, मानवता और आधुनिकता के सार्वभौमिक सिद्धांतों पर आधारित लोकतंत्र ने पैर पसारना शुरू कर दिया।
  • तकनीक और अधिकारों के बीच हमेशा से टकराव होते आया है और 21वीं शताब्दी में तो तकनीकी विकास अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच चुका है। ऐसे में निजता को राज्य की नीतियों और तकनीकी उन्नयन की दोहरी मार झेलनी पड़ी।
  • आज हम सभी स्मार्टफोंस का प्रयोग करते हैं। चाहे एपल का आईओएस हो या गूगल का एंड्राइड या फिर कोई अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम, जब हम कोई भी एप डाउनलोड करते हैं, तो यह हमारे फोन के कॉन्टेक्ट, गैलरी और स्टोरेज़ आदि के प्रयोग की अनुमति मांगता है और इसके बाद ही वह एप डाउनलोड किया जा सकता है।
  • ऐसे में यह खतरा है कि यदि किसी गैर-अधिकृत व्यक्ति ने उस एप के डाटाबेस में सेंध लगा दी तो उपयोगकर्ताओं की निजता खतरे में पड़ सकती है।
  • तकनीक के माध्यम से निजता में दखल, राज्य की दखलंदाज़ी से कम गंभीर है। हम ऐसा इसलिये कह रहे हैं क्योंकि तकनीक का उपयोग करना हमारी इच्छा पर निर्भर है, किन्तु राज्य प्रायः निजता के उल्लंघन में लोगों की इच्छा की परवाह नहीं करता।

निष्कर्ष

नि:संदेह यह संकट का समय है जिसमें COVID-19 महामारी से होने वाली हानि को कम करने के लिये असाधारण उपायों की ज़रूरत है। आरोग्य सेतु एप को इन्स्टॉल करने संबंधी सरकार के हालिया दिशा-निर्देश से आम लोगों के मन में संदेह उत्पन्न हुए हैं, जिसमें देश के नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी भी मांगी जा रही है। विपक्ष व सोशल मीडिया सरकार के इस आदेश का विरोध कर रहे हैं और लोगों का कहना है यह उनकी निजता के अधिकार में हस्तक्षेप है। ऐसी स्थिति में सरकार को लोगों की सभी शंकाओं का समाधान करने के लिये आरोग्य सेतु एप पर एक विस्तृत रोडमैप प्रस्तुत करना चाहिये ताकि उनकी सभी तरह की शंकाओं का समाधान हो सके।  

प्रश्न- आरोग्य सेतु एप की कार्यप्रणाली का वर्णन करते हुए इससे उत्पन्न होने वाली निजता संबंधी चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow