नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

ज़पोरिज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र: यूक्रेन

  • 07 Mar 2022
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये: 

ज़पोरिज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र और यूक्रेन की अवस्थिति। 

मेन्स के लिये: 

रूस-यूक्रेन युद्ध, भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्र, भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में रूसी सेना द्वारा यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र- ज़पोरिज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Zaporizhzhia Nuclear Power Plant) को अपने नियंत्रण में ले लिया गया है।

Nuclear-power

प्रमुख बिंदु 

  ज़पोरिज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र की अवस्थिति: 

  • यह नीपर नदी के तट पर स्थित है जो विवादित डोनबास क्षेत्र (Donbas Region) से केवल 200 किलोमीटर दूर है जहांँ रूस समर्थित अलगाववादी और यूक्रेनी सेना के बीच युद्ध जारी है।
  • ज़पोरिज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र यूक्रेन में स्थित चार ऑपरेटिंग एनपीपी में से एक है और वर्ष 1984 से कार्यरत है।
    • यह यूक्रेन के सभी एनपीपी द्वारा उत्पादित कुल विद्युत का लगभग 40% और यूक्रेन के वार्षिक विद्युत उत्पादन के पांँचवें हिस्से का योगदान करता है।
  •  ज़पोरिज़िया एनपीपी (Zaporizhzhya NPP) में वर्ष 1984 से वर्ष 1995 के मध्य कमीशन की गई छह प्रेशराइज़्ड वाटर रिएक्टर (Pressurised Water Reactor- PWR) इकाइयाँ शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक की कुल विद्युत क्षमता 1,000 MW है।

विगत वर्षों के प्रश्न 

नाभिकीय रिएक्टर में भारी जल का कार्य होता है:(2011) 

(a) न्यूट्रॉन की गति को धीमा करना।
(b) न्यूट्रॉन की गति बढ़ाना ।
(c) रिएक्टर को ठंडा करना ।
(d) परमाणु अभिक्रिया को रोकना।

उत्तर: (a)

प्रेशराइज़्ड हैवी वाटर रिएक्‍टर:

  • यह एक प्रकार का लाइट वाटर रिएक्टर (Light Water Reactor) है जिसमें साधारण जल का  मॉडरेटर और शीतलक के रूप में उपयोग किया जाता है।
  • PWR प्लांट विश्व में सबसे सामान्य प्रकार का परमाणु ऊर्जा रिएक्टर है।
    • प्रेशराइज़्ड हैवी वाटर रिएक्‍टर  (PHWRs) प्राकृतिक यूरेनियम द्वारा संचालित होते हैं, जबकि लाइट वाटर रिएक्टर (LWR) कम समृद्ध यूरेनियम द्वारा संचालित होते हैं। 
  • एक PWR  में दो जल प्रणालियाँ शामिल होती हैं:
    • एक को रिएक्टर (प्राथमिक) प्रणाली कहा जाता है जो रिएक्टर में उत्पन्न ऊष्मा को पुनः प्राप्त करता है और दूसरे को टर्बाइन (द्वितीयक) प्रणाली कहा जाता है जिसमें रिएक्टर की ऊष्मा से उत्पन्न भाप द्वारा  विद्युत शक्ति उत्पन्न की जाती है।

विगत वर्षों के प्रश्न

प्रश्न.  अपनी तेज़ी से बढ़ती ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिये कुछ लोगों का मानना है कि भारत को परमाणु ऊर्जा के भविष्य के ईंधन के रूप में थोरियम पर अनुसंधान और विकास करना चाहिये। इस संदर्भ में, यूरेनियम पर थोरियम का क्या लाभ है? (2012)

1. यूरेनियम की तुलना में थोरियम प्रकृति में कहीं अधिक प्रचुर मात्रा में है। 
2. तोड़े हुए खनिज के ढेर के प्रति इकाई द्रव्यमान के आधार पर थोरियम प्राकृतिक यूरेनियम की तुलना में अधिक ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है। 
3. यूरेनियम की तुलना में थोरियम कम हानिकारक अपशिष्ट पैदा करता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

संबंधित चिंताएँ:

  • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर हमले अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून, विशेष रूप से जिनेवा कन्वेंशन के अतिरिक्त प्रोटोकॉल I के अनुच्छेद 56 के विपरीत हैं।
    • कन्वेंशन का अतिरिक्त प्रोटोकॉल I: खतरनाक कार्यों और प्रतिष्ठानों की सुरक्षा।
  • 1986 में चेर्नोबिल आपदा भी इस बात की याद दिलाती है कि सभी परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में सुरक्षा और सुरक्षा के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करना क्यों महत्त्वपूर्ण है।

चेर्नोबिल आपदा:

