भारतीय अर्थव्यवस्था
इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर आयात शुल्क संबंधी विवाद
- 30 Jul 2020
- 7 min read
प्रीलिम्स के लियेविश्व व्यापार संगठन, WTO का विवाद निपटान तंत्र मेन्स के लियेइलेक्ट्रॉनिक उत्पाद संबंधी विवाद और उसमें भारत की स्थिति |
चर्चा में क्यों?
विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization-WTO) ने हाल ही में जापान और ताइवान के अनुरोध पर दो और विवाद निपटान पैनल (Dispute Settlement Panels) गठित किये हैं, जो कि भारत द्वारा मोबाइल फोन समेत कुछ विशिष्ट सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) उत्पादों पर लगाए गए आयात शुल्क की जाँच करेंगे।
प्रमुख बिंदु
- भारत द्वारा अधिरोपित शुल्क के इस मुद्दे पर विश्व व्यापार संगठन (WTO) द्वारा गठित कुल विवाद निपटान पैनलों की संख्या अब बढ़कर 3 हो गई है।
- इससे पूर्व विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने यूरोपीय संघ (EU) के अनुरोध पर इसी मुद्दे को लेकर भारत के विरुद्ध एक विवाद निपटान पैनल का गठन किया था।
विवाद
- सर्वप्रथम बीते वर्ष मई माह में, जापान और ताइवान ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में भारत के विरुद्ध कुछ इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर लगाए गए आयात शुल्क को लेकर एक मामला दर्ज कराया था और परामर्श (Consultations) की मांग की थी।
- इन देशों द्वारा जिन उत्पादों के संबंध में मामला दर्ज किया गया था, उनमें टेलीफोन; ट्रांसमिशन मशीने और टेलिफोन आदि के कुछ कलपुर्जे शामिल हैं।
- इन देशों ने आरोप लगाया है कि भारत द्वारा इन उत्पादों पर आयात शुल्क लगाने से विश्व व्यापार संगठन के मानदंडों का उल्लंघन होता है क्योंकि भारत ने इन उत्पादों पर शून्य प्रतिशत बाध्य शुल्क (Bound Tariffs) की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
- बाध्य शुल्क (Bound Tariffs) का अभिप्राय उस अधिकतम शुल्क सीमा से होता है, जिससे अधिक आयात शुल्क विश्व व्यापार संगठन (WTO) के सदस्यों द्वारा नहीं लगाया जा सकता है।
भारत का पक्ष
- भारत ने जापान और ताइवान द्वारा लगाए गए आरोप का कड़ा विरोध किया है।
- भारत ने कहा है कि उसके द्वारा जिन सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) संबंधी विशिष्ट उत्पादों पर आयात शुल्क अधिरोपित किया गया है, वे सभी सूचना प्रौद्योगिकी समझौते- 2 (ITA-2) का हिस्सा हैं, किंतु भारत इस समझौता का हिस्सा नहीं है।
- गौरतलब है कि भारत वर्ष 1997 में हस्ताक्षरित किये गए सूचना प्रौद्योगिकी उत्पाद- 1 (ITA-1) समझौते का हिस्सा है।
- अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए भारत ने कहा कि वह ITA-1 के प्रति पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है और वर्षों से इस समझौता का पालन कर रहा है।
- इस संबंध में आयोजित बैठक में भारत ने दोहराया कि भारत ITA-1 के दायरे से बाहर किसी भी प्रकार के दायित्त्व के लिये प्रतिबद्ध नहीं है।
WTO का विवाद निपटान तंत्र
- WTO की विवाद निपटान प्रणाली में किसी भी व्यापार विवाद को आरंभ में संबंधित सदस्य देशों के बीच परामर्श के माध्यम से निपटाने की कोशिश की जाती है।
- यदि यह उपाय सफल नहीं होता है तो मामला एक विवाद पैनल (Dispute Panel) के पास जाता है। विवाद पैनल का निर्णय अंतिम होता है, लेकिन उसके निर्णय के खिलाफ अपील अपीलीय प्राधिकरण (Appellate Body-AB) के समक्ष की जा सकती है।
- ध्यातव्य है कि विवाद निपटान पैनल के गठन के बाद भी अंतिम निर्णय आने में 1 से 1.5 वर्ष के समय लग सकता है, हालाँकि मौजूद महामारी के दौर में यह समय और अधिक बढ़ सकता है।
- अपीलीय प्राधिकरण (AB) द्वारा विवाद पैनल के निर्णय की समक्ष की जाती है और इस संबंध में अपीलीय प्राधिकरण का निर्णय अंतिम होता है और सदस्य देशों के लिये बाध्यकारी होता है।
- हालाँकि विश्व व्यापार संगठन (WTO) का अपीलीय प्राधिकरण बीते वर्ष दिसंबर माह से कार्य नहीं कर रहा है।
सूचना प्रौद्योगिकी समझौता
- मूल सूचना प्रौद्योगिकी समझौता (ITA) सिंगापुर में आयोजित विश्व व्यापार संगठन के पहले मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में 13 दिसंबर, 1996 को हुआ था और 1997 को हस्ताक्षित किया गया था।
- WTO सूचना प्रौद्योगिकी समझौता मुख्य तौर पर सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) संबंधी उत्पादों पर लगने वाले शुल्क को समाप्त करता है।
- इस समझौते के तहत मुख्य प्रौद्योगिकी उत्पादों को शामिल किया गया है, जिनमें कंप्यूटर, दूरसंचार उपकरण, अर्द्ध-चालक, परीक्षण उपकरण, सॉफ्टवेयर, वैज्ञानिक उपकरण और साथ ही इन उत्पादों के अधिकांश हिस्सों और सहायक उपकरण शामिल हैं।
- वर्तमान में सूचना प्रौद्योगिकी समझौते (ITA) में विश्व व्यापार संगठन (WTO) के कुल 81 सदस्य शामिल हैं।
- ध्यातव्य है कि वर्ष 2015 में सूचना प्रौद्योगिकी समझौते (ITA) को अपग्रेड किया गया था और इसमें कुछ उत्पाद शामिल किये गए थे।