भारतीय अर्थव्यवस्था
केंद्रीय बैंक और आर्थिक विकास
- 15 Oct 2019
- 11 min read
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में केंद्रीय बैंक और आर्थिक विकास में उसकी भूमिका पर चर्चा की गई है। साथ ही भारत के संदर्भ में भी इसका उल्लेख किया गया है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।
संदर्भ
विश्व के लगभग सभी देशों में केंद्रीय बैंक को एक सर्वोच्च मौद्रिक प्राधिकरण के रूप में देखा जाता है और तदनुसार उसे अर्थव्यवस्था का सुचारु संचालन सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न उपयोगी कार्य करने पड़ते हैं। एक देश के केंद्रीय बैंक को अपने पारंपरिक कार्यों के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था में स्थिरता और आर्थिक विकास संबंधी ज़िम्मेदारियाँ भी वहन करनी पड़ती है।
केंद्रीय बैंक की अवधारणा
- आमतौर पर केंद्रीय बैंक को ऐसी वित्तीय संस्था के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसे किसी राष्ट्र या राष्ट्रों के समूह के लिये धन के सृजन एवं ऋण प्रदान करने हेतु विशेषाधिकार दिया जाता है।
- केंद्रीय बैंक किसी देश की अर्थव्यवस्था के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है और वहाँ की बैंकिंग प्रणाली को विफल होने से बचाता है।
- आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में केंद्रीय बैंक आमतौर पर मौद्रिक नीति के गठन और सदस्य बैंकों के विनियमन के लिये ज़िम्मेदार होता है।
- उल्लेखनीय है कि केंद्रीय बैंक सामान्यतः प्रतिस्पर्द्धा से मुक्त होते हैं।
- केंद्रीय बैंक की महत्त्वपूर्ण विशेषता इसकी कानूनी एकाधिकार स्थिति है, जिसके तहत इसे बैंक नोट और नकदी जारी करने का अधिकार प्राप्त होता है और यही स्थिति इसे अन्य बैंकों से अलग बनाती है।
केंद्रीय बैंकिंग प्रणाली का वैश्विक इतिहास
- ध्यातव्य है कि दुनिया का सबसे पुराना केंद्रीय बैंक, बैंक ऑफ स्वीडन है, जिसे वर्ष 1668 में डच व्यापारियों की मदद से खोला गया था।
- जिसके पश्चात् वर्ष 1694 में इंग्लैंड ऑफ बैंक को स्कॉटिश व्यवसायी विलियम पैटर्सन द्वारा ब्रिटिश सरकार के अनुरोध पर युद्ध के वित्तपोषण हेतु बनाया गया।
- अन्य शुरुआती केंद्रीय बैंकों, विशेष रूप से नेपोलियन के बैंक ऑफ फ्रांँस और जर्मनी के रीचबैंक को भी महँगे सरकारी सैन्य अभियानों के वित्तपोषण हेतु स्थापित किया गया था।
- उल्लेखनीय है कि अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिज़र्व सिस्टम को वर्ष 1913 में अमेरिकी कांग्रेस द्वारा बिल पारित कर बनाया गया।
- इसके अतिरिक्त चीनी बाज़ार सुधारों की शुरुआत के साथ वर्ष 1979 में चीन में केंद्रीय बैंक के रूप में पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना की स्थापना की गई।
- आज शायद ही ऐसा कोई देश हो जिसके पास केंद्रीय बैंक न हो। प्रारंभ में केंद्रीय बैंक निजी स्वामित्व वाले थे और निजी इकाइयों द्वारा ही प्रबंधित एवं नियंत्रित किये जाते थे। परंतु अब विशेष रूप से द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ज़्यादातर केंद्रीय बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया है या उन्हें राज्य के स्वामित्व वाले संस्थानों के रूप में मान्यता प्रदान कर दी गई है।
केंद्रीय बैंक और वाणिज्यिक बैंक में अंतर
- किसी भी केंद्रीय बैंक का प्राथमिक उद्देश्य लाभ कमाना नहीं होता, जबकि लगभग सभी वाणिज्यिक बैंकों का प्राथमिक उद्देश्य लाभ कमाना होता है।
- केंद्रीय बैंक सामान्य बैंकिंग कार्य जैसे- आम लोगों की जमा स्वीकार करना और उन्हें ऋण देकर साख का सृजन करना आदि नहीं करता है, जबकि इसके विपरीत ये दोनों कार्य वाणिज्यिक बैंकों के मुख्य कार्य होते हैं।
- एक केंद्रीय बैंक वैधानिक रूप से वाणिज्यिक बैंकों की बैंकिंग गतिविधियों को नियंत्रित और विनियमित करने में सशक्त होता है। वाणिज्यिक बैंकों को ऐसी कोई शक्ति प्राप्त नहीं होती।
- जहाँ केंद्रीय बैंक सरकार के बैंक के रूप में कार्य करता है, वहीं वाणिज्यिक बैंक आम जनता के बैंक के रूप में कार्य करते हैं।
- साख का सृजन वाणिज्यिक बैंकों द्वारा किया जाता है, जबकि साख का नियंत्रण केंद्रीय बैंक द्वारा किया जाता है।
