लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

सामाजिक न्याय

सड़क दुर्घटना: कारण और प्रयास

  • 24 Feb 2020
  • 14 min read

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में देश भर में सड़क दुर्घटनाओं उनके कारणों और सरकार द्वारा इस संदर्भ में किये गए प्रयासों पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ

अर्थव्यवस्था की गति को रफ्तार देती सड़कें देश के विकास एजेंडे में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सड़कें उत्पादकों को बाज़ार से, श्रमिकों को नौकरियों से, छात्रों को स्कूल से और बीमारों को अस्पताल से जोड़ती हैं। हालाँकि सड़कें विकास में केवल तभी योगदान दे सकती हैं जब वे यात्रियों के लिये सुरक्षित हों। बीते वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वैश्विक सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी जिसके अनुसार वैश्विक स्तर पर सड़क दुर्घटनाओं में प्रतिवर्ष 1.35 मिलियन से अधिक मौतें होती हैं एवं 50 मिलियन से अधिक लोगों को गंभीर शारीरिक चोटें आती हैं। देश के विकास में मानव पूंजी के महत्त्व को देखते हुए उक्त आँकड़ा गंभीर चिंता का विषय है। आवश्यक है कि सड़क सुरक्षा से संबंधित विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करते हुए इस संदर्भ में आवश्यक उपायों की खोज की जाए।

सड़क दुर्घटना और भारत

  • आए दिन सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाएँ भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है। विश्व सड़क सांख्यिकी- 2018 के अनुसार, विश्व के 199 देशों में सड़क दुर्घटना से होने वाली मौतों की संख्या में भारत पहले स्थान पर था।
  • सड़क सुरक्षा पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली कुल मौतों में से 11 प्रतिशत भारत में होती हैं। भारत के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में वर्ष 2018 में आधिकारिक तौर पर 4,67,044 सड़क दुर्घटनाएँ दर्ज की गईं।
  • सड़क सुरक्षा पर वैश्विक स्थिति रिपोर्ट- 2018 के अनुसार, विश्व भर में सड़क दुर्घटनाओं के कारण प्रत्येक 23 सेकंड में एक व्यक्ति की मृत्यु होती है।
  • सड़क दुर्घटनाओं के कारण भारत को होने वाले नुकसान को लेकर विश्व बैंक के नवीनतम आकलन के अनुसार, 18-45 आयु वर्ग के सड़क उपयोगकर्त्ताओं की दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु दर सर्वाधिक 69 प्रतिशत है।
  • इसके अलावा 54 प्रतिशत मौतें और गंभीर चोटें मुख्य रूप से संवेदनशील वर्गों जैसे- पैदल यात्री, साइकिल चालक और दोपहिया वाहन सवार आदि में देखी जाती हैं।
  • भारत में 5-29 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों और युवा वयस्कों में सड़क दुर्घटना मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है। वर्ष 2017 में तमिलनाडु में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएँ दर्ज की गई थीं, किंतु सड़क दुर्घटना में मारे गए लोगों की संख्या उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक थी।

बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं का कारण

  • कानून प्रवर्तन की समस्या
    केंद्र सरकार ने बीते वर्ष मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन कर सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के उद्देश्य से इसके प्रावधानों को बेहद कठोर करने का प्रयास किया था, साथ ही वाहन सुरक्षा के लिये नए इंजीनियरिंग मानक लागू किये गए थे, किंतु इसके बावजूद भी सड़क सुरक्षा का जोखिम लगातार बढ़ता जा रहा है। यह इस ओर संकेत करता है कि भारत के कानून प्रवर्तन तंत्र में कहीं-न-कहीं कमी विद्यमान है। कानून प्रवर्तन के लिये ज़िम्मेदार राज्य सरकारें इस ओर उदासीन बनी हुई हैं।
  • यातायात नियमों का उल्लंघन
    आँकड़ों के मुताबिक, देश भर में होने वाली कुल सड़क दुर्घटनाओं में से 76 प्रतिशत दुर्घटनाएँ ओवर स्पीडिंग और गलत साइड पर गाड़ी चलाने जैसे यातायात नियमों के उल्लंघन के कारण होती हैं। स्पष्ट है कि जब तक इन घटनाओं को नहीं रोका जाएगा तब तक देश में सड़क दुर्घटनाओं को कम करना संभव नहीं होगा।
  • ट्रैफिक इंजीनियरिंग
    कुल सड़क दुर्घटनाओं में दोपहिया वाहनों और पैदल चलने वालों की हिस्सेदारी सबसे अधिक है, किंतु इसके बावजूद सड़क यातायात इंजीनियरिंग और नियोजन के दौरान इस विषय पर ध्यान नहीं दिया जाता। भारत में सड़क यातायात इंजीनियरिंग और नियोजन केवल सड़कों को विस्तृत करने तक ही सीमित है, जिसके कारण कई बार सड़कों और राजमार्गों पर ब्लैक स्पॉट (Black Spot) बन जाते हैं। ब्लैक स्पॉट वे स्थान होते हैं जहाँ सड़क दुर्घटना की संभावना सबसे अधिक रहती है।
  • आपातकालीन चिकित्सीय सुविधाओं का अभाव
    देश के अधिकांश राजमार्गों में दुर्घटनास्थल पर प्राथमिक चिकित्सा और पीड़ित को अस्पताल तक ले जाने के लिये परिवहन की अव्यवस्था देखी जाती है, जिसके कारण दुर्घटना में मरने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि होती है।
  • निगरानी की कमी
    निगरानी के बुनियादी ढाँचे की अनुपस्थिति के कारण 'हिट एंड रन' से संबंधित अधिकांश मामलों में जाँच ही संभव नहीं हो पाती है। आँकड़े बताते हैं कि देश में दोपहिया वाहनों पर दुर्घटना के शिकार होने वाले 73 प्रतिशत लोग हेलमेट नहीं पहनते हैं, जबकि चार पहिया वाहनों का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा सीट-बेल्ट का प्रयोग नहीं करना है।
  • गुणवत्तापूर्ण ड्राइविंग स्कूलों की कमी
    वर्ष 2016 के आँकड़ों के अनुसार, सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली 80 प्रतिशत मौतों के लिये वाहन का चालक प्रत्यक्ष रूप से ज़िम्मेदार था। यह आँकड़ा ज़ाहिर तौर पर देश में अच्छे ड्राइविंग स्कूलों की कमी को रेखांकित करता है।

सड़क सुरक्षा का महत्त्व

  • सड़क परिवहन भारत में यातायात की हिस्सेदारी और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान के संदर्भ में परिवहन का प्रमुख साधन है। सड़क परिवहन की मांग को पूरा करने के लिये वाहनों की संख्या और सड़क नेटवर्क की लंबाई में बीते वर्षों में काफी वृद्धि हुई है।
  • देश में सड़क नेटवर्क के विस्तार, गाड़ियों की संख्या में वृद्धि और शहरीकरण का नकारात्मक पक्ष सड़क दुर्घटनाओं में हो रही वृद्धि के रूप में सामने आया है। सड़क दुर्घटना देश में मृत्यु और विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है, देश को जिसकी भारी सामाजिक-आर्थिक लागत चुकानी पड़ती है।
  • इसके कारण न केवल देश के मानव संसाधन को नुकसान पहुँचता है बल्कि अर्थव्यवस्था भी नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है। आँकड़ों के अनुसार, भारत को प्रतिवर्ष सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाला नुकसान भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 3 प्रतिशत है।
  • वर्ष 2016 में सड़क दुर्घटनाओं के शिकार लोगों के आँकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि 18-45 वर्ष के उत्पादक आयु समूह की सड़क घटनाओं में कुल 68.6 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी। स्पष्ट है कि भारत को सड़क दुर्घटनाओं के कारण काफी अधिक नुकसान का सामना करना पड़ता है, जबकि इनमें से अधिकांश घटनाओं को समय रहते रोका जा सकता है।

