एक कठोर नीति का खंडन : सराहनीय कदम | 23 Jun 2018
संदर्भ
जब अमेरिकी अप्रवासन अधिकारियों ने मेक्सिको के साथ लगी अमेरिका की दक्षिणी सीमा पर अवैध प्रवासियों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी और उनके बच्चों को उठा ले गए, तो हफ्तों तक पूरी दुनिया भयभीत थी। इन बच्चों में एक 10 महीने का बच्चा भी था जो डाउन सिंड्रोम से पीड़ित था। इन शरण-स्थलों पर अधिकारियों को आदेश दिये गए थे कि वे किसी भी बच्चे को न छुएँ न ही उन्हें कोई आरामदायक सुविधा देने की कोशिश करें। अवैध प्रवासियों के बच्चों को उनके माता-पिता से अलग किये जाने की घटना के बाद देश में ट्रंप प्रशासन की कड़ी आलोचना हुई, जिसके बाद अब राष्ट्रपति ट्रंप प्रशासन इस नियम में बड़े बदलाव करने के लिये तैयार है।
कौन हैं ये अवैध प्रवासी?
- सीमा पर रोके जाने वाले बहुत से लोग एल साल्वाडोर, होंडुरस और ग्वाटेमाला में उपद्रवियों की हिंसा और छेड़छाड़ के कारण वहाँ से भाग रहे थे और शरण के लिये आवेदन कर रहे थे।
- हर साल ग्रीष्मकाल के दौरान हज़ारों स्पेनिश भाषी वैध रूप से कम वेतन वाली नौकरियों (जो कि अमेरिकी नहीं करना चाहते हैं) के लिये यहाँ आते हैं। उनमें से बहुत से तो वापस अपने घर लौट जाते हैं लेकिन उनमें से कई ऐसे होते हैं जो वापस नहीं जाते।
क्यों उठाया गया ये कदम?
- वर्षों तक अमेरिकी कंपनियों और धनाढ्य अमेरिकी व्यक्तियों ने वैध तथा अवैध दोनों प्रकार के प्रवासियों को काम पर रखा।
- ट्रंप के स्वयं के रिसॉर्ट ने बड़ी संख्या में स्पेनिश भाषी प्रवासियों को न्यूनतम मज़दूरी पर रोज़गार उपलब्ध कराया है।
- दशकों से एक के बाद एक आने वाली सरकारें अवैध प्रवासन को नज़रअंदाज करती रहीं या उनके द्वारा इसे रोकने के लिये सीमित कदम उठाए गए।
- राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ट्रंप ने सफलतापूर्वक अवैध आप्रवासन के मुद्दे को उठाया और अवैध प्रवासियों को रोकने के लिये मेक्सिको की सीमा पर एक दीवार बनाए जाने के विचार को प्रचारित किया। ट्रंप ने इन अवैध प्रवासियों को “हत्यारे, चोर और जानवरों” के रूप में वर्णित किया था।
शून्य सहिष्णुता कार्यक्रम (Zero Tolerance Programme)
उसने शून्य सहिष्णुता कार्यक्रम (Zero Tolerance Programme) शुरू किया और इन अवैध प्रवासियों पर पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा लागू किये गए इमिग्रेशन कानूनों की बजाय आम आपराधिक कानूनों के तहत मुकदमा चलाया।
क्या है विवादित कानून?
- विवादित क़ानून के मुताबिक़ अमेरिका की सीमा में अवैध तरीके से घुसने वालों पर आपराधिक मामला दर्ज कर उन्हें जेल में डाल दिया जाता है। ऐसे प्रवासियों को उनके बच्चों से भी मिलने नहीं दिया जाता और उन्हें अलग रखा जाता है।
- इन बच्चों की देखभाल अमेरिका का 'डिपार्टमेंट ऑफ़ हेल्थ ऐंड ह्यूमन सर्विसेज' करता है। इससे पहले, बिना ज़रूरी काग़ज़ात के पहली बार सीमा पार कर आने वाले प्रवासियों को अदालत में बुलाया जाता था।
- ट्रंप प्रशासन का कहना है कि समन भेजे जाने के बावजूद ये प्रवासी कभी अदालत में पेश नहीं होते थे, इसलिये इन पर सीधे आपराधिक मामला दर्ज किये जाने का नियम लागू करना पड़ा।
- नए क़ानून के अनुसार भी अवैध रूप से सीमा पार करने वालों को हिरासत में लेकर जेल भेजे जाने का प्रावधान है। ट्रंप के नए आदेश से यह भी स्पष्ट है कि अवैध प्रवासियों को लेकर अमेरिका की 'ज़ीरो टॉलरेंस पॉलिसी' पहले की तरह ही लागू रहेगी।
(टीम दृष्टि इनपुट)
क्या कहता है आप्रवासन कानून?
