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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

AI: वरदान या अभिशाप

  • 18 Jun 2021
  • 10 min read

यह एडिटोरियल दिनांक 16/06/2021 को 'द हिंदुस्तान टाइम्स' में प्रकाशित लेख “The promise and perils of Artificial Intelligence partnerships” पर आधारित है। इसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गई है।

संदर्भ

ऐतिहासिक रूप से वैश्विक महाशक्तियों के मध्य प्रौद्योगिकी प्रतियोगिता भू-राजनीति का एक मुख्य पहलू रही है। इस युग में इसे अमेरिका और चीन के बीच भू-राजनीतिक कूटनीति में प्रत्यक्षत: परिलक्षित किया जा सकता है। ऐसी ही एक तकनीकी प्रतियोगिता कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence-AI) के क्षेत्र में आसानी से देखी जा सकती है।

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता वह प्रक्रिया है, जिसमें मशीनों को इंसानों की तरह सोचने के लिये प्रोग्राम किया जाता है। AI अपनी भूमिका एवं व्यापक उपयोगिता के कारण महत्त्वपूर्ण तकनीक के रूप में उभरा है।
  • हालाँकि AI का उपयोग कई गलत उद्देश्यों के लिये भी किया जा सकता है, जैसे- गलत सूचना, आपराधिक गतिविधि, व्यक्तिगत गोपनीयता का अतिक्रमण या तकनीक प्रेरित बेरोज़गारी को बढ़ावा देना।
  • चूॅंकि वैश्विक समुदाय AI के सकारात्मक पक्ष का लाभ उठाने का प्रयास कर रहा है, अतः उन्हें इससे जुड़ी चुनौतियों का सामना तथा AI के लिये मानव-केंद्रित दृष्टिकोण विकसित करना चाहिये।

AI के लाभ

  • AI के कुछ प्राथमिक लाभ इस प्रकार हैं:
    • AI की सहायता से किसी कार्य को अपेक्षाकृत कम समय में किया जा सकता है। यह मल्टी-टास्किंग को सक्षम बनाता है और मौजूदा संसाधनों पर कार्यभार को कम करता है।
    • AI महत्त्वपूर्ण एवं जटिल कार्यों को बिना किसी विशेष लागत के पूरा करने में सक्षम बनाता है।
    • AI बिना किसी रुकावट या ब्रेक के 24x7 कार्य कर सकता है।
    • AI 'विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों' की क्षमताओं को बढ़ाता है।
    • बाज़ार के लिये AI विविध रूपों में उपयोगी है। इसे उद्योगों में प्रयुक्त किया जा सकता है।
    • AI कार्य की प्रक्रिया को तेज़ और स्मार्ट बनाकर निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करता है।
  • 360-डिग्री प्रभाव: इन लाभों के आधार पर AI का उपयोग कई सकारात्मक तरीकों से किया जा सकता है। जैसे- नवाचार को बढ़ावा देने, दक्षता बढ़ाने, विकास में सुधार करने और उत्पादों के उपभोक्ता के अनुभव को समृद्ध करने के लिये।
    • भारत के लिये AI तकनीक का प्रयोग निश्चित तौर पर समावेशी विकास से जुड़ा होगा, जिसका कई क्षेत्रों जैसे, कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है।
    • मशीन लर्निंग और बिग डेटा में हालिया सफलताओं से प्रेरित, AI उभरती प्रौद्योगिकियों पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की संभावनाओं और चुनौतियों के लिये एक अच्छा प्लेटफॉर्म है।

राष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता पोर्टल

  • यह इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and IT- MeitY), राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन (National e-Governance Division- NeGD) और नैसकॉम (NASSCOM) की एक संयुक्त पहल है।
    • राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीज़न: वर्ष 2009 में डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन (MeitY द्वारा स्थापित एक गैर-लाभकारी कंपनी) के तहत NeGD को एक स्वतंत्र व्यापार प्रभाग के रूप में स्थापित किया गया था।
    • NASSCOM एक गैर-लाभकारी औद्योगिक संघ है जो भारत में IT उद्योग के लिये सर्वोच्च निकाय है।
  • यह भारत और उसके बाहर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से संबंधित समाचार, सीखने, लेख, घटनाओं और गतिविधियों आदि के लिये एक केंद्रीय हब (Hub) के रूप में कार्य करता है।

