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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सुरक्षा उपाय पर WTO का निर्णय अमेरिका के पक्ष में

  • 20 Aug 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वैश्विक व्यापार विवादों हेतु उच्चतम न्यायालय (Highest Court)  द्वारा दिया गया एक विवादास्पद निर्णय अमेरिका के भारत, चीन, कनाडा, यूरोपीय संघ, मेक्सिको, नॉर्वे और अन्य के विरुद्ध एकतरफा दंडात्मक व्यापार उपाय को न्यायसंगत बनाने के लिये काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

प्रमुख बिंदु

  • व्यापार विवादों के लिये विश्व व्यापार संगठन की सर्वोच्च अदालत अपीलीय निकाय ने अपने एक निर्णय में यह स्वीकार किया कि इंडोनेशिया द्वारा लगाए गए शुल्क सुरक्षा उपायों पर डब्ल्यूटीओ समझौते के तहत एक सुरक्षा उपाय नहीं है। इस तरह इंडोनेशिया के विरुद्ध लगाए गए आरोप को अपीलीय निकाय ने खारिज कर दिया।
  • उल्लेखनीय है कि ताइपे और वियतनाम ने इंडोनेशिया द्वारा इस्पात एवं लोहे पर आरोपित शुल्क के विरुद्ध विश्व व्यापार संगठन की सर्वोच्च अदालत अपीलीय निकाय में शिकायत की गई थी जिसे अपीलीय इकाई द्वारा आम सहमति से खारिज़ कर दिया गया।
  • अपीलीय निकाय द्वारा दिया गया निर्णय असामान्य था क्योंकि क्रिटिकल थ्रेसहोल्ड के मुद्दे पर शिकायतकर्त्ता और बचाव पक्ष के तर्क को खारिज़ कर दिया गया।
  • गौरतलब है कि WTO के सदस्य आयात में अचानक हुए अप्रत्याशित उभार से “घरेलू उद्योग को नुकसान” से बचाने के लिये सुरक्षा उपायों को आरोपित करने के हकदार हैं।
  • इसके अतिरिक्त जिस देश के उत्पादों पर सुरक्षा उपाय आरोपित किये गए वह सुरक्षा उपाय लागू करने वाले देश द्वारा WTO के समझौते में निर्धारित समझौते का पालन करने में असमर्थ रहने पर शुल्क आरोपित करने वाले देश के विरूद्ध शिकायत कर सकता है।
  • न्यायाधीशों के समक्ष कार्यवाही में चीन, यूरोपीय संघ, जापान, कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, रूस, अमेरिका और यूक्रेन के साथ भारत ने तीसरे पक्ष के रूप में भाग लिया था। भारत, चीन, यूरोपीय संघ, कोरिया और जापान ने कहा कि इंडोनेशिया द्वारा लगाए गए उपायों को सुरक्षा उपायों के रूप में माना जाना चाहिये।
  • अमेरिका ने धारा 232 के तहत इस्पात पर 20% और एल्युमीनियम पर 10% के दंडात्मक शुल्कों को उचित ठहराया है। यह व्यापार और प्रशुल्क पर सामान्य समझौता (GATT)-1994 के  अनुच्छेद 21 के अंतर्गत आता है जो राष्ट्रीय सुरक्षा प्रावधानों के साथ "संप्रभु निर्धारण" के रूप में कार्य करता है।
  • अमेरिका ने बार-बार भारत, चीन, कनाडा, यूरोपीय संघ, मेक्सिको और नॉर्वे द्वारा की गई शिकायतों को खारिज कर दिया कि उसके द्वारा लगाए गए दंडनीय शुल्कों ने एक "प्रच्छन्न सुरक्षा" उपाय गठित किया है।
  • इसके फलस्वरूप, पिछले महीने विवाद निपटान पैनल के समक्ष कार्यवाही के दौरान प्रतिशोध उपाय लागू करने को उचित ठहराया गया था। हालाँकि, अमेरिका छह देशों के तर्कों से असहमत था। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ने इस संदर्भ तर्क दिया कि
  • उसने सुरक्षा उपायों को नहीं अपनाया है। 
  • इस तरह से देखा जाए तो अपीलीय निकाय का निर्णय आश्चर्यजनक है जो अमेरिका के इस्पात और एल्युमीनियम पर धारा 232 के तर्क को स्वीकार करता है। इससे यह भी ज़ाहिर हो जाता है कि WTO के अपीलीय निकाय ने अमेरिका को संतुष्ट करने के लिये अपना रुख बदल दिया जो व्यापार कानून और न्यायशास्त्र को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।
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