अंतर्राष्ट्रीय संबंध
'चेन्नई तेल रिसाव'-कितनी चौकस है सरकार ?
- 06 Feb 2017
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सन्दर्भ
चेन्नई के एन्नोर बंदरगाह पर दो जलपोतों के टकराने से भारी मात्रा में फैले तेल की वजह से समुद्री जीवों पर संकट गहरा गया है। समुद्र में तेल फैलने की वजह से न सिर्फ सैलानियों, बल्कि समुद्री जीवों को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है । गौरतलब है कि 28 जनवरी को एमटी बीडब्ल्यू मैपल और एमटी डॉन कांचीपुरम नामक दो मालवाहक जहाज़ चेन्नई के ऐन्नोर तट के पास समुद्र में टकरा गए थे।
पृष्ठभूमि
- एम.टी. बीडब्ल्यू मैपल एवं एम.टी. डॉन कांचीपुरम नामक दो पोत एक दूसरे की बगल से गुज़रते हुए 28 जनवरी, 2017 को सुबह 03.45 बजे कमराजार हार्बर के बाहर एक दूसरे से टकरा गए।
- ऑयल टैंकर एम.टी. डॉन कांचीपुरम जो 32,813 टन पीओएल लादकर ले जा रहा था, फट गया जिसकी वजह से इंजन तेल (न कि कार्गो के रूप में लाद कर ले जाया जा रहा पेट्रोलियम ल्यूब्रिकेंट या पीओएल) छलकने लगा और इसका रिसाव होने लगा |
- एक जलपोत में पेट्रोलियम तेल भरा था और दूसरा एलपीजी गैस उतारकर वापसी के रास्ते में था।
- हालाँकि, इस हादसे में कोई व्यक्ति हताहत नहीं हुआ, न ही चालक दल के किसी भी सदस्य को कोई नुकसान या चोट नहीं पहुँची और न आग लगने जैसी कोई बड़ी घटना हुई, किन्तु इससे समुद्री जीवों पर गहरा संकट छा गया है।
क्या है प्रावधान ?
- राष्ट्रीय तेल रिसाव आपदा आकस्मिकता योजना में प्रावधान है कि जहाँ बंदरगाह, बंदरगाह क्षेत्र के भीतर किसी भी तेल रिसाव की घटना पर प्रतिक्रिया के लिये ज़िम्मेदार है, तटरक्षक सेना सामुद्रिक क्षेत्र में तेल प्रदूषण से निपटने के लिये केंद्रीय समन्वय एजेंसी के रूप में कार्य करने के लिए ज़िम्मेदार है और राज्य सरकारें तटीय लाइन अनुक्रिया के लिये ज़िम्मेदार हैं।
- जहाज़रानी महानिदेशक ने दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिये मर्चेंट शिपिंग अधिनियम के तहत एक वैधानिक जाँच का गठन किया है।
- फिलहाल दोनों जहाज़ों को बंदरगाह छोड़ने से मना कर दिया गया है। जहाज़रानी महानिदेशक जहाज़ों के मालिकों के साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं और जल्द ही क्षतिपूर्ति के वितरण और बीमा कर्ताओं द्वारा दावों की अदायगी के तंत्र पर निर्णय हो जाएगा।
इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिये उठाए गए प्रमुख कदम
- कमराजार बंदरगाह ने किसी भी प्रकार के रिसाव को रोकने के लिये 28 जनवरी, 2017 को सुबह 7 बजे इसे एक सुरक्षित स्थान पर ले आने के बाद तत्काल पोत के आसपास ऑयल बूम तैनात कर दिया था। इसके बाद कोई रिसाव नहीं पाया गया।
- बंदरगाह के शीर्ष अधिकारियों ने दुर्घटना के बाद से स्थिति की निकटता से निगरानी की एवं दोनों पोतों को आवश्यक सहायता उपलब्ध कराई गई।
- चूँकि ऑयल टैंकर एम.टी. डॉन कांचीपुरम भारी मात्रा में पीओएल कार्गो से भरा हुआ था, साथ ही यह सुनिश्चित करना आवश्यक था कि इस पोत को सुरक्षापूर्वक गोदी पर लगा दिया जाए और इसके कार्गो को डिस्चार्ज कर दिया जाए जिससे कि किसी भी आपदा या दुर्घटना तथा तेल के बड़े रिसाव की आशंका से बचा जा सके।
- पोत के नुकसान के आकलन के लिये तत्काल कदम उठाए गए। कमराजार बंदरगाह की गोताखोर टीम ने जल के भीतर निरीक्षण किया।
- बंदरगाह के अधिकारियों ने संबंधित क्लासिफिकेशन सोसायटी एवं महानिदेशक, जहाज़रानी अधिकारियों, जिन्होंने पोतों का आंतरिक और बाह्य निरीक्षण किया, से परामर्श किया।
- पोत की स्थिरता की जाँच के बाद एम.टी. डॉन कांचीपुरम को बंदरगाह पर लंगर डालने का फैसला किया गया ताकि पर्यावरण को होने वाले किसी नुकसान को रोकने के लिये तत्काल कार्गों को डिस्चार्ज किया जा सके।
