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भारतीय अर्थव्यवस्था

विश्व व्यापार संगठन का अपीलीय निकाय

  • 27 Jun 2022
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व व्यापार संगठन, विश्व व्यापार संगठन का अपीलीय निकाय, एंटी डंपिंग ड्यूटीज़। 

मेन्स के लिये:

विश्व व्यापार संगठन का अपीलीय निकाय और इसके निहितार्थ तथा संबंधित मुद्दे। 

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में संपन्न 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization’s- WTO) के अपीलीय निकाय (Appellate Body- AB) जो कि वर्ष 2019 से महत्तवपूर्ण बनी हुई है, को पुनर्जीवित करने हेतु कोई चर्चा नहीं हुई। 

प्रमुख बिंदु  

विश्व व्यापार संगठन का अपीलीय निकाय: 

  • विश्व व्यापार संगठन की स्थापना मुक्त व्यापार करने हेतु नियम बनाने के साथ-साथ बहुपक्षीय व्यापारों की निगरानी और प्रशासन के लिये बातचीत हेतु एक मंच प्रदान करने को की गई थी। 
  • इसके प्रमुख उद्देश्यों में से एक वैश्विक व्यापार के लिये न्यायालय के रूप में कार्य करके अपने सदस्यों की शिकायतों का समाधान करना भी था। 
  • 1995 में स्थापित अपीलीय निकाय, सीमित चार साल के कार्यकाल के साथ सात सदस्यों की एक स्थायी समिति है जो विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों द्वारा लाए गए व्यापार से संबंधित विवादों में पारित निर्णयों के विरुद्ध अपील की अध्यक्षता करती है। 
  • विवाद तब उत्पन्न होते हैं जब एक सदस्य देश यह देखता है कि कोई अन्य सदस्य देश  विश्व व्यापार संगठन में किये गए  व्यापार समझौते का उल्लंघन कर रही है। 
  • विश्व व्यापार संगठन के दिशा-निर्देशों के तहत व्यापार उपचार का मतलब है कि सदस्य देशअपने टैरिफ को एक निश्चित मार्जिन से ऊपर नहीं बढ़ा सकते हैं लेकिन यह सरकारों को व्यापार उपायों को लागू करने के लिये इन नियमों को समाप्त करने का एक प्रावधान प्रदान करता है, जिसमें एंटी-डंपिंग शुल्क शामिल हैं, इसमें विनिर्माता देश द्वारा बाज़ार की तुलना में सस्ती दर पर माल का निर्यात करके बाज़ार को विकृत किया जाता है। 
  • देशों को अपने सस्ते आयात और अन्य ऑफसेटिंग ड्यूटीज़ (Offsetting Duties) की रक्षा के लिये कदम उठाने की अनुमति होती है ताकि आयात वृद्धि का मुकाबला करने वाले टैरिफ की रक्षा के लिये सब्सिडी वाले आयात से खुद को बचाया जा सके। 

WTO-DSS

संबंधित मुद्दे: 

  • न्यायाधीशों की नियुक्ति पर रोक: 
    • वर्ष 2017 में उनकी कार्य अवधि समाप्त होने के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने न्यायाधीशों की पुनर्नियुक्ति की प्रक्रिया को रोक दिया। परिणामस्वरूप दिसंबर 2019 में न्यायालयों में न्यायाधीशों की आवश्यक न्यूनतम संख्या तीन से भी नीचे गिर गई। 
      • यह मानता है कि विश्व व्यापार संगठन इसके खिलाफ पक्षपाती है और "अनुचित" होने के कारण इसकी आलोचना की गई। 
    • अपील की अध्यक्षता करने के लिये कम-से-कम तीन न्यायाधीशों की आवश्यकता होती है और यदि दो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के स्थान पर नए सदस्यों को नियुक्त नहीं किया जाता है, तो निकाय प्रासंगिक नहीं रह जाएगा। 
  • सीमित दक्षता: 
    • वर्ष 1995 में इसके गठन के बाद से 600 से अधिक मामले निकाय तक पहुंँचे जबकि लगभग 350 में फैसले जारी किये गए। 
    • इसने यह भी आरोप लगाया है कि AB 90 दिनों की समय-सीमा के भीतर निर्णय जारी करने में विफल रही है। 
  • कुछ प्रावधान असंगत हैं: 
    • काउंटरवेलिंग और एंटी-डंपिंग उपायों को लागू करने के लिये कई यू.एस. प्रावधान डब्ल्यूटीओ समझौतों के मुख्य प्रावधानों के साथ असंगत पाए गए हैं। 

निहितार्थ: 

