बाल विवाह का चिंताजनक ट्रेंड | 03 Jun 2017

संदर्भ 
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च प्रोजेक्ट यंग लाइव्ज़ (young lives) द्वारा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के समन्वय से भारत में बाल विवाह की घटनाओं पर अनुसंधान किया गया, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। यह अध्ययन 2011 की जनगणना पर आधारित है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि देश में बाल विवाह में गिरावट आई है। 

महत्त्वपूर्ण बिंदु 

  • यह पाया गया कि कुल बाल विवाहों में सबसे अधिक 2.5% अकेले राजस्थान में हुए, इसके बाद मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात, सिक्किम, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, नागालैंड, असम, महाराष्ट्र, त्रिपुरा, दादरा एवं नगर हवेली और कर्नाटक इत्यादि राज्यों में।
  • 21 वर्ष से कम आयु की उम्र के लड़कों की शादी के मामले में भी सबसे ऊपर है, जो कुल होने वाली लड़कों की शादी का 4.69% है।
  • देश भर में 10 साल से कम आयु में होने वाले विवाह की घटना किसी भी राज्य में देखने को नहीं मिली।
  • यह भी पाया गया कि 12.9% लड़कियों का विवाह 10-17 वर्ष की आयु में और 43.6% की शादी 18-20 वर्ष की आयु में की गई। दूसरी तरफ, 4.9% लड़कों का विवाह 10-17 वर्ष की आयु में और 11.2% लड़कों का विवाह 18-21 वर्ष की आयु में हुआ।
  • अध्ययन बताता है कि नाबालिग लड़कियों के विवाह में 0.1% की मामूली गिरावट देखी गई है।
  • 2001 से 2011 के बीच ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह की घटनाओं में गिरावट देखी गई, जबकि शहरों में बाल विवाह की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई जो 2001 की 1.78% से बढ़कर 2011 में 2.45% हो गईं।

क्या करना चाहिये ? 

  • समाज में जड़ जमा चुकी बाल विवाह की इस बीमारी को खत्म करने के लिये विधायी हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
  • बाल विवाह को केवल एक ‘सामाजिक बुराई’ के रूप में ही नहीं देखा जाना चहिये बल्कि इसे बच्चों के ‘मौलिक अधिकारों’ के उल्लंघन का एक गंभीर मामला मानते हुए इसके खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की आवश्कता है।
  • बाल विवाह के प्रति जन जागरूकता फैलाने हेतु देश में युद्ध स्तर पर एक मुहिम चलाई जानी चाहिये।
  • ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ जैसे कार्यक्रमों को ज़मीनी स्तर पर लागू किया जाना चाहिये।  

 राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR)

  • यह एक वैधानिक आयोग है जिसकी स्थापना दिसंबर 2005 में संसद द्वारा पारित एक अधिनियम, बाल अधिकार संरक्षण के लिये आयोग, द्वारा की गई थी।
  • आयोग महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तत्त्वाधान में कार्य करता है।
  • आयोग यह सुनिश्चित करता है कि सभी कानून, नीतियाँ, कार्यक्रम और प्रशासनिक तंत्र बाल अधिकारों के अनुरूप हों जो भारतीय संविधान और संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर में उपलब्ध हैं।
  • आयोग द्वारा 18 साल से कम आयु वालों को बालक माना गया है।