सरकार द्वारा किये गए प्रयास

  • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सड़क सुरक्षा में सुधार के लिये अब तक कई उल्लेखनीय कदम उठाए हैं:
    • मंत्रालय ने राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति के तहत विभिन्न नीतिगत उपायों की रूपरेखा तैयार की है, जिसमें जागरूकता को बढ़ावा देना, सड़क सुरक्षा सूचना डेटाबेस की स्थापना, सुरक्षित सड़क हेतु बुनियादी ढाँचे को प्रोत्साहित करना और सुरक्षा कानूनों का प्रवर्तन आदि शामिल हैं।
    • सड़क सुरक्षा के मामलों में नीतिगत निर्णय लेने के लिये सर्वोच्च निकाय के रूप में राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद का गठन करना।
    • सड़क सुरक्षा के बारे में बच्चों के बीच जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से ‘स्वच्छ सफर’ और ‘सुरक्षित यात्रा’ नाम से दो कॉमिक बुक्स भी जारी की गई हैं।
    • VAHAN और SARATHI नाम से दो एप भी शुरू किये गए हैं ताकि लाइसेंस और वाहन पंजीकरण जारी करने में होने वाले भ्रष्टाचार को नियंत्रित किया जा सके।
      • VAHAN - वाहन पंजीकरण सेवा को ऑनलाइन संचालित करने हेतु
      • SARATHI - ड्राइविंग लाइसेंस हेतु आवेदन करने के लिये ऑनलाइन पोर्टल
    • ‘सेतु भारतम् कार्यक्रम’ के तहत वर्ष 2019 तक भारत के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों को रेलवे क्रॉसिंग से मुक्त किया जाएगा।
  • सड़क सुरक्षा को एक गंभीर मुद्दा मानते हुए वर्ष 2015 में भारत ने ब्रासीलिया घोषणा (Brasilia Declaration) पर हस्ताक्षर किये थे और सड़क दुर्घटनाओं तथा मृत्यु दर को आधा करने के लिये प्रतिबद्धता ज़ाहिर की थी।

ब्रासीलिया घोषणा

  • ब्रासीलिया घोषणा पर ब्राज़ील में आयोजित सड़क सुरक्षा हेतु द्वितीय वैश्विक उच्च-स्तरीय सम्मेलन में हस्ताक्षर किये गए थे।
  • इस घोषणा का उद्देश्य वर्ष 2020 तक सड़क दुर्घटनाओं से वैश्विक मौतों और दुर्घटनाओं की संख्या को आधा करना है।
  • संयुक्त राष्ट्र ने भी 2010-2020 को सड़क सुरक्षा के लिये कार्रवाई का दशक घोषित किया है।

ब्रासीलिया घोषणा की मुख्य बातें:

  • हस्ताक्षर करने वाले सभी देशों को परिवहन के अधिक स्थायी साधनों जैसे कि पैदल चलना, साइकिल चलाना और सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने के लिये परिवहन नीतियों का निर्माण करना चाहिये।
  • सभी सड़क उपयोगकर्त्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये निम्नलिखित रणनीतियाँ अपनाई जा सकती हैं:
    • कानूनों और प्रवर्तन में सुधार।
    • ढाँचागत परिवर्तनों के माध्यम से सड़कों को सुरक्षित बनाना।
    • यह सुनिश्चित करना कि सभी वाहनों में जीवन रक्षक तकनीक उपलब्ध है।

आगे की राह

  • आवश्यक है कि लोगों के व्यवहार में परिवर्तन का प्रयास किया जाए। हेलमेट और सीट-बेल्ट के प्रयोग को प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है, क्योंकि अधिकांश सड़क दुर्घटनाएँ इन्हीं कारणों की वजह से होती हैं। लोगों को शराब पीकर गाड़ी न चलाने के प्रति जागरूक किया जाना चाहिये।
  • दुर्घटना के पश्चात् तत्काल प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध कराना और पीड़ित को जल्द-से-जल्द अस्पताल पहुँचाने की व्यवस्था करना कई लोगों की जान बचा सकता है।
  • दुर्घटना के पश्चात् आस-पास खड़े लोग घायल की जान बचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। आवश्यक है कि आम लोगों को इस कार्य के प्रति जागरूक किया जाए।
  • सड़कों की योजना, डिज़ाइन और संचालन के दौरान सुरक्षा पर ध्यान देना सड़क दुर्घटनाओं में मौतों को कम करने में योगदान दे सकता है।
  • सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये मास मीडिया और सोशल मीडिया का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाना चाहिये।

प्रश्न: देश में सड़क दुर्घटना के कारणों पर चर्चा करते हुए सरकार द्वारा इस संदर्भ में किये गए प्रयासों का उल्लेख कीजिये।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2