  • अपीलीय निकाय के नए आवेदनों की समीक्षा करने में असमर्थ होने के कारण विश्व व्यापार संगठन की विवाद निपटान प्रक्रिया को लेकर पहले ही काफी अनिश्चितता कि स्थिति है। 
  • यदि निकाय को गैर-कार्यात्मक घोषित किया जाता है, तो देशों को पैनल के फैसलों को लागू करने के लिये मजबूर किया जा सकता है, भले ही उन्हें लगता है कि इसमें बड़ी त्रुटियाँ हैं। 
  • देश इस आधार पर पैनल के आदेश का पालन करने से इनकार कर सकते हैं कि उनके पास अपील के लिये कोई रास्ता नहीं है। यह विवाद में दूसरे पक्ष द्वारा शुरू की गई मध्यस्थता कार्यवाही का सामना करने का जोखिम बढ़ाएगा। 
  • यह भारत के लिये भी शुभ संकेत नहीं है, जो विशेष रूप से कृषि उत्पादों पर विवाद के मामलों की बढ़ती संख्या का सामना कर रहा है। 
  • अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव की पृष्ठभूमि में विश्व व्यापार संगठन के ढाँचे के समग्र रूप से कमज़ोर होने से वैश्विक व्यापार में संरक्षणवाद से बचने के दो दशकों के प्रयासों को पूर्ववत होने का जोखिम हो सकता है। 

विश्व व्यापार संगठन में भारत को शामिल करने संबंधी विवाद: 

  • जिन विवादों में भारत एक शिकायतकर्त्ता पक्ष है, वे हैं- भारतीय इस्पात उत्पादों पर अमेरिका द्वारा प्रतिसंतुलनकारी शुल्क; गैर-आप्रवासी वीज़ा के संबंध में अमेरिका द्वारा उपाय; अमेरिका के अक्षय ऊर्जा कार्यक्रम और अमेरिका द्वारा स्टील एवं एल्युमीनियम उत्पादों पर आयात शुल्क। 
  • विश्व व्यापार संगठन के विवाद में जहाँ भारत एक प्रतिवादी पक्ष है, में अमेरिका द्वारा दायर किये गए पोल्ट्री और पोल्ट्री उत्पादों के आयात पर भारत द्वारा प्रतिबंध तथा यूरोपीय संघ, जापान, ताइवान द्वारा दायर कुछ सूचना और संचार प्रौद्योगिकी सामानों पर आयात शुल्क शामिल हैं। 
  • जनवरी 2022 में भारत ने विश्व व्यापार संगठन के व्यापार विवाद निपटान पैनल के एक फैसले के खिलाफ अपील की, जिसने फैसला सुनाया कि चीनी और गन्ने के लिये देश के घरेलू समर्थन उपाय वैश्विक व्यापार मानदंडों के साथ असंगत हैं। 

आगे की राह 

  • नए सदस्य हेतु समर्थन प्रस्ताव: 
    • आमतौर पर अपीलीय निकाय में नई नियुक्तियाँ विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों की सहमति से की जाती हैं, लेकिन जहाँ आम सहमति संभव नहीं है, वहाँ मतदान का प्रावधान भी है। 
    • भारत सहित 17 सबसे कम विकसित और विकासशील देशों का समूह, जो अपीलीय निकाय में गतिरोध को समाप्त करने हेतु एक साथ काम करने के लिये प्रतिबद्ध हैं, इस आशय का एक प्रस्ताव प्रस्तुत करने या उसका समर्थन कर सकते हैं और बहुमत से अपीलीय निकाय में नए सदस्यों को शामिल करने का प्रयास कर सकते हैं।  
    • लेकिन यह अंतिम उपाय के रूप में एक विकल्प हो सकता है, क्योंकि सभी देशों को अमेरिका द्वारा सीधे अपने वीटो का विरोध करने के परिणामस्वरूप एकतरफा पहल का डर है। 
  • कानून तोड़ने पर उपयुक्त सज़ा: 
    • अगर किसी देश ने कुछ गलत किया है, तो उसे अपनी गलती को तेज़ी से सुधारना चाहिये और अगर यह समझौते को खंडन करना जारी रखता है, तो उसे मुआवज़े की पेशकश करनी होगी या उपयुक्त प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ेगा, हालांँकि यह वास्तव में सज़ा नहीं है, यह एक "उपाय" है, जिसका पालन करना देश के लिये अंतिम लक्ष्य है। 
  • सुधारात्मक दृष्टिकोण: 
    • सुधारात्मक दृष्टिकोण के आधार पर स्थायी दीर्घकालिक समाधानों में निवर्तमान सदस्यों के लिये संक्रमणकालीन नियम शामिल हैं, जो उन्हें अपनी शर्तों की समाप्ति के बाद भी लंबित अपीलों को पूरी तरह से निपटाने की अनुमति देता है, साथ ही अपीलीय निकाय की व्याख्या को नीतिगत कदम उठाए बिना सहमति वाले राष्ट्रीय कानूनों के अर्थ तक सीमित कर दिया जाता है, ताकि राष्ट्रों की संप्रभुता को संरक्षित किया जा सके। 
  • सदस्यों की नियमित बैठक: 
    • अन्य दीर्घकालिक समाधानों में प्रभावी संचार और तत्काल निवारण तंत्र सुनिश्चित करने के लिये अपीलीय निकाय के साथ विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों की नियमित बैठकें शामिल हैं। 
    • इस प्रकार सभी राष्ट्रों को संकट से निपटने के लिये एक समान आधार हेतु एक साथ आना चाहिये ताकि सबसे खराब स्थिति का सामना न करना पड़े। 

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

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