  • 1986 में चेर्नोबिल दुर्घटना एक दोषपूर्ण रिएक्टर का परिणाम थी जिसे अपर्याप्त प्रशिक्षित कर्मियों के साथ संचालित किया जा रहा था।
  • परिणामस्वरूप विस्फोट की वाष्प और आग से रिएक्टर के विनाश ने यूरोप के कई हिस्सों में रेडियोधर्मी सामग्री के जमाव के साथ, कम-से-कम 5% रेडियोधर्मी रिएक्टर सामग्री पर्यावरण में मिल गई थी।
  • यह आपदा वाणिज्यिक परमाणु ऊर्जा के इतिहास में एकमात्र दुर्घटना थी जहाँ विकिरण के कारण मौतें हुई थीं।
  • दुर्घटना की रात विस्फोट के कारण चेर्नोबिल संयंत्र के दो श्रमिकों की मृत्यु हो गई तथा तीव्र विकिरण सिंड्रोम के परिणामस्वरूप कुछ हफ्तों के भीतर 28 और लोगों की मृत्यु हो गई।
  • दुर्घटना के परिणामस्वरूप इस क्षेत्र से लगभग 3,50,000 लोगों को वहाँ से निकाला गया था, लेकिन जिन क्षेत्रों के लोगों को स्थानांतरित किया गया था, उनका पुनर्वास जारी है।

भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के विषय में:

  • परमाणु ऊर्जा देश के ऊर्जा मिश्रण का एक महत्त्वपूर्ण घटक है और ऊर्जा के अन्य स्रोतों के साथ इसका इष्टतम उपयोग किया जा रहा है।
    • यह 24*7 उपलब्ध बिजली का एक स्वच्छ एवं पर्यावरण के अनुकूल लोड स्रोत है।
    • इसमें विशाल क्षमता भी है जो देश की दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा को स्थायी रूप से सुनिश्चित कर सकती है।
  • वर्तमान में देश में 6780 मेगावाट की कुल क्षमता वाले 22 रिएक्टर प्रचालन में हैं और एक रिएक्टर, KAPP-3 (700 मेगावाट) को जनवरी 2021 में ग्रिड से जोड़ा गया था।
  • सरकार ने 12 परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों के निर्माण के लिये प्रशासनिक स्वीकृति और वित्तीय मंज़ूरी दी है - 10 स्वदेशी 700 मेगावाट दाबित भारी पानी रिएक्टर (PHWRs) को फ्लीट मोड में स्थापित किया जाएगा और रूसी संघ के साथ सहयोग से 2 यूनिट लाइट वॉटर रिएक्टर (LWRs) स्थापित किये जाएंगे।
  • निर्माणाधीन परियोजनाओं के क्रमिक रूप से पूरा होने और मंज़ूरी मिलने पर वर्ष 2031 तक परमाणु क्षमता 22480 मेगावाट तक पहुँचने की उम्मीद है।
  • सरकार ने भविष्य में परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाने हेतु पाँच नए स्थलों के लिये 'सैद्धांतिक' अनुमोदन भी प्रदान किया है।
  • भारत में कुछ परमाणु रिएक्टरों को "IAEA (अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) सुरक्षा उपायों" के तहत रखा जाता है।
    • विभिन्न परमाणु सुविधाओं को IAEA सुरक्षा उपायों के तहत रखा जाता है, यदि यूरेनियम का स्रोत, जो परमाणु रिएक्टर के लिये विखंडनीय सामग्री है, भारतीय क्षेत्र से बाहर से आता है या फिर नए रिएक्टर संयंत्र विदेशी सहयोग से स्थापित किये गए हैं।
    • इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आयातित यूरेनियम को सैन्य उपयोग के लिये डायवर्ट नहीं किया जाएगा और साथ ही आयातित यूरेनियम का उपयोग नागरिक उद्देश्यों के लिये परमाणु ऊर्जा उत्पन्न करने हेतु किया जाएगा।

वर्तमान में संचालित परमाणु ऊर्जा संयंत्र

निर्माणाधीन परमाणु ऊर्जा संयंत्र

नियोजित परमाणु ऊर्जा संयंत्र

  • रावतभाटा (राजस्थान)
  • तारापुर (महाराष्ट्र)
  • कुडनकुलम (तमिलनाडु)
  • काकरापार (गुजरात)
  • कलपक्कम (तमिलनाडु)
  • नरोरा (उत्तर प्रदेश)
  • कैगा (कर्नाटक)
  • काकरापार 3 और 4 (गुजरात)
    रावतभाटा (राजस्थान)
  • कुडनकुलम 3 और 4 (तमिलनाडु)
  • कलपक्कम PFBR (तमिलनाडु)



  • जैतापुर (महाराष्ट्र)
  • कोव्वाड़ा (आंध्र प्रदेश)
  • मिठी विर्डी (गुजरात) 
  • हरिपुर (पश्चिम बंगाल)
  • गोरखपुर (हरियाणा)
  • भीमपुर (मध्य प्रदेश)
  • माही बँसवाड़ा (राजस्थान) 
  • कैगा (कर्नाटक)
  • चुटका (मध्य प्रदेश) 
  • तारापुर (महराष्ट्र)

विगत वर्षों के प्रश्न

भारत में क्यों कुछ परमाणु रिऐक्टर ’’आई.ए.ई.ए. सुरक्षा उपायों’’ के अधीन रखे जाते हैं, जबकि अन्य इस सुरक्षा के अधीन नहीं रखे जाते? (2020)

(a) कुछ यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य थोरियम का।
(b) कुछ आयातित यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य घरेलू आपूर्ति का।
(c) कुछ विदेशी उद्यमों द्वारा संचालित होते हैं और अन्य घरेलू उद्यमों द्वारा।
(d) कुछ सरकारी स्वामित्व वाले होते हैं और अन्य निजी स्वामित्व वाले।

उत्तर: B 

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow