WTO का भारत के पक्ष में निर्णय | 29 Jun 2019
चर्चा में क्यों?
सितंबर 2016 में अमेरिका के खिलाफ WTO के विवाद निवारण तंत्र में भारत द्वारा दायर याचिका में भारत के पक्ष में निर्णय लिया गया है।
मुख्य बिंदु
- भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के संबंध में WTO के विवाद निवारण तंत्र के समक्ष एक अपील दायर की थी।
- इस अपील में अमेरिका के घरेलू सामग्री आवश्यकता (Domestic Content Requirements) से संबंधित नियम और अमेरिका के अपने 8 राज्यों को दी गई सब्सिडी का मुद्दा उठाया गया था।
- WTO के विवाद निवारण पैनल ने भारत के पक्ष में निर्णय दिया तथा अमेरिका के नियमों और सब्सिडी को विश्व व्यापार नियमों का उल्लंघन माना।
- भारत ने वर्ष 2016 में अपील करते समय यह तर्क दिया था कि अमेरिका का यह तरीका असंगत है, क्योंकि ये नियम आयातित उत्पाद के प्रति भेदभावपूर्ण रूप से लागू हैं तथा राज्यों को दी जाने वाली सब्सिडी घरेलू उत्पाद को आर्थिक रूप से अधिक आकर्षक बनाती है जिससे आयातित उत्पाद को हानि होती है।
- पैनल ने अपने निर्णय में कहा कि अमेरिका के ये उपाय टैरिफ और व्यापार पर सामान्य समझौते (General Agreement on Tariffs and Trade- GATT) के प्रावधानों से असंगत है। GATT विश्व व्यापार संगठन का एक समझौता है जो सीमा शुल्क जैसी व्यापार बाधाओं को कम या समाप्त करने के लिये प्रोत्साहित करता है।
- हालाँकि WTO के अपीलीय निकाय में इस निर्णय को चुनौती दी जा सकती है। उल्लेखनीय है यह अपीलीय निकाय WTO के विवाद निवारण तंत्र का ही एक हिस्सा है।
- यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब भारत-अमेरिका के मध्य व्यापार को लेकर तनाव बना हुआ है। ज्ञात हो कि अमेरिका ने GSP के तहत भारत को दी जाने वाली छूट को समाप्त कर दिया है। वहीं भारत ने भी 28 अमेरिकी उत्पादों पर सीमा शुल्क में वृद्धि कर दी है।
- भारत और अमेरिका व्यापार से संबंधित अन्य विवादों में भी शामिल है। अमेरिका ने भारत के निर्यात को प्रोत्साहित करने वाली कुछ योजनाओं को चुनौती दी है तो वहीं भारत ने अमेरिका द्वारा कुछ स्टील एवं एल्युमीनियम उत्पादों पर बढ़ाए गए एकतरफा सीमा शुल्क को चुनौती दी है।
विश्व व्यापार संगठन
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स्रोत: द हिंदू