- आप्रवासन कानून ऐसी स्थिति में जब अदालतों द्वारा उनके मामलों की सुनवाई की जा रही है परिवारों को एक साथ रहने की इज़ाज़त देता है। 1997 में बच्चों के इलाज से संबंधित एक विशेष श्रेणी के मामले की सुनवाई करने वाले लॉस एंजिल्स के न्यायाधीश ने कहा था कि बच्चों को हिरासत में रखना एक अमानवीय कृत्य है।
- इस संबंध में न्यायाधीश ने एक आदेश जारी किया और कहा कि वे बच्चों को केवल तीन दिन तक हिरासत में रख सकते हैं तथा उसके बाद उन बच्चों को किसी नज़दीकी रिश्तेदार को सौंप दिया जाए या सरकारी देखभाल में रखा जाए।
अवैध प्रवासियों के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव
- ट्रंप ने इस दृष्टिकोण में बदलाव किया और इसके बजाय परिवारों पर आपराधिक कानूनों के तहत मुक़दमा चलाया।
- अपराध करने वाले व्यक्ति को जेल में डाल दिया गया और उनके बच्चो को पालक माता-पिता के हवाले कर दिया गया।
- इस कार्रवाई को लेकर ट्रंप का मानना था कि यदि बच्चों को उनके माता-पिता से दूर रखा जाएगा तो इससे अवैध प्रवेश पर रोक लगेगी।
कैसे बढ़ा विवाद?
- ट्रंप के इस कार्यक्रम के खिलाफ विरोध उस समय तेज़ हो गया जब गेट्टी इमेज के फोटोग्राफर जॉन मूर ने एक छोटी लड़की के क्रंदन की तस्वीर उस समय खींच ली जब सीमा पर अधिकारियों ने उसकी माँ को उससे अलग कर दिया था।
- जब तक बच्चों को उनके माता-पिता से अलग नहीं कर लिया गया तब तक अधिकारी इन बच्चों के माता-पिता से यह कहकर झूठ बोलते रहे कि बच्चों को नहलाने या खिलाने-पिलाने के लिये ले जाया जा रहा है। जबकि हकीकत यह है कि बच्चों को अलग किये जाने के बाद माता-पिता ने दुबारा कभी अपने बच्चों को नहीं देखा।
- शीघ्र ही एक ऑडियो रिलीज़ हुआ जिसमें बच्चों को अपने माता-पिता के लिये रोते सुना गया।
पूरी दुनिया ने की अमेरिका के कानून की निंदा
- पोप फ्राँसिस सहित दुनिया के विभिन्न देशों के नेताओं ने इस सुधार-गृह को “दुष्ट” तथा “बेरहम” की संज्ञा देते हुए इसकी निंदा की।
- प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप जो स्वयं कभी अवैध तरीके से मॉडल के रूप में काम करती थी, ने अपने पति से इस नीति को वापस लेने का आग्रह किया।
ट्रंप के फैसले में बदलाव
- CNN के अनुसार, ट्रंप ने अपने अधिकारियों को बुलाकर बच्चों के क्रंदन करने वाली छवि पर चिंता व्यक्त की।
- उन्होंने तुरंत एक प्रवर्तक निर्देश जारी किया जिसमें सीमा अधिकारियों को उन परिवारों को एक साथ रखने की इज़ाज़त दी गई।
- उन्होंने कहा कि शून्य सहिष्णुता कार्यक्रम जारी रहेगा लेकिन बच्चों को उनके माता-पिता से दूर नहीं रखा जाएगा।
- हफ्तों तक उन्होंने यह दावा किया कि वह केवल उस कानून का पालन कर रहे थे जो डेमोक्रेट द्वारा पारित किया गया था।
- उन लोगों को कैसे हिरासत में लिया जाएगा या परिवारों को कहाँ रखा जाएगा, इस पर किसी भी प्रकार के दिशा-निर्देश अभी तक ज़ारी नहीं किये गए हैं।
निष्कर्ष
- ट्रंप के आदेश को अदालत में चुनौती दी जा सकती है। उन्हें अब कॉन्ग्रेस या लॉस एंजिल्स के न्यायाधीश को इस बात के लिये राज़ी करना होगा कि बच्चों को 20 दिनों के बाद भी अपने माता-पिता के साथ रहने की इज़ाज़त दी जाए।
- इस बीच, पिछले दो महीनों में अलग किये गए 2,342 बच्चे अज्ञात हैं। उनमें से कई स्थानीय अधिकारियों की जानकारी के बिना गुप्त रूप से मियामी और न्यूयॉर्क में चले गए हैं। अधिकांश बच्चे 10 साल से कम उम्र के हैं और कुछ तो अपने माता-पिता का नाम भी नहीं जानते हैं।
प्रश्न: हाल ही में चर्चा में रहे ‘आप्रवासन कानून’ के संदर्भ में अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए वैश्विक संदर्भ में इसके प्रभाव और महत्त्व की विवेचना कीजिये।