WPI और CPI मुद्रास्फीति दरें | 16 Mar 2022
प्रिलिम्स के लिये:थोक मूल्य सूचकांक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, मौद्रिक नीति समिति, भारतीय रिज़र्व बैंक। मेन्स के लिये:मुद्रास्फीति और इसका प्रभाव, मौद्रिक नीति। |
चर्चा में क्यों?
सरकार द्वारा जारी आँकड़ों से पता चला है कि भारत में थोक मुद्रास्फीति (WPI) बढ़कर 13.11% हो गई, जबकि भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) द्वारा मापी गई खुदरा मुद्रास्फीति दर फरवरी 2022 में 6.07% पर आ गई है।
थोक मूल्य सूचकांक (WPI):
- यह थोक व्यवसायों द्वारा अन्य व्यवसायों को बेची जाने वाली वस्तुओं की कीमतों में बदलाव को मापता है।
- इसे वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) के आर्थिक सलाहकार (Office of Economic Adviser) के कार्यालय द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
- यह भारत में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला मुद्रास्फीति संकेतक (Inflation Indicator) है।
- इस सूचकांक की सबसे प्रमुख आलोचना यह की जाती है कि आम जनता थोक मूल्य पर उत्पाद नहीं खरीदती है।
- वर्ष 2017 में भारत के लिये WPI का आधार वर्ष 2004-05 से संशोधित कर 2011-12 कर दिया गया है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI):
- यह खुदरा खरीदार के दृष्टिकोण से मूल्य में हुए परिवर्तन को मापता है तथा इसे राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office- NSO) द्वारा जारी किया जाता है।
- यह उन वस्तुओं और सेवाओं जैसे- भोजन, चिकित्सा देखभाल, शिक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि की कीमत में अंतर की गणना करता है, जिन्हें भारतीय उपभोक्ता उपयोग के लिये खरीदते हैं।
- इसके कई उप-समूह हैं जिनमें खाद्य और पेय पदार्थ, ईंधन तथा प्रकाश, आवास एवं कपड़े, बिस्तर व जूते शामिल हैं।
- इसके निम्नलिखित चार प्रकार हैं:
- औद्योगिक श्रमिकों (Industrial Workers- IW) के लिये CPI
- कृषि मज़दूर (Agricultural Labourer- AL) के लिये CPI
- ग्रामीण मज़दूर (Rural Labourer- RL) के लिये CPI
- CPI (ग्रामीण/शहरी/संयुक्त)
- इनमें से प्रथम तीन के आँकड़े श्रम और रोज़गार मंत्रालय में श्रम ब्यूरो (Labor Bureau) द्वारा संकलित किये जाते हैं, जबकि चौथे प्रकार की CPI को सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation) के अंतर्गत केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (Central Statistical Organisation-CSO) द्वारा संकलित किया जाता है।
- CPI का आधार वर्ष 2012 है।
- हाल ही में श्रम और रोज़गार मंत्रालय ने आधार वर्ष 2016 के साथ औद्योगिक श्रमिकों के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-IW) की नई शृंखला जारी की।
- मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) मुद्रास्फीति (रेंज 4+/-2% के भीतर) को नियंत्रित करने के लिये CPI डेटा का उपयोग करती है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अप्रैल 2014 में CPI को मुद्रास्फीति के अपने प्रमुख उपाय के रूप में अपनाया था।
विगत वर्षों के प्रश्नभारत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2010) 1. भारत में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) केवल मासिक आधार पर उपलब्ध है। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) |
थोक मूल्य सूचकांक बनाम उपभोक्ता मूल्य सूचकांक:
- WPI, उत्पादक स्तर पर मुद्रास्फीति को ट्रैक करता है, जबकि CPI उपभोक्ता स्तर पर कीमतों में परिवर्तन को मापता है।
- WPI सेवाओं की कीमतों में परिवर्तन को नहीं मापता, जबकि CPI में सेवाओं को भी ध्यान में रखा जाता है।
- WPI में विनिर्मित वस्तुओं को अधिक वेटेज दिया जाता है, जबकि CPI में खाद्य पदार्थों को अधिक वेटेज दिया जाता है।
मुद्रास्फीति:
- मुद्रास्फीति का तात्पर्य दैनिक या आम उपयोग की वस्तुओं और सेवाओं जैसे- भोजन, कपड़े, आवास, मनोरंजन और परिवहन इत्यादि की कीमतों में होने वाली वृद्धि से है।
- मुद्रास्फीति के तहत समय के साथ वस्तुओं और सेवाओं के औसत मूल्य में होने वाले परिवर्तन को मापा जाता है।
- मुद्रास्फीति किसी देश की मुद्रा की एक इकाई की क्रय शक्ति में कमी का संकेत होती है।
- इससे अंततः आर्थिक विकास में कमी आ सकती है।
- हालाँकि अर्थव्यवस्था में उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये मुद्रास्फीति का एक आवश्यक स्तर बनाए रखना आवश्यक होता है।
- भारत में मुद्रास्फीति को मुख्य रूप से दो मुख्य सूचकांकों- थोक मूल्य सूचकांक और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक द्वारा मापा जाता है जो कि क्रमशः थोक और खुदरा स्तर के मूल्य परिवर्तन को मापते हैं।
विगत वर्षों के प्रश्नप्र. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) |