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भारत-विश्व

विश्व व्यापार संगठन का अपीलीय प्राधिकरण

  • 20 May 2019
  • 7 min read

संदर्भ

हाल ही में विश्व व्यापार संगठन अपने अपीलीय प्राधिकरण में निर्धारित सदस्यों की संख्या से कम सदस्य हो चुकी है ।

प्रमुख बिंदु

  • अपीलीय प्राधिकरण में सदस्यों की संख्या सात से घटकर तीन रह गई है।
  • इस कारण वर्तमान में अपीलीय प्राधिकरण में किसी अपील पर सुनवाई करने में लगभग एक वर्ष का समय लग रहा है, जबकि अपीलों के निपटारे  के लिये निर्धारित समय 90 दिन है।
  • फिलहाल मौजूद तीन न्यायाधीशों में से दो न्यायाधीश 10 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं, जिससे अपीलीय प्राधिकरण की कार्यक्षमता प्रभावित होगी। क्योंकि इसके पश्चात इसमें एक  सदस्य शेष रह जाएगा।
  • ध्यातव्य है कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने पिछले साल से अपीलीय प्राधिकरण में न्यायाधीशों की नियुक्ति पर रोक लगा दी है क्योंकि अमेरिका को लगता है कि विश्व व्यापार संगठन पक्षपात की भावना से कार्य करता है।
  • किसी भी अपील की सुनवाई के लिये कम-से-कम 3 सदस्य होने अनिवार्य हैं। अतः दो सेवानिवृत्त सदस्यों की नियुक्ति शीघ्र नहीं की गई तो अपीलीय प्राधिकरण की प्रासंगिकता पर प्रश्नचिह्न लग सकता है।
  • 1995-2014 के मध्य  पैनलों के 201 निर्णयों में 68% अपीलें की गईं।
  • पिछले कुछ वर्षों में निर्धारित संख्या से कम सदस्यों की पीठ होने के कारण अपीलों को तय 2-3 महीने की समयसीमा के अंतर्गत निस्तारित करने में असमर्थता जताई गई  है।
  • पिछले वर्ष दायर की गई अपीलों के मामलों की सुनवाई को काफी पुरानी अपीलों ने रोक रखा है। अपीलीय प्राधिकरण की तीन सदस्यीय पीठ अब 1अक्तूबर, 2018 से दायर अपीलों की सुनवाई कर रही हैं।
  • जुलाई 2018 के बाद से दायर की गई कम-से-कम 10 अपीलों की समीक्षा करने में प्राधिकरण अभी तक असमर्थ रहा है।

विश्व व्यापार संगठन का अपीलीय प्राधिकरण क्या है?

  • विश्व व्यापार संघ के अपीलीय प्राधिकरण की स्थापना वर्ष 1995 में अंडरस्टैंडिंग ऑफ रूल्स ऑफ डिसिप्लिन (DSU) के नियमों और प्रक्रियाओं पर अनुच्छेद 17 के तहत की गई थी।
  • यह सात व्यक्तियों का एक स्थायी निकाय है जो WTO के सदस्यों द्वारा लाए गए विवादों पर पैनलों द्वारा जारी रिपोर्टों के आधार पर अपील की सुनवाई करता है।
  • अपीलीय निकाय एक पैनल के कानूनी निष्कर्षों में परिवर्तन सकता है, संशोधन कर सकता है या उन्हें यथावत बनाए रख सकता है।
  • WTO का विवाद निस्तारण तंत्र दुनिया में सबसे सक्रिय तंत्रों में से एक है और अपीलीय प्राधिकरण इन मामलों में सर्वोच्च प्राधिकरण है जिसका निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होगा।
  • WTO द्वारा  समझौते या दायित्व को तोड़ने के लिये बनाए गए नियमों पर विवाद होने की स्थिति में विवाद में  शामिल देश अपीलीय प्राधिकरण से संपर्क कर सकते हैं।
  • अपीलीय प्राधिकरण विवाद को सुनने वाले पैनल के कानूनी निष्कर्षों को बरकरार रख सकता है, संशोधित कर सकता है या उलट सकता है एवं विवाद में शामिल दोनों पक्षों के देश अपील कर सकते हैं।

प्रभाव

  • अगर अपीलीय प्राधिकरण में नई नियुक्तियाँ नहीं होती हैं, तो ऐसी स्थिति में विश्व व्यापार संगठन की विवाद निपटान प्रक्रिया पर पहले से ही बहुत अधिक भार होने के कारण इसकी कार्यक्षमता प्रभावित होगी।
  • देशों को पैनल द्वारा दिये गए फैसलों को लागू करने के लिये बाध्य होना पड़ सकता है, भले ही उन्हें  इसमें गंभीर त्रुटियों की आशंका हो।
  • इससे वैश्विक व्यापार में संरक्षणवाद को कम करने एवं समाप्त करने के लिये दो दशकों से चले आ रहे प्रयासों के कारण WTO का ढाँचा कमज़ोर हो सकता है।
  • वर्तमान में व्यापार तनाव एक प्रमुख चिंता है क्योंकि इस प्रकार की समस्याएँ हैं। उदाहरण के लिये अमेरिका-चीन एवं अमेरिका-भारत के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ रहा है।
  • अगर यह प्राधिकरण समाप्त हो जाता है तो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विवादों में उलझे देशों को  निस्तारण के लिये कोई मंच नहीं रह जाएगा।

अपीलीय प्राधिकरण के संदर्भ में भारत

  • यह भारत के लिये अच्छा प्रतीत नहीं होता क्योंकि भारत विशेष रूप से कृषि उत्पादों पर विवाद के मामलों की बढ़ती संख्या का सामना कर रहा है।
  • अन्य सदस्य देशों की तुलना में अमेरिका अधिकतम विवादों में सीधे तौर पर शामिल है, जबकि भारत सहित कई देशों ने तीसरे पक्ष के रूप में विवाद दर्ज करवाए हैं।
  • भारत अब तक 54 विवादों में प्रत्यक्ष भागीदार रहा है।
  • पिछले चार महीनों में विश्व व्यापार संगठन में भारत के खिलाफ चार शिकायतें दर्ज़ कराई गई हैं जिनमें यह आरोप लगाया गया है कि भारत अपने चीनी और गन्ना उत्पादकों के लिये WTO के नियमों के दायरे से बाहर जाकर समर्थन जुटाने के उपाय कर रहा है।

भविष्य की राह

  • जब अपीलीय प्राधिकरण में नए सदस्यों की नियुक्ति का निर्णय लिया जाता है तो इसमें WTO के सभी सदस्यों की आम सहमति ज़रूरी होती है। अगर इनमें सहमति नहीं बन पाती है तो मतदान का प्रावधान है।
  • भारत सहित 17 अल्प-विकसित और विकासशील देशों के समूह ने अपीलीय प्राधिकरण में गतिरोध समाप्त करने हेतु एक साथ कार्य करने की प्रतिबद्धता जताई है। अतः इस आशय का एक प्रस्ताव लाया जाए एवं मतदान हो  तथा बहुमत के आधार पर अपीलीय प्राधिकरण में नए सदस्य की नियुक्ति करने का प्रयास किया जा सकता है।
  • यह उपाय अंतिम विकल्प हो सकता है।

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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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