अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत और ब्रिटेन के बीच युवा छात्रों एवं पेशेवरों का आदान-प्रदान
- 18 Nov 2022
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:युवा पेशेवरों का आदान-प्रदान, हिंद-प्रशांत, मुक्त व्यापार समझौता (FTA) मेन्स के लिये:भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों एवं राजनीति का प्रभाव। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और ब्रिटेन ने वर्ष 2023 में ‘यंग प्रोफेशनल्स’ योजना शुरू करने का निर्णय लिया है।
- ब्रिटेन 18-30 वर्ष आयु वर्ग के 3000 डिग्रीधारक भारतीयों को दो साल तक काम करने का अवसर प्रदान करेगा।
- यह योजना वर्ष 2023 के प्रारंभ में शुरू होगी जिसमें ब्रिटिश नागरिकों को भी भारत में इसी तरह की सुविधा प्रदान की जाएगी।
भारत-ब्रिटेन साझेदारी का महत्त्व:
- ब्रिटेन के लिये: बाज़ार में हिस्सेदारी और रक्षा क्षेत्र दोनों के संदर्भ में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ब्रिटेन के लिये भारत एक महत्त्वपूर्ण रणनीतिक भागीदार है, जैसा कि वर्ष 2015 में भारत और ब्रिटेन के बीच रक्षा एवं अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा साझेदारी पर हस्ताक्षर द्वारा रेखांकित किया गया था।
- भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की सफलता ब्रिटेन को उसकी 'ग्लोबल ब्रिटेन' की महत्त्वाकांक्षा को बढ़ावा देगी क्योंकि यूके ब्रेक्ज़िट के बाद से ही यूरोप के बाहर अपने बाज़ारों का वैश्विक विस्तार करने का इच्छुक है।
- ब्रिटेन एक महत्त्वपूर्ण वैश्विक अभिकर्त्ता के रूप में वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मज़बूत करने के लिये हिंद-प्रशांत क्षेत्रों में विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं में अवसरों का लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है।
- भारत से अच्छे द्विपक्षीय संबंधों के साथ वह इस लक्ष्य को बेहतर ढंग से हासिल करने में सक्षम होगा।
- भारत के लिये: हिंद प्रशांत में UK एक क्षेत्रीय शक्ति है क्योंकि इसके पास ओमान, सिंगापुर, बहरीन, केन्या और हिंद महासागर क्षेत्र में नौसैनिक सुविधाएँ हैं।
- यूके (UK) ने भारत में अक्षय ऊर्जा के उपयोग का समर्थन करने के लिये ब्रिटिश अंतर्राष्ट्रीय निवेश निधि के 70 मिलियन अमेरिकी डॉलर की भी पुष्टि की है, जिससे इस क्षेत्र में अक्षय ऊर्जा बुनियादी ढाँचे के निर्माण एवं सौर ऊर्जा के विकास में मदद मिलेगी।
- भारत ने मत्स्य पालन, फार्मा और कृषि उत्पादों के लिये बाज़ार तक आसान पहुँच के साथ-साथ श्रम-गहन निर्यात के लिये शुल्क रियायत की भी मांग की है।
इन दोनों देशों के बीच वर्तमान प्रमुख द्विपक्षीय मुद्दे:
- भारतीय आर्थिक अपराधियों का प्रत्यर्पण:
- यह मुद्दा भारतीय आर्थिक अपराधियों के प्रत्यर्पण का है जो वर्तमान में ब्रिटेन की शरण में हैं और अपने लाभ के लिये कानूनी प्रणाली का उपयोग कर रहे हैं।
- विजय माल्या, नीरव मोदी और ऐसे अन्य अपराधियों ने लंबे समय से ब्रिटिश प्रणाली के तहत शरण ले रखी है, जबकि भारत में उनके खिलाफ मामले हैं, जिनके प्रत्यर्पण की आवश्यकता है।
- ब्रिटिश और पाकिस्तान के बीच गहरे संबंध :
- उपमहाद्वीप में लंबे समय तक रहे ब्रिटिश राज की विरासत की बदौलत ब्रिटेन जम्मू और कश्मीर में पाकिस्तान की भूलों के कारण विभाजन करने में सक्षम हुआ।
- ब्रिटेन में उप-महाद्वीप के एक बड़े मुस्लिम समुदाय की उपस्थिति, विशेष रूप से पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर के मीरपुर जैसे क्षेत्रों से वोट बैंक की राजनीति के जाल के अलावा असंगति को बढ़ाती है।
- श्वेत ब्रिटिश द्वारा गैर-स्वीकृति:
- श्वेत ब्रिटिश लोगों द्वारा एक वैश्विक शक्ति के रूप में भारत के उदय की अस्वीकार्यता एक और मुद्दा है।
- वर्तमान प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत ने जीडीपी के मामले में ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया है और पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।
- ब्रिटिश साम्राज्य की शाही विरासत के संदर्भ में एक आधुनिक और आत्मविश्वासी भारतीय तथा एक ब्रिटिश औपनिवेशिक भारतीय के बीच कोई अंतर नहीं है।
- श्वेत ब्रिटिश लोगों द्वारा एक वैश्विक शक्ति के रूप में भारत के उदय की अस्वीकार्यता एक और मुद्दा है।
आगे की राह
- संस्कृति, इतिहास और भाषा के गहन संबंध पहले से ही ब्रिटेन को एक संभावित मज़बूत आधार देते हैं जिसे आधार बनकर भारत के साथ संबंधों को और गहरा किया जा सकता है।
- नई परिस्थितियों के साथ भारत और ब्रिटेन को यह स्वीकार करना चाहिये कि दोनों को अपने बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये एक-दूसरे की आवश्यकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष का प्रश्नप्रश्न. हाल के दिनों में भारत और ब्रिटेन में न्यायिक प्रणालियाँ एक-दूसरे से अलग-अलग होती दिख रही हैं। दोनों देशों के बीच उनकी न्यायिक प्रथाओं के संदर्भ में अभिसरण एवं विचलन के प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डालिये। (2020) |