भारतीय अर्थव्यवस्था
1 जुलाई, 2018 ‘GST दिवस‘ के रूप में मनाया गया
- 02 Jul 2018
- 14 min read
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार द्वारा 1 जुलाई, 2018 को ‘GST दिवस’ के रूप में मनाया गया। 1 जुलाई को भारतीय कर प्रणाली में अभूतपूर्व सुधार अर्थात् वस्तु एवं सेवा कर (GST) को लागू हुए एक वर्ष पूरा हो गया है। GST का पहला वर्ष विभिन्न प्रकार की चुनौतियों एवं नीति निर्माताओं तथा कर प्रशासकों द्वारा इन सभी परिस्थितियों से बेहतर तरीके से निपटने की इच्छा और क्षमता निर्माण, दोनों ही रूप से उल्लेखनीय रहा है।
- भारतीय कर प्रणाली में आए इस अभूतपूर्व सुधार में GST का पहला वर्ष विश्व के लिये प्रतिभागी बनने का उदाहरण रहा है। इस बात को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि 1 जुलाई, 2018 को ‘GST दिवस‘ के रूप में मनाया जाए।
GST से पहले
- GST के कार्यान्वयन से पहले भारतीय कराधान प्रणाली कई स्तरों में विभाजित थी, वस्तुतः इसमें केंद्रीय, राज्य एवं स्थानीय क्षेत्र की लेवी सम्मिलित थी। इस समस्या को मद्देनज़र रखते हुए GST लाने पर बल दिया गया।
- GST के कार्यान्वयन के लिये संविधान में संशोधन किये जाने की आवश्यकता थी, इसके लिये अनेक बार चर्चा एवं बहस हुई, जिनमें ऐसे तमाम मुद्दों को शामिल किया गया जिन पर केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच आपसी सहमति एवं समाधान की आवश्यकता थी।
GST
- GST के रूप में देश को एक ऐसी एकीकृत अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था प्राप्त हुई है, जो न केवल संपूर्ण भारत को एकल बाज़ार के रूप में प्रस्तुत करती है बल्कि समानता भी प्रदान करती है।
- GST के अंतर्गत जहाँ एक ओर केंद्रीय स्तर पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, सेवा कर, काउंटरवेलिंग ड्यूटी जैसे अप्रत्यक्ष कर शामिल होंगे वहीं दूसरी ओर राज्यों में लगाए जाने वाले मुल्यवर्द्धन कर, मनोरंजन कर, चुंगी तथा प्रवेश कर, विलासिता कर आदि भी इसमें सम्मिलित हो जाएंगे।
- केंद्रीय स्तर पर वसूले जाने वाले कर, जैसे-केंद्रीय उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, सेवा कर, अतिरिक्त सीमा शुल्क, जिसे काउंटरवेलिंग ड्यूटी के रूप में जाना जाता था और सीमा शुल्क का विशेष अतिरिक्त शुल्क GST में शामिल हो गए हैं।
- राज्य स्तर पर वसूले जाने वाले कर, जैसे-राज्य मूल्य संवर्द्धन कर/बिक्री कर, मनोरंजन कर (स्थानीय निकायों द्वारा लागू करों को छोड़कर), केंद्रीय बिक्री कर (केंद्र द्वारा लागू और राज्य द्वारा वसूल किये जाने वाला), चुंगी और प्रवेश कर, खरीद कर, विलासिता कर तथा लॉटरी, सट्टा और जुए पर लगने वाले कर GST में शामिल हैं।
- उपरोक्त के अलावा, दो राज्यों के बीच होने वाले कारोबार पर लगने वाले कर को अब IGST यानी इंटीग्रेटेड GST के रूप में वसूला जाने लगा है। इसे केंद्र सरकार वसूल करती है और उसे दोनों राज्यों के बीच समान अनुपात में बाँटा जाता है।
- CGST विधेयक की बात करें तो केंद्र सरकार द्वारा राज्य के भीतर वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति पर कर की वसूली का प्रावधान है, जबकि IGST विधेयक में अंतर्राज्यीय वस्तुओं एवं सेवाओं पर कर की वसूली का प्रावधान किया गया है और यह अधिक-से-अधिक 40 फीसदी हो सकता है।