- कमराजार बंदरगाह इस पोत को सावधानीपूर्वक बंदरगाह पर लेकर आया, जोकि एक चुनौतीपूर्ण कार्य था, क्योंकि पोत का मुख्य इंजन कार्य नहीं कर रहा था और एक कोल्ड मूव के रूप में बर्थिंग मूवमेंट किया जाना था।
- इस महत्त्वपूर्ण कदम से तेल रिसाव की एक बड़ी आपदा की आशंका समाप्त हो गई। इस पोत ने अब पूरी तरह पीओएल कार्गों को डिस्चार्ज कर दिया है।
- टियर-1 ऑयल स्पिल से निपटने के लिये आवश्यक उपकरण कमराजार बंदरगाह पर उपलब्ध थे और उनका उपयोग किया गया।
- जहाज़ों के टकराने की दुर्घटना के तुरंत बाद कमराजार बंदरगाह द्वारा 28 जनवरी को सुबह 6 बजे तटरक्षक को सूचना दे दी गई।
- तटरक्षक सेना ने उसी दिन सवा सात बजे सुबह तक सर्वे करने तथा तेल रिसाव पर नज़र रखने के लिये अपने जहाज़ और हेलीकॉप्टर तैनात कर दिये।
- जैसे ही तेल लीक को ट्रैक किया गया, तटरक्षक सेना ने विभिन्न स्थानों पर क्लीन-अप अभियान के लिये उपकरण तथा श्रमबल को जुटाने तथा इन संचालनों को समन्वित करने का कार्य आरंभ कर दिया।
- एर्नावूर, चेन्नई फिशिंग हार्बर, मरीन बीच, बसंत नगर, कोटिवक्कम, पलवक्कम, निलानकरई एवं इंजामबक्कम समेत विभिन्न स्थानों पर 2000 व्यक्तियों को इस अभियान में जोड़कर तिरुवल्लूर, चेन्नई एवं कांचीपुरम जिलों में एक व्यापक क्लीन-अप मुहिम चलाई गई।
- तटरक्षक सेना चेन्नई बंदरगाह एवं कमराजार बंदरगाह के कर्मचारियों, राज्य सरकार एवं इसकी एजेंसियों, इंडियन ऑयल कारपोरेशन एवं एनजीओ, समुद्री शैक्षिणिक संस्थानों के कैडेट प्रशिक्षुओं छात्र स्वयं सेवकों एवं मछुआरों के साथ मिलकर संयुक्त रूप से सफाई अभियान का समन्वय कर रही है।
- इसके लिये विभिन्न समूहों का निर्माण किया गया एवं तट रेखा के विभिन्न स्थानों पर सफाई कार्य आरंभ किया गया।
- केंद्रीय जहाज़रानी राज्य मंत्री पोन. राधाकृष्णन क्लीन अप ऑपरेशन का जायजा लेने के लिये चेन्नई में थे| उन्होंने 30 जनवरी को दुर्घटना स्थल का दौरा किया एवं उन क्षेत्रों का निरीक्षण किया जहाँ पोतों ने लंगर डाले थे और कमराजार बंदरगाह को हालात पर करीबी नज़र रखने के निर्देश दिये।
- पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को प्रभावित क्षेत्रों के स्थानों का निरीक्षण करने एवं तेल रिसाव, सफाई अभियानों की समीक्षा तथा समन्वय करने के लिये भेजा गया जो नियमित रूप से समीक्षा बैठक कर रहे हैं और उपचार संबंधी कदमों की नियमित रूप से निगरानी कर रहे हैं।
- ज़िला प्रशासन सफाई अभियानों में सक्रिय रूप से जुटा हुआ है। चेन्नई बंदरगाह एवं कमराजार बंदरगाह ने नियंत्रण कक्ष स्थापित किये हैं।
- कमराजार बंदरगाह के पास टियर-1 ऑयल स्पिल रेसपॉंस उपकरण हैं जिसकी तैनाती बंदरगाह द्वारा की गई है।
- पर्यावरण पर इसके प्रभाव का अध्ययन करने के लिये कमराजार बंदरगाह द्वारा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के एक स्वायत्तशासी केंद्र राष्ट्रीय टिकाऊ तटीय प्रबंधन केंद्र की सेवाएँ ली गई हैं।
- चेन्नई बंदरगाह एवं राज्य सरकार ने एर्नावूर तथा काशीमेडु फिशरीज़ हार्बर में 31 जनवरी, 2017 से चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया है।
- इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने संग्रहित तेल गंदगी के उपचार के लिये तथा इसके सुरक्षित निपटान के लिये विशिष्ट बायो-रेमेडिएशन सामग्री उपलब्ध कराई है।
- सरकार स्थिति को प्रबंधित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है। इनसे संबंधित अभियानों से जुड़े सभी अधिकारियों को भरोसा है कि हालात नियंत्रण में है और दो दिनों में सफाई की पूरी प्रक्रिया संपन्न हो जाएगी।
समस्या कहाँ है ?
