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पीत-ज्वर टीका

  • 22 Jan 2019
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?


हाल ही में 67 वर्षीय प्रोफेसर ‘मार्टिन गोर’ की पीत ज्वर से मृत्यु हो गई। प्रोफेसर गोर ब्रिटेन में रॉयल मार्सडेन अस्पताल के पूर्व चिकित्सा निदेशक एवं एक प्रसिद्ध कैंसर विशेषज्ञ थे। नियमित टीकाकरण के बाद भी इस बीमारी के कारण हुई उनकी मृत्यु ने एक बार फिर से पीत ज्वर संबंधी टीकाकरण (Vaccination) को संदेह के घेरे में ला खड़ा किया है।

पीत ज्वर टीकाकरण क्यों आवश्यक है?

  • पीत ज्वर मच्छरों से फैलने वाली बीमारी है। यह पीलिया (Jaundice) जैसी होती है इसीलिये इसे पीत/पीला (Yellow) के नाम से भी जाना जाता है।
  • पीत ज्वर से होने वाली मृत्यु अनुपात से कहीं ज़्यादा है, इसीलिये अफ्रीका के कुछ हिस्सों और मध्य एवं दक्षिण अमेरिका (पीत ज्वर-स्थानिक देश) में यात्रा करने से पहले अनिवार्य रूप से इसका टीका लगवाया जाता है।

पीत ज्वर टीकाकरण कितना सुरक्षित है?

  • पीत-ज्वर को सामान्यतः ‘17D’ भी कहा जाता है। आमतौर पर यह टीका (Vaccine) सुरक्षित माना जाता है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, पीत ज्वर को एक अत्यंत प्रभावी टीके की सिर्फ एक खुराक द्वारा रोका जाता है, जो सुरक्षित और सस्ती होने के साथ-साथ इस बीमारी के खिलाफ निरंतर प्रतिरक्षा एवं जीवन भर सुरक्षा प्रदान करने के लिये पर्याप्त है।
  • हालाँकि, इसके संबंध में किये गए अनुसंधानों एवं कुछ रिपोर्टों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, पीत ज्वर संबंधी टीकाकरण के बाद शरीर के कई तंत्रों के खराब होने या सही से काम न करने की बातें सामने आई हैं, यहाँ तक कि इसके कारण कुछ लोगों की मृत्यु तक हो गई है।

पीत ज्वर टीकाकरण के क्या-क्या जोखिम हैं?

  • इस संदर्भ में रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (Center for Disease Control & Prevention-CDC-Atlanta) द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, इस टीकाकरण के उपरांत गंभीर नुकसान या मृत्यु बहुत कम होती है।
  • हालाँकि पीत ज्वर के टीकाकरण के बाद कुछ समस्याएँ जैसे - हल्का बुखार, शरीर में दर्द, लालिमा या सूजन हो सकती हैं, लेकिन यह समस्या भी 4 लोगों में से सिर्फ 1 को होती है।

इतने जोखिमों के बाद टीकाकरण क्यों आवश्यक है?

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों के अनुसार, टीकाकरण को मृत्यु दर और रुग्णता से बचाने में एक सकारात्मक मार्ग के रूप में देखा जा रहा है लेकिन आज भी लोगों में टीकाकरण के लिये संदेह व्याप्त है।
  • CDC के अनुसार, इस टीके से उत्पन्न होने वाली गंभीर समस्याएँ नगण्य हैं, फिर भी वैक्सीन के प्रति बढ़ता संदेह एक गंभीर समस्या बनती जा रही है।

भारत में टीकाकरण की स्थिति

  • भारत में भी लोगों में टीकाकरण के लिये संदेह व्याप्त है। हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्कूल में बच्चों को दिये जाने वाले टीकों के लिये इनके माता-पिता की सहमति को रेखांकित किया।
  • इसका कारण संभवतः यह है कि डिप्थीरिया के टीकाकरण के कारण सितंबर 2018 में दिल्ली में 24 और दिसंबर में नूंह (हरियाणा) में 27 बच्चों की मौत हो गई। हालाँकि, यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (UIP) के तहत यह सबसे पुराना टीका है।
  • भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा समर्थित एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन, GAVI के साथ मिलकर टीकाकरण तकनीकी सहायता इकाई द्वारा टीके के प्रति लोगों में संकोच एवं संदेह पर एक अध्ययन कार्य शुरू किया है।

वर्तमान में वैक्सीन के प्रति संकोच दुनिया भर में एक गंभीर समस्या है। अमेरिका जैसे देश (मिनेसोटा राज्य) में भी विशेष रूप से अप्रवासी लोगों में टीकाकरण के प्रति संदेह व्याप्त है। हाल ही में एक ब्रिटिश डॉक्टर के चिकित्सीय निरीक्षण दौरे के दौरान उनके चिकित्सीय प्रेक्टिस लाइसेंस को भीड़ द्वारा छीन लिया गया तथा टीकाकरण के खिलाफ आवाज़ उठाई गई। यदि अमेरिका जैसे विकसित देश में टीकाकरण के संबंध में आमजन में इतना अधिक आक्रोश है तो विकासशील देशों द्वारा भी इस समस्या के संदर्भ में गंभीर चिंतन करने की आवश्यकता है। विकास की राह पर अग्रसर भारत जैसे विकासशील देश के नीतिनिर्माताओं को इस विषय पर गंभीर कदम उठाने चाहिये तथा आवश्यक शोध एवं अनुसंधान कार्यों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।


स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस

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