AI के साथ जुड़े मुद्दे

  • पूर्वाग्रहों और असमानताओं को बढ़ावा देना: यह नहीं भूलना चाहिये कि AI प्रणाली मनुष्यों द्वारा बनाया गया है, जो पक्षपाती और निर्णयात्मक हो सकते हैं। इस प्रकार AI पूर्वाग्रहों और असमानताओं को बढ़ावा दे सकता है, यदि AI एल्गोरिदम का प्रारंभिक प्रशिक्षण पक्षपाती है।
    • उदाहरण के लिये AI का प्रयोग कर चेहरे की पहचान और निगरानी तकनीक को रंग या किसी विशिष्ट पहचान से जोड़ कर लोगों के साथ भेदभाव किया जा सकता है।
  • गोपनीयता की समस्या: AI सिस्टम बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण करके सीखते हैं और अगली बार यदि उससे मिलता-जुलता डेटा सामने आए तो उन्हीं विश्लेषण के आधार पर निष्कर्ष देते हैं। साथ ही वे इंटरेक्शन डेटा और उपयोगकर्त्ता के प्रतिक्रियाओं के निरंतर मॉडलिंग के माध्यम से अनुकूलन करते रहते हैं।
    • इस प्रकार AI के बढ़ते उपयोग के साथ, किसी की गतिविधियों की निगरानी कर उसके डेटा तक अनधिकृत पहुॅंच से निजता का अधिकार खतरे में पड़ सकता है।
  • गैर-अनुपातिक शक्ति और नियंत्रण: बाज़ार में कार्यरत बड़ी शक्तियाॅं कृत्रिम बुद्धिमत्ता के दोनों स्तरों, वैज्ञानिक/इंजीनियरिंग तथा वाणिज्यिक और उत्पाद विकास, पर भारी निवेश कर रहे हैं।
    • किसी भी महत्त्वाकांक्षी प्रतियोगी की तुलना में इन बड़ी शक्तियों को कहीं अधिक लाभ होगा जो तकनीक प्रेरित एकाधिकार या अल्पाधिकार (Monopoly or Oligopoly) को बढ़ावा देगा। 
  • तकनीक प्रेरित बेरोज़गारी: AI कंपनियाॅं ऐसी मशीनों का निर्माण कर रही हैं जो आमतौर पर कम आय वाले श्रमिकों द्वारा किये जाने वाले कार्यों को करती हैं।
    • उदाहरण के लिये कैशियर को बदलने के लिये सेल्फ सर्विस कियोस्क, फील्ड वर्कर्स को बदलने के लिये फ्रूट-पिकिंग रोबोट आदि।
    • इसके अलावा, वह दिन दूर नहीं जब AI द्वारा कई डेस्क जॉब, जैसे कि एकाउंटेंट, वित्तीय व्यापारी और प्रबंधक को भी समाप्त कर दिया जाएगा।

आगे की राह

  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: यह देखते हुए कि विभिन्न सरकारों ने हाल ही में AI से जुड़ी नीतियाॅं बनाई हैं और कुछ देशों में अभी भी इससे जुड़ी नीतियाँ तैयार हो ही रही हैं, बहुपक्षीय स्तर पर मानकों की स्थापना में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग अभी भी बेहद ज़रूरी है।
  • लचीली आपूर्ति शृंखला का निर्माण: प्रतिभा से परे, अतिरिक्त चुनौतियाँ जैसे, आवश्यक बुनियादी ढाँचा हासिल करना, लचीली आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करने, अंतर्राष्ट्रीय मानक, शासन, आवश्यक भौतिक बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये आवश्यक महत्त्वपूर्ण खनिजों और अन्य कच्चे माल को सुनिश्चित करने पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • प्रौद्योगिकी का सही दिशा में उपयोग: AI प्रौद्योगिकी तकनीकी क्रांति के विकास के लिये बहुत बड़ा अवसर है, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रौद्योगिकी का सही दिशा में उपयोग किया जाएगा।
    • इस संबंध में, दुनिया के विभिन्न हिस्सों में पहले से ही कुछ कदम उठाए जा रहे हैं, जैसे कि व्याख्या करने योग्य AI (Explainable AI- XAI) और यूरोपीय संघ का सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन (General Data Protection Regulation- GDPR )।

निष्कर्ष

निकट भविष्य में लिये जाने वाले महत्त्वपूर्ण निर्णय 'AI पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग' की दिशा में परिवर्तनकारी प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे चौथी औद्योगिक क्रांति के रूप में वर्णित की जाने वाली घटना को निर्णायक आकार मिल सकता है।

अभ्यास प्रश्न: चूकि वैश्विक समुदाय कृत्रिम बुद्धिमत्ता (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के स्कारात्मक पक्ष का लाभ उठाना चाहता है, उन्हें इसके नकारात्मक पक्षों सामना भी करना चाहिये, जब इसके विकास और तैनाती की बात आती है। चर्चा करें।

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