आर्थिक विकास में केंद्रीय बैंक की भूमिका
- विकास योजनाओं के वित्तपोषण हेतु मुद्रा आपूर्ति
भारत जैसे विकासशील देशों के लिये अपनी विकास गति को रफ्तार देने हेतु आवश्यक है कि वे बड़ी विकास परियोजनाओं का शुभारंभ करें। इस कार्य के लिये सरकार को काफी अधिक धन की आवश्यकता होती है और केंद्रीय बैंक मुद्रा जारी करने वाला एकमात्र प्राधिकरण होने के नाते मुद्रा की आपूर्ति कर सरकार की सहायता कर सकते हैं।
- संसाधन जुटाना और पर्याप्त ऋण की आपूर्ति
विकास के उद्देश्य हेतु संसाधनों को जुटाना एक विकासशील अर्थव्यवस्था में आवश्यक होता है। ऐसी स्थिति में केंद्रीय बैंक कई उपायों (जैसे- बैंकिंग संरचना को मज़बूत करना) के माध्यम से विकास योजनाओं के वित्तपोषण के लिये घरेलू संसाधनों को जुटाने में सरकार की सहायता कर सकता है।
- प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिये बैंक ऋण का प्रवाह बढ़ाना
विकास हेतु प्राथमिकताएँ तय करना विकास योजना की एक अनिवार्य विशेषता होती है। देश का केंद्रीय बैंक अपनी मौद्रिक और ऋण नीति को इस तरह से निर्मित करता है कि बैंक ऋण की बड़ी और वांछित मात्रा ऐसे क्षेत्रों में निवेश की जाती है जिन्हें इसकी ज़रूरत है, जैसे- कृषि, सहकारी समितियों, छोटे उद्योगों और निर्यात व्यापार आदि। साथ ही यह मूल्य स्थिरता बनाए रखने और बैंक ऋण का उचित उपयोग सुनिश्चित करने का कार्य भी करता है।
- मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना
केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने जैसा महत्त्वपूर्ण कार्य भी करता है, जिसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि सरकार द्वारा निर्धारित विभिन्न योजनाओं की अनुमानित लागत उनकी वास्तविक लागत से ज़्यादा न हो जाए। साथ ही मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने का एक अन्य उद्देश्य देश की गरीब जनता के आर्थिक बोझ को कम करना भी होता है।
- विदेशी मुद्रा भंडार प्रबंधन
भारत में RBI विदेशी मुद्रा भंडार का संरक्षक है और मुद्रा भंडार के निवेश संबंधी निर्णय लेने का अधिकार भी उसी के पास है। RBI विभिन्न देशों की मुद्रा अपने पास रखता है और उसके माध्यम से वह रुपए की कीमत को नियंत्रित करता है।
भारत और केंद्रीय बैंक
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) भारत का केंद्रीय बैंक है जिसकी स्थापना 1 अप्रैल, 1935 को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के तहत की गई थी।
- अन्य अर्थव्यवस्थाओं की भाँति भारत में RBI भी देश की बैंकिंग प्रणाली और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाली मौद्रिक नीतियों के प्रबंधन और निगरानी में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- देश की मुद्रा के संबंध में कुछ निर्णयों पर भी RBI का नियंत्रण है।
- भारत के संबंध में RBI के मुख्य कार्य:
- मौद्रिक नीति का निर्माण करना, उसे लागू करना और उसकी निगरानी करना।
- मुद्रा जारी करना।
- भारत सरकार के बैंकर और ऋण प्रबंधक के रूप में कार्य करना।
- वाणिज्यिक बैंकों के बैंकर के रूप में कार्य करना।
- वित्तीय प्रणाली के नियामक और पर्यवेक्षक के रूप में कार्य करना।
- भारत के लिये विदेशी मुद्रा का प्रबंधन करना।
- भुगतान और निपटान प्रणालियों के नियामक और पर्यवेक्षक के रूप में कार्य करना।
- देश में वित्तीय स्थिरता बनाए रखना।
- भारत के समग्र विकास को सुनिश्चित करना।
निष्कर्ष
किसी भी देश का केंद्रीय बैंक उस देश के आर्थिक तंत्र की रीढ़ के रूप में कार्य करता है और देश के आर्थिक विकास में उसकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। विगत कुछ वर्षों में भारत दुनिया में सबसे तेज़ी से विकास करने वाले राष्ट्र के रूप में सामने आया है और इसके प्रभाव के कारण भारत के समक्ष कई अनूठी चुनौतियाँ उत्पन्न हो गई हैं, इन चुनौतियों से निपटने के लिये आवश्यक है कि देश की सरकार और केंद्रीय बैंक अर्थात् RBI समन्वित ढंग से कार्य करें ताकि देश के दीर्घकालिक विकास को सुनिश्चित किया जा सके।
प्रश्न: केंद्रीय बैंक के महत्त्व को स्पष्ट करते हुए चर्चा कीजिये कि क्या भारत को RBI जैसे संस्थान की आवश्यकता है?