ज़ीरो डे | 29 Jun 2019
चर्चा में क्यों?
उत्तर भारत में स्थित शिमला और तटीय कर्नाटक में स्थित उडुपी तथा मंगलूरु ज़ल्द ही जल संकट के कारण ‘ज़ीरो डे’ (Zero Day) का सामना कर सकते हैं।
शिमला के संदर्भ में
- प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में शिमला की छवि ही इसके जल संकट का प्रमुख कारण है।
- 0.17 मिलियन की आबादी वाले शिमला में गर्मियों के दौरान प्रतिदिन लगभग 10000 पर्यटक घूमने आते हैं।
- रिपोर्ट्स के अनुसार, पर्यटन के सीज़न में शिमला में जल की माँग 45 मिलियन लीटर प्रति दिन (Million Litres Per Day- MLD) तक बढ़ जाती है।
- हालाँकि कई जल स्रोतों के कारण शिमला में लगभग 54 मिलियन लीटर प्रति दिन (Million Litres Per Day- MLD) जल की पूर्ति की जा सकती है। फिर भी वहाँ माँग और पूर्ति के मध्य अंतर देखने को मिलता है।
- वर्ष 2015 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2013 में माँग और पूर्ति का यह अंतर 8 MLD था जो वर्ष 2031 में पाँच प्रतिशत और वर्ष 2051 में 12 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा।
उडुपी के संदर्भ में
- तटीय कर्नाटक में स्थित उडुपी बीते कई दिनों से भारी जल संकट का सामना कर रहा है।
- मई की शुरुआत में, जल संकट के कारण यहाँ स्कूलों को सिर्फ प्रथम पाली (First Half) तक ही काम करने का भी आदेश दिया गया था।
- उडुपी में ‘स्वर्ण नदी’ (Swarna River) और ‘बाजे बाँध’ (Baje Dam) जल के प्रमुख स्रोत हैं, परंतु इसका जल भी अपने न्यूनतम स्तर पर पहुँच गया है और अब प्राकृतिक रूप से इनका प्रयोग करना संभव नहीं है।
- उडुपी शहर कुल 6 क्षेत्रों में विभाजित है और स्वर्ण नदी का जल सभी 6 क्षेत्रों में हफ्ते के प्रत्येक दिन बारी-बारी से भेजा जाता है।
- उडुपी प्रसाशन सभी 35 नगरपालिकाओं में टैंकों के माध्यम से भी जल की पूर्ति कर रहा है।
मंगलूरु के संदर्भ में
- जल संकट का सामना करने के लिये मंगलूरु नगर निगम ने जल राशनिंग की व्यवस्था अपनाई है, जिसके अनुसार 48 घंटों के लिये जल की पूर्ति को रोक दिया जाता है और फिर अगले 96 घंटो के लिये जल की पूर्ति शुरू कर दी जाती है, यह चक्र बार-बार चलता रहता है।
- वर्ष 1993 में शहर में पानी की पर्याप्त पूर्ति सुनिश्चित करने के लिये नेत्रावती नदी पर थुम्बे बाँध का निर्माण किया गया था।
- परंतु इसके बावजूद भी नेत्रावती नदी में जल के कम बहाव के कारण प्रशासन को यह सख्त निर्णय लेना पड़ा है।
जीरो डे
- ‘ज़ीरो डे’ का अर्थ उस दिन से है जब शहर के सभी नलों से पानी आना बंद हो जाएगा और शहर में जल की किल्लत होगी। जल की इस कमी के कारण शहर के सभी लोग एक-एक बूंद के लिये संघर्ष करेंगे।
- शिमला, उडुपी और मंगलूरु की स्थितियों को देखते हुए यदि कहा जाए की ये शहर जल्द ही ‘ज़ीरो डे’ के ख़तरे में आ जाएँगे तो यह गलत नहीं होगा।