- IGST बिल में विदेशी पर्यटकों द्वारा भारत में प्रवास के दौरान खऱीदी गई वस्तुओं पर टैक्स रिफंड का प्रावधान करने हेतु नया उपबंध जोड़ा जा सकता है।
- इसी प्रकार, UT GST विधेयक में केंद्रशासित प्रदेशों जैसे- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, दमन और दीव तथा दादरा और नगर हवेली में जहाँ उनकी अपनी विधानसभाएँ नहीं हैं, वहाँ केंद्र सरकार द्वारा कर लगाने और उसे वसूलने का प्रावधान किया गया है।
GST : कोई मौलिक विचार नहीं है
- GST का आधारभूत विचार मौलिक नहीं था। दुनिया के कई देशों में प्रयोग के तौर पर इसे लागू किया जा चुका है। अनेक तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ही भारतीय मॉडल को विकसित करना ज़रूरी था।
- भारत राज्यों का एक ऐसा संघ है, जिसमें केंद्र और राज्य दोनों का ही राजकोषीय अथवा वित्तीय दृष्टि से सुदृढ़ होना अत्यंत ज़रूरी है।
- भारत राज्यों का परिसंघ नहीं है, इसलिये केंद्र सरकार के राजस्व की कीमत पर राज्यों की राजस्व स्थिति को सुदृढ़ नहीं किया जा सकता है।
GST का कार्यान्वयन
- GST सहकारी संघवाद का उचित उपहार है क्योंकि GST परिषद की अभी तक आयोजित 27 बैठकों में सभी निर्णयों पर सर्वसम्मति से फैसला लिया गया और ऐसा कोई अवसर नहीं आया कि किसी मसले पर निर्णय के लिये वोट कराने की स्थिति पैदा हो।
- चार कानूनों- CGST अधिनियम, UTGST अधिनियम, IGST अधिनियम एवं GST (राज्यों को क्षतिपूर्ति) अधिनियम को संसद द्वारा पारित किया गया और 12 अप्रैल, 2017 से इन्हें अधिसूचित कर दिया गया है।
- सभी राज्यों (जम्मू कश्मीर को छोड़कर) एवं संघ शासित प्रदेशों ने अपने संबंधित SGST अधिनियमों को पारित कर दिया है।
- दोहरे GST मॉडल को इसकी अनूठी संघीय प्रकृति के कारण अंगीकार किया गया है। बड़े पैमाने पर कर अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये ई-वे बिल को पेश किया गया है, जिससे देश भर में वस्तुओं की बाधामुक्त आवाजाही सुनिश्चित हुई है।
- GST के तहत कई प्रकार के करों को समावेशित किये जाने से अप्रत्यक्ष करों की एक समन्वित प्रणाली ने भारत को आर्थिक संघ बनाने का रास्ता प्रशस्त कर दिया है।
- तरह-तरह के करों, करदाताओं द्वारा कई तरह के रिटर्न भरने, अनगिनत कर अधिकारियों से सामना, टैक्स पर टैक्स लगाए जाने, बढ़ती महँगाई, देश भर में वस्तुओं की मुक्त आवाजाही न होने व बाज़ारों के विखंडित होने जैसे विभिन्न मसलों से भारत में अप्रत्यक्ष कर प्रणाली समस्याग्रस्त थी। ऐसे में GST के कार्यान्वयन ने लोगों को कर चोरी किये बगैर ही पारदर्शी ढंग से कारोबार करने के लिये प्रेरित किया है।
पिछले वित वर्षों में GST संग्रह का मासिक औसत
- जून 2018 में 95,610 करोड़ रुपए का कुल सकल राजस्व संग्रह किया गया।
- इसमें से CGST 15,968 करोड़ रुपए, SGST 22,021 करोड़ रुपए, IGST 49,498 करोड़ रुपए (आयातों पर संग्रहित 24,493 करोड़ रुपए सहित) एवं 8,122 करोड़ रुपए सेस (आयातों पर संग्रहित 773 करोड़ रुपए सहित) हैं।
- जून 2018 तक मई महीने के लिये फाइल किये गए GSTR 3B रिटर्न की कुल संख्या 64.69 लाख है।
- जून महीने में निपटान के बाद केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा अर्जित कुल राजस्व CGST के लिये 31,645 करोड़ रुपए एवं SGST के लिये 36,683 करोड़ रुपए है।
- वर्तमान महीने में 95,610 करोड़ रुपए का राजस्व संग्रह किया गया, जबकि पिछले महीने के दौरान यह राजस्व राशि 94,016 करोड़ रुपए थी।
- इसके अतिरिक्त, जून 2018 के महीने में 95,610 करोड़ रुपए का कुल सकल राजस्व संग्रह किया गया, जबकि पिछले वित वर्ष में GST संग्रह का मासिक औसत 89,885 करोड़ रुपए था।
- जून, 2018 के महीने में, अतिरिक्त अस्थायी निपटान किया गया है और केंद्र एवं राज्यों के बीच 50,000 करोड़ रुपए का निपटारा किया गया है। कथित अस्थायी निपटान फरवरी, 2018 में किये गए 35,000 करोड़ रुपए के पहले अस्थायी निपटान के अतिरिक्त किया गया है।
- इसके संदर्भ में महत्त्वपूर्ण बात यह है कि अप्रत्यक्ष कर के आधार पर भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। देश भर में वस्तुओं और सेवाओं का निर्बाध प्रवाह हो रहा है। ‘कारोबार में और ज़्यादा सुगमता’ सुनिश्चित हो गई है। किसी व्यापक व्यवधान के बिना ही नई कर प्रणाली अपना ली गई है। आरंभिक कठिनाइयों के बाद आईटी प्रणाली अब बेहतर ढंग से काम कर रही है।
GST की उल्लेखनीय उपलब्धियाँ
- इस अभूतपूर्व सुधार के परिणामस्वरूप एक एकीकृत बाज़ार का सृजन संभव हो सका है, टैक्स पर टैक्स लगाए जाने की समस्या को समाप्त किया गया है, कुल कराधान बास्केट का भारांक औसत कम हो गया है, GST परिषद टैक्स स्लैबों को तर्कसंगत बनाने पर निरंतर काम कर रही है और GST के सफल कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप प्रत्यक्ष करों का अग्रिम भुगतान बढ़ गया है आदि जैसे बहुत-से क्षेत्रों में सफलता हासिल हुई है।
- GST को लागू किये जाने के बाद पिछले वित्त वर्ष के नौ माह की अवधि के दौरान अप्रत्यक्ष करों का कुल संग्रह लगभग 8.2 लाख करोड़ रुपए आँका गया है, जो समूचे वर्ष के आधार पर लगभग 11 लाख करोड़ रुपए है। इस तरह प्रत्यक्ष करों के संग्रह में 11.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
- GST परिषद लागातार वर्तमान स्लैबों को तर्कसंगत बनाने की दिशा में काम कर रही है। GST प्रणाली में स्थिरता लाते हुए कर चोरी की रोकथाम की जा सकती है जिससे कर संग्रह में वृद्धि होगी। स्पष्ट रूप से इससे कर का दायरा बढ़ेगा और जीएजटी के वर्तमान स्लैबों को अपेक्षित ढंग से तर्कसंगत बनाया जा सकेगा।
- स्पष्ट है कि आने वाले समय में निर्यातकों, छोटे व्यापारियों एवं उद्यमियों, कृषि एवं उद्योग, आम उपभोक्ताओं जैसे विभिन्न क्षेत्रों को होने वाले लाभ की वजह से GST का अर्थव्यवस्था पर कई प्रकार से सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
निष्कर्ष
GST को लागू किये जाने से भारतीय अर्थव्यवस्था में रूपांतरकारी परिवर्तन आया है। GST से बहु-स्तरीय, जटिल अप्रत्यक्ष कर संरचना की जगह एक सरल, पारदर्शी एवं प्रौद्योगिकी आधारित कर व्यवस्था अस्तित्व में आई है। यह व्यवस्था अंतःराज्य व्यापार एवं वाणिज्य की बाधाओं को समाप्त कर एकल, एकसमान बाज़ार में भारत को समेकित कर देगी। यह देश में व्यवसाय की सरलता को बढ़ाएगी एवं ‘मेक इन इंडिया‘ अभियान को प्रोत्साहित करेगी। GST का परिणाम ‘ एक राष्ट्र, एक कर, एक बाज़ार‘ के रूप में सामने आएगा।
प्रश्न: GST के प्रमुख घटकों के संदर्भ में चर्चा करते हुए इसके एक वर्ष में प्रदर्शन की विवेचना कीजिये।
इस विषय से संबंधित अन्य पक्षों को जानने के लिये पढ़ें :
⇒ जीएसटी परिषद का गठन
⇒ लोक मंच: जी.एस.टी. : एक देश - एक कर
⇒ द बिग पिक्चर: जीएसटी सुधारों पर आगे की राह
⇒ देश-देशांतर: जीएसटी से जुड़े अवसर और आशंकाएं
⇒ जीएसटी में उपकर की सीमा तय
⇒ जीएसटी के लिए ‘सक्षम’ परियोजना