- केंद्र सरकार ने करीब एक हफ्ते बाद एन्नोर बंदरगाह की सफाई और जलपोतों के आपस में टकराने की जाँच का आदेश दिया। इस बात को लेकर निरंतर सरकार की आलोचना हो रही है |
- बंदरगाहों पर सामान भरने और उतारने के लिये जलपोतों का आना-जाना लगा रहता है। उनका संचालन कंप्यूटरीकृत प्रणाली से होता है, इसलिये यह समझना मुश्किल है कि कहाँ लापरवाही हुई, जिसके चलते दोनों पोत आपस में इस कदर टकरा गए कि इतनी भारी मात्रा में तेल का रिसाव हो गया।
- खासकर ज्वलनशील पदार्थ ढोने वाले वाहनों के संचालन में विशेष सावधानी बरती जाती है, मगर इन पोतों के संचालन में इस बात का ध्यान क्यों नहीं रखा गया।
- अब केंद्र और राज्य सरकारें यह भरोसा दिलाने में जुटी हैं कि इस घटना से जल-जीवों को कोई खतरा पैदा नहीं हुआ है। कहा जा रहा है कि समुद्र में फैले तेल का साठ फीसद से अधिक हिस्सा साफ कर दिया गया है और जल-जीवों को इससे कोई खतरा नहीं है।
- जबकि यह हकीकत किसी से छिपी नहीं है कि जब भी इस तरह की कोई घटना हुई है, भारी मात्रा में मछलियाँ और कछुए मृत पाए गए हैं ।
- समुद्र में बढ़ते प्रदूषण और जलपोतों का आवागमन तेज होने से समुद्री जीवों के जीवन पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को लेकर अनेक अध्ययन आ चुके हैं ।
- समुद्र तटों पर सैलानियों द्वारा फैलाए गए कचरे और अन्य रासायनिक अपशिष्ट की वजह से अक्सर समुद्री जीवों के मरने की खबरें आती रहती हैं ।
- वैसे ही समुद्री प्रदूषण की वजह से कछुओं और मछलियों की अनेक प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं। उनके संरक्षण के ठोस उपाय किये जाने की मांग उठती रही है।
- हालाँकि, बंदरगाह के कर्मचारी समुद्र में फैले तैलीय कचरे को हटाने में जुटे हुए हैं, पर उनके पास न तो उपयुक्त मशीनें हैं और न ऐसी स्थिति से निपटने का कोई पुख्ता प्रशिक्षण।
निष्कर्ष
एन्नोर जैसे व्यस्त बंदरगाहों पर, जहाँ रोज़ाना बड़ी संख्या में जलपोतों का आना-जाना लगा रहता है, वहाँ ऐसी स्थिति से तत्काल निपटने के कारगर इंतजाम क्यों नहीं किये जाते? बंदरगाह उद्योग आज दुनिया के कमाई वाले बड़े कारोबार में शामिल है, लेकिन अगर सुरक्षा इंतजाम के मामले में इस कदर लापरवाही होगी, तो इसका बुरा असर पड़ सकता है। अभी जो अभियान जारी है संभवतः उसमें जनता के दबाव के चलते इसके शीघ्रातिशीघ्र निपटाने पर ही ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है, किन्तु यहाँ विचारणीय यह है कि क्या इस तरह के प्रयास भविष्य के लिये कारगर होंगे ? वर्तमान प्रयास हानिकारक तेल को तो साफ कर देगा किन्तु जो पर्यावर्णीय खतरे विद्यमान रहेंगे, उन्हें किस तरह दूर किया जाएगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिये क्या ठोस कदम उठए जा सकेंगे? अतः इस तरह की घटनाओं में, सुरक्षा संबंधी पहलुओं के साथ-साथ समुद्री जीवन पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव की भी जवाबदेही तय होनी चाहिये और इन घटनाओं में निदानात्मक कार्यवाहियों के दौरान किये जा रहे प्रयासों को दूरगामी दृष्टि से देखा जाना चाहिये|
स्रोत